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रविवार, 9 मई 2010

चुंबक और माताएं

एक अध्यापिका ने अपनी दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों को चुंबक (’Magnet’) के बारे में और वह क्या करता है, एक पाठ पढ़ाया। अगले दिन उसने उनकी लिखित परीक्षा ली। परीक्षा में उसने एक प्रश्न रखा "मेरे नाम में छः अक्षर हैं जिनमें पहला है 'M'; मैं वस्तुएं उठाता हूँ; मैं क्या हूँ?" अध्यापिका को आश्चर्य हुआ कि लगभग ५०% बच्चों ने उत्तर लिखा माता ('Mother').

हाँ, माताएं चीज़ें उठाती हैं, जैसे घर में बिखरे हुए कपड़े और खिलौने; लेकिन वे ’चुंबक’ से कहीं बढ़कर हैं। चाहे बहुत सी माताएं ऐसे काम खुशी खुशी कर देती हैं, लेकिन उनकी बुलाहट और जीवन का उद्देश्य इससे कहीं बढ़कर है।

एक अच्छी माँ अपने परिवार से प्रेम करती है और घर में ऐसा वातवरण बनाती है जहाँ घर का हर सदस्य स्वीकृति, सुरक्षा और समझबूझ पाता है। जब बच्चों को कोई सुनने वाला, सांत्वना देने वाला, गर्मजोशी से आलिंगन देने वाला या सहृदयता का स्पर्श देने वाला चाहिये होता है, तो वह उपस्थित होती है। एक मसीही माँ के लिये, सबसे आनन्ददायक बात होती है अपने बच्चों को सिखाना कि प्रभु यीशु ही उद्धारकर्ता है, तथा उसके प्रेम और उसके प्रति विश्वास के बारे में उन्हें सिखाना।

ऐसी माताएं आदर के योग्य हैं - साल के एक दिन ही नहीं वरन प्रत्येक दिन। यह आदर केवल शब्दो में प्रगट नहीं, उससे भी बढ़कर, उनके प्रति किये गए आदर और प्रेमपूर्ण कार्यों के द्वारा प्रदर्शित होना चाहिये। - रिचर्ड डी हॉन


परमेश्वर के भय में चलने वाली माताएं केवल आपकी परवरिश ही नहीं करतीं, वे आपको परमेश्वर के निकट भी लाती हैं।


बाइबल पाठ: नीतिवचन ३१:२६-३१


अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जैसा कि परमेश्वर यहोवा ने तुझे आज्ञा दी है।


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ७-९
  • यूहन्ना १:१-२८

शनिवार, 8 मई 2010

बुराई से भलाई

जब मेरी लगभग नई कार की टक्कर एक ट्रक से हुई तो मेरे मन में तुरन्त कोई सकारात्मक विचार नहीं आये। मैं उस समय खर्चे, असुविधा और अपने अहं को पहुंची चोट के बारे में सोच रहा था। किंतु एक ऐसा विचार से, जिसमें मैं अन्य लेखकों के साथ सहमत हूं, कि ’प्रत्येक बुरे अनुभव से एक अच्छी शिक्षा ली जा सकती है’ मुझे कुछ आशा मिली।

ऐसे में अच्छाई को ढूंढना एक चुनौती हो सकती है, परन्तु परमेश्वर का वचन सिखाता है कि परमेश्वर बुरी परिस्थितियों को भी, भले उद्देश्यों के लिये प्रयोग कर सकता है।

बाइबल में २ राजा के ५ अध्याय में दो व्यक्तियों का उल्लेख है जिनके साथ बुरी घटनाएं हुईं। एक थी इस्त्राएल की एक लड़की जिसे अराम की सेना बंदी बनाकर ले गई थी; और दुसरा अराम की सेना का सेनापती जो कोढ़ से पीड़ित था। यद्यपि अपने आक्रमणकारियों और बंदी बनाने वालों के लिये बुरा चाहने का लड़की के पास पर्याप्त कारण था, फिर भी उसने नामान की सहायता करनी चाही। उसने नामान को बताया कि इस्त्राएल का भविष्यद्वक्ता एलाईशा उसे चंगा कर सकता है। चंगाई पाने को आतुर नामान इस्त्राएल चला गया। वहां उसे एलाईशा द्वारा दिये गए निर्देश अपमानजन्क लगे और उसने उन्हें मानने से संकोच किया। आखिरकर जब उसने उन निर्देशों क पालन किया तो उसे चंगाई मिली; जिस कारण उसने यह घोषणा करी कि इस्त्राएल का परमेश्वर ही सच्चा परमेश्वर है (पद १५)।

परमेश्वर ने दो बुरी बातों - पहली, बंदी बनाया जाना और दूसरी, एक भयानक रोग, के द्वारा इस्त्राएल के शत्रु को मित्र बनाने के लिये प्रयोग किया। चाहे हम समझ ना पाएं कि कोई बुराई हमारे साथ क्यों हुई, हम यह जानते हैं कि परमेश्वर उस बुराई को भी भलाई के लिये प्रयोग कर सकता है। - जूली एकर्मैन लिंक


परमेश्वर कष्टों को आशीश में परिवर्तित करने में निपुण है।


बाइबल पाठ: २ राजा ५:१-१५


अब मैंने जान लिया है कि समस्त पृथ्वी में इस्त्राएल को छोड़ और कहीं परमेश्वर नहीं है। - २ राजा ५:१५


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा ४-६
  • लूका २४:३६-५३

शुक्रवार, 7 मई 2010

प्रार्थना का प्रभाव

क्या प्रार्थना का वास्तव में संसार पर कोई प्रभाव होता है या यह केवल परमेश्वर से एक निज वार्तालाप है?

न्यू जर्सी में रहने वाले एक दंपत्ति ने जब यह जाना कि उनके इलाके में बंदीगृह से छूटकर आया एक व्यक्ति रहने लगा है तो उन्होंने उसके लिये प्रार्थना करनी आरंभ करी। फिर वे उससे मिलने गए, और उस जैसे पूर्व अपराधियों को सप्ताह में एक बार भोजन के लिये अपने घर बुलाने लगे। अब, २२ साल बाद, उस स्थान के तिरिस्कृत लोगों के लिये एक जगह है जहां उनका स्वागत किया जाता है और उनके साथ आदर से व्यवहार किया जाता है।

अगर हर व्यक्ति यीशु की इस शिक्षा, अपने बैरियों से प्रेम और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो, का पालन करने लगे तो क्या हो? क्या हो, यदि हमारी ख्याति समाज के निष्कासित और अप्रीय लोगों के लिये प्रार्थना करने वालों के रूप में हो?

प्रकाशितवाक्य में एक स्थान पर प्रेरित यूहन्ना अदृश्य और दृश्य जगत के बीच होने वाले एक सीधे संबंध को देखता है। इतिहास के एक अति महत्वपूर्ण क्षण पर स्वर्ग मौन है। सात स्वर्गदूत सात तुरहियां लिये प्रतीक्षा में खड़े हैं, स्वर्ग में पूर्ण सन्नाटा है, मानो सब वहां कुछ सनने को आतुर हैं। तब एक स्वर्गदूत पृथ्वी से परमेश्वर के लोगों की प्रार्थनाएं एकत्रित करके लाता है - स्तुति, विलाप, तजे जाने, निराशा, शिकायत की प्रर्थनाएं - उन्हें सुगंधित धूप के साथ मिलाकर परमेश्वर के सिंहासन के सामने प्रस्तुत करता है (प्रकाशितवाक्य ८:१-४)। आखिरकर सन्नाटा टूटता है और वे सुगंधित प्रार्थनाएं पृथ्वी पर उंडेल दी जाती हैं और तब गर्जन, बिजली कड़कना और भूकंप होने लगता है (पद५)।

सन्देश स्पष्ट है - बुराई, कष्ट और मृत्यु पर मिलने वाली अन्तिम विजय के लिये, प्रार्थना करने वाले लोग आवश्यक कार्यकर्ता हैं। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर के कार्य प्रार्थना करने वालों के द्वारा संपन्न होते हैं।


बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य ८:१-५


उस धूप का धुआं पवित्र लोगों की प्रार्थनाओं सहित....परमेश्वर के सामने पहुंच गया। - प्रकाशितवाक्य ८:४


एक साल में बाइबल:
  • २ राजा १-३
  • लूका २४:१-३५

गुरुवार, 6 मई 2010

सही समय पर

कुछ लोगों के लिये किसी भी जगह समय पर पहुंचना एक कठिन चुनौती होती है। कभी कभी हम चाहे कितनी भी जल्दी निकलें, देर करने के लिये कोई न कोई परिस्थिती उत्पन्न हो ही जाती है।

लेकिन एक खुशख़बरी है: परमेश्वर हमेशा ठीक समय पर रहता है। प्रभु यीशु के आगमन के विष्य में बताते हुए, पौलुस कहता है, "जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा" (गलतियों४:४)। जिस वायदा किये हुए उद्धारकर्ता की लंबे समय से प्रतीक्षा करी जा रही थी, वह बिल्कुल ठीक समय पर आया।

यीशु का रोमी साम्राज्य के शांति के समय पर आना बिल्कुल ठीक समय था। वह समय था जब देश एक सार्वजनिक भाषा - व्यापार से जुड़े हुए थे। विश्वव्यापी व्यापार को सहज बनाने के लिये रास्तों और साधनों का जाल फैला हुआ था। यह सब सुनिश्चित करता था कि सुसमाचार शीघ्रता से फैले; किसी देश की कोई बन्द सीमाएं या किसी देश में जाने की अनुमति लेने की आवश्यक्ता नहीं थी। सब बातें और परिस्थितियां मिलकर, हमारे पापों के लिये उस उद्धारकर्ता के क्रूस पर चढ़ाए जाने की भविश्यद्वाणी (यशायाह ५३) के पूरा होने के सुसमाचार को निर्बाध्य होकर फैलाने में सहायक हुए। परमेश्वर के सिद्ध समय का एक अदभुत उदहरण!

