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मंगलवार, 15 नवंबर 2011

अनुकम्पा

   एक दिन प्रसिद्ध मसीही प्रचारक डी.एल.मूडी ने प्रभु यीशु मसीह की अनुकम्पा पर एक हृदय स्पर्शी सन्देश दिया। बाद में उनके एक मित्र ने पूछा कि वे इतना दिल छू लेने वाला सन्देश कैसे तैयार कर सके तो उन्होंने उत्तर दिया, "मैं एक दिन प्रभु यीशु मसीह की करुणा के बरे में विचार करने लगा; इसलिए मैंने अपनी बाइबल ली और उसे पढ़ने और ढूंढ़ने लगा कि परमेश्वर का वचन मसीह की करुणा के विषय में क्या कुछ कहता है। जैसे जैसे मुझे संबंधित पद मिलते गए, मैं उन पर मनन और प्रार्थना करता रहा, कुछ ही देर में मसीह की असीम करुणा ने मुझे ऐसा अभिभूत कर लिया कि मैं अपने अध्ययन कक्ष के फर्श पर लेटकर, बाइबल में मूँह रखकर बच्चे के समान फूट फूट कर रोने लगा।"

   कुछ लोगों को लगता है कि रोना कमज़ोरी की निशानी है। परन्तु स्वयं हमारा प्रभु यीशु रोया था। प्रेरित पौलुस भी, जब उस ने परमेश्वर के लोगों के लिए अपने हृदय के बोझ के बारे में लिखा, तो साथ ही अपने आँसुओं के विषय में लिखने से नहीं लज्जाया। मसीह के भले सेवक ऐसे ही होंगे - उनके हृदय कोमल और करुणामय होंगे; उनके मन प्रेम से ऐसे भरे होंगे कि अकसर उनकी भावनाएं आँसुओं के रूप में प्रवाहित होती मिलेंगी।

   जब हम मसीह के क्रूस की छाया में आकर खड़े होंगे, और परमेश्वर के प्रेम से अपनी आत्मा को विभोर होने देंगे, तो हमारे कठोर मन पिघल जाएंगे और मन का ठंडापन जाता रहेगा और उसकी जगह समस्त मानव जाति के लिए परमेश्वर के प्रेम की गर्माहट मन में भर जाएगी। तब ही पाप के दासत्व में पड़े लोगों के लिए मसीह की अनुकम्पा हमारी भी अनुकम्पा बन जाएगी और मसीह का प्रेम हमें वशीभूत करेगा कि हम दूसरों तक उसके प्रेम और उद्धार के सुसमाचार को पहुँचाने की लालसा रखने तथा हर कष्ट और सताव के बावजूद अपनी इस लालसा की पूर्ति के लिए प्रयास में लगे रहने वाले लोग बन सकें। - पौल वैन गोर्डर


प्रेम भरे हृदय रूपी सोते से आँसु उनमुक्त भाव से बहते हैं।

... मैं ने तीन वर्ष तक रात दिन आंसू बहा बहाकर, हर एक को चितौनी देना न छोड़ा। - प्रेरितों २०:३१
 
