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शनिवार, 24 अप्रैल 2010

परमेश्वर पिता की विश्वासयोग्यता

हडसन टेलर परमेश्वर का एक बहुत विनम्र सेवक था, जिसे परमेश्वर ने चीन में सेवकाई के लिये बहुतायत से प्रयोग किया। उसने परमेश्वर के प्रति एक असाधारण विश्वासयोग्यता प्रदर्षित की।

उसने अपनी डायरी में लिखा:
"हमारा स्वर्गीय पिता बहुत अनुभवी है। वह जानता है कि उसके बच्चों को सुबह अच्छी भूख लगती है...उसने ४० साल तक बियाबान में ३० लाख इस्त्राएलियों का पालन-पोषण किया। शायद परमेश्वर ३० लाख मिशनरी सेवकों को चीन नहीं भेजेगा; किंतु अगर भेजे भी तो इस बात पर पूरा भरोसा रखिये कि उन सबका पालन पोषण करने के लिये उसके पास बहुतायत से संसाधान होंगे। परमेश्वर का कार्य यदि परमेश्वर द्वारा बताए तरीके से किया जाय तो उस कार्य के लिये परमेश्वर के साधनों का अभाव कभी नहीं होगा।"

हम थके-मांदे हो सकते हैं लेकिन हमारा स्वर्गीय पिता सर्वशक्तिमान है। हमारी भावनाएं घट-बढ़ सकती हैं पर हमारा परमेश्वर कभी न बदलने वाला है। सृष्टि स्वयं ही उसके स्थिर और विश्वासयोग्य होने की गवाह है। इसलिये थॉमस चिश्‍होल्म के एक भजन कि पंक्तियों को हम गा सकते हैं, जिनके भाव हैं: "ग्रीष्मकाल और शीतकाल, बसन्त और पतझड़, ऊपर अपने अपने कक्ष में चलने वाले सूर्य, चन्द्रमा और नक्षत्र, सारी सृष्टि के साथ मिलकर तेरी महान विश्वासयोग्यता, अनुग्रह और प्रेम के गवाह हैं।"

उस महान परमेश्वर के लिये जीने के लिये यह कितना उत्साहवर्धक है! वर्तमान के लिये हमारी सामर्थ और भविष्य के लिये हमारी आशा हमारे अपने परिश्रम की स्थिरता पर नहीं परन्तु परमेश्वर की विश्वासयोग्यता पर आधारित हैं। हमारी जो भी आवश्यक्ता हो, हम उसके लिये पिता की विश्वासयोग्यता पर भरोसा कर सकते हैं।

हे प्रभु मेरे प्रति आपकी विश्वासयोग्यता कितनी महान है। - पौल वैन गॉर्डर


जो अपने आप को परमेश्वर पर छोड़ देता है परमेश्वर उसे कभी नहीं छोड़ता।


बाइबल पाठ: भजन १०७:१-१६


हम मिट नहीं गए, यह यहोवा की महान करुणा क फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है।...तेरी विश्वास्योग्यता महान है।


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १९, २०
  • लूका १८:१-२३

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010

परमेश्वर से सहमति

एक रेडियो कार्यक्रम में एक फोन करने वाले ने धर्म के संबंध में कुछ कहा। इस पर उस कार्यक्रम के संचालक ने धर्म के नाम पर पाखण्ड करने वालों के विरुद्ध बोलना शुरू कर दिया। वह कहने लगा कि "मुझे इन धर्मी ढोंगियों से घृणा है। वे केवल धर्म के बारे में बोलते ही हैं, लेकिन वे वास्तव में मुझ से ही बेहतर नहीं हैं। इसलिये मुझे धर्म की बातें पसन्द नहीं हैं।"

उस व्यक्ति को यह एहसास नहीं हुआ कि अपनी इस राय में वह परमेश्वर के साथ पूर्ण सहमत है। परमेश्वर भी ढोंगियों को बिलकुल पसन्द नहीं करता। विडम्बना यह है कि जिस बात का परमेश्वर विरोध करता है, उसी को आधार बनाकर लोग परमेश्वर से दूर रहते हैं।

यीशु ने ढोंगीयों के लिये कहा: "यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। ये व्यर्थ मेरी उपासना करते हैं, क्योंकि मनुष्य की विधियों को धर्म उप्देश करके सिखाते हैं" (मत्ती १५:८,९)।

ध्यान दीजिये कि यीशु ने अपने समय के सम्भवतः सबसे बड़े ढोंगियों - धर्म के अगुवे उन फरीसीयों को क्या कहा। मत्ती के २३वें अध्याय में उसने उन्हें एक नहीं, दो नहीं, वरन सात बार ढोंगी कहा। वे लोगों के सामने धर्म का दिखावा करते थे पर परमेश्वर उनके मन को जानता था। वह जानता था कि वे उससे बहुत दूर हैं।

