यदि
कोई मित्र साथ हो तो क्या पीड़ा अधिक सहनीय हो जाती है? वर्जीनिया विश्विद्यालय के
कुछ शोधकर्ताओं ने इस प्रश्न का उत्तर पाने के लिए एक रोचक अध्ययन किया। वे देखना
चाहते थे कि पीड़ा होने की आशंका के प्रति मस्तिष्क में क्या प्रतिक्रियाएं होती
हैं, और क्या ये प्रतिक्रियाएं भिन्न होती हैं यदि व्यक्ति अकेला हो, या किसी
अजनबी का हाथ थामे हुए हो या, फिर किसी घनिष्ट मित्र ने हाथ थामा हुआ हो।
शोधकर्ताओं
ने दर्जनों बार इस प्रयोग को किया, और उनके परिणाम सदा समान ही थे। जब व्यक्ति
अकेला हो या किसी अजनबी का हाथ थामे हुए हो तो मस्तिष्क का वह भाग जो खतरे से
आशंकित होता है वह सक्रीय हो गया। किन्तु जब हाथ किसी घनिष्ट मित्र ने थामा हुआ था
तो मस्तिष्क भी शान्त था। मित्र के निकट होने के आभास ने पीड़ा को अधिक सहनीय बना
दिया था।
परमेश्वर
के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि प्रभु यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले के
समय में, जब वे गतसमनी के बाग़ में प्रार्थना कर रहे थे, तब प्रभु को भी अपने
मित्रों से दिलासा की अपेक्षा थी। वे जानते थे कि थोड़े ही समय में उन्हें धोखे, गिरफतारी
और मृत्यु का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने अपने निकट के मित्रों से कहा कि “मेरा जी
बहुत उदास है” (मत्ती 26:38), और वे लोग उनके साथ रहें और प्रार्थना करें; परन्तु
पतरस, याकूब और यूहन्ना सोते ही रहे।
प्रभु
यीशु ने गतसमनी के बाग़ में उस पीड़ा को अकेले ही सहन किया, उनके साथ, उनका हाथ
थामने वाला, उन्हें दिलासा देने वाला, कोई नहीं था। परन्तु क्योंकि उन्होंने उस
पीड़ा को सहन कर लिया, आज हम निश्चिन्त हो सकते हैं कि हमारा प्रभु परमेश्वर हमें
कभी नहीं छोड़ेगा या त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। प्रभु यीशु ने हमारे पापों की
पीड़ा को अपने ऊपर लेकर सहन कर लिया जिससे हमें कभी भी परमेश्वर के प्रेम से अलग
होने की पीड़ा को सहना नहीं पड़े (रोमियों 8:39)। आज हम मसीही विश्वासियों के साथ
उसकी सदा बनी रहने वाली उपस्थिति, जीवन की हर परिस्थिति की हर पीड़ा को सहन करना
हमारे लिए सहज करती रहती है। - एमी पीटरसन
परमेश्वर के प्रेम के कारण हम कभी अकेले
नहीं होते हैं।
तुम्हारा स्वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो;
क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न
छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। - इब्रानियों 13:5
बाइबल पाठ: मत्ती 26:36-46
Matthew 26:36 तब यीशु ने अपने चेलों के
साथ गतसमनी नाम एक स्थान में आया और अपने चेलों से कहने लगा कि यहीं बैठे रहना,
जब तक कि मैं वहां जा कर प्रार्थना करूं।
Matthew 26:37 और वह पतरस और जब्दी के
दोनों पुत्रों को साथ ले गया, और उदास और व्याकुल होने लगा।
Matthew 26:38 तब उसने उन से कहा; मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला
चाहते: तुम यहीं ठहरो, और मेरे साथ जागते रहो।
Matthew 26:39 फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर
मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो
यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं,
परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
Matthew 26:40 फिर चेलों के पास आकर उन्हें
सोते पाया, और पतरस से कहा; क्या तुम
मेरे साथ एक घड़ी भी न जाग सके?
Matthew 26:41 जागते रहो, और प्रार्थना करते रहो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो:
आत्मा तो तैयार है, परन्तु शरीर दुर्बल है।
Matthew 26:42 फिर उसने दूसरी बार जा कर यह
प्रार्थना की; कि हे मेरे पिता, यदि यह
मेरे पीए बिना नहीं हट सकता तो तेरी इच्छा पूरी हो।
Matthew 26:43 तब उसने आकर उन्हें फिर सोते
पाया, क्योंकि उन की आंखें नींद से भरी थीं।
Matthew 26:44 और उन्हें छोड़कर फिर चला
गया, और वही बात फिर कहकर, तीसरी बार
प्रार्थना की।
Matthew 26:45 तब उसने चेलों के पास आकर उन
से कहा; अब सोते रहो, और विश्राम करो:
देखो, घड़ी आ पहुंची है, और मनुष्य का
पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जाता है।
Matthew 26:46 उठो, चलें;
देखो, मेरा पकड़वाने वाला निकट आ पहुंचा है।
एक साल में बाइबल:
- 2 शमूएल 3-5
- लूका 14:25-35
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें