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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

क्रूस



      मैं जिस चर्च में जाती हूँ, वहाँ वेदी के सामने एक बड़ा सा क्रूस टंगा हुआ है, जो उस क्रूस की स्मृति है जिसपर प्रभु यीशु मसीह को मारा गया था – वह स्थान जहाँ हम मनुष्यों के पाप परमेश्वर की पवित्रता के साथ संपर्क में आए थे। उस क्रूस पर परमेश्वर पिता ने अपने सिद्ध, निष्पाप, निष्कलंक पुत्र को, समस्त मानव जाति के प्रत्येक पाप, गलती, अपराध के लिए, जो उन्होंने कभी भी मन, ध्यान, विचार या कर्मों से, प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष, किए हों, बलिदान होने के लिए दे दिया। क्रूस पर प्रभु यीशु मसीह ने हमें उस मृत्यु से, जिसे हमें सहना था, बचाने के कार्य को पूरा किया, जिससे हम प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त कर सकें (रोमियों 6:23)।

      जब भी मैं क्रूस को देखती हूँ तो मुझे वह सब ध्यान आता है जो प्रभु यीशु ने हमारे लिए सहन किया। क्रूस पर चढ़ाए जाने से पहले, उसे कोड़े मारे गए, उस पर थूका गया। सैनिकों ने उसके सिर पर मारा और ठट्ठे में उसके सामने झुक कर उसका उपहास किया। उन्होंने रात भर उसे ताड़नाएं देने के बाद, जिस क्रूस पर उसे ठोका जाना था, उसे उठा कर क्रूसित होने के स्थान तक ले जाने को कहा, किन्तु रात भर की उस ताड़ना से उसका शरीर क्रूस उठाने के लिए बहुत दुर्बल हो चुका था, इसलिए मार्ग से एक अन्य व्यक्ति को पकड़ कर उससे जबरन यह बेगार करवाया गया। क्रूस पर चढ़ाने के स्थान, गुलगुता, पर आकर, उसके हाथ और पांवों में ठोकी गई कीलों से उसे क्रूस पर टांग दिया गया, और उन कीलों के सहारे लटके हुए उसके शरीर का वजन हर साँस खींचने और छोड़ने के साथ उसकी पीड़ा को बढ़ाता था। छः घण्टे क्रूस पर लटके हुए यह सब तथा उपस्थित लोगों के ताने और उपहास सहने के बाद प्रभु यीशु ने अपनी अंतिम साँस ली (मरकुस 15:37)। वहाँ उपस्थित सूबेदार ने यह सब देखने के बाद कहा, “सचमुच, यह मनुष्य परमेश्वर का पुत्र था!” (पद 39)।

      अगली बार जब भी आप क्रूस के चिन्ह को देखें, तो थोड़ा रुक कर विचार करें कि आप के लिए उसका क्या अर्थ है, क्या महत्व है? परमेश्वर के पुत्र ने उस क्रूस पर घोर पीड़ा और मृत्यु को सहा जिससे आपके लिए अनन्त जीवन का चिर-स्थाई आनन्द संभव हो सके। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मसीह का क्रूस हमारे पाप की सर्वाधिक बुरी दशा, 
तथा परमेश्वर के प्रेम की सर्वोत्तम स्थिति को दिखाता है।

क्योंकि क्रूस की कथा नाश होने वालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है। - 1 कुरिन्थियों 1:18

बाइबल पाठ: मरकुस 15:16-21,29-39
Mark 15:16 और सिपाही उसे किले के भीतर आंगन में ले गए जो प्रीटोरियुन कहलाता है, और सारी पलटन को बुला लाए।
Mark 15:17 और उन्होंने उसे बैंजनी वस्‍त्र पहिनाया और कांटों का मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा।
Mark 15:18 और यह कहकर उसे नमस्‍कार करने लगे, कि हे यहूदियों के राजा, नमस्‍कार!
Mark 15:19 और वे उसके सिर पर सरकण्‍डे मारते, और उस पर थूकते, और घुटने टेककर उसे प्रणाम करते रहे।
Mark 15:20 और जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो उस पर से बैंजनी वस्‍त्र उतारकर उसी के कपड़े पहिनाए; और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये बाहर ले गए।
Mark 15:21 और सिकन्‍दर और रूफुस का पिता, शमौन नाम एक कुरेनी मनुष्य, जो गांव से आ रहा था उधर से निकला; उन्होंने उसे बेगार में पकड़ा, कि उसका क्रूस उठा ले चले।
Mark 15:29 और मार्ग में जाने वाले सिर हिला हिलाकर और यह कहकर उस की निन्‍दा करते थे, कि वाह! मन्दिर के ढाने वाले, और तीन दिन में बनाने वाले! क्रूस पर से उतर कर अपने आप को बचा ले।
Mark 15:30 इसी रीति से महायाजक भी, शास्‍त्रियों समेत,
Mark 15:31 आपस में ठट्ठे से कहते थे; कि इस ने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता।
Mark 15:32 इस्राएल का राजा मसीह अब क्रूस पर से उतर आए कि हम देखकर विश्वास करें: और जो उसके साथ क्रूसों पर चढ़ाए गए थे, वे भी उस की निन्‍दा करते थे।
Mark 15:33 और दोपहर होने पर, सारे देश में अन्धियारा छा गया; और तीसरे पहर तक रहा।
Mark 15:34 तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
Mark 15:35 जो पास खड़े थे, उन में से कितनों ने यह सुनकर कहा: देखो यह एलिय्याह को पुकारता है।
Mark 15:36 और एक ने दौड़कर इस्‍पंज को सिरके में डुबोया, और सरकण्‍डे पर रखकर उसे चुसाया; और कहा, ठहर जाओ, देखें, कि एलिय्याह उसे उतारने कि लिये आता है कि नहीं।
Mark 15:37 तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिये।
Mark 15:38 और मन्दिर का पर्दा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो गया।
Mark 15:39 जो सूबेदार उसके सम्हने खड़ा था, जब उसे यूं चिल्लाकर प्राण छोड़ते हुए देखा, तो उसने कहा, सचमुच यह मनुष्य, परमेश्वर का पुत्र था।

एक साल में बाइबल:  
  • 2 शमूएल 6-8
  • लूका 15:1-10



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