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रविवार, 28 फ़रवरी 2010

गहरी धुन

"फीवर पिच" नामक एक अंग्रेज़ी फिल्म के नायक बेन पर एक बेसबॉल खेलने वाले दल की धुन सवार थी। वह उनसे इतना प्रभावित था कि बसन्त और गर्मी के दिनों में वह उनका एक भी खेल देखना नहीं छोड़ता था।

एक बार सर्दियों के दिनों में बेन को एक जवान स्त्री लिंडसे से प्रेम हो जाता है और वह उसे अपनी ओर आकर्षित भी कर लेता है। जब बसन्त आता है तो लिंडसे को मालुम चलता है कि बेन बेसबॉल खेलों के समय एक भिन्न ही व्यक्ति हो जाता है। यदि लिंडसे उसके साथ बेसबॉल देखने नहीं जाती तो बेन के लिये भी उसके पास समय नहीं है। बेन की इस धुन के कारण लिंडसे बेन के साथ अपने संबंध तोड़ देती है।

तब एक दोस्त बेन को समझाता है और उससे पूछता है कि "तुम जिस बेसबॉल दल से इतना प्रेम करते हो, क्या वह भी तुमसे प्रेम करते हैं, क्या उन्होंने कभी तुम्हारे प्रेम का प्रत्युत्तर दिया है?" यह प्रश्न बेन को अपनी प्राथमिकताओं के बारे में सोचने और उन्हें ठीक करने को मजबुर करता है, और फिर वह अपनी प्रेमिका से अपने संबंध सही करके उसको ठीक समय दे पाता है।

हम अपने जीवन में काम, कई तरह के विनोदों और आनन्दमय कार्यों में व्यस्त रहते हैं। परन्तु हमें अपने विकल्पों को चुनते समय दो बातों पर विशेष ध्यान देना है, जो यीशु ने बतायीं - "तू अपने सारे मन से...परमेश्वर से प्रेम रख, और अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर।" (मत्ती २२:३७,३९)।

जब लगता है कि किसी विनोद या कार्य के कारण जीवन असंतुलित हो रहा है, तब हमें अपने आप से यह प्रश्न करना है, "क्या यह विनोद या यह कार्य भी मुझसे प्रेम करता है?" इसका उत्तर हमें नियंत्रण में रखेगा। परमेश्वर से और लोगों से प्रेम, ये ही वास्तव में मूल्य रखते हैं। - एन्नी सेटास


जब हम परमेश्वर के प्रेम को दूसरों के साथ बांटते हैं तब हम उसके प्रति अपना प्रेम दिखाते हैं।


बाइबल पाठ: मत्ती २२:३४-४०


तू अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम कर। - मत्ती २२:३९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती २०-२२
  • मरकुस ७:१-१३

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

चुप रहने का समय

मेरी दोस्त ’मेरी’ को अपने पिता के साथ मछली पकड़ने का समय बहुत पसंद था। मुझे मछली पकड़ने के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी, इसलिये मैं जानना चाहती थी कि क्यों उसका मन इतना खुश होता था? उसका जवाब था, "मैं अपने पिता के साथ रहना पसंद करती हूँ।" जब मैंने उससे पूछा कि "क्या वहाँ मछली पकड़ने के साथ साथ अपने पिता के साथ बातें भी करती हो?" तो उसका जवाब था कि "नहीं हम बातें नहीं करते, केवल मछली पकड़ते हैं।"उसे संवाद नहीं, पिता का साथ आनन्द देता था।

आपने कभी सोचा कि परमेश्वर के सन्मुख हम बहुत समय बोलने में ही व्यस्त होते हैं; परन्तु क्या हम मौन या चुप रहने का अभ्यास करते हैं, या परमेश्वर के साथ बिताये "मौन समय" को हम अपनी प्रार्थनाओं से भर देते हैं? परमेश्वर ने कहा, "शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ" (भजन ४६:१०)। यीशु ने जाना के उसके चेले इतने व्यस्त हुए हैं कि उन्हें खाने का समय भी नहीं मिलता, तो उसने उन से कहा, "तुम आप अलग किसी जंगली स्थान में आकर थोड़ा विश्राम करो" (मरकुस ६:३१)। हम जीवन के आकर्षणों को पीछे छोड़ें तो और आसानी से परमेश्वर पर ध्यान कर सकेंगे और उसमें विश्राम पा सकेंगे।

क्या आप अकेले परमेश्वर के साथ कुछ मौन पलों को बिताने का अभ्यास करते हैं? क्या आप चाहते हैं कि वह आपके मन को शांति दे? (भजन २३:१-३) उसे आपको "शांत रहना" सिखाने दीजिये। यीशु के बुलावे को सुनिये के "मेरे साथ अलग आकर थोड़ा विश्राम करो।" - सिंडी हैस कास्पर


परमेश्वर के साथ बिताया शांत समय हमारे अन्दर भविष्य के खतरों का सामना करने की शक्ति संजो देता है।


बाइबल पाठ: भजन २३:१-३; मरकुस ६:३०-३२


शांत हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। - भजन ४६:१०


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १७-१९
  • मरकुस ६:३०-५६

शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

अति दुखद विभाजन

एक वैबकैम द्वारा एक सफेद सिर वाले बाज़ के घोंसले में चल रहे नाटक पर नज़र रखी गई। एक प्रेमी बाज़ परिवार टूट रहा था, इस दृश्य को इन्टरनैट पर बहुत सारे लोगों ने देखा। पिछले वर्षों में कई अंडे देकर और उनसे बच्चे निकालकर मादा बाज़ ने बसंत में फिर नए अंडे दिये और उन्हें सेंने लगी। परन्तु एक नई जवान मादा बाज़ ने उनके सन्तुष्ट घोंसले के आनन्द को मिटा दिया। जब नर बाज़ उस नई मादा के साथ क्रीड़ा करने लगा, तो अंडे देने वाली मादा बाज़ घोम्सला छोड़कर चली गई और घोंसले में पड़े अंडों में पनपता जीवन नष्ट हो गया।

इंटरनैट के वार्तालाप स्थनों में इस पर उतेजित विवाद चला। बाज़ों देकह्ने और उन्हें चाहने वाले दर्शक क्रुद्ध थे। पक्षी शास्त्रियों ने उन नये बाज़ उत्साहियों को सावधान किया कि उन्हें मानव मूल्यों को पक्षियों पर लागू नहीं करना चाहिये। परन्तु सबने किया और चाहा कि प्रथम दंपति फिर मिल जाएं। ऐसा लगा कि सभी दर्शक परिवार के मेल और उसकी इकाई होने को पवित्र समझते हैं।

इस पर मैंने सोचा कि जब मानव परिवारोम में इस तरह का विच्छेद होता है, तब परमेश्वर भी ऐसे ही दुखी होता हिगा। मैं उन बाज़ों कि लिये इतना दुखी क्यों था? क्यों मैं अपने समाज के अलग हुए दम्पति और परिवारों के बारे में इतना व्याकुल नहीं होता? मुझे अपनी प्राथमिकता को बदलना है।

मलाकी २ में हम विवाह के विषय पर परमेश्वर का दृष्टिकोण देखते हैं। विवाह लोगों के साथ उसकी वाचा का प्रतीक है (पद ११)। वह उसे बहुत मूल्य देता है। हमें भी देना है। - जूली ऐकरमैन लिंक


विवाह-संबंध को दृढ़ करने को मसीह को प्रथम स्थान दो।


बाइबल पाठ: मलाकी २:१०-१६


तुम में से कोई अपनी जवानी की स्त्री से विश्वासघात न करे। - मलाकी २:१५


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १५,१६
  • मरकुस ६:१-२९

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

ओकेल्लो की कहानी, कहानी हमारी

मेरी दोस्त रौक्सैन्न ने अपने जीवन में कई अच्छी नौकरियाँ कीं। उसने ओलिम्पिक्स खेलों में संवादिका होकर काम किया। उसने प्रसिद्ध कंपनियों और व्यक्तियों के लिये काम किया। कई सालों तक उसने बड़े मसीही खिलाड़ियों के बारे में लेख लिखे। परन्तु उन सब की तुलना उसकी अब की नौकरी से नहीं की जा सकती - उगान्डा के बच्चों को यीशु का प्रेम देने का काम।

उसका जीवन उगांडा में कैसे बीतता है? उदाहरण स्वरूप, वर्षा काल के एक गुरुवार को लीजिये; वह कीचड़ के कच्चे रास्ते से कैंसर रोगियों के अस्पताल में जाती है। अन्दर जाकर वह छोटे बालक ओकेल्लो को अपनी गोदी में उठाती है, जिसकी बाहों में बहुत सूजन और दर्द है, बदन बुखार से जल रहा है। वह उसे कैंसर के डॉक्टर के दफ्तर में ले कर जाती है और उसकी हालत सुधरने तक उसके साथ रहती।

हमारा नमूना यीशु है। उसने अपनी सेवा का सारा काल दुखियों के बीच बिताया, उनके रोगों को चंगा किया, उन्हें परमेश्वर के प्रेम का सुसमाचार दिया (लूका ७:२१,२२)।

हमारे जीवन की प्राथमिकताएं क्या हैं - केवल काम? अवश्य है कि हमें अपने और अपने परिवार के पालन-पोषण के लिये नौकरी करनी है। परन्तु दुख-दर्द भरे संसार की पीड़ा कम करने को क्या हम कुछ नहीं कर सकते हैं? हम रौक्सैन्न के जैसे उगांडा नहीं जा सकेंगे, परन्तु हम अपने आस-पास किसी की मदद करने का मार्ग ढूंढ सकते हैं और किसी के जीवन को बदल सकते हैं। - डेव ब्रैनन


मसीह में हमारी समानता का मापदंड है दूसरों के कष्टों की ओर हमारी सहानुभूति।


बाइबल पाठ:लूका ५:१२-१६


तब उसने (यीशु ने) अपना हाथ बढ़ाकर उसे(कोढ़ी को) छुआ। - लूका ५:१३


एक साल में बाइबल:
  • गिनती १२-१४
  • मरकुस ५:२१-४३

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

गड़बड़ की स्थिति को सुधारना

जब हम बाइबल में नओमी को देखते हैं तब उसका जीवन बड़ी गड़बड़ में था। नओमी और उसका पति अकाल के समय भोजन की खोज में मोआब देश चले गये थे। उस देश में उनके दोनो पुत्रों ने मोआबी लड़कियों से शादी की। जीवन खुशी से चल रहा था, परन्तु कुछ समय में उसके पति और दोनो पुत्र मर गये और वह परदेश में अकेली और विधवा रह गयी। नाओमी ने अपने असहनीय दुख में भी जाना कि उसके जीवन की बागडोर किसके हाथ में है? "यहोवा ही ने मेरे विरूद्ध साझी दी, और सर्वशक्तिमान ने मुझे दु:ख दिया है" (रूथ १:२१)। नओमी परमेश्वर के लिये दो इब्रानी शब्दों का प्रयोग करती है, "शद्‍दाई" जो परमेश्वर के हर परिस्थिति में समर्थ होने को दिखाता है और "यहोवा" जो परमेश्वर की विश्वासयोग्यता को दिखाता है। वह वाचा की रक्षा करने वाला प्रेमी यहोवा विश्वासयोग्य है। नओमी ने इन दोनो नामों का प्रयोग एक साथ किया। वह शिकायत के बावजूद अपने विश्वासयोग्य और सर्वशक्तिशाली परमेश्वर के गुण नहीं भूली। परमेश्वर नओमी की रक्षा अन्त तक करने में समर्थ और विश्वासयोग्य रहा।

अगर आप गहरी निराशा में पड़े हैं और कोई मार्ग नहीं सूझ रहा तो याद रखिये कि नओमी का यहोवा आप का भी यहोवा है। वह हमारे जीवन की गड़बड़ को महान भलाई में बदल सकता है। वह समर्थ और विश्वासयोग्य है। इसलिये जब जीवन गड़बड़ हो तो स्मरण रखिये कि आपका परमेश्वर कौन है। - जो स्टोवैल


शांत होकर परमेश्वर को कार्य करने दो और देख लो कि परमेश्वर तुम्हारी बिगड़ी हालत को महिमामय स्थिति में कैसे परिवर्तित करता है।


बाइबल पाठ: रूथ १:१५-२२


यहोवा ही ने मेरे विरुद्ध साक्षी दी, और सर्वशक्तिमान ने मुझे दुख दिया है, फिर तुम क्यों मुझे नओमी कहते हो? - रूथ १:२१


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ९-११
  • मरकुस ५:१-२०

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

कटनी का इन्तज़ार

जेम्स एन्जल और विल्बर्ट नौर्टन अपनी एक पुस्तक में एक रेखा चित्र द्वारा दिखाते हैं कि अक्सर लोग पूर्ण विश्वास में आने और यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने का अंतिम निर्ण्य लेने से पहले कई स्तरों से पार होते हैं।

लोंगों के अपने मन-परिवर्तन के अनुभवों को सुनते समय हमें लगता है कि उनका विश्वास एकदम ही हुआ होगा। परन्तु उनके यह निर्णय लेने से पहले उनकी आत्मिक यात्रा की एक लम्बी कहानी होती है। वे सुसमाचार पर विचार करने में समय बिताते हैं, और यीशु को उद्धारकर्ता करके ग्रहण करना एक प्रक्रिया का नतीजा होता है।

यह खेतीबारी की प्रक्रिया जैसा ही है। महीनों का इंतिज़ार एक दिन खत्म होता है और मज़दूर फसल काटने को खेतों में आते हैं। यीशु द्वारा दिये एक दृष्टांत से भी हम सीखते हैं कि विश्वास भी फसल के समान कुछ समय लेकर ही धीरे-धीरे बढ़कर परिपक्व होता है - "पहले अंकुर, तब बाल और तब बालों में तैयार दाना...फिर कटनी आ पहुंचती है।"(मरकुस ४:२८,२९)।

क्योंकि लोग निर्णय लेने से पहले समय चाहते हैं और सुसमाचार का कई प्रकार का अध्यय्न अवं मनन भी, इसलिये उनकी विश्वास यात्रा में हमें उनके साथ संवेदना रखने की आवश्यक्ता है। इस बीच हम उनकी आत्मिक दिलचस्पी को बढ़ावा दे सकते हैं, उनके लिये प्रार्थना कर सकते हैं और फसल के लिये इन्तज़ार कर सकते हैं। - डेनिस फिशर


हम बीज बोते हैं, परमेश्वर फसल देता है।


बाइबल पाठ: मरकुस ४:२६-२९


पहले अंकुर, तब बाल और तब बालों में तैयार दाना...कटनी आ पहुंची है। - मरकुस ४:२८,२९


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ७, ८
  • मरकुस ४:२१-४१

सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

कठिन कार्य चुनना

सितंबर १२, १९६२ को अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ़. केनडी ने ह्युस्टन के राईस विश्वविद्यालय में एक भाषण दिया। वह देश के सामने मौजूद कठिन चुनौतियों के बारे में था। अमेरिका द्वारा चांद पर आदमी भेजेने के अपने संकल्प के विषय में भी वे बड़ी लगन से बोले।

लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने और अंतरिक्ष को कब्ज़े में करने की इच्छा को पूरी करने के बीच में संतुलन बनाने के संदर्भ में केनडी ने कहा, "हम इस द्शाब्दी में चन्द्रमा पर जाना चाहते हैं। हम इसे और अन्य कार्यों को इसलिये नहीं करना चाहते की वे आसान हैं, परन्तु इसलिये कि वे कठिन हैं।" राष्ट्रपति केनडी से राष्ट्र सहमत हुआ और उनका साथ दिया। सात साल बाद नील आर्मस्ट्रौंग ने जुलाई १९६९ में चंद्रमा पर चलकर मनुष्य जाति के लिये एक बड़ा कदम लिया।

आज का संसार जीवन को आसान बनाने के प्रयासों और उर्जा बचाने के उपकरणों से भरा है। परन्तु जीवन की कठिन चुनौतियों को स्वीकार करके उनका सामना करने में एक विशेष बात है। प्रेरित पौलूस ने मसीह की सेवा करना कठिन पाया, परन्तु उसने उसे निराशाजनक नहीं माना। क्लेश के बीच में वह निराश नहीं हुआ (२ कुरिन्थियों ४:८), पौलूस ने जाना, "जिसने प्रभु यीशु को जिलाया, वही हमें भी यीशु में भागी जानकर जिलायेगा और तुम्हारे साथ अपने सामने उपस्थित करेगा" (पद १४)। इस लक्ष्य को पाने के लिये कष्ट उठाना कोई बड़ी बात नहीं थी।

परमेश्वर की कृपा से हम यीशु की सेवा के लिये अपना जीवन अर्पित करें, सरलता में भी और कठिनाई में भी। - बिल क्राउडर


यीशु ने हमारा उद्धार करने को अपना सब कुछ दिया। क्या हम उसकी सेवा करने को अपना सब कुछ दे रहे हैं?


बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों ४:५-१८


हम चारों ओर क्लेश तो भोगते हैं, पर संकट में नहीं पड़ते; निरुपाय तो हैं, पर निराश नहीं होते। - २ कुरिन्थियों ४:८


एक साल में बाइबल:
  • गिनती ४-६
  • मरकुस ४:१-२०

रविवार, 21 फ़रवरी 2010

मेरा पड़ौसी

एक अंग्रेज़ नाविक करेबियन सागर में, अपने घर से लगभग ४००० मील दूर, अपनी नाव में भ्रमण कर रहा था। आंधी में उसकी नाव का मस्तूल खो गया। उसके खतरे में होने की सूचना किसी को मिलने तक, वह दो दिन तक सागर में २० फुट ऊंची लहरों के बीच भटकता रहा, और उन लहरों से उसकी नाव में पानी भरता रहा। उसके खतरे में होने के संदेश के मिलने के ९० मिनिट में, एक ११६,००० टन भारी पानी के एक विशाल जहाज़ के कप्तान ने उसे बचा लिया।

जब वह सागर से निकाला गया, तब उसे पता लगा कि उसे बचाने वाला कप्तान, हैम्पशायर में उसके गांव वारसाष का रहने वाला उसका पड़ौसी था। बचाए गए आदमी ने बाद में कहा, "ऐसा संयोग कहां होता है, कि आप एक अनजान जगह पर अत्यंत कठिन परिस्थिति में अपने पड़ौसी द्वारा बचाए जायें?"

यीशु ने हर स्थान पर पड़ौसियों को देखा। एक यहूदी शास्त्री ने यीशु से ’पड़ौसी’ की व्याख्या पूछी, जिससे हमें प्रेम करना है। तब यीशु ने उसे लोगों का एक बड़ा दायरा दिया; उसने एक दयालु सामरी की कहानी बताई यह दिखाने को कि पड़ौसी ऐसा कोई भी दोस्त या पराया या बैरी भी हो सकता है, जिसे हमारी मदद की ज़रूरत है (लूका १०)।

यीशु के अनुयायी होने के नाते हमें अपने विरोधियों और हमारा बुरा चाहने वालों से भी दया और प्रेम का व्यवहार करना है (लूका ६:३२-३४)। तभी हम यीशु के हृदय को प्रतिबिंबित कर सकते हैं, जिसने हमारा उद्धार करने के लिये अपनी सबसे बड़ी कीमत चुकाई, तब जब हम उसके बैरी ही थे। - मार्ट डि हॉन



मसीह के लिये हमारा प्रेम उतना ही वास्तविक है जितना प्रेम हम अपने पड़ौसी के प्रति रखते हैं।


बाइबल पाठ:लूका ६:२७-३६



मेरा पड़ौसी कौन है? - लूका १०:२१



एक साल में बाइबल:
  • गिनती १-३
  • मरकुस ३

शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

न्याय के लिये मरना

जब प्रैस्बिटेरियन पादरी एलाइज़ा लवजौय ने (१८०२-१८३७) कलीसिया का काम छोड़ा तो और अधिक लोगों से सम्पर्क बनाने के लिये उन्होंने छपाई का काम फिर से शुरू किया। एक दास को अन्यायपूर्वक मृत्युदण्ड दीये जाने की एक घटना को देखने के बाद लवजौय ने दास प्रथा और दासों के साथ हो रहे अन्याय से लड़ने की ठान ली। घृणा से भरे उपद्रवी लोगों ने उसे मारने की धमकी दी लेकिन वह रुका नहीं।

"अगर उनसे समझौता करने का अर्थ मेरा अपना कर्तव्य छोड़ना है तो मैं वह कभी नहीं कर सकता। मुझे मनुष्य के डर से बढ़कर परमेश्वर से डर है। मुझे कुचल डालो, पर मैं अपने कर्तव्य पर डटा रहूँगा।" इन वचनों को कहने के चार दिन बाद वह क्रोधी उपद्रवी लोगों की एक भीड़ द्वारा मारा गया।

पूरी बाइबल में अन्याय से पीड़ितों के लिये चिंता और उनके न्याय और भले के लिये शिक्षाएं मिलती हैं। मिस्त्र की ग़ुलामी से छुड़ाए जाने के बाद परमेश्वर ने अपनी वाचा में बंधे इस्त्राएलियों को जो नियम दिये, उनमें यह बात स्पष्ट है (व्यवस्थाविवरण २४:१८-२२)। शोषितों और दीनों के प्रति करुणा दिखाने की बात पर मूसा ने ज़ोर दिया (निर्गमन २२:२२-२७, २३:६-९, लैव्यवस्था १९:९,१०)। इस्त्राएलियों को कई बार याद दिलाया गया कि वे मिस्त्र में दास थे, उन्हें समाज के गरीबों से न्याय संगत व्यवहार करना है। क्योंकि परमेश्वर उनसे प्रेम रखता है, उन्हें भी अजनबियों से भी प्रेम रखना है (निर्गमन २३:९; लैव्यवस्था १९:३४; व्यवस्थाविवरण १०:१७-१९)। परमेश्वर चाहता है कि उसके लोग अन्याय के विरुद्ध लड़ें और दुनिया को प्रमाणित करें कि परमेश्वर हर एक मनुष्य को महत्त्व देता है। - Marvin Williams


न्याय के पक्ष में होने का अर्थ है, अन्याय के विरुद्ध लड़ना।


इसको स्मरण रखना कि तू मिस्त्र में दास था और तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे वहां से छुड़ा लाया है। - व्यवस्थाविवरण २४:१८


बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण २४:१८


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २६,२७
  • मरकुस २

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

सर्दी का उत्सव

मुझे मेरे चार ॠतुओं के देश में रहना बहुत प्रीय है। सर्दीयों में बरफ पड़ते समय आग के आस पास आराम से बैठकर एक अच्छी पुस्तक पढ़ना मुझे पसंद है। परन्तु फरवरी आते आते तक सर्दी के प्रति मेरा प्रेम कम होने लगता है और मेरा मन मौसम बदलने के लिये व्याकुल होने लगता है।

तो भी सर्दी के दिनों की एक बड़ी विशेष बात है - क्रिसमस। क्रिसमस बीतने और उसकी सजावाट को हटाने के बाद भी उसकी वास्तविकता और खुशी, हर परिस्थिति में मेरे मन में उत्साह भरती है।

यीशु मसीह के जन्म की वास्तविकता के अभाव में, केवल सर्दी ही नीरस और फीकी नहीं होती, परन्तु हमारे हृदय भी धूमिल और आशा रहित होते, हमारे अपराध और उसके दण्ड से छुटकारा पाने की आशा भी नहीं होती, हमारे कठिनाई के दिनों में मसीह की स्फूर्तिदायक और आश्वस्त करने वाली उपस्थिति नहीं होती, स्वर्ग में एक सुरक्षित भविष्य की आशा भी नहीं होती।

दुखी जीवन की सर्दी में भजनकर्ता ने पूछा, "हे प्राण तू क्यों निराश और बोझिल है?" वह उसे दूर करने का उपाय देता है, "परमेश्वर पर आशा लगाए रख" (भजन ४२:५)।

सी.एस.लूईस द्वारा लिखित नारनिया की कथाओं में श्रीमान तुमनुस शिकायत करता है कि नारनिया में "हमेशा सर्दी रहती है, लेकिन कभी क्रिस्मस नहीं।" परन्तु हम ॠतुओं के सृष्टीकरता परमेश्वर को जानते हैं, इसलिये हमारे दिलों मे सदा क्रिसमस रहता है। - Joe Stowell


क्रिसमस की वास्तविकता द्वारा जीवन की सर्दी को भगा दे।


हे मेरे प्राण, तू क्यों गिरा जाता है?....परमेश्वर पर आशा लगाये रह; क्योंकि मैं उसके दर्शन से उद्धार पाकर फिर उसका धन्यावाद करूंगा। - भजन ४२:५


बाइबल पाठ: भजन ४२


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २५
  • मरकुस १:२३-४५

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

गीत गाता चल

एक पुराना परिहास है - भौंवरे इसलिये सिर्फ गुन्गुनाते हैं, क्योंकि उन्हें गाने के बोल याद नहीं होते!

यह पुराना विनोद मुझे एक गंभीर घटना की स्मरण कराता है। मैंने पढ़ा एक आदमी के बारे में जो अपने दिल के ऑपरेशन होने का इन्तज़ार कर रहा था। उसे मालूम था कि वह ऑपरेशन खतरनाक है, लोग मर भी सकते हैं। अपनी बिमारी और ऑपरेशन के कहतरों के बरे में सोचकर सोचकर वह अपने आप को बहुत अकेला महसुस करने लगा।

तभी एक अर्दली उसे ऑपरेशन के कमरे में ले जाने के लिये आया। वह उस बीमार आदमी को पहिये वाले स्ट्रेचर पा लेटा कर ले जा रहा था, और आयरलैंड का एक पुराना भजन - तू मेरा दर्शन हो (Be thou my vision) गुनगुना रहा था। इस गीत को सुनकर रोगी के मन में अपनी जन्म भूमि आयरलैंड के हरे खेत, प्राचीन खंडहर आदि की यादें ताज़ा हो उठीं और उसका हृदय शांति से भर गया। उस गीत के बाद फिर अर्दली एक दूसरा भजन - मेरी आत्मा ठीक है (It is well with my soul) गुनगुनाने लगा।

जब वह ऑपरेशन के कमरे के सामने रुका तो उस आदमी ने उस अर्दली का धन्यवाद किया। उसने कहा, "परमेश्वर ने मेरा भय दूर करने और मेरी आत्मा को शांति देने के लिये आज तुम्हारा उपयोग किया।" अर्दली ने विसिमित होकर पूछा, "कैसे" रोगी ने कहा "तुम्हारा गीत गुनगुनाना परमेश्वर को मेरे पास ले आया।"

"यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किये हैं"(भजन १२६:३)। उसने हमारे हृदय अपने भजनों से भरे हैं। वह हमारी गुनगुनुहट को भी किसी की आत्मा को बहाल करने के लिये प्रयोग कर सकता है। - David Roper


उद्धार पाये लोगों के समूह से स्तुति मुक्त बहती है।


आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो। - इफिसियों ५:१९


बाइबल पाठ: भजन १२६:१-३


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २३,२४
  • मरकुस १:१-२२

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

शायद आज

दो साल पहले मैंने पढ़ा कि प्रणाली बदलने के कारण, अमेरिका में लाखों टेलिविज़न १७ फरवरी २००९ को काम करना बन्द कर देंगे, "डिजिटल" सिगनल न मिल पाने के कारण। "एलक्ट्रौनिक" दुकानों ने इस विष्य में विज्ञापन निकाले और सरकार द्वारा मुफ्त में ४०$ का कूपन दिया गया ताकि लोग ’कनवर्टर बॉक्स’ खरीद सकें जिससे उन्हें वे "डिजिटल" सिगनल मिल सकें।

एक विशेष दिन की चेतावनी पाकर अधिकाँश लोगों ने आवश्यक कदम उठाये कि उनके टेलिविज़न बन्द न होने पाएं। हम किसी खास तारीख से बंधी चेतावनियों को तो गम्भीरता से ले लेते हैं और हानि से बचने के उपाय करते हैं; परन्तु ’कभी भी’ घट सकने वाली घटना के विष्य में सावधान होकर उसकी हानि से बचने के उपाय करने में हम अक्सर चूक जाते हैं।

जब यीशु के चेलों ने उससे उसकी वापसी के समय के बारे में पूछा (मत्ती २४:३), तो उसका जवाब था कि यह बात केवल परमेश्वर पिता ही जानता है, "उस घड़ी के विष्य में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत और न पुत्र, परन्तु केवल पिता" (पद ३६)। फिर उसने उन्हें तैयार रहने को कहा ताकि उनके लिये यह अक्समात् न हो, "तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विष्य में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जायेगा (पद ४४)।"

हम नहीं जानते कि यीशु कब आयेगा; वह किसी भी समय आ सकता है। आर.बी.एस. संस्थाओं के संस्थापक डॉ. एम.आर.डी हॉन ने इसी संदर्भ में अपने दफतर में दो शब्दों का एक आदर्ष वाक्य रखा - "शायद आज"।

जब हम अपनी दैनिक योजनाएं बनाते हैं तो क्या हमें यह ध्यान होता है कि यीशु कभी भी आ सकता है - शायद आज ही? क्या हम आज ही उससे मिलने के लिये तैयार हैं? - डेविड मैक्कैस्लैन्ड


अगर मसीह आज आता है तो क्या आप उससे मिलने के लिये तैयार हैं?


बाइबल पाठ:मत्ती २४:३६-४६


तुम भी तैयार रहो, क्योंकि जिस घड़ी के विष्य में तुम सोचते भी नहीं हो, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जायेगा। - मत्ती २४:४४


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २१,२२
  • मत्ती २८

मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

उत्तर

कहा जाता है कि आर्थर स्कोपनहोवर नामक दार्शनिक (१७८८-१८६०) एक दिन अपनी उत्पत्ति और अन्त से संबंधित प्रशनों - "मैं कौन हूँ?" "मैं कहाँ जा रहा हूँ?" पर गहन मनन करते हुए बरलिन की एक प्रसिद्ध वाटिका में टहल रहा था।

बगीचे की देख-भाल करने वाला उसे ध्यान से देख रहा था। बेढंगे, बेतरतीब कपड़े पहने, सिर झुकाये धीरे धीरे टहलते स्कोपनहोवर को उस ने भिखारी समझा और पूछा कि "तुम कौन हो?" "कहाँ जा रहे हो?" एक दुखी भाव से स्कोपनहोवर ने जवाब दिया "मैं नहीं जानता। काश कोई मुझे यह बता पाता।"

क्या कुछ ऐसे ही प्रश्नों से आप भी असमंजस में हैं - "मैं कौन हूँ?" "मैं कहाँ जा रहा हूँ?" कितना सन्तोष जनक है यह जानना कि बाइबल मे हमें परमेश्वर की ओर से इन प्रश्नों के सही उत्तर मिलते हैं।

"मैं कौन हूँ?" - १ युहन्ना ३ में युहन्ना बताता है कि हम "परमेश्वर की सन्तान हैं"; हम पापों से उद्धार देने वाले यीशु को ग्रहण करके उसकी सन्तान बनते हैं (यूहन्ना १:१२)।

"हम कहाँ जा रहे हैं?" - यूहन्ना १४:१-६ बताता है कि एक दिन उसके द्वारा स्वर्ग में हमारे लिये तैयार किये गये घर में यीशु हमारा स्वागत करेगा।

हमारा सृष्टिकर्ता केवल विज्ञान और इतिहास का ही लेखक नहीं है, परन्तु वह आदम की हर सन्तान - आपके और मेरे निज इतिहास का भी लेखक है। हम उसके उत्तरों पर विश्वास कर सकते हैं। - वरनॉन ग्राउन्ड्स


जब आप यीशु को जानेंगे, तब जान लेंगे कि आप कौन हैं और आप कहाँ जा रहे हैं।


बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ३:१-९


हे प्रियो अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं - १ यूहन्ना ३:२


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १९,२०
  • मत्ती २७:५१-६६

सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

बह जाना

१९२३ के एक मूक सिनेमा ’हमारा आतिथ्य’ (आवर हॉस्पिटैलिटी) में हंसोड़ अभिनेता बस्टर कीटन ने एक झरने के पास एक कठिन स्टंट किया। एक मोटे तार से जो पानी में छुपा रखा था वह बंधा हुआ था। यह तार पानी के वेग द्वारा उसे झरने में बहा ले जाने से बचाने के लिये था।

परन्तु अभिनय के समय वह तार टूट गया और कीटन झरने की ओर बह निकला। बहते हुये, ऊपर से लटकती एक पेड़ की डाल उसके हाथ आ गई, उसी पर वह बचाने वालों के लोगों के आने तक लटकता रहा। यह नाटकीय दृश्य फिल्म में देखा जा सकता है।

अप्रतीक्षित खतरों में फंसना एक रोमाँचक फिल्म बना सकता है। परन्तु वास्त्विक जीवन में लोगों को ऐसे खतरनाक मार्ग में जाने से सावधान करने के लिये चेतावनी की सुचक लगाये जाते हैं।

बाइबल भी हमें परमेश्वर के वचन की सुरक्षा से भटक जाने की चेतावनी देती है (इब्रानियों २:१)।

अगर हम परमेश्वर के वचन के अद्ध्यन और ध्यान में लगे न रहें तो हमारा भटक जाना आसान है। एक तेज़ धारा के समान इस पतित संसार के प्रलोभन हमें पाप की ओर खींच सकते हैं। अगर हम बाइबल के वचनों की ओर ध्यान करें और पवित्र आत्मा की अगुवाई की खोज करें, तो हम अपने आत्मिक लंगर की सच्चाई के बारे में जानेंगे और इस संसार के खतरों के तेज़ बहाव में सुरक्षित रहेंगे। - डैनिस फिशर


परमेश्वर के वचन का कुतुबनुमा (दिशा जानने का यंत्र) तुम्हें आत्मिक विनाश से बचायेगा।



बाइबल पाठ: इब्रानियों २:१-९


इस कारण चाहिये कि हम उन बातों पर जो हमने सुनी हैं, और भी मन लगाएं, ऐसा न हो कि बहक कर उनसे दुर चले जाएं। - इब्रानियों २:१



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १७,१८
  • मत्ती २७:२७-५०

रविवार, 14 फ़रवरी 2010

लाल रंग में लिखा हुआ

मेरी प्रथम बाइबल काले अक्षरों में छपी थी, परन्तु उसके कुछ शब्द लाल रंग में थे, मैं थोड़े ही समय में पहचान गया कि वे प्रभु यीशु के कहे हुए शब्द थे।

१०० साल पहले लुई क्लोपस्क नामक मनुष्य ने प्रथम लाल अक्षरों वाली बाइबल प्रकाशित की। उसने लूका २२:२० में यीशु के वचनों पर विचार किया "यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया जाता है नई वाचा है।" उसने जान बूझकर यीशु द्वारा कहे गये वचनों की ओर विशेष ध्यान खींचने को खून जैसे रंग की लाल स्याही का उपयोग किया। बाइबल के शब्द बहुमूल्य हैं, क्योंकि परमेश्वर ने अपने पुत्र के व्यक्तित्व में २००० साल पहले हमें जो प्रेम पत्र भेजा, उसका विवरण उन शब्दों में है (१ युहन्ना ४:१०)।

मनुष्य होकर भूमि में आने का यीशु का उद्देश्य था, हमारे लिये मरकर अपने जीवन का बलिदान करना, परमेश्वर की यह योजना लाली में लिखी है, "तुम्हारा छुटकारा निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने अर्थात मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ" (१ पतरस १:१९)।

जिन्होंने परमेश्वर के प्रेम की भेंट स्वीकार की, उन्हें "मसीह की पत्री" कहा गया है, जो यीशु मसीह को न जानने वालों के लिये लिखी गई है। हम "मसीह की पत्री हैं", जो स्याही से नहीं, परन्तु जीवते परमेश्वर के आत्मा से लिखी गई (२ कुरिन्थियों ३:३)।

इस दिन को दुनिया प्रेम का दिन मानती है; लेकिन फरवरी के इस दिन को ऐसा निर्धारित होने से भी बहुत पहले दुनिया ने प्रभु यीशु में एक ऐसा प्रेम पत्र पाया, जिसने सब कुछ बदल दिया (यूहन्ना ३:१६)। - सिंडी हैस कैस्पर


यीशु मसीह का क्रूस ही परमेश्वर के प्रेम के की सबसे स्पष्ट व्याख्या है।



बाइबल पाठ: १ यूहन्ना ४:७-१९


परमेश्वर ने अपने एक्लौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। - १ युहन्ना ४:९



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १५,१६
  • मत्ती २७:१-२६

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

चिरस्थायी प्रेम

विशेष दिनों पर मैं "गूगल" के घरेलू पृष्ट की कलाकारिता का आनन्द लेता हूँ। पिछले "वैलेन्टाईन दिन" का कलात्मक चित्र एक बूढ़े दम्पति का था - पुरुष के हाथ में छड़ी और साथ में बूढ़ी स्त्री थी, वे हाथ में हाथ लिये चले जा रहे थे, स्त्री के हाथ में दो हृदय के आकार के गुब्बारे थे। यह दर्शाने का प्रयास था कि जीवन की यात्रा में सच्चे प्रेम की कोई उम्र नहीं है, चाहे यह दिन जवान प्रेमी जोड़ों पर केंद्रित होता है।

१ कुरिन्थियों १३ में पौलूस प्रेम की गहराई और शक्ति को दर्शाता है। वह स्वार्थपूर्ण और उथले प्रेम से परे है: "प्रेम धीरजवंत है और कृपालु है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता और फूलता नहीं। वह अन्रीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता। कुकर्म से आनन्दित नहीं होता, परन्तु सत्य से आनन्दित होता है। वह सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों से धीरज धरता है। प्रेम कभी टलता नहीं" (पद ४-८)।

जब हमारी ज़िम्मेदारियाँ जीवन की अग्निपरीक्षा में जांची जाती हैं, मुश्किलें कुछ भी हों, तब परमेश्वर अपने स्थिर प्रेम और कृपा का अनुभव हमें और अधिकाई से रोज़ाना देता रहे। - डेविड मैक्कैस्लैन्ड


परमेश्वर का प्रेम एक ऐसा वस्त्र है जो क्लेश के पानी में कितना भी धुले, उसका रंग फीका नहीं पड़ता।



बाइबल पाठ:१ कुरिन्थियों १३:१-८


(प्रेम) सब बातें सह लेता है, सब बातों की प्रतीति करता है, सब बातों की आशा रखता है, सब बातों में धीरज धरता है। - १ कुरिन्थियों १३:७



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १४
  • मत्ती २६:५१-७५

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

लिन्कन से सीख

एब्राहम लिन्कन अपने ५२वें जन्मदिन से एक दिन पहले स्प्रिंगफील्ड, इल्लिनोई छोड़कर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने गये। गृह युद्ध की धमकी सिर पर मंडरा रही थी। विदा देने आये मित्रों से उन्होंने कहा, "मैं तुम्हें छोड़कर जा रहा हूँ, लौटने के बारे में कुछ पता नहीं, कभी वापस आ भी पाऊँगा या नहीं। मेरे सामने एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। परमेश्वर की मदद के बिन मैं सफल नहीं हो सकता, और उसकी मदद है तो मैं हार नहीं सकता। मेरे साथ और तुम्हारे साथ है, और हर जगह सब का भला करते रहता है, विश्वास करके आशा करता हूँ कि वह सब ठीक ही करेगा। मैं उसके संरक्षण में तुम्हें सौंपता हूँ; तुम्हारी प्रार्थनाओं में विश्वास कर मैं तुमसे प्रेमपूर्ण विदा लेता हूँ।"

लिन्कन की परमेश्वर की अगुवाई और सामर्थ पर निर्भरता राजा सुलैमान के निर्देश को दर्शाती है - "तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन संपूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा करना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकलेगा" (नीतिवचन ३:५,६)।

लिन्कन के जन्म की आज २००वीं सालगिरह पर हम उसकी दयालुता, ईमानदारी और हिम्मत को मानते हैं। हम उससे सीख सकते हैं कि हम प्रभु में विश्वास एवं आसरा रखकर अनिश्चित भविष्य का सामना कैसे कर सकते हैं। - डेविड मैक्कैस्लैन्ड


परमेश्वर पर भरोसे के बिना जीना घने कोहरे में गाड़ी चलाने के समान है।



बाइबल पाठ: नीतिवचन ३:१-८


उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधे मार्ग निकालेगा। - नीतिवचन ३:६



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यावस्था 13
  • मत्ती २६:२६-५०

गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

नम्रता का मार्ग

मेरे एक मित्र ने सरल भाव से कहा, "मुझे अपनी नम्रता पर घमंड है।" इससे मुझे एक नेता के बारे में एक चुटकुला याद आया, नेताजी को उनकी नम्रता के लिये पुरुस्कार दिया गया, क्योंकि नेताजी ने उसे स्वीकार कर लिया, इसलिये फिर अगले हफ्ते पुरुस्कार वापस ले लिया गया।

जब दाऊद कहता है "मेरा मन गर्व से भरा नहीं है" (भजन संहिता १३१:१) तो हमारे मन में उसके प्रति ऐसा ही सन्देह उठ सकता है; पर जब हम सारे भजन के अर्थ और पृष्टभूमि को देखते हैं तो जान पाते हैं कि वह अपनी नम्रता पर गर्व नहीं कर रहा। राजा शाऊल के आदमियों ने उसपर राजद्रोह का आरोप लगाया, इस आरोप की प्रतिक्रिया में दाऊद ने कहा कि उसने अपने आप को इतना प्रधान नहीं माना कि उसकी दृष्टि घमंड से भरी रहे।

वह अपने प्रभु की बाहों में "दूध छुड़ाए बालक" के समान रहा (पद २)। अपने मां-बाप पर पूरी तरह निर्भर एक बच्चे के जैसे वह शाऊल राजा के अत्याचार से भागते समय परमेश्वर के संरक्षण की ही प्रतीक्षा में रहा। अपने सबसे कठिन समय में दाऊद ने परमेश्वर के संरक्षण की ज़रूरत समझी और लोगों को सलाह दी, "अब से लेकर सदा सर्वदा यहोवा पर ही आशा लगाए रह" (पद ३)।

नम्रता में दो बातें आवश्यक हैं; पहला - हमें अपने आप को सही पहचानना है, घमंड नहीं परन्तु उचित आत्मसम्मान के साथ। इससे बढ़कर हमें परमेश्वर को जानना है - उसका आदर करना, उसपर विश्वास करना है कि हर अवसर पर वह अपने समय में सब कुछ सबसे अच्छा ही करेगा। - एल्बर्ट ली


जब हम सोचते हैं कि हम नम्र हैं तब हम नम्र नहीं हैं।



बाइबल पाठ: भजन संहिता १३१


प्रभु के सामने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनायेगा। - याकूब ४:१०



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ११,१२
  • मत्ती २६:१-२५

बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

भोजन के लिये क्या है?