बाइबल पाठ: १ थिस्सलुनीकियों २:१-२०
    1Th 2:1  हे भाइयों, तुम आप ही जानते हो कि हमारा तुम्हारे पास आना व्यर्थ न हुआ।
    1Th 2:2  वरन तुम आप ही जानते हो, कि पहिले पहिल फिलिप्पी में दुख उठाने और उपद्रव सहने पर भी हमारे परमेश्वर ने हमें ऐसा हियाव दिया, कि हम परमेश्वर का सुसमाचार भारी विरोधों के होते हुए भी तुम्हें सुनाएं।
    1Th 2:3  क्‍योंकि हमारा उपदेश न भ्रम से है और न अशुद्धता से, और न छल के साथ है।
    1Th 2:4  पर जैसा परमेश्वर ने हमें योग्य ठहरा कर सुसमाचार सौंपा, हम वैसा ही वर्णन करते हैं; और इस में मनुष्यों को नहीं, परन्‍तु परमेश्वर को, जो हमारे मनों को जांचता है, प्रसन्न करते हैं।
    1Th 2:5  क्‍योंकि तुम जानते हो, कि हम न तो कभी लल्लोपत्तो की बातें किया करते थे, और न लोभ के लिये बहाना करते थे, परमेश्वर गवाह है।
    1Th 2:6  और यद्यपि हम मसीह के प्रेरित होने के कारण तुम पर बोझ डाल सकते थे, तौभी हम मनुष्यों से आदर नहीं चाहते थे, और न तुम से, न और किसी से।
    1Th 2:7  परन्‍तु जिस तरह माता अपने बालकों का पालन-पोषण करती है, वैसे ही हम ने भी तुम्हारे बीच में रह कर कोमलता दिखाई है।
    1Th 2:8  और वैसे ही हम तुम्हारी लालसा करते हुए, न केवल परमेश्वर को सुसमाचार, पर अपना अपना प्राण भी तुम्हें देने को तैयार थे, इसलिये कि तुम हमारे प्यारे हो गए थे।
    1Th 2:9  क्‍योंकि, हे भाइयों, तुम हमारे परिश्रम और कष्‍ट को स्मरण रखते हो, कि हम ने इसलिये रात दिन काम धन्‍धा करते हुए तुम में परमेश्वर का सुसमाचार प्रचार किया, कि तुम में से किसी पर भार न हों।
    1Th 2:10  तुम आप ही गवाह हो: और परमेश्वर भी, कि तुम्हारे बीच में जो विश्वास रखते हो हम कैसी पवित्रता और धामिर्कता और निर्दोषता से रहे।
    1Th 2:11  जैसे तुम जानते हो, कि जैसा पिता अपने बालकों के साथ बर्ताव करता है, वैसे ही हम तुम में से हर एक को भी उपदेश करते, और शान्‍ति देते, और समझाते थे।
    1Th 2:12  कि तुम्हारा चाल चलन परमेश्वर के योग्य हो, जो तुम्हें अपने राज्य और महिमा में बुलाता है।
    1Th 2:13  इसलिये हम भी परमेश्वर का धन्यवाद निरन्‍तर करते हैं; कि जब हमारे द्वारा परमेश्वर के सुसमाचार का वचन तुम्हारे पास पहुंचा, तो तुम ने उसे मनुष्यों का नहीं, परन्‍तु परमेश्वर का वचन समझ कर (और सचमुच यह ऐसा ही है) ग्रहण किया: और वह तुम में जो विश्वास रखते हो, प्रभावशाली है।
    1Th 2:14  इसलिये कि तुम, हे भाइयो, परमेश्वर की उन कलीसियाओं की सी चाल चलने लगे, जो यहूदिया में मसीह यीशु में हैं, क्‍योंकि तुम ने भी अपने लोगों से वैसा ही दुख पाया, जैसा उन्‍होंने यहूदियों से पाया था।
    1Th 2:15  जिन्‍होंने प्रभु यीशु को और भविष्यद्वक्ताओं को भी मार डाला और हम को सताया, और परमेश्वर उन से प्रसन्न नहीं; और वे सब मनुष्यों को विरोध करते हैं।
    1Th 2:16  और वे अन्यजातियों से उन के उद्धार के लिये बातें करने से हमें रोकते हैं, कि सदा अपने पापों का नपुआ भरते रहें; पर उन पर भयानक प्रकोप आ पहुंचा है।
    1Th 2:17  हे भाइयों, जब हम थोड़ी देर के लिये मन में नहीं बरन प्रगट में तुम से अलग हो गए थे, तो हम ने बड़ी लालसा के साथ तुम्हारा मुंह देखने के लिये और भी अधिक यत्‍न किया।
    1Th 2:18  इसलिये हम ने (अर्थात मुझ पौलुस ने) एक बार नहीं, वरन दो बार तुम्हारे पास आना चाहा, परन्‍तु शैतान हमें रोके रहा।
    1Th 2:19  भला हमारी आशा, या आनन्‍द या बड़ाई का मुकुट क्‍या है? क्‍या हमारे प्रभु यीशु के सम्मुख उसके आने के समय तुम ही न होगे?
    1Th 2:20  हमारी बड़ाई और आनन्‍द तुम ही हो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल १-२ 
  • इब्रानियों ११:१-१९