सितंबर 29, 1909 को एक जवान व्यक्त ने एक अजीब डब्बे से दिखने वाले यन्त्र में उड़ान भरी। वह उस यन्त्र में लगे लीवरों के प्रयोग के द्वारा ऊंचाई पाता गया और न्यू-यॉर्क बन्दरगाह के ऊपर से उड़ान भरने लगा। लोग बड़े अचरज से उसे देख रहे थे, बन्दरगाह में उसके लिए नावों से सीटीयाँ और भौंपू बजने लगे। बन्दरगाह में लगे ’स्टैच्यु ऑफ लिबर्ट” पर खड़े लोग उसके लिए उत्साह से आनन्दित होने लगे। उड़ान भरने वाला वह व्यक्ति था विल्बर राईट।
इस से 6 वर्ष पहले विल्बर के भाई और्विल ने संसार की सबसे प्रथम उड़ान भरी थी। उन्होंने उड़ान भरने के लिए अपनी प्रेर्णा के बारे में कहा: "उड़ान भरने का विचार हमें हमारे पूर्वजों से मिला है ... जो बड़ी ईर्ष्या से पक्षियों को आकाश की ऊँचाईयों में, हर बाधा से ऊपर, तेज़ी और सरलता से आकाश के राजमार्गों पर उड़ते हुए देखते थे।" उन राईट बन्धुओं ने, अपने हवाई जहाज़ को बनाने से पहले बहुत समय उन पक्षियों तथा उनकी उड़ान का अध्ययन करने में बिताया था।
परमेश्वर के वचन बाइबल की प्रथम पुस्तक उत्पत्ति के प्रथम अध्याय में हम पढ़ते हैं कि, "आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की" (उत्पत्ति 1:1), और परमेश्वर ने कहा, "...पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें" (उत्पत्ति 1:20)। हम राईट बन्धुओं की महान उपलब्धि की दाद देते हैं; लेकिन वह सृष्टिकर्ता परमेश्वर, जिसने सर्वप्रथम ऐसे अनेक जीव बनाए जो स्वतः ही उड़ने की क्षमता रखते हैं, वह सर्वोच्च महिमा के योग्य है - अपनी अद्भुत सृष्टि और अपनी प्रत्येक विलक्षण कृति के लिए। - डेनिस फिशर
सृष्टि की रचना एक महान रचनाकार की ओर इशारा करती है।
इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। - रोमियों 1:19-20
बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:1-23
Genesis 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।
Genesis 1:2 और पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी; और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था: तथा परमेश्वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डलाता था।
Genesis 1:3 तब परमेश्वर ने कहा, उजियाला हो: तो उजियाला हो गया।
Genesis 1:4 और परमेश्वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।
Genesis 1:5 और परमेश्वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहिला दिन हो गया।
Genesis 1:6 फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।
Genesis 1:7 तब परमेश्वर ने एक अन्तर कर के उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:8 और परमेश्वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।
Genesis 1:9 फिर परमेश्वर ने कहा, आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:10 और परमेश्वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा; तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:11 फिर परमेश्वर ने कहा, पृथ्वी से हरी घास, तथा बीज वाले छोटे छोटे पेड़, और फलदाई वृक्ष भी जिनके बीज उन्ही में एक एक की जाति के अनुसार होते हैं पृथ्वी पर उगें; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:12 तो पृथ्वी से हरी घास, और छोटे छोटे पेड़ जिन में अपनी अपनी जाति के अनुसार बीज होता है, और फलदाई वृक्ष जिनके बीज एक एक की जाति के अनुसार उन्ही में होते हैं उगे; और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:13 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार तीसरा दिन हो गया।
Genesis 1:14 फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।
Genesis 1:15 और वे ज्योतियां आकाश के अन्तर में पृथ्वी पर प्रकाश देने वाली भी ठहरें; और वैसा ही हो गया।
Genesis 1:16 तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियां बनाईं; उन में से बड़ी ज्योति को दिन पर प्रभुता करने के लिये, और छोटी ज्योति को रात पर प्रभुता करने के लिये बनाया: और तारागण को भी बनाया।
Genesis 1:17 परमेश्वर ने उन को आकाश के अन्तर में इसलिये रखा कि वे पृथ्वी पर प्रकाश दें,
Genesis 1:18 तथा दिन और रात पर प्रभुता करें और उजियाले को अन्धियारे से अलग करें: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:19 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार चौथा दिन हो गया।
Genesis 1:20 फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।
Genesis 1:21 इसलिये परमेश्वर ने जाति जाति के बड़े बड़े जल-जन्तुओं की, और उन सब जीवित प्राणियों की भी सृष्टि की जो चलते फिरते हैं जिन से जल बहुत ही भर गया और एक एक जाति के उड़ने वाले पक्षियों की भी सृष्टि की: और परमेश्वर ने देखा कि अच्छा है।
Genesis 1:22 और परमेश्वर ने यह कह के उनको आशीष दी, कि फूलो-फलो, और समुद्र के जल में भर जाओ, और पक्षी पृथ्वी पर बढ़ें।
Genesis 1:23 तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पांचवां दिन हो गया।
एक साल में बाइबल:
- एज़्रा 1-4
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