अन्तराष्ट्रीय आर.बी.सी. मिनिस्ट्रीज़ के मेरे एक सहकर्मी ने मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल संबंधी संसाधनों का अनुवादक होने से उसे मिलने वाले आनन्द के बारे में बताया। उसने कहा, वह अपने आप को बहुत ही धन्य समझती है क्योंकि उन संसाधनों से मिलनी वाली बाइबल की शिक्षाओं की वह सर्वप्रथम प्राप्तकर्ता होती है। वह जैसे जैसे उन संसाधनों का अनुवाद करती है, उसने अनुभव से देखा है कि परमेश्वर उसकी आवश्यकता के अनुसार अपने वचन को उसे उन संसाधनों के द्वारा सिखाता रहता है, उसे प्रोत्साहित करता रहता है, उसे मार्गदर्शन देता रहता है। उसके जीवन की हर परिस्थिति के लिए आवश्यक सहायता उसे स्वतः ही मिलती रहती है।
वह जब यह बात कह रही थी तो मैं सोच रहा था कि हमारा परमेश्वर कैसे हमारी सहायता अनेक प्रकार से किंतु सदा ही बड़े विश्वासयोग्य तरीके से करता रहता है। जीवन के भिन्न समयों में हमें भिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हम मसीही विश्वासियों को यह आश्वासन है कि हम उन चुनौतियों का सामना कभी अपनी सामर्थ और योग्यता से नहीं करते; क्योंकि जैसा प्रभु यीशु ने कहा है, "... तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है" (मत्ती 6:8)।
हमारी आवश्यकताओं के समय में - चाहे वे आत्मिक हों, शारीरिक हों या भावनात्मक हों - हम अपने परमेश्वर पिता की देखभाल और चिंता पूरे विश्वास तथा निश्चिंतता के साथ भरोसा रख सकते हैं। वह हमें इतनी भली भांति जानता है कि सिद्ध समय पर वह हमारे लिए जो सर्वोत्तम है वही देता है और साथ ही हमारे लिए अपनी चिंता का आश्वासन भी देता है। उसने कहा है, "क्या दो पैसे की पांच गौरैयां नहीं बिकतीं? तौभी परमेश्वर उन में से एक को भी नहीं भूलता। वरन तुम्हारे सिर के सब बाल भी गिने हुए हैं, सो डरो नहीं, तुम बहुत गौरैयों से बढ़कर हो" (लूका 12:6-7)।
वह जो हमारे माँगने से पहले हमारी आवश्यकताओं को जानता है और उनकी पूर्ति का इन्तज़ाम करके रखता है, हम उसके प्रेम और बुद्धिमत्ता पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। - बिल क्राउडर
परमेश्वर का समय और विधि सदा ही सही होते हैं।
इसलिये परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1 पतरस 5:6-7
बाइबल पाठ: मत्ती 6:5-15
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके।
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्द कर के अपने पिता से जो गुप्त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।
Matthew 6:7 प्रार्थना करते समय अन्यजातियों की नाईं बक बक न करो; क्योंकि वे समझते हैं कि उनके बहुत बोलने से उन की सुनी जाएगी।
Matthew 6:8 सो तुम उन की नाईं न बनो, क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे मांगने से पहिले ही जानता है, कि तुम्हारी क्या क्या आवश्यक्ता है।
Matthew 6:9 सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; “हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए।
Matthew 6:10 तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।
Matthew 6:11 हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।
Matthew 6:12 और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर।
Matthew 6:13 और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन।
Matthew 6:14 इसलिये यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हें क्षमा करेगा।
Matthew 6:15 और यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा।
एक साल में बाइबल:
- एज़्रा 5-7
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें