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रविवार, 21 फ़रवरी 2010

मेरा पड़ौसी

एक अंग्रेज़ नाविक करेबियन सागर में, अपने घर से लगभग ४००० मील दूर, अपनी नाव में भ्रमण कर रहा था। आंधी में उसकी नाव का मस्तूल खो गया। उसके खतरे में होने की सूचना किसी को मिलने तक, वह दो दिन तक सागर में २० फुट ऊंची लहरों के बीच भटकता रहा, और उन लहरों से उसकी नाव में पानी भरता रहा। उसके खतरे में होने के संदेश के मिलने के ९० मिनिट में, एक ११६,००० टन भारी पानी के एक विशाल जहाज़ के कप्तान ने उसे बचा लिया।

जब वह सागर से निकाला गया, तब उसे पता लगा कि उसे बचाने वाला कप्तान, हैम्पशायर में उसके गांव वारसाष का रहने वाला उसका पड़ौसी था। बचाए गए आदमी ने बाद में कहा, "ऐसा संयोग कहां होता है, कि आप एक अनजान जगह पर अत्यंत कठिन परिस्थिति में अपने पड़ौसी द्वारा बचाए जायें?"

यीशु ने हर स्थान पर पड़ौसियों को देखा। एक यहूदी शास्त्री ने यीशु से ’पड़ौसी’ की व्याख्या पूछी, जिससे हमें प्रेम करना है। तब यीशु ने उसे लोगों का एक बड़ा दायरा दिया; उसने एक दयालु सामरी की कहानी बताई यह दिखाने को कि पड़ौसी ऐसा कोई भी दोस्त या पराया या बैरी भी हो सकता है, जिसे हमारी मदद की ज़रूरत है (लूका १०)।

यीशु के अनुयायी होने के नाते हमें अपने विरोधियों और हमारा बुरा चाहने वालों से भी दया और प्रेम का व्यवहार करना है (लूका ६:३२-३४)। तभी हम यीशु के हृदय को प्रतिबिंबित कर सकते हैं, जिसने हमारा उद्धार करने के लिये अपनी सबसे बड़ी कीमत चुकाई, तब जब हम उसके बैरी ही थे। - मार्ट डि हॉन



मसीह के लिये हमारा प्रेम उतना ही वास्तविक है जितना प्रेम हम अपने पड़ौसी के प्रति रखते हैं।


बाइबल पाठ:लूका ६:२७-३६



मेरा पड़ौसी कौन है? - लूका १०:२१



एक साल में बाइबल:
  • गिनती १-३
  • मरकुस ३

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