जब गैरमसीही हम विश्वासियों में ढोंग का दोष दिखाते हैं तो सही करते हैं। वे परमेश्वर के साथ सहमत हैं जो स्वयं भी इससे घृणा करता है। हमारी ज़िम्मेदारी है कि हमारे जीवन परमेश्वर आदर करें जो हमारे सम्पूर्ण समर्पण के योग्य है। - डेव ब्रैनन

शैतान हमसे प्रसन्न रहता है अगर हमारा मसीही प्रचार और जीवन मेल नहीं खाता।


बाइबल पाठ: मत्ती १५:१-१९


यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनके मन मुझसे दूर रहते हैं। - मत्ती १५:८


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १६-१८
  • लूका १७:२०-३७

गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

बहुत बूढ़े?

जब परमेश्वर ने अब्राहम से प्रतिज्ञा की कि उसे और उसकी पत्नि सारा के पुत्र होगा तो अब्राहम अविश्वास के कारण हंसा और उसने कहा, "क्या सौ वर्ष के पुरूष के भी सन्तान होगी और क्या सारा जो नव्वे वष की है पुत्र जनेगी?" (उत्पत्ति १७:१७)।

बाद में सारा भी इसी कारण हंसी: "मैं तो बूढ़ी हूँ और मेरा पति भी बूढ़ा है, तो क्या मुझे यह सुख होगा?" (उत्पत्ति १८:१२)।

हम भी बूढ़े होते हैं और सन्देह करते हैं कि क्या परमेश्वर के लिये हमसे किये गए वायदे पूरे करना संभव होगा? बुढ़ापे में हमारा पद और महत्त्व कम हो गए, हमारे दिमाग़ पहले जैसे सक्रीय नहीं रहे। हमारे शरीर में कई परेशानियाँ हो जाती हैं जो हमारे चलने फिरने में बाधा डलती हैं और हमें घर के आस पास ही रहने को मजबूर करती हैं। प्रतिदिन हम उन चीज़ों को खोते जाते हैं जिन्हें पाने के लिये हमने उम्र बिता दी। रॉबर्ट फ़्रॉस्ट हमारे मन में उठने वाले प्रश्न को पूछता है: "प्रश्न है...किसी घटती हुई वस्तु से क्या हासिल होगा?"

अगर हम केवल अपनी सामर्थ पर ही निर्भर हैं तो कुछ खास हासिल नहीं होगा। लेकिन परमेश्वर हमारी कलपना से कहीं बढ़कर हमारा उपयोग कर सकता है। जैसे उसने सारा से पूछा, वह हमसे भी पूछता है, "क्या यहोवा के लिये कोई काम कठिन है?" (उत्पत्ति १८:१४) - बिलकुल नहीं!

यदि हम अपने आप को परमेश्वर के लिये उपलब्ध कराते हैं कि वह हमसे अपने उद्देश्यों को पूरा करे, तो उसके लिये उपयोगी होने में हम कभी बहुत बूढ़े नहीं होंगे। - डेविड रोपर


जैसे जैसे परमेश्वर आपके जीवन में वर्ष जोड़ता जाता है, उससे मांगें कि वह आपके वर्षों में जीवन भरता जाए।


बाइबल पाठ: उत्पत्ति १७:१५-२२


मेरी वाचा तेरे साथ बंधी रहेगी, इसलिये तू जातियों के समूह का मूल पिता हो जायेगा। - उत्पत्ति १७:४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमूएल १४, १५
  • लूका १७:१-१९

बुधवार, 21 अप्रैल 2010

आंधी के शोर

जब भी मैं रेडियो पर एक व्यवसायिक प्रचार कार्यक्रम सुनता हूँ तो मुझे हंसी आती है। उस कार्यक्रम में एक स्त्री अपनी सहेली से बहुत ऊंची आवाज़ में बात करती है। क्योंकि उस स्त्री का घर एक आंधी में क्षतिग्रस्त हो गया था और बीमा कंपनी ने उसकी क्षति पूर्ति नहीं की थी तो उसे अपने अन्दर आंधी का शोर ही सुनाई देता रहता था और वह उस शोर से अधिक ऊंची आवाज़ में बात करने का प्रयास करती थी।

