मेरी एक सहेली साईकिल से गिरी और उसे मस्तिष्क की गंभीर चोट आई, डॉकटरों को उसके बचने की कम ही आशा थी। कई दिन तक वह जीवन और मृत्यु के बीच झूलती रही।
आशा की पहली किरण फूटी जब उसने अपनी आंखें खोलना आरंभ किया। फिर उसने कहे गए को सुनकर उसके अनुसार करना आरंभ किया। लेकिन उसके स्वास्थ्य के प्रत्येक छोटे सुधार में भी आशंका बनी रहती थी कि "वह कहां तक ठीक हो पाएगी, कहां जाकर उसके स्वास्थ्य में सुधार की प्रक्रिया रुक जाएगी?"
उसकी चिकित्सा-अभ्यास के एक कठिन दिन के बाद उसका पति बहुत निराश था। लेकिन अगले ही दिन उसने उत्साह से हमें बताया "सैन्डी वापसी की ओर अग्रसर है!" धीरे धीरे सैन्डी शारीरिक, भावात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक तौर से पहले जैसी वह सैन्डी होती गई जिसे हम जानते और चाहते थे।
सैन्डी का गिर कर घायल होना मुझे स्मरण दिलाता है मानव जाति के पाप में गिरने को (उत्पत्ति ३), और सैन्डी का घायल आवस्था से उभरने के प्रयास स्मरण दिलाते हैं मानव के पाप की बंधुआई से निकलने के प्रयासों को "क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते। क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं। परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।" (रोमियों ७:१८-२०)
यदि केवल सैन्डी का शरीर ही ठीक हो जाता और मस्तिष्क नहीं, तो उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। यदि उसका शरीर ठीक नहीं होता परन्तु मस्तिष्क ठीक हो जाता तो भी उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ का अर्थ है कि उसका हर भाग ठीक होकर एक साथ मिलकर एक ही उद्देश्य के लिये एकसाथ काम करे।
परमेश्वर सैन्डी को ठीक कर रहा है, लेकिन सैन्डी का प्रयास और योगदान भी उसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिये आवश्यक है। यही हमारे आत्मिक जीवन पर भी लागू होता है। परमेश्वर का हमें प्रभु यीशु मसीह द्वारा पापों से बचा लिये जाने के बाद, हमें परमेश्वर के अनुग्रह से मिले इस उद्धार के योग्य कार्य करने हैं "सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।" (इफिसियों ४:१); यह उद्धार ’कमाने’ के लिये नहीं, क्योंकि उद्धार कभी कमाया नहीं जा सकता, वरन इसलिये कि हमारी मनसा और कार्य परमेश्वर की मनसा के अनुरूप हों, जिससे संसार के समक्ष हम परमेश्वर के सच्चे गवाह बन सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक
सो हे मेरे प्यारो, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष कर के अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ। क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है। - फिलिप्पियों २:१२, १३
बाइबल पाठ: रोमियों ७:१३-८:३
तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी कदापि नहीं! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।
क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शारीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूं।
और जो मैं करता हूं, उस को नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं।
सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण र्दुबल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी।
एक साल में बाइबल:
आशा की पहली किरण फूटी जब उसने अपनी आंखें खोलना आरंभ किया। फिर उसने कहे गए को सुनकर उसके अनुसार करना आरंभ किया। लेकिन उसके स्वास्थ्य के प्रत्येक छोटे सुधार में भी आशंका बनी रहती थी कि "वह कहां तक ठीक हो पाएगी, कहां जाकर उसके स्वास्थ्य में सुधार की प्रक्रिया रुक जाएगी?"
उसकी चिकित्सा-अभ्यास के एक कठिन दिन के बाद उसका पति बहुत निराश था। लेकिन अगले ही दिन उसने उत्साह से हमें बताया "सैन्डी वापसी की ओर अग्रसर है!" धीरे धीरे सैन्डी शारीरिक, भावात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक तौर से पहले जैसी वह सैन्डी होती गई जिसे हम जानते और चाहते थे।
सैन्डी का गिर कर घायल होना मुझे स्मरण दिलाता है मानव जाति के पाप में गिरने को (उत्पत्ति ३), और सैन्डी का घायल आवस्था से उभरने के प्रयास स्मरण दिलाते हैं मानव के पाप की बंधुआई से निकलने के प्रयासों को "क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते। क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं। परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।" (रोमियों ७:१८-२०)
यदि केवल सैन्डी का शरीर ही ठीक हो जाता और मस्तिष्क नहीं, तो उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। यदि उसका शरीर ठीक नहीं होता परन्तु मस्तिष्क ठीक हो जाता तो भी उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ का अर्थ है कि उसका हर भाग ठीक होकर एक साथ मिलकर एक ही उद्देश्य के लिये एकसाथ काम करे।
परमेश्वर सैन्डी को ठीक कर रहा है, लेकिन सैन्डी का प्रयास और योगदान भी उसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिये आवश्यक है। यही हमारे आत्मिक जीवन पर भी लागू होता है। परमेश्वर का हमें प्रभु यीशु मसीह द्वारा पापों से बचा लिये जाने के बाद, हमें परमेश्वर के अनुग्रह से मिले इस उद्धार के योग्य कार्य करने हैं "सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।" (इफिसियों ४:१); यह उद्धार ’कमाने’ के लिये नहीं, क्योंकि उद्धार कभी कमाया नहीं जा सकता, वरन इसलिये कि हमारी मनसा और कार्य परमेश्वर की मनसा के अनुरूप हों, जिससे संसार के समक्ष हम परमेश्वर के सच्चे गवाह बन सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक
संपूर्ण होने के लिये हर बात में परमेश्वर के आत्मा को समर्पित रहिये।
सो हे मेरे प्यारो, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष कर के अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ। क्योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है। - फिलिप्पियों २:१२, १३
बाइबल पाठ: रोमियों ७:१३-८:३
तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी कदापि नहीं! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करने वाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।
क्योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्तु मैं शारीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूं।
और जो मैं करता हूं, उस को नहीं जानता, क्योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
क्योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्छी वस्तु वास नहीं करती, इच्छा तो मुझ में है, परन्तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
क्योंकि जिस अच्छे काम की मैं इच्छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्तु जिस बुराई की इच्छा नहीं करता वही किया करता हूं।
परन्तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
क्योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
परन्तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं।
सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं: क्योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
क्योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्वतंत्र कर दिया।
क्योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण र्दुबल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्ड की आज्ञा दी।
एक साल में बाइबल:
- अमोस ४-६
- प्रकाशितवाक्य ७
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