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शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

औषधि



      हमारे निवास स्थान,घाना के एकरा शहर में टैक्सी चालकों तथा मिनी-बस चालकों के असावधानीपूर्ण गाड़ी चलाने के कारण, परस्पर क्रोधित व्यवहार और असभ्य भाषा का प्रयोग आम बात है। किन्तु एक ट्रैफिक घटना में मैंने एक बिलकुल ही भिन्न बात घटित होते हुए देखी। एक टैक्सी-चालक की असावधानी के कारण, उसकी टक्कर एक बस से होते-होते बची। मैंने सोचा कि अब ये दोनों चालक एक दूसरे पर क्रोधित होंगे, चिल्लाएंगे और गाली-गलौज होगी। परन्तु बस चालक ने ऐसा नहीं किया; उसने अपने सख्त चहरे को नम्र किया, दोषी टैक्सी चालक की ओर देखकर मुस्कुराया, और उसके मुस्कुराने ने चमत्कार कर दिया। टैक्सी चालक ने हाथ उठा कर उससे क्षमा माँगी, वापस बस चालक को मुस्कुराहट का प्रत्युत्तर दिया, और अपनी गाड़ी आगे बढ़ा ली – सारा तनाव जाता रहा।

      हमारे मस्तिष्क की कार्य-विधि पर मुस्कुराहट का अद्भुत मोहक प्रभाव होता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि मुस्कुराने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन नामक कुछ रासयनिक तत्व निकलते हैं जिनका शरीर और मन पर आरामदायक प्रभाव होता है। मुस्कुराहट से न केवल तनावपूर्ण परिस्थितियाँ जाती रहती हैं, वरन हमारे अन्दर के तनाव भी जाते रहते हैं। हमारी भावनाएँ और व्यवहार न केवल हमें वरन औरों को भी प्रभावित करते हैं, और सकारात्मक व्यवहार औरों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।

      परमेश्वर के वचन बाइबल में सिखाया गया है, “सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो” (इफिसियों 4:31-32); और यह भी कि आनन्दित हृदय औषधि का कार्य करता है (नीतिवचन 17:22)। जब भी तनाव या कटुता, प्रभु या औरों के साथ हमारे संबंधों को प्रभावित करने लगें, तो इस औषधि का उपयोग अवश्य करें; यह हमारे लिए बहुत लाभकारी होगा। - लॉरेंस दरमानी


जब हम मसीह यीशु के प्रेम में जीना सीखते हैं, हम आन्दित रहना सीखते हैं।

मन का आनन्द अच्छी औषधि है, परन्तु मन के टूटने से हड्डियां सूख जाती हैं। - नीतिवचन 17:22

बाइबल पाठ: इफिसियों 4: 20-32
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई।
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए।
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो।
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ।
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है।
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं।
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे।
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो।
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो।
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है।
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए।
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।


एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 23-25
  • फिलिप्पियों 1



बुधवार, 19 सितंबर 2018

आहार



      मेरे देश सिंगापुर में प्रचलित एक भोजन, अंडा और रोटी परांठा मुझे बहुत पसन्द है। इसलिए मुझे यह पढ़कर विसमय हुआ कि एक 57 किलो वज़न के व्यक्ति को 5 मील प्रति घंटा की रफ्तार से 30 मिनिट तक दौड़ते रहना पड़ेगा, तब ही वह एक अंडा रोटी परांठा से मिलने वाली 240 कैलोरी ऊर्जा को जलाने में पाएगा। जब से मैने जिम में जाकर व्यायाम करना आरंभ किया है, इन संख्याओं का मेरे लिए एक नया महत्व हो गया है। अब मैं अपने आप से पूछती रहती हूँ: क्या यह जो मैं खाने जा रही हूँ, उसमें विद्यमान कैलोरीज अपने अन्दर लेने के लायक है?