यह सब हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर जानता है कि हमारे लिये कौन सा समय सर्वोत्तम है। यदि आप किसी प्रार्थना के उत्तर की या किसी दी गई प्रतिज्ञा के पूरी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, तो हताश होकर उम्मीद मत छोड़िये। यदि आप सोचते हैं कि परमेश्वर आपको भूल गया है, तो पुनः विचार कीजिये। जब समय आप के लिये सर्वथा उपयुक्त होगा, वह तब आ जाएगा; और कार्य करने के उसके अदभुत समय को देखकर आप दंग रह जाएंगे। - जो स्टोवेल


परमेश्वर का समय सदा सिद्ध होता है।


बाइबल पाठ: गलतियों ४:१-७


जब समय पूरा हुआ, तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा - गलतियों ४:४


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा २१, २२
  • लूका २३:२६-५६

बुधवार, 5 मई 2010

स्थिर शांत आवाज़

जब होरेब पर्वत पर परमेश्वर ने एलियाह से बात करी, तो वह आंधी, भूकंप अथवा अग्नि में होकर कर सकता था। किंतु उसने ऐसा नहीं किया। एलियाह से परमेश्वर ने एक स्थिर शांत आवाज़ में बातें करीं, जब वह जेज़बेल से जान बचाने को छुप रह था, क्योंकि उसने उसे मार डालने की धमकी दी थी। परमेश्वर ने उससे पूछा, "एलियाह, तू यहां क्या कर रहा है?" (१ राजा १९:१२, १३)

एलियाह के उत्तर ने वही बात उजागर करी जो परमेश्वर पहले से जानता था - उसकी घोर निराशा और भय। एलियाह के उत्तर का सार था (देखिये पद १४), "प्रभु, जब औरों ने तुझे छोड़ दिया तब भी मैं अकेला ही तेरे लिये बहुत उत्साहित रहकर तेरे लिये कार्य करता रहा। मुझे ऐसे तेरे लिये अकेले खड़े रहने से क्या मिला?"

क्या वास्तव में एलियाह अकेला ही परमेश्वर के लिये खड़ा रहने वाला था? नहीं; परमेश्वर ने ७००० इस्त्राएलियों को बचा रखा था जिन्होंने बल देवता के आगे घुटने नहीं टेके थे (पद १८)।

अपनी निराशाओं में घिरकर हम भी यह सोच सकते हैं कि केवल हम ही हैं जो परमेश्वर के लिये काम कर रहे हैं; या ऐसा किसी बड़ी उपलब्धी के तुरन्त बाद भी हो सकता है, जैसा एलियाह के लिये हुआ। भजन ४६:१० हमें स्मरण दिलाता है कि "शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं।" जितना जल्दी हम हम उस पर और उसकी सामर्थ पर केंद्र्ति होंगे, उतनी ही शीघ्र हम अपने भय और निराशाओं से मुक्ति पाएंगे।

दोनो ही बातें, हमारी विफलताओं के पीटे जाते कर्कश झांझ या हमारी उपलब्धियों की फुंकी जाती तुरहियां, हमारे जीवन में परमेश्वर के शांत और स्थिर स्वर को दबा सकती हैं। यह समय है कि हम अपने मनों को शांत कर, उसके वचन पर मनन करते हुए उसकी आवाज़ को सुने। - एल्बर्ट ली


अगर परमेश्वर की आवाज़ सुननी है तो हमें संसार की आवाज़ से कान मोड़ने होंगे।


बाइबल पाठ: १ राजा १९:११-१८


शांत हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान् हूं, मैं पृथ्वी भर में महान् हूं! - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १९, २०
  • लूका २३:१-२५

मंगलवार, 4 मई 2010

संपर्क कर्ता

बाज़ार के विशेषज्ञ, वर्षों से यह बात जनते हैं कि किसी भी वस्तु के सर्वश्रेष्ठ विज्ञापनों में से एक है किसी मित्र द्वारा उस वस्तु की सिफारिश करना। इसीलिए बहुत सी बड़ी व्यापरिक कंपनियां ऐसे उपभोक्ताओं को अपने लिये नियुक्त करती हैं, जिन्हें वे अपने उत्पादों के मुफ्त नमूने दें और वे उन उत्पादों की सिफारिश अपने रिश्तेदारों और मित्रों में करें। अमेरिका की एक बड़ी कंपनी नियमित रूप से ऐसे ७२५,००० ’संपर्क कर्ताओं’ को मुफ्त कूपन और उत्पाद भेजती है, जो फिर उनका प्रचार दूसरों के मध्य करते हैं।