मैंने और आपने भी अपने जीवन में अपने अन्दर आंधीयों के शोर सुने हैं। यह होता है जब कोई दुर्घटना घटती है - हमारे साथ या हमारे किसी प्रीय जन के साथ, या हम किसी के बारे में बुरे समाचार सुनते हैं। तब हमारे मन ’क्या हो अगर’ जैसे सवालों की आंधी से भर जाते हैं। हम हर सम्भव बुरे परिणाम के विचारों से भर जाते हैं, और हमारा ध्यान उन्हीं पर केंद्रित हो जाता है। हमारे भय, चिंताएं, परमेश्वर में विश्वास सब बढ़ते-घटते रहते हैं और हम प्रतीक्षा करते हैं, प्रार्थना करते हैं, दुख मनाते हैं इस चिंता में कि अब परमेश्वर क्या करेगा।

किसी भी आंधी या परेशानी में डरना एक स्वभाविक प्रतिक्रीया है। चेलों के साथ प्रभु यीशु वहीं नाव में था, किंतु फिर भी वे भयभीत हुए (मत्ती ८:२३-२७)। उसने आंधी को शांत करके उन्हें सिखाया कि वह सर्वशक्तिशाली परमेश्वर है, और उनकी चिंता भी करता है।

हम इच्छा रखते हैं कि जैसे प्रभु ने उन चेलों की आंधी को शांत किया, हमारे जीवन कि आंधियों को भी सदा वैसे ही शांत करे। लेकिन हम शांति के पल पा सकते हैं यदि हम इस विश्वास पर स्थिर हैं कि जैसे चेलों के साथ वह नाव में था, वैसे ही हमारे साथ भी सदा रहता है और हमारी देख रेख करता है। - ऐनी सेटास


लंगर का महत्त्व और सामर्थ आंधी के हिचकोलों में ही होती है।


परमेश्वर जो शांति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा। - फिलिप्पियों ४:९


बाइबल पाठ: मत्ती ८:२३-२७


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल १२, १३
  • लूका १६

मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

विश्वासी गयुस

युहन्ना की तीसरी पत्री में एक मंडली के दो सदस्यों की तुलना की गई है। उन दोनो के व्यवहार उस मंडली में आने वाले मेहमान विश्वासीयों के प्रति बिलकुल भिन्न थे। युहन्ना ने यह पत्री अपने प्रीय गयुस के नाम लिखी जिससे वह सच्चा प्रेम करता था (पद १)। गयुस में सत्य व्यवहार था (पद ३) क्योंकि वह परमेश्वर के भय में चलता था। जो भी वह अपने ’भाइयों’ - यात्री मसीही प्रचारकों और उपदेशकों के लिये करता था, प्रेम और विश्वासयोग्यता के साथ करता था (पद ५, ६)।

इससे विपरीत दायोत्रिफेस का व्यवहार था। वह घमंडी और अधिकार जताने वाला था और जो मसीह के नाम में आते थे उनका विरोध करता था (पद १०), शायद पौलुस का भी। मण्डली का जो भी जन उन लोगों को ग्रहण करता था, वह उन्हें मण्डली से निकल देता था। निसन्देह वह ऐसा अपने पद और स्वार्थ को बचा के रखने और सबका ध्यान अपने पर केंद्रित रखने के लिये करता था।

मेरी पत्नी शरली, मेरी पोती ब्री और मुझे एक ऐसे देश में जाने का अवसर मिला जो कभी सुसमाचार के लिये बन्द थी। वहां के विश्वासीयों ने हमें सच्चे प्रेम, विश्वास, खुले मन और आतिथ्य से स्वीकार किया। उनके पास सीमित साधन थे किंतु उनकी उदारता अदभुत थी। उनसे हमें बहुत प्रोत्साहन मिला। वे वास्तव में गयुस के उदहरण का अनुसरण कर रहे थे।

परमेश्वर हमें एक प्रेम और विश्वासयोग्यता से भरी आत्मा दे जो हमें सहविश्वासियों के प्रति ऐसा व्यवाहार करने को उभारे जो ’परमेश्वर के उप्युक्त हो’ (पद ६)। - डेव एगनर


एक खुला हृदय और खुला घर ही मसीही आतिथ्य है।


बाइबल पाठ: ३ युहन्ना


हे प्रीय [गयुस], जो कुछ तू उन भाइयों के साथ करता है, जो परदेशी भी हैं, उसे विश्वासी की नाई करता है। - ३ युहन्ना १:५


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ९-११
  • लूका १५:११-३२

सोमवार, 19 अप्रैल 2010

सबसे अच्छा मिटाने वाला

स्मरण शक्ति क्या है? वह क्या है जो हमारे बीते एहसास, दृष्य, आवाज़ें और अनुभवों को फिर से उभार कर सामने ले आता है। किस प्रक्रिया द्वारा हमारे मस्तिष्क में सब घटनाएं रिकॉर्ड की जाती हैं, संजो कर सुरक्षित की जाती हैं और फिर आवश्यक्ता पड़ने पर उभार कर सामने लाई जाती हैं। यह सब बातें अभी रहस्यमय बनी हुई हैं।

