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शुक्रवार, 14 जुलाई 2017

सहकर्मी


   18वीं शताब्दी के अन्त की ओर विलियम केरी को मिशनरी होकर भारत जाने और प्रभु यीशु का सुसमाचार सुनाने के लिए परमेश्वर की बुलाहट की अनुभूति हुई। उसके आस-पास के पादरियों ने उसका उपहास किया और कहा: "हे जवान, यदि परमेश्वर भारत में किसी को बचाना चाहगा तो वो यह कार्य बिना हमारे या तुम्हारे करने में सक्षम है।" उपहास करने वाले यह भूल गए थे कि परमेश्वर पृथ्वी पर हमारे बिना बहुत ही कम करता है। उसके लगभग सभी कार्य मनुष्यों में होकर, उनके द्वारा किए जाते हैं। परमेश्वर ही मनुष्यों को बुलाकर अपनी सेवकाई के लिए तैयार करता है, और आवश्यक संसाधनों का प्रबंध करके उन्हें उस सेवकाई के लिए भेजता है।

   पृथ्वी पर परमेश्वर के कार्यों में उसके सहकर्मी होने के नाते हमें इस बात को सुनिश्चित करना है कि हमारे द्वारा उस ही की इच्छा सदा पूरी होती रहे; और हमें अपने आप को पूर्णतया परमेश्वर के प्रति समर्पित कर देना है, चाहे उसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाते समय प्रभु यीशु ने उन्हें प्रार्थना में परमेश्वर से यह माँगना सिखाया: "सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन" (मत्ती 6:9-13)। प्रभु द्वारा सिखाई गई प्रार्थना के यह शब्द मात्र शान्त निवेदन नहीं हैं, वरन पवित्र माँगें हैं - हमें न्याय दीजिए! संसार को सही कीजिए!

   हमें और परमेश्वर को पृथ्वी पर भिन्न भूमिकाएं निभानी हैं। हमारी भूमिका है कि हम प्रभु यीशु के पदचिन्हों पर चलें और अपने कर्मों तथा प्रार्थनाओं द्वारा उसके स्वर्गीय राज्य के लिए कार्य करें। जैसा प्रेरित पौलुस परमेश्वर के वचन बाइबल में कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कहता है हम पृथ्वी पर मसीह की देह हैं (कुलुस्सियों 1:24), और प्रभु अपनी देह के द्वारा अपने कार्य करता है। जिनकी हम सेवा करते हैं, हम में होकर मसीह यीशु भी उनकी सेवा करता है। जब हम दुःखियों की ओर हाथ बढ़ाकर उनसे दया और करुणा का व्यवहार करते हैं, वे बढ़े हुए हाथ मसीह यीशु के भी होते हैं। परमेश्वर हम मसीही विश्वासियों में होकर कार्य करता है, हमें अपना सहकर्मी बनाता है। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर से महान अपेक्षाएं रखें; 
परमेश्वर के लिए महान कार्य करने के प्रयास करें। - विलियम केरी

क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो। - 1 कुरिन्थियों 3:9

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 1:24-31
1 Corinthians 1:24 परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है। 
1 Corinthians 1:25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।
1 Corinthians 1:26 हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। 
1 Corinthians 1:27 परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। 
1 Corinthians 1:28 और परमेश्वर ने जगत के नीचों और तुच्‍छों को, वरन जो हैं भी नहीं उन को भी चुन लिया, कि उन्हें जो हैं, व्यर्थ ठहराए। 
1 Corinthians 1:29 ताकि कोई प्राणी परमेश्वर के साम्हने घमण्‍ड न करने पाए। 
1 Corinthians 1:30 परन्तु उसी की ओर से तुम मसीह यीशु में हो, जो परमेश्वर की ओर से हमारे लिये ज्ञान ठहरा अर्थात धर्म, और पवित्रता, और छुटकारा। 
1 Corinthians 1:31 ताकि जैसा लिखा है, वैसा ही हो, कि जो घमण्‍ड करे वह प्रभु में घमण्‍ड करे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 10-12
  • प्रेरितों 19:1-20