प्रभु यीशु का सुसमाचार किसी उत्पाद से कहीं बढ़कर है। वह एक ऐसी योजना है जिससे लोगों को परमेश्वर के साथ एक जीवित और महत्त्वपूर्ण संबंध बनाने का मार्ग मिलता है। यह सुसमाचार सबसे प्रभावकारी रूप में प्रसारित होता है इसके अनुयायियों के जीवन के उदाहरण और वचनों के द्वारा। पौलुस ने थिस्सलुनिके के मसीही विश्वासियों की सराहना करी उनके जीवन और गवाही के लिये, जो उस इलाके के लोगों के लिये एक नमूना थीं। उसने उन्हें कहा, "क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं" (१ थिस्सुलुनीकियों १:८)। क्योंकि उनके जीवन जड़-मूल से बदले गये थे, इसलिये उनके लिये सुसमाचार के लिये शांत रहना असंभव हो गया था, वे मसीह के लिये एक स्वाभविक ’संपर्क कर्ता’ बन गए थे।

लोगों के मध्य किसी उत्पाद के विज्ञापनों को पहुंचाने के बारे में प्रशिक्षण देने वाले एक प्राध्यापक का कहना है कि "लोगों के लिये यह एक स्वाभाविक व्यवहार की बात है कि जो भी चीज़ उन्हें उकसाती या उभारती है, उसकी चर्चा औरों से करें।" परमेश्वर का अनुग्रह, किसी मित्र तक परमेश्वर के सुसमाचार को ले जाने की उपयुक्त प्रेरणा है। - डेविड मैककैस्लैंड


अगर आप लोगों को बताना चाहते हैं कि मसीह उनके जीवन में क्या कर सकता है, तो उन्हें दिखाइये कि मसीह ने आप के जीवन में क्या किया है।


बाइबल पाठ: १ थिस्सुलुनीकियों १:२-१०


क्‍योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं - १ थिस्सुलुनीकियों १:८


एक साल में बाइबल:
  • १ राजा १६-१८
  • लूका २२:४७-७१

सोमवार, 3 मई 2010

स्मृति चिन्ह

हमारी बेटी जब स्कूल दिनों में पढ़ाने जाती है तो मेरी पत्नी हमारी नातिन एलियाना की देखभाल करती है। उसके लिये हम कई ऐसे कार्य करते थे जिनसे एलियाना को हमारे घर में स्वाभाविक लगे। जैसे, उसके कद की उंचाई पर उसके माता -पिता और उनके साथ उसकी कुछ तसवीरों को रख देते, ताकि वह उन्हें देखे और तस्वीरों को उठा कर घर में घूमें। हम चाहते थे कि वह अपने माता-पिता के बारे में अक्सर सोचे।

हमें ऐसा करने की क्या आवश्यक्ता थी? क्या यह संभव था कि वह उन्हें भूल जाती? कदापि नहीं। परन्तु उनको निरंतर स्मरण करने से उसे मन में शांति मिलती।

अब इसके बारे में सोचें। अपने क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, यीशु ने अपनी एक यादगार चेलों के लिये दी। उसने अपने चेलों से कहा (और हमारे लिये भी), कि "मेरे स्मरण के लिये यही किया करो" (उसकी देह और लहु के प्रतीक, एक रोटी और एक प्याले में हिस्सा लेना) (लूका २२:१९)। क्या यह इसलिये किया कि हम यीशु को भूल न जाएं? कभी नहीं। हम उसे कैसे भूल सकते हैं जो हमारे पापों के लिये मरा? उसने यह यादगार इस लिये स्थापित करी जिससे उसके महान बलिदान, उसकी उपस्थिति, उसकी सामर्थ और उसकी वाचाओं की याद द्वारा उसकी शांति हममें बनी रहे।

जैसे एलियाना को वे फोटो उसके माता-पिता के प्रेम की याद दिलाते रहते थे, वैसे ही प्रभु भोज एक बहुमूल्य स्मृति चिन्ह है हममें उसकी याद बनाए रखने के लिये, जो हमारे सदा के घर में हमें ले जाने के लिये फिर आएगा। - डेव ब्रैनन


जो अपने पाप का सच्चा पछतावा करते हैं, वे बहुत कृतज्ञता के साथ मसीह के क्रूस को स्मरण रखते हैं।


बाइबल पाठ: लूका २२:७-२०


मेरे स्मरण के लिये यही किया करो - लूका २२:१९


एक साल में बाइबल: १ राजा १४, १५ लूका २२:२१-४६