चर्च के पास्टरों को आलोचना का निशाना बनाना सहज है। प्रति सप्ताह वे हमारे सामने खड़े होते हैं, हमें परमेश्वर के वचन की बातें सिखाते और समझाते हैं, हमें चुनौती देते हैं कि हम प्रभु यीशु मसीह के समान जीवन व्यतीत करें। लेकिन अनेक बार हम उनके जीवनों में आलोचना करने योग्य बातों को ढ़ूँढ़ते रहते हैं। उन सारी अच्छाईयों को नज़रन्दाज़ करके जो पास्टर में पाई जाती हैं, केवल उसकी कुछ बातों पर ध्यान केंद्रित करना, फिर उन बातों के लिए उसकी आलोचना करना और उनके बारे में अपनी व्यक्तिगत राय को लोगों में फैलाना बहुत सरल होता है।
हमें सदा यह स्मरण रखना चाहिए कि हमारे पास्टर भी हम मनुष्यों के समान ही मनुष्य ही हैं और हमारे समान ही वे भी सिद्ध नहीं हैं। मैं यह नहीं कहता कि हमें आँखें मूँद कर उनकी कही हर बात को मान लेना चाहिए, ग्रहण कर लेना चाहिए; ना ही मैं यह कह रहा हूँ कि हमें उनकी गलतियों या कमज़ोरियों को नज़रन्दाज़ करना चाहिए; परन्तु जो मैं कह रहा हूं वह यह है कि यदि हमें उनमें कुछ कमी या त्रुटि नज़र आती है तो उसे सही रीति से, विनम्रता सहित उन तक पहुँचाना चाहिए। पास्टरों के प्रति, जो परमेश्वर का वचन सिखाने और मण्डली के अगुवे होने की सेवकाई करते हैं, परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों को लिखी पत्री के कुछ भाग हमें सही दृष्टिकोण रखने में सहायक हो सकते हैं: "अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले ले कर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं" (इब्रानियों 13:17)।
इन वचनों के बारे में विचार कीजिए। परमेश्वर के सामने हमारे पास्टर हमें सही मार्गदर्शन देने के लिए जवाबदेह हैं; हमारा प्रयास होना चाहिए कि उनकी यह ज़िम्मेदारी आनन्दपूर्ण हो ना कि कष्टपूर्ण। इब्रानियों का यह खण्ड हमें यह भी सिखाता है कि पास्टर को तकलीफ देने से कोई लाभ नहीं होने वाला (पद 17)।
जब हम उनका आदर करते हैं जिन्हें परमेश्वर ने हमारा अगुआ करके ठहराया है तो हम परमेश्वर का आदर करते हैं और अपने तथा मसीही मण्डली के लिए बातों को बेहतर तथा सुखदायी करते हैं। - डेव ब्रैनन
पास्टरों को, जो परमेश्वर का वचन प्रचार करते हैं, लोगों से अच्छे व्यवहार की आवश्यकता रहती है।
हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। इसलिए जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्ड पाएंगे। - रोमियों 13:1-2
बाइबल पाठ: इब्रानियों 13:17-19
Hebrews 13:17 अपने अगुवों की मानो; और उनके आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिये जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें, न कि ठंडी सांस ले ले कर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।
Hebrews 13:18 हमारे लिये प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैं।
Hebrews 13:19 और इस के करने के लिये मैं तुम्हें और भी समझाता हूं, कि मैं शीघ्र तुम्हारे पास फिर आ सकूं।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था 19-20
- मत्ती 27:51-66
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