      स्वयं द्वारा खाए जाने वाले भोजन के लिए सचेत रहना अच्छा है, परन्तु उससे भी अच्छा है उसका ध्यान रखना जो हम प्रतिदिन मीडिया के द्वारा अपने मन के अंदर आने देते हैं। शोध ने दिखाया है कि हम जो देखते हैं वह हमारे मनों के अन्दर लंबे समय तक रहता है और हमारे व्यवहार को प्रभावित करता है। वे बातें “चिपकने वाली” होती हैं, उसे ढीठ चर्बी के समान जिसे जलाना हमारे लिए इतना कठिन होता है।

      आज हमारे चारों ओर विविध प्रकार की मीडिया सामग्री उपलब्ध है, इसलिए हमें समझदार उपभोगता बनने की आवश्यकता है। मेरे कहने का यह तात्पर्य नहीं है कि आपको केवल मसीही साहित्य ही पढ़ना चाहिए या केवल मसीही विश्वास से संबंधित फ़िल्में ही देखनी चाहिएँ। परन्तु यह कि इस बात का ध्यान रखें कि हमारी आँखें क्या कुछ देखने पाती हैं। जो भी हम देखना चाह रहे हैं, उसके विषय अपने आप से यह प्रश्न कर लेना चाहिए: क्या यह मेरे समय के उपयोग तथा व्यवहार और जीवन के लिए उपयुक्त है?

      परमेश्वर के वचन बाइबल में फिलिप्पियों 4:8 में पौलुस ने लिखा, “निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।” यही वह आहार है जो हमारे आत्मिक पोषण तथा उस के उपयुक्त है जो प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए किया है। - पो फैंग चिया


मस्तिष्क उसी से बनता है जो उसमें जाता है। - विल ड्यूरेन्ट

मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला। - भजन 119:37

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:4-9
Philippians 4:4 प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
Philippians 4:5 तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
Philippians 4:6 किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
Philippians 4:7 तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी।।
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।


एक साल में बाइबल: 
  • सभोपदेशक 1-3
  • 2 कुरिन्थियों 11:16-33



मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017

प्रेम


   पुस्तक A General Theory of Love के लेखक लिखते हैं कि "जब भी ज्ञान और भावनाएं टकराते हैं, तो बहुधा हृदय की बात ही अधिक समझदारी वाली होती है।" उनका कहना है कि पहले माना जाता था कि मस्तिष्क को मन पर राज्य करना चाहिए, परन्तु विज्ञान अब पहचान रही है कि इसका विपरीत ही सही है; "जो हम हैं, और जो हम बन जाएंगे, कुछ सीमा तक इस बात पर निर्भर करता है कि हम किससे प्रेम रखते हैं।"

   जो परमेश्वर के वचन बाइबल से परिचित हैं वे जानते हैं कि इन लेखकों की यह बात कोई नई खोज नहीं है, वरन एक पुराना सत्य है। परमेश्वर ने जो सबसे महत्वपूर्ण आज्ञा अपने लोगों को दी उसमें मन का प्रमुख स्थान है: "तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना" (व्यवस्थाविवरण 6:5)। बाद में पुराने नियम में दी गई इस आज्ञा को उध्दत करते समय प्रभु यीशु ने इसमें ’बुद्धि’ को भी जोड़ दिया (मरकुस 12:30; लूका 10:27। जो वैज्ञनिक आज पता लगा रहे हैं उसे बाइबल सदा से ही सिखाती आई है।

   हम में से जो प्रभु यीशु के अनुयायी हैं वे इसके महत्व को पहचानते हैं कि वे किस से प्रेम रखते हैं। जब हम परमेश्वर की सबसे महान आज्ञा का पालन करते हैं और परमेश्वर को अपने प्रेम का विषय बना लेते हैं, तो हम इस बात के भी आश्वस्त हो जाते हैं कि अब हमारा उद्देश्य हमारी कल्पना तथा कुछ करने की हमारी अपनी क्षमता से भी कहीं अधिक बढ़कर है। जब परमेश्वर के प्रति लालसा हमारे मन पर राज्य करती है, तब हमारा मस्तिष्क उसकी सेवा करने के तरीकों पर केंद्रित रहता है, और हमारे कार्य पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी तथा स्वर्ग में उसकी महिमा के लिए होते हैं। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हर उस दिन को व्यर्थ गिनें जिसे आपने परमेश्वर से प्रेम करने में व्यतीत नहीं किया है। - ब्रदर लॉरेंस

और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे - व्यवस्थाविवरण 10:12 

बाइबल पाठ: मरकुस 12:28-34
Mark 12:28 और शास्‍त्रियों में से एक ने आकर उन्हें विवाद करते सुना, और यह जानकर कि उसने उन्हें अच्छी रीति से उत्तर दिया; उस से पूछा, सब से मुख्य आज्ञा कौन सी है? 
Mark 12:29 यीशु ने उसे उत्तर दिया, सब आज्ञाओं में से यह मुख्य है; हे इस्राएल सुन; प्रभु हमारा परमेश्वर एक ही प्रभु है। 
Mark 12:30 और तू प्रभु अपने परमेश्वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। 
Mark 12:31 और दूसरी यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना: इस से बड़ी और कोई आज्ञा नहीं। 
Mark 12:32 शास्त्री ने उस से कहा; हे गुरू, बहुत ठीक! तू ने सच कहा, कि वह एक ही है, और उसे छोड़ और कोई नहीं। 
Mark 12:33 और उस से सारे मन और सारी बुद्धि और सारे प्राण और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना और पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, सारे होमों और बलिदानों से बढ़कर है। 
Mark 12:34 जब यीशु ने देखा कि उसने समझ से उत्तर दिया, तो उस से कहा; तू परमेश्वर के राज्य से दूर नहीं: और किसी को फिर उस से कुछ पूछने का साहस न हुआ।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 15-16
  • मत्ती 27:1-26


शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

स्वच्छ


   आजकल आप जहाँ भी जाएं, आपको अपने हाथों को स्वच्छ रखने तथा अपने आस-पास सफाई बनाए रखने के निर्देश दिखाई देंगे। स्वास्थ्य अधिकारी हमें निरन्तर स्मरण दिलाते रहते हैं कि रोग फैलाने वाले जीवाणुओं से बचे रहने का सबसे उत्तम उपाय है स्वच्छता - अपनी तथा अपने आस-पास की। इसीलिए सार्वजनिक स्थानों पर, जहाँ गन्दगी में जीवाणुओं के पनपने का और लोगों में एक से दूसरे तक जीवाणुओं के फैलने का अवसर सबसे अधिक होता है इस स्वच्छता को बनाए रखने के निर्देश सबसे अधिक मिलते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हमें ना केवल शारीरिक वरन आत्मिक स्वच्छता के विषय में शिक्षाएं मिलती हैं। दाऊद ने अपने लिखे एक भजन में परमेश्वर की उपस्थिति में आने के लिए आत्मिक स्वच्छता के बारे कहा: "यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता है? जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है" (भजन 24:3-4)। दाऊद यहाँ मन की अर्थात आत्मिक स्वच्छता की बात कर रहा है; एक ऐसे जीवन की जो परमेश्वर के भय और भक्ति में वह करने के लिए समर्पित है जो परमेश्वर को पसन्द है। ऐसा जीवन ही सच्ची आराधना के लिए परमेश्वर के सम्मुख खड़े रहने पाएगा।

   क्योंकि हम मसीही विश्वासियों में प्रभु का पवित्र आत्मा निवास करता है, इसलिए वह हमें कायल भी करता है कि हम एक स्वच्छ मन-मस्तिष्क रखने वाला जीवन व्यतीत करें, जहाँ से निकलने वाली सच्ची आराधना परमेश्वर को भावती तथा ग्रहणयोग्य हो। - बिल क्राउडर


सच्ची आराधना का उदगम प्रभु यीशु द्वारा स्वच्छ किए गए मन से होता है।

इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। - रोमियों 12:1-2

बाइबल पाठ: भजन 24
Psalms 24:1 पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है; जगत और उस में निवास करने वाले भी। 
Psalms 24:2 क्योंकि उसी ने उसकी नींव समुद्रों के ऊपर दृढ़ कर के रखी, और महानदों के ऊपर स्थिर किया है।
Psalms 24:3 यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्र स्थान में कौन खड़ा हो सकता है? 
Psalms 24:4 जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिसने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है। 
Psalms 24:5 वह यहोवा की ओर से आशीष पाएगा, और अपने उद्धार करने वाले परमेश्वर की ओर से धर्मी ठहरेगा। 
Psalms 24:6 ऐसे ही लोग उसके खोजी हैं, वे तेरे दर्शन के खोजी याकूब वंशी हैं।
Psalms 24:7 हे फाटकों, अपने सिर ऊंचे करो। हे सनातन के द्वारों, ऊंचे हो जाओ। क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा। 
Psalms 24:8 वह प्रतापी राजा कौन है? परमेश्वर जो सामर्थी और पराक्रमी है, परमेश्वर जो युद्ध में पराक्रमी है! 
Psalms 24:9 हे फाटकों, अपने सिर ऊंचे करो हे सनातन के द्वारों तुम भी खुल जाओ! क्योंकि प्रतापी राजा प्रवेश करेगा! 
Psalms 24:10 वह प्रतापी राजा कौन है? सेनाओं का यहोवा, वही प्रतापी राजा है।

एक साल में बाइबल: 
  • प्रकाशितवाक्य 1-3


रविवार, 27 फ़रवरी 2011

दासत्व - स्वतंत्र होने के लिये!

अभी भी मेरे मस्तिष्क में उस तीर से बिंधे हुए लेकिन ज़िंदा और उड़ सकने वले कैनेडियन हंस का चित्र ताज़ा है। एक धनुर्धारी शिकरी का निशाना तो सही लगा, लेकिन वह हंस मरा नहीं। वह न केवल उस शिकारी से, परन्तु जानवरों और पक्षियों की रक्षा और देखभाल करने वाले लोगों से भी लगभग एक महीने तक बचता रहा। उसे पकड़ने के लिये उन्होंने उसे नशीले पदार्थ मिले दाने खिलाने की कोशिश करी, छोटी तोप जैसी मशीनों से जाल उस की ओर ऊंचाई तक फेंका, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। आखिरकर उसे मछली पकड़ने के जाल में फांसा गया, फिर पक्षियों के डाक्टरों ने ऑपरेशन द्वारा उसके शरीर में फंसा हुआ वह तीर निकाला, और फिर उसे आज़ाद कर दिया। यदि हंस सोचने की शक्ति रखते होंगे तो वह हंस बाद में सोचता होगा, क्यों वह इतने दिन तक इतनी मेहनत करके, अपने पकड़ने वालों से बचता रहा? उन्होंने तो उसकी भलाई के लिये ही उसे बन्धुआ बनाना चाहा था।

इस बन्धुआ बने हंस के अनुभव ने मुझे उन लोगों की याद दिलाई जिनके बारे में यूहन्ना ८ अध्याय में लिखा गया है। वे लोग भी अपनी गंभीर स्थिति के बारे में समझ नहीं पा रहे थे, और न ही प्रभु यीशु के उनके प्रति उद्देश्यों को समझ पा रहे थे। उन लोगों को लगा कि प्रभु यीशु उन्हें बन्धुआ बनाना चाहता है, क्योंकि प्रभु उनसे अपने जीवन उसे समर्पित करने और प्रभु के चेले बनने को कह रहा था। प्रभु ने उनसे याचना करी कि वे उसके आत्मिक दास बन जाएं, लेकिन वे नहीं समझ पाए कि प्रभु यह उनसे उन्हें उनके पाप के दोष से स्वतंत्र करने के लिये कह रहा था।

कुछ ऐसी ही गलतफहमी में रहकर आज भी लोग प्रभु यीशु मसीह के पास आना नहीं चाहते। वे पाप से बिंधे हुए इधर उधर बचते फिरते हैं, लेकिन जो उन्हें पाप से मुक्ति और उद्धार दे सकता है, उस प्रभु के आधीन नहीं होना चाहते। वे समझ नहीं पाते कि प्रभु का उद्देश्य उन्हें दास बनाना नहीं वरन उन्हें स्वतंत्र करना है - पाप और उसके दण्ड से स्वतंत्र, जो स्वतंत्रता और कहीं नहीं मिल सकती, और वह भी सेंत-मेत, केवल एक साधारण विश्वास से। यह स्वतंत्रता न केवल हमारे अनन्त भविष्य से संबंधित है, वरन पृथ्वी पर हमारे वर्तमान से भी संबंधित है क्योंकि प्रतिदिन मसीह के साथ चलने से हम उसके संरक्षण में बने रहते हैं।

प्रभु के दास होकर ही हम वासत्व में स्वतंत्र होते हैं। - मार्ट डी हॉन


उद्धार द्वारा आया परिवर्तन हमें हमारे पाप के बन्धनों से मुक्त कर देता है।


क्‍योंकि जो दास की दशा में प्रभु में बुलाया गया है, वह प्रभु का स्‍वतंत्र किया हुआ है: - १ कुरिन्थियों ७:२२



बाइबल पाठ: यूहन्ना ८:३१-४६


तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्‍होंने उस की प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे।
और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा।
उन्‍होंने उस को उत्तर दिया कि हम तो इब्राहीम के वंश से हैं और कभी किसी के दास नहीं हुए, फिर तू क्‍योंकर कहता है, कि तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे?
यीशु ने उन को उत्तर दिया मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है।
और दास सदा घर में नहीं रहता, पुत्र सदा रहता है।
सो यदि पुत्र तुम्हें स्‍वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्‍वतंत्र हो जाओगे।
मैं जानता हूं कि तुम इब्राहीम के वंश से हो तौभी मेरा वचन तुम्हारे ह्रृदय में जगह नहीं पाता, इसलिये तुम मुझे मार डालना चाहते हो।
मैं वही कहता हूं, जो अपने पिता के यहां देखा है और तुम वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है।
उन्‍होंने उन को उत्तर दिया, कि हमारा पिता तो इब्राहीम है: यीशु ने उन से कहा, यदि तुम इब्राहीम के सन्‍तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते।
परन्‍तु अब तुम मुझ ऐसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिस ने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो इब्राहीम ने नहीं किया था।
तुम अपने पिता के समान काम करते हो: उन्‍होंने उस से कहा, हम व्यभिचार से नहीं जन्मे, हमारा एक पिता है अर्थात परमेश्वर।
यीशु ने उन से कहा यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्‍योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं मैं आप से नहीं आया, परन्‍तु उसी ने मुझे भेजा।
तुम मेरी बात क्‍यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते।
तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्‍योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है, क्‍योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है।
परन्‍तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते।
तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्‍यों नहीं करते?

एक साल में बाइबल:
  • गिनती १७-१९
  • मरकुस ६:३०-५६

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

हर भय पर जयवंत भय

जौन हौपकिन्स विश्वविद्यालय के एक डॉकटर के अनुसार, हमारे मस्तिष्क, नाड़ीतंत्र, कोषिकाओं, आत्मा - प्रत्येक चीज़ की रचना ऐसी हुई है कि वह "विश्वास" की स्थिति में ही सबसे बेहतर कार्य करती है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर ने हमें ऐसा बनाया है कि हम तब ही अपनी सामर्थ की पराकाष्ठता तक पहुंच सकते हैं जब हम भय के विनाशकारी प्रभाव से मुक्त हों। परन्तु हम सब किसी न किसी भय से ग्रसित रहते हैं - दूसरों का भय, अपने आप का भय, भविष्य का भय, अतीत का भय, बेरोज़गारी का भय, लोगों की राय का भय - आदि, आदि कई तरह के भय हमें सताते रहते हैं।

बाइबल में कई तरह के भय मिलते हैं, और इन विभिन्न प्रकार के भय को वर्णित करने के लिये दो दर्जन से अधिक अलग अलग शब्द प्रयोग किये गए हैं। इन शब्दों द्वारा आतंक से लेकर कायरता तक हर प्रकर के भय की विवेचना करी गई है। लेकिन एक भय है जो स्वास्थवर्धक तथा सकारात्मक है - परमेश्वर का भय।

बाइबल इस भय के बारे में कहती है कि यह परमेश्वर का भय :
  • "बुद्धि का मूल है" (नीतिवचन १:७);
  • "पवित्र" है (भजन १९:९);
  • जो "दृढ़ भरोसा" देता है (नीतिवचन १४:२६);
  • जो "जीवन का सोता" है (नीतिवचन १४:२७)
  • और सबसे बढ़कर, यही एक ऐसा भय है जिसके आधीन हम अपने आप को स्वेच्छा से कर सकते हैं (नीतिवचन १:२९)।

परमेश्वर का भय परमेश्वर पर श्रद्धापूर्ण विश्वास करना है। मूसा ने यह भय दिखाया जब जलती झाड़ी से परमेश्वर ने उसे संबोधित किया, "तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता था अपना मुंह ढ़ाप लिया।" - निर्गमन ३:६

"यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है" (नीतिवचन ८:१३)। हम परमेश्वर के सम्मुख उसकी पवित्रता और महानता के भय में आएं, उसके वचन, उसकी प्रतिज्ञाओं और उसकी चेतावनियों का भय मानें और उन पर विश्वास करें।

परमेश्वर का भय मान कर ही हम परमेश्वर के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त कर सकते हैं। यही वह भय है जो हर भय पर जयवंत है। - डेनिस डी हॉन


केवल परमेश्वर का भय ही मनुष्यों के भय से मुक्ति दे सकता है।

तब मूसा ने जो परमेश्वर की ओर निहारने से डरता या अपना मुंह ढ़ाप लिया। - निर्गमन ३:६

बाइबल पाठ: नीतिवचन २३:१५-२२

हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो विशेष करके मेरा ही मन आनन्दित होगा।
और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना।
क्योंकि अन्त में सुफल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।
हे मेरे पुत्र, तू सुनकर बुद्धिमान हो, और अपना मन सुमार्ग में सीधा चला।
दाखमधु के पीने वालों में न होना, न मांस के अधिक खाने वालों की संगति करना;
क्योंकि पियक्कड़ और खाऊ अपना भाग खोते हैं, और पिनक वाले को चिथड़े पहिनने पड़ते हैं।
अपने जन्माने वाले की सुनना, और जब तेरी माता बुढिय़ा हो जाए, तब भी उसे तुच्छ न जानना।

एक साल में बाइबल:
  • लैव्यवस्था २५
  • मरकुस १:२३-४५

गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

सम्पूर्ण सवस्थ होना

मेरी एक सहेली साईकिल से गिरी और उसे मस्तिष्क की गंभीर चोट आई, डॉकटरों को उसके बचने की कम ही आशा थी। कई दिन तक वह जीवन और मृत्यु के बीच झूलती रही।

आशा की पहली किरण फूटी जब उसने अपनी आंखें खोलना आरंभ किया। फिर उसने कहे गए को सुनकर उसके अनुसार करना आरंभ किया। लेकिन उसके स्वास्थ्य के प्रत्येक छोटे सुधार में भी आशंका बनी रहती थी कि "वह कहां तक ठीक हो पाएगी, कहां जाकर उसके स्वास्थ्य में सुधार की प्रक्रिया रुक जाएगी?"

उसकी चिकित्सा-अभ्यास के एक कठिन दिन के बाद उसका पति बहुत निराश था। लेकिन अगले ही दिन उसने उत्साह से हमें बताया "सैन्डी वापसी की ओर अग्रसर है!" धीरे धीरे सैन्डी शारीरिक, भावात्मक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक तौर से पहले जैसी वह सैन्डी होती गई जिसे हम जानते और चाहते थे।

सैन्डी का गिर कर घायल होना मुझे स्मरण दिलाता है मानव जाति के पाप में गिरने को (उत्पत्ति ३), और सैन्डी का घायल आवस्था से उभरने के प्रयास स्मरण दिलाते हैं मानव के पाप की बंधुआई से निकलने के प्रयासों को "क्‍योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्‍छी वस्‍तु वास नहीं करती, इच्‍छा तो मुझ में है, परन्‍तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते। क्‍योंकि जिस अच्‍छे काम की मैं इच्‍छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्‍तु जिस बुराई की इच्‍छा नहीं करता वही किया करता हूं। परन्‍तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्‍छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्‍तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।" (रोमियों ७:१८-२०)

यदि केवल सैन्डी का शरीर ही ठीक हो जाता और मस्तिष्क नहीं, तो उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। यदि उसका शरीर ठीक नहीं होता परन्तु मस्तिष्क ठीक हो जाता तो भी उसका स्वास्थ्य लाभ अधूरा रहता। सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ का अर्थ है कि उसका हर भाग ठीक होकर एक साथ मिलकर एक ही उद्देश्य के लिये एकसाथ काम करे।

परमेश्वर सैन्डी को ठीक कर रहा है, लेकिन सैन्डी का प्रयास और योगदान भी उसके पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिये आवश्यक है। यही हमारे आत्मिक जीवन पर भी लागू होता है। परमेश्वर का हमें प्रभु यीशु मसीह द्वारा पापों से बचा लिये जाने के बाद, हमें परमेश्वर के अनुग्रह से मिले इस उद्धार के योग्य कार्य करने हैं "सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो।" (इफिसियों ४:१); यह उद्धार ’कमाने’ के लिये नहीं, क्योंकि उद्धार कभी कमाया नहीं जा सकता, वरन इसलिये कि हमारी मनसा और कार्य परमेश्वर की मनसा के अनुरूप हों, जिससे संसार के समक्ष हम परमेश्वर के सच्चे गवाह बन सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