मैं अपने निकट मित्रों को खाने का न्यौता देकर उन्हें कुछ बची हुई और बासी भोजन वस्तुएं गरम करके परोसने की कलपना भी नहीं कर सकता। मैं ऐसा करूं भी तो यह उनके प्रति मेरी भावना के रूप में देखा जायेगा।

यदि हम परमेश्वर को अपने जीवन की कुछ पुरानी, बची हुई वस्तुएं दें तो वह प्रकट करेगा कि हमारे जीवन में परमेश्वर का क्या मूल्य है। परमेश्वर ने इब्राहिम से उसके पुत्र इसहाक को अपनी उपासना की भेंट स्वरूप मांगा। उत्पत्ति २१:१ उसे परिक्षा कहता है; एक परीक्षा, यह देखने को कि इब्राहिम के जीवन में परमेश्वर से बढ़कर मूल्यवान कोई और है या नहीं।

हमारे जीवन में भी ऐसा ही है। ऐसे अवसर आते हैं, जब परमेश्वर अपना कोई मुख्य कार्य करने के लिये हमसे कुछ मांगता है। वह हमसे मांग कर सकता है कि बदला लेने की हमारी स्वभाविक प्रवृत्ति को छोड़ दें और अपने दुश्मनों को क्षमा करके उसके क्षमा करने वाले प्रेम को उनमें बांट दें। वह अपना कोई कार्य हमसे करवाने के लिये हमारे समय, धन और सुविधा की मांग कर सकता है। वह हमारे पुत्र-पुत्रियों को मांग सकता है, कि वे उसके प्रेम का प्रचार करने दूर देशों में जाएं। परमेश्वर की मांगों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया उसके प्रति हमारी भावना को प्रकट करती है।

बची-कुची या कम उपयोगी वस्तुएं तो कोई भी दे सकता है, परन्तु बढ़कर परमेश्वर से सब से बढ़कर प्रेम करने वाले ही उसे सबसे उत्तम भेंट दे सकते हैं। - जो स्टोवेल


जिसने अपना सब कुछ हमारे लिये बलिदान कर दिया, उसके लिये हमारा कोई भी त्याग बड़ा नहीं है।



बाइबल पाठ: उत्पत्ति २२:१-१२


ऐसा हुआ कि परमेश्वर ने इब्राहिम से यह कहकर उसकी परीक्षा की, कि "हे इब्राहिम"; उसने कहा देख, मैं यहां हूँ।



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ८-१०
  • मत्ती२५:३१-४६

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2010

हैरी को क्या हुआ?

रोज़ सुबह हैरी नामक एक मसीही अपने दफ्तर में एक गाना गाते हुए प्रवेश करता था - "ओह कितना सुन्दर सवेरा, ओह कितना सुन्दर है दिन! मुझे एक भला एहसास है, कि सब कुछ है मेरे लिये।"

एक सुबह वह बिना गाना गाते हुए आया। कुछ देर में उसने देखा कि दफ्तर में उदासी छायी है। हैरी ने अपने एक सहकर्मी से पूछा कि क्या हुआ, सब उदास क्यों हैं? उसने जवाब दिया, "तुम आज सवेरे गाना गाते हुए नहीं आये तो हमने सोचा कि तुम किसी कारण से परेशान हो।"

हैरी अपने उत्साह और आनन्द भरी भावना के लिये इतना प्रसिद्ध था कि उसके सहकर्मियों ने सोचा कि उस दिन अवश्य उसके साथ कुछ बुरा हुआ है। हैरी ने सोचा भी न था के लोग उसके आचरण को इतनी नज़दीकी से देख रहे हैं। उस समय से उसने सदैव गाते हुए आने का निश्चय किया।

१ पतरस दुसरा अध्याय हमें स्मरण दिलाता है कि लोग हमारे जीवन का निरीक्षण करते हैं (पद ११,१२)। पतरस कहता है कि यीशु मसीह के अच्छे प्रतिनिधि होने के लिये हमें अधिकारियों के आधीन होना है, आदरणीय जीवन जीना है, भले काम करना है, सबका सम्मान करना है और परमेश्वर से डरना है (पद १२-१७)।

हमारे जीवन की गवाही हमें यीशु के सुसमाचार को बांटने के अवसर देती है। हमें स्वयं से पूछना है, "लोग मुझमें क्या देखते हैं?" - ऐनि सेटास


क्या दूसरे लोग तुम में यीशु को देखते हैं?


बाइबल पाठ: १ पतरस २:१-१७


मन आनन्दित होने से मुख पर भी प्रसन्नता छा जाती है। - नीतिवचन १५:१३


एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था ६,७
  • मत्ती २५:१-३०

सोमवार, 8 फ़रवरी 2010

अद्‍भुत रोमांच

कब वह अवसर था जब किसी अदभुत दृश्य ने आपको स्तब्ध किया?

मैं किसी इलैक्ट्रोनिक साधन की या किसी सिनेमा के विशेष प्रभाव की बात नहीं कर रहा। मैं रात के आकाश के दृश्य के बारे में कह रहा हूँ, जैसे, चन्द्रग्रहण के बारे में, या रात को टहलते समय ’ओरयन’ या ’प्लेयडेस’ नामक नक्षत्र समूहों को देखना, जिनका उल्लेख हज़ारों वर्ष पहले बाइबल में है (अमोस ५:८), और वे आज भी हमें आनन्द देते हुए चमकते हैं। मैं पौ फटने के अद्‍भुत दृश्य और उस समय बिखरती रंग-बिरंगी प्रकाश किरणों की बात कर रहा हूँ। हमारे लिये भोजन उपजाने वाली वर्षा और उसके साथ बादल का गर्जन और बिजली की चमक (अय्युब ३६:२७-३३), ये दृश्य हममें रोमांच पैदा करते हैं।

क्या आपने कभी घुड़शाला की बाड़ के किनारे खड़े होकर एक घोडे की शक्ति पर विसमय प्रकट किया है, जब वह गरदन की आयल फहराते, मैदान में टापें मारता हुआ चलता है? (अय्युब ३९:१९-२५)। क्या आपने उकाब को देखा है, जो पहाड़ की चोटी पर के घोंसले में से नीचे के अपने शिकार को देख लेता है? परमेश्वर द्वारा दी हुई तेज़ दृष्टी के कारण वह अपना शिकार देखकर वायुवेग से उस पर टूट पड़ता है (अय्युब ३९:२७-३०)।

सृष्टि के समय परमेश्वर ने मनुष्य में सांस फूँक दी। वही परमेश्वर अपनी सारी सृष्टि के आश्चर्य कर्मों से, जो सौन्दर्य और महिमा से सराबोर है, हमारी सांसों को विसमय से थाम भी देता है। अपने चारों ओर दे्खिये; परमेश्वर की ऐश्वर्यपूर्ण रचना का नीरक्षण कीजिये, फिर उसकी अद्‍भुत महिमा की घोषणा कीजिये। - डेव ब्रैनन


सारी सृष्टि परमेश्वर की ओर इशारा करने को उठी एक उंगली है।


बाइबल पाठ: भजन संहिता ८


हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के उपर अति महान और तेजोमय है, तेरी महिमा सारी पृथ्वी पर फैल जाए। - भजन संहिता ५७:५


एक साल में बाइबल:
  • लैवयवस्था ४,५
  • मत्ती २४:२९-५१

रविवार, 7 फ़रवरी 2010

टर्किश डिलाईट


सी. एस. लुई की पस्तक "द लायन, द विच ऐन्ड द वार्डरोब" में ’द विच’ अर्थात एक डायन, कहानी के एक पात्र एडमन्ड के बारे में केवल एक ही बात जानना चाहती थी - उसकी कमज़ोरी, ताकि वह उसके द्वारा उसके भाई बहिनों को भी पकड़ सके। उससे कुछ सरल सवाल करके उस डायन ने जाना कि एडमन्ड की कमज़ोरी है ’टर्किश डिलाईट’ नामक मिठाई। डायन ने अडमन्ड को इतनी स्वादिष्ट ’टर्किश डिलाईट’ दी जितनी उसने पहले कभी नहीं खाई थी। एडमन्ड उस मिठाई का लोभी हो गया, उसने जितना अधिक खाया उतनी ही उसकी लालसा ’टर्किश डिलाईट’ के लिये बढ़ती गई।

हम सब में एडमन्ड के समान कोई कमज़ोरी है, जिसे शैतान हमारा नाश करने के लिये प्रयोग करना चाहता है। वह कमज़ोरी नशा या शराब की लत जैसी कोई बात हो सकती है, या कोई साधारण सी वस्तु हो सकती है जैसे अच्छा भोजन, हमारे मित्र या हमारा काम।

पुनरुत्थान के बाद यीशु ने पतरस से यह व्यक्तिगत और जांचने वाला प्रश्न पूछा "क्या तू इन से बढ़कर मुझसे प्रेम करता है?" (यूहन्ना २१:१५)। कितनों ने यीशु के इस प्रश्न में प्रयुक्त ’इन्से’ का अर्थ समझना चाहा है, लेकिन शायद भला है कि यह स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह अवसर देता है कि हम सब अपने से यह प्रश्न कर सकें कि "मैं, यीशु से बढ़कर, किससे प्रेम करता हूँ?"