हम जानते हैं कि स्मृतियाँ हमारे लिये आशीश हो सकती हैं - सांत्वना, भरोसे और आनन्द से भरी। बुढ़ापा हमारे लिये एक संतुष्टि और आनन्द से भरा अनुभव हो सकता है यदि हमने पवित्र विचार, विश्वास, सहभागिता और प्रेम की यादें सुरक्षित करी हैं। अगर एक विशवासी संत अपने पिछले मसीही जीवन को देखता है और उसे स्मरण रखता है जिसने वायदा किया है कि "मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूंगा और कभी नहीं त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५), तो उसका बुढ़ापा सबसे अधिक मधुर होगा।

किंतु यादें एक अभिशाप और बहुत पीड़ादायक भी हो सकती हैं। कई लोग जीवन की संध्या में प्रवेश करते समय, मन से अपने बीते पापों की यादें मिटाने की युक्ति हर कीमत पर पाने के लिये लालायित रहते हैं क्योंकि वह पाप उन्हें सताते रहते हैं। वह व्यक्ति जो ऐसी यादों से पीड़ित है, क्या कर सकता है? - केवल एक बात; वह उन्हें परमेश्वर के सन्मुख ले जाये, क्योंकि परमेश्वर ही है जो उन पापों को माफ कर सकता है और उनहें हमेशा के लिये मिटा सकता है। वही परमेश्वर जिसने वायदा दिया है, " मैं उनके पापों को और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण ना करूंगा" (इब्रानियों १०:१७)।

हो सकता है कि आप अपने भूतकाल को न भूल सकें किंतु परमेश्वर काली घटा के समान आपके पापों को मिटाने का आपको अवसर दे रहा है। - एम. आर. डी हॉन


परमेश्वर के सन्मुख इमान्दारी से अपने पापों को मानना ही उन्हें मिटाने का सबसे अच्छा तरीका है।


बाइबल पाठ: लूका १६:१९-३१


मैंने तेरे अपराधों को काली घटा के समान मिटा दिया है। - यशायाह ४४:२२


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ६-८
  • लूका १५:१-१०

रविवार, 18 अप्रैल 2010

आगे क्या?

एक अमेरीकी टेलीविज़न धारावहिक ’द वेस्ट विंग’ में कल्पित अमेरीकी राष्ट्रपति जोसियाह बार्टलेट, कर्मचारियों के साथ होने वाली अपनी सभा का अन्त हमेशा दो शब्दों के साथ करता है - ’आगे क्या?’ यह उसका बताने का तरीका है कि चर्चा का यह विष्य अब यहां समाप्त हुआ और अब दुसरे विष्यों पर और इससे आगे की सोचना है। अमेरीकी राष्ट्रपति भवन ’व्हाईट हाउस’ के जीवन के दबाव और ज़िम्मेदारियों की मांग है कि उसे बीती बातों पर ध्यान केंद्रित रखने की बजाए उनसे आगे की ओर देखना है और आगे आने वाली बातों पर ध्यान देना है।

प्रेरित पौलुस का भी जीवन के प्रति ऐसा ही दृष्टीकोण था। वह जानता था कि वह अपने आत्मिक लक्ष्य पर अभी नहीं पहुंचा है, मसीह के जैसा होने के लिये उसे एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है। ऐसे में वह क्या कर सकता था? या तो वह भूत कल की बातों पर, अपनी पराजयों, निराशाओं, संघर्षों और विवादों पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता था, या फिर उन बातों से शिक्षा लेकर आगे बढ़ सकता था।

फिलिप्पियों ३ में पौलुस बताता है कि उसने इन में से कौन सा मार्ग चुना। वह कहता है, "जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूलकर आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (पद १३, १४)।

यही वह दृष्टीकोण है जो आगे बढ़ने और फिर जो भी आगे आने वाला है उसे गले लगाने को तैयार रहता है। यदि हम अपने उद्धारकर्ता के स्वरूप में ढलकर उसके साथ अनन्तकाल को बिताना चाहते हैं तो हमें भी यही दृष्टीकोण अपनाना होगा। - बिल क्राउडर


अपनी नज़रें इनाम पर केंद्र्ति रखो।


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ३:७-१६


निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ ताकि वह इनाम पाऊं जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है - फिलिप्पियों ३:१४


एक साल में बाइबल:
  • २ शमुएल ३-५
  • लूका १४:२५-३५