दूसरे विश्वयुद्ध और उसके तुरंत बाद के समय की पीढ़ी के लिए कोरी टेन बूम की जीवन-गाथा परमेश्वर भक्ति तथा बुद्धिमता की अनुपम गवाही है। वे निदरलैंड्स की निवासी थीं और उस समय में उनके देश पर रहे नाट्ज़ी कबज़े की यातनाओं की शिकार रही थीं। दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से उनके देश को नाट्ज़ी आताताईयों से मिली रिहाई के बाद उन्होंने उन भयानक सताव और पीड़ा के दिनों में भी अपने मसीही विश्वास और परमेश्वर पर निर्भरता के अनुभवों का बयान किया।
एक बार उन्होंने कहा, "मैंने अपने हाथों से बहुत कुछ थाम के रखा, और उस सब को खो भी दिया है। लेकिन जो भी मैंने परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दिया, वह आज भी मेरे पास है।"
कोरी हानि से भली-भांति परिचित थीं। उन्होंने उन नाट्ज़ी आताताईयों के हाथों अपने परिवार, संपदा और अपने आयु के वर्षों की भारी हानि झेली थी। लेकिन फिर भी उन्होंने सीखा था कि वे अपना ध्यान उस हानि पर नहीं वरन उस आत्मिक और भावनात्मक लाभ पर लगाएं जो उन सभी बातों को भी अपने स्वर्गीय परमेश्वर पिता के हाथों में समर्पित कर देने से होता है।
आज हमारे लिए इसमें क्या शिक्षा है? हमें परमेश्वर के हाथों में क्या कुछ समर्पित कर देना चाहिए? परमेश्वर के वचन बाइबल में मरकुस 10 में दर्ज उस अमीर जवान के वृतांत के अनुसार, हमें सब कुछ परमेश्वर के हाथों में समर्पित करना चाहिए। वह जवान अनन्त जीवन का मार्ग पाने की लालसा से प्रभु यीशु के पास आया था; उसके पास बहुत धन-संपत्ति थी; परन्तु जब प्रभु यीशु ने उससे वह सब छोड़ कर अपने पीछे चलने के लिए कहा, तो वह राज़ी नहीं हुआ। उसने प्रभु यीशु का अनुसरण करने से भला उस संपत्ति के साथा रहना समझा जिससे उसे कोई संतुष्टि प्राप्त नहीं हुई थी; परिणामस्वरूप वह शोकित होकर वापस चला गया (पद 22)।
कोरी टेन बूम के समान, यदि हम अपना सर्वस्व परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर देंगे, और उस सब की रखवाली तथा परिणाम के लिए परमेश्वर पर अपना भरोसा बनाए रखेंगे, तो हमारी आशा बनी रहेगी तथा हमें कोई हानि नहीं होगी। - डेव ब्रैनन
परमेश्वर को समर्पित जीवन से अधिक सुरक्षित और कोई जीवन नहीं है।
इस कारण मैं इन दुखों को भी उठाता हूं, पर लजाता नहीं, क्योंकि मैं उसे जिस की मैं ने प्रतीति की है, जानता हूं; और मुझे निश्चय है, कि वह मेरी थाती की उस दिन तक रखवाली कर सकता है। - 2 तिमुथियुस 1:12
बाइबल पाठ: मरकुस 10:17-27
Mark 10:17 और जब वह निकलकर मार्ग में जाता था, तो एक मनुष्य उसके पास दौड़ता हुआ आया, और उसके आगे घुटने टेककर उस से पूछा हे उत्तम गुरू, अनन्त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं?
Mark 10:18 यीशु ने उस से कहा, तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक अर्थात परमेश्वर।
Mark 10:19 तू आज्ञाओं को तो जानता है; हत्या न करना, व्यभिचार न करना, चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, छल न करना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।
Mark 10:20 उसने उस से कहा, हे गुरू, इन सब को मैं लड़कपन से मानता आया हूं।
Mark 10:21 यीशु ने उस पर दृष्टि कर के उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले।
Mark 10:22 इस बात से उसके चेहरे पर उदासी छा गई, और वह शोक करता हुआ चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था।
Mark 10:23 यीशु ने चारों ओर देखकर अपने चेलों से कहा, धनवानों को परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!
Mark 10:24 चेले उस की बातों से अचम्भित हुए, इस पर यीशु ने फिर उन को उत्तर दिया, हे बालकों, जो धन पर भरोसा रखते हैं, उन के लिये परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!
Mark 10:25 परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है!
Mark 10:26 वे बहुत ही चकित हो कर आपस में कहने लगे तो फिर किस का उद्धार हो सकता है?
Mark 10:27 यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से हो सकता है; क्योंकि परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है।
एक साल में बाइबल:
- नीतिवचन 27-29
- 2 कुरिन्थियों 10
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