जब शैतान पता लगा लेता है कि हम परमेश्वर से बढ़कर किससे प्रेम करते हैं, तब उसी के सहारे वह हम से बुराईयां करवाता है। परन्तु यदि हम अपने प्रभु के प्रेम में आनन्दित और मगन होते हैं, तो शैतान हमारे ऊपर अपनी शक्ति खो देता है। - जूली ऐकरमैन लिंक

जब परमेश्वर हममें खुश होता है; हम क्यों न उसमें खुश हों?



बाइबल पाठ: यूहन्ना २१:१५-१९


मैं तेरी व्यवस्था से सुखी हूँ। - भजन संहिता ११९:१७४



एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था १-३
  • मत्ती२४:१-२८

शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

जाग उठो!

फरवरी ६, १९५८ को किराए पर लिया हुआ एक हवाई जहाज़ जर्मनी के म्यूनिक शहर से रवाना होते हुए ही टूट गया। एक अन्ग्रेज़ फुटबॉल दल - मैन्चेस्टर युनाइटिड के अधिकांश खिलाड़ी उस दुर्घटना में मृत्यु का शिकार हुए। उस फुटबॉल संघ के भविष्य के बारे में लोगों में बड़ी आशंका थी। परन्तु आज वह संसार के प्रसिद्ध फुटबॉल संघों में से एक है। जिसने उस दल को पुनः संघटित किया वह ’मैट बसबी’ नामक खिलाड़ी था, जो उस दुर्घटना में बच गया था।

२००० साल पहले यीशु की गिरफ्तारी से और उसके क्रूस पर चढ़ाये जाने से उसके अनुयायियों में बड़ी निराशा थी। उसके घनिष्ठ शिष्य भी हताश हो गये थे। परन्तु उनकी निराशा के बादल, उस पुनरूत्थान के दिन छंट गये, जब उन्होंने देखा कि कब्र पर से पत्थर हट गया और यीशु ज़िन्दा हुआ है (यूहन्ना २०:१)।

यीशु तुरन्त मरियम मगदलीनी को (पद ११-६), फिर बन्द कमरे के अन्दर इकठ्ठे शिष्यों को प्रत्यक्ष हुए (पद १९)। उस को पुनर्जीवित देखने से शिष्यों में बड़ा परिवर्तन आया। "चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए" (पद २०)।

शायद आपका संसार आपके चारों ओर ढह गया है; कोई गहरा व्यक्तिगत नुक्सान, परिवार में कोई दुखद घटना या कोई दूसरा क्लेश इसका कारण हो सकता है। यीशु का पुनरुत्थान इस बात का प्रमाण है कि वह बड़ी से बड़ी बाधाओं पर महान विजेता है। वह आपके जीवन का पुनःनिर्माण आज से ही कर सकता है, जैसे उसने उन शिष्यों का किया था। - सी. पी. हीया

परमेश्वर हर संकट को सुविधा में बदल सकता है।



बाइबल पाठ:यूहना २०:१-८,१९,२०



उसने तुम्हें भी जो अपने सब अपराधों....में मुर्दा थे, उसके साथ जिलाया। - कुलुस्सियों २:१३



एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३९,४०
  • मत्ती२३:२३-३९

शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

शांति की खोज

बीटल्स ने अपनी लोकप्रीयता, रचनात्मकता और धन की चरम सीमा पर पहुँच कर"व्हाईट ऐलबम" नामक एक विवादस्पद योजना शुरू की। वह उस बैण्ड के टूटने का लक्षण था, क्योंकि उसमें पेश किये गये गानों मे मुख्यतः व्यक्तिगत भावना थी और सहकारिता या एक साथ काम करने की भावना नहीं थी। अत्यंत कीर्ति से उन्होंने जो कुछ पाया था उस सब के प्रति बढ़ती हुई उअनकी नीरसता की भी उसमें अभिव्यक्ति थी। "आई एम सो टायर्ड" नामक गाने में जॉन लेनन ने अपने ’सफल’ एवं दौलतमंद जीवन की शून्यता इन गंभीर शब्दों में प्रकट की " मन की थोड़ी सी शांति पाने के लिये, मैं तुम्हें अपना सब कुछ दे दूंगा।" उसने जो कुछ पाया था, उसने जो कुछ किया था, वह सब उसकी सहज किंतु गहरी व्यक्तिगत आवश्यक्ता को तृप्त नहीं कर सका।

यह जगत हमें शांति नहीं दे सकता। उसके बदले वह भोग-विलास, ताकत और धन-संपत्ति जैसे हीन विकल्प देता है। वे मन की शांति का स्थान नहीं ले सकते।

इसलिये पौलूस ने फिलिप्पी के विश्वासियों को स्मरण दिलाया: "परमेश्वर की शांति जो समझ से परे है तुम्हारे हदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।" (फिलिप्पियों ४:७)। यह वही शांति है जो परमेश्वर के पुत्र यीशु में विश्वास करने के द्वारा, उसके साथ मेल करने वालों को मिलती है (इफसियों २:१४-१६)। यही वह शांति है, जिसे हमें शांति को तरसते संसार के साथ बांटना है। शांति - सच्ची शांति, यीशु के साथ बनाये गये संबंध में ही पायी जाती है। क्या आपने उसकी यह शांति पाई है? - बिल क्राउडर

मैं तुम्हें शांति दिये जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता। - यीशु



बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:४-१२



परमेश्वर की शांति जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी। फिलिप्पियों ४:७



एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३६-३८
  • मत्ती २३:१-२२

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

महान कहानीकार

’पुलिटज़र’ पुरुस्कार विजेता लेखक फ्रैंक मैक्कोर्ट, अपनी पुस्तक "टीचर मैन" में अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के विद्यालयों में ३० साल के अपने अद्यापन के अनुभव के बारे में बताते हैं। विद्यार्थियों को अन्ग्रेज़ी पढ़ाने और रचनात्मक रुप से लिखना सिखाने के लिये उन्होंने विविध तरीकों को अपनाया, परन्तु छात्रों का ध्यान खींचने और उनको प्रोत्सहित करने में सबसे प्रभावशाली तरीका कहानी सुनाना ही पाया।

सिखाने का यही तरीका संसार के सर्वोत्तम गुरू प्रभु यीशु मसीह ने भी उपयोग किया। विद्वान धार्मिक नेता नीकुदेमुस ने यीशु से कहा, "हम जानते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से गुरू होकर आया है" (युहन्ना ३:२)। परन्तु यीशु ने जब लोगों की बड़ी भीड़ को उपदेश दिया तो पुरखों की रीति के अनुसार गहन व्याख्या नहीं की; वह उनसे एक कहानीकार की शैली में बोला।

यीशु की दृष्टांत-कथाएं आज भी सार्थक हैं, क्योंकि वे जीवन के मर्म से संबंधित हैं और हृदयस्पर्शी हैं। फरीसी और चुंगी लेने वाले की कहानी के द्वारा (लूका १८), हम परमेश्वर की कृपा और क्षमा के विष्य में समझाते हैं। उड़ाऊ पुत्र की कहानी (लूका १५) मनफिराव करने वाले पापियों की ओर परमेश्वेर के प्रेम को प्रकट करती है।

यीशु की प्रेरणादायक दृष्टांत-कथाएं हमें उसके बारे में सिखाती हैं और यह भी कि हमसे वह कैसे जीवन की अभिलाषा रखता है। हम अपने विश्वास की कहानियों के द्वारा उस महान कहानीकार और गुरू की ओर लोगों का ध्यान खींच सकते हैं, जिसका जीवन ही संसार की सबसे महान कथा है। - डैनिस फिशर

परमेश्वर का सत्य जानने का एक अच्छा तरीका उसे दूसरों को सिखाना है।


बाइबल पाठ: लूका १५:११-२४


ये सब बातें यीशु ने दृष्टांतों में लोगों से कहीं, और बिना दृष्टांत वह उनसे कुछ न कहता था। - मत्ती १३:३४


एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३४, ३५
  • मत्ती २२:२३-४६

बुधवार, 3 फ़रवरी 2010

परमेश्वर की महिमा के विष्य में एक पाठ

"परमेश्वर से निराशा" नामक मेरी एक पुस्तक, मसीहियों द्वारा अकसर पूछे जाने वाले तीन प्रश्नों की छान-बीन करती है: क्या परमेश्वर छिप कर रहता है? क्या परमेश्वर मौन रहता है? क्या परमेश्वर पक्षपाती है? सिनै जंगल में ये प्रश्न इब्रानियों को भी परेशान करते थे, यद्यपि उन्होंने प्रति दिन परमेश्वर का प्रमाण पाया, उसकी बोली सुनी और उसके हाथ से लिखित वाचा के आधीन रहे। परमेश्वर से अपने इस संबंध से यहूदियों ने एक महान भेंट संसार को दी - एक-ईश्वरवाद, अर्थात केवल एक सर्वशक्तिशाली, पवित्र परमेश्वर में विश्वास।

आज कई लोग परमेश्वर को मात्र एक अच्छा अलौकिक मित्र समझते हैं। हम परमेश्वर की महिमा एवं गौरव का एक पाठ पुराने नियम से सीख सकते हैं।

पास्टर गौईन मकडौनल्ड लिखते हैं, "अपने जीवन के सबसे बुरे पाप मैंने उन समयों पर किये जब परमेश्वर के प्रति अपनी श्रद्धा को मैंने चुपचाप से कुछ समय के लिये नज़रन्दाज़ कर दिया था....मैंने ऐसे ही मूर्खता पूर्वक मान लिया कि अगर मैं उसके किसी एक नियम को तोड़ने का जोखिम उठाऊं तो परमेश्वर न उसकी परवाह करेगा न ही उसके लिये हस्तक्षेप करेगा।"

मकडौनल्ड आगे लिखते हैं कि अब परमेश्वर के प्रति उनके प्रेम ने उस भावत्मक नमूने को छोड़ दिया, जिससे उन्हें कभी पूर्ण संतुष्टी नहीं मिली और वे अब उस प्रेम को पिता-पुत्र के प्रेम के रूप में देखने लगे हैं। उन्होंने परमेश्वर के प्रति श्रद्धा, धन्यवाद और आज्ञाकारिता का पाठ सीखना शुरू किया है, साथ ही सीखना शुरू किया है पाप से पछतावा और शांत रहकर परमेश्वर की धीमी आवाज़ सुनना। अब वे उस संबंध के खोजी बने हैं जो परमेश्वर की हैसियत की तुलना में उनकी हैसियत के अनुरूप था।

परमेश्वर की संतान होने के कारण हमें आज़ादी है कि हम "परमेश्वर के सिंहासन के निकट हियाव बांधकर चलें" (इब्रानियों ४:१६) लेकिन ऐसा करते समय परमेश्वर पिता के अनुपम प्रताप और गौरव को कभी कमतर न होने दें। - फिलिप यैन्से

उपासना करने का अर्थ है परमेश्वर का परम मूल्य पहचानना।


बाइबल पाठ: निर्गमन ३३:१-११


तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेर्रे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता। - निर्गमन ३३:२०


एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन ३१-३३
  • मत्ती २२:१-२२

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2010

भविश्यद्वक्ता फिल

अमेरिका के पेन्‍सिल्वेनिया प्रदेश की एक लोक कथा के अनुसार फिल मांद में रहने वाली एक ’ग्राउंडहौग’ (- गिलहरी की जाति का एक बड़ा जान्वर) है जो ‌ऋतु की भविश्यद्वाणी देने को हर साल फरवरी दूसरी तारीख़ को गौब्लर्स नौब नामक स्थान में अपनी मांद से बाहर निकलती है। परंपरागत विश्वास यह है कि अगर फिल अपनी परछाईं देखती है तो ठंड और ६ हफ्तों के लिये होगी, अगर वह अपनी परछाईं नहीं देखती तो बसंत का आगमन जल्दी होगा।

ये सब केवल किंवदंती और मज़ाक की बातें हैं। कोई फिल और उसकी भविश्यद्वाणी को गंभीरता से नहीं लेता। मैंने यह भी सुना है कि उसकी भविश्यद्वाणी अक्सर ग़लत ही होती है।

परन्तु एक ऐसा है जो हमेशा सही होता है और जिसकी बातों को हमें गंभीरतापूर्वक स्वीकार करना है। पतरस उसके विष्य में यों कहता है, "हमारे पास जो भविष्यद्वक्ताओं का वचन है, वह एक ज्योति है, जो अंधियारे स्थान में उस समय तक प्रकाश देती है जब तक कि पौ न फटे और भोर का तारा तुम्हारे हृदयों में न चमक उठे" (२ पतरह १:१९)।

पतरस अपने उस समय को याद कर रहा था जब उसने याकूब और युहन्ना के साथ एक पहाड़ी पर यीशु के रूपांतर को देखा और पुराने नियम के दो महान भविश्यद्वक्ता मूसा और एलिय्याह, यीशु के साथ खड़े थे। सच्चे भविष्यद्वक्ताओं की उस आदर्णीय संगति में पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु की तरफ इशारा करके कहा, "यह मेरा प्रीय पुत्र है, इसकी सुनो" (लूका ९:३५)। यीशु के वचन निसन्देह एक ऐसी "भविश्यद्वाणी" हैं जो कभी ग़लत नहीं हुई।

प्रभु यीशु हमें कभी पथ-भ्रष्ट नहीं करता। हम अपने प्रभु यीशु मसीह की सुनें। - डेविड रोपर


अनुमान या कल्पना से भरपूर संसार में केवल परमेश्वर का वचन सत्य है।

बाइबल पाठ:२ पतरस १:१९

हमारे पास भविष्य्द्वक्ताओं का जो वचन है, वह इस घटना से दृढ़ ठहरा। - २ पतरस १:१९


एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २९, ३०
  • मत्ती २१:२३-४६

सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

परमेश्वर कार्यरत है

हम नए साल में हमेशा कुछ नया चाहते हैं। इसीलिये जनवरी की पहली तारिख को हम अपने भोजन, व्ययाम-कार्यक्रम और कुछ नए पसंदीदा कार्यों के विष्य में निर्ण्य लेते हैं। परन्तु अक्सर एक महीन बीतते बीतते हम अपनी पुरानी आदतों पर वापस लौट जाते हैं। शायद यह इसलिए है कि हम जितने बड़े बदलाव चाहते हैं, हम में उसके लिये आवश्यक सामर्थ और इच्छा-शक्ति नहीं होती।

कई मसीहियों ने अपने जीवन में परिवर्तन और आत्मिक उन्न्ति का निर्ण्य किया होगा, परन्तु उन्हें पूरा करने की इच्छा और सामर्थ के अभाव के कारण मिली असफलता से निराश हुए हैं।

पौलूस फिलिप्पियों के नाम अपनी पत्री में इस समस्या के विष्य में बात करता है। वह उन्हें प्रोत्साहन देता है कि वे अपने उद्धार को अपने जीवन में, परमेश्वर के भय में डरते और कांपते हुए, कार्यरत करें (२:१२)। पौलूस कहता है वे ऐसा करने में अकेले नहीं छोड़े जाएंगे, परमेश्वर उन्हें इसे करने की शक्ती देगा। सबसे पहले वह उनकी इच्छाओं के क्षेत्र को प्रभावित करेगा। वह उनके अन्दर काम करेगा और उन्हें बदलने एवं बढ़ने की इच्छा देगा, और जीवन में वास्त्विक परिवर्तन लाने कि सामर्थ भी देगा (पद १३)।

आत्मिक प्रगति पाने के हमारे इस संघर्ष में परमेश्वर ने हमें अकेला नहीं छोड़ा है। वह हमारी सहायता करता है कि हम उसके आज्ञाकारी बनने की चाह रखें, और फिर वह हमें सामर्थ भी देता है कि उसकी इच्छा पूरी कर सकें। उसकी इच्छा-पूर्ति करने की इच्छा रखने के लिये उससे सहायता मांगें। - मार्विन विल्लियम्स


जो सामर्थ हमें बढ़ने को विवश करती है, वह हमारे अन्दर रहने वाली पवित्र आत्मा से आती है।

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१२-१८



परमेश्वर ही है, जिसने अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातें करने का प्रभाव डाला है। - फिलिप्पियों २:१३



एक साल में बाइबल:
  • निर्गमन २७, २८
  • मत्ती २१:१-२२