संपूर्ण होने के लिये हर बात में परमेश्वर के आत्मा को समर्पित रहिये।

सो हे मेरे प्यारो, जिस प्रकार तुम सदा से आज्ञा मानते आए हो, वैसे ही अब भी न केवल मेरे साथ रहते हुए पर विशेष कर के अब मेरे दूर रहने पर भी डरते और कांपते हुए अपने अपने उद्धार का कार्य पूरा करते जाओ। क्‍योंकि परमेश्वर ही है, जिस न अपनी सुइच्‍छा निमित्त तुम्हारे मन में इच्‍छा और काम, दोनों बातों के करने का प्रभाव डाला है। - फिलिप्पियों २:१२, १३


बाइबल पाठ: रोमियों ७:१३-८:३

तो क्‍या वह जो अच्‍छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी कदापि नहीं! परन्‍तु पाप उस अच्‍छी वस्‍तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्‍पन्न करने वाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।
क्‍योंकि हम जानते हैं कि व्यवस्था तो आत्मिक है, परन्‍तु मैं शारीरिक और पाप के हाथ बिका हुआ हूं।
और जो मैं करता हूं, उस को नहीं जानता, क्‍योंकि जो मैं चाहता हूं, वह नहीं किया करता, परन्‍तु जिस से मुझे घृणा आती है, वही करता हूं।
और यदि, जो मैं नहीं चाहता वही करता हूं, तो मैं मान लेता हूं, कि व्यवस्था भली है।
तो ऐसी दशा में उसका करने वाला मैं नहीं, वरन पाप है, जो मुझ में बसा हुआ है।
क्‍योंकि मैं जानता हूं, कि मुझ में अर्थात मेरे शरीर में कोई अच्‍छी वस्‍तु वास नहीं करती, इच्‍छा तो मुझ में है, परन्‍तु भले काम मुझ से बन नहीं पड़ते।
क्‍योंकि जिस अच्‍छे काम की मैं इच्‍छा करता हूं, वह तो नहीं करता, परन्‍तु जिस बुराई की इच्‍छा नहीं करता वही किया करता हूं।
परन्‍तु यदि मैं वही करता हूं, जिस की इच्‍छा नहीं करता, तो उसका करने वाला मैं न रहा, परन्‍तु पाप जो मुझ में बसा हुआ है।
सो मैं यह व्यवस्था पाता हूं, कि जब भलाई करने की इच्‍छा करता हूं, तो बुराई मेरे पास आती है।
क्‍योंकि मैं भीतरी मनुष्यत्‍व से तो परमेश्वर की व्यवस्था से बहुत प्रसन्न रहता हूं।
परन्‍तु मुझे अपने अंगो में दूसरे प्रकार की व्यवस्था दिखाई पड़ती है, जो मेरी बुद्धि की व्यवस्था से लड़ती है, और मुझे पाप की व्यवस्था के बन्‍धन में डालती है जो मेरे अंगों में है।
मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?
मैं अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं: निदान मैं आप बुद्धि से तो परमेश्वर की व्यवस्था का, परन्‍तु शरीर से पाप की व्यवस्था का सेवन करता हूं।
सो अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्‍ड की आज्ञा नहीं: क्‍योंकि वे शरीर के अनुसार नहीं वरन आत्मा के अनुसार चलते हैं।
क्‍योंकि जीवन की आत्मा की व्यवस्था ने मसीह यीशु में मुझे पाप की, और मृत्यु की व्यवस्था से स्‍वतंत्र कर दिया।
क्‍योंकि जो काम व्यवस्था शरीर के कारण र्दुबल होकर न कर सकी, उस को परमेश्वर ने किया, अर्थात अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में, और पाप के बलिदान होने के लिये भेजकर, शरीर में पाप पर दण्‍ड की आज्ञा दी।

एक साल में बाइबल:
  • अमोस ४-६
  • प्रकाशितवाक्य ७