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रविवार, 21 जून 2015

कमज़ोर तथा बलवन्त


   कुछ वर्ष पहले की बात है, देर रात का समय था, मैं कुछ अन्य लोगों के साथ एक इमारत में लिफ्ट में था; हम सब थके हुए दिखाई दे रहे थे। लिफ्ट एक मंज़िल पर रुकी और एक कद्दावर व्यक्ति अन्दर आया, उसने दबी हुई पुरानी सी टोपी, कुचला हुआ पुराना सा कोट और घिसे हुए पुराने से जूते पहने हुए थे। लिफट के अन्दर आते ही उसने हम सब पर एक नज़र घुमाई और भारी गुर्राहट वाली आवाज़ में बोला, "पुरुषों, सलाम!" उसके मुँह से यह सुनते ही हम सब अपने कंधों को चौरस करके सीधे खड़े हो गए; हम सब उसके द्वारा किए गए संबोधन के अनुसार दिखने का प्रयास कर रहे थे।

   आज के दिन, जो पुरुषों के सम्मान को समर्पित है, आईये पुरुष होने के बारे में कुछ बातें करें। हम साहसी और सामर्थी बनने के प्रयास तो करते हैं, किंतु कई बार यह महज़ दिखावा होता है; अपने सारे प्रयासों के बावजूद हम अपने अन्दर इस बात को जानते हैं कि हम वैसे हैं नहीं जैसा दिखा रहे हैं। बाहर से दिखाई देने वाली हमारी निर्भीकता के पीछे अन्दर ही अन्दर हमारे अनेक डर, असुरक्षाएं और कमियाँ छुपी रहती हैं। हमारा बाहर से दिखाई देने वाला पौरुष कई बार छलावा मात्र ही होता है।

   प्रेरित पौलुस इस सच्चाई को स्वीकार करने से लजाया नहीं; उसने कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में लिखा, "...हम भी तो उस में निर्बल हैं; परन्तु परमेश्वर की सामर्थ से जो तुम्हारे लिये है, उसके साथ जीएंगे" (2 कुरिन्थियों 13:4)। यह केवल धर्मपरायणता दिखाने के लिए कही जाने वाली बात नहीं है वरन दीन कर देने वाली सच्चाई है। लेकिन साथ ही पौलुस ने यह भी लिखा कि "जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्‍त होओ" (1 कुरिन्थियों 16:13), जो एक विरोधाभास जैसा लगता है।

   यह कैसे हो सकता है कि हम स्वाभिक रूप से निर्बल भी हों और फिर पुराषार्थ करें तथा बलवन्त होते जाएं? यह केवल तब संभवव है जब हम, प्रेरित पुलुस के समान ही, अपने कमज़ोरियों को मानते हुए अपने आप को पूर्णतः परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दें, और फिर उसकी सामर्थ तथा मार्गदर्शन के साथ, उसके कार्यों को करें, जिनके लिए वह हमें आवश्यक बल, बुद्धि और योग्यता प्रदान करेगा। प्रभु यीशु हम कमज़ोरों को भी बलवन्त बना देता है। - डेविड रोपर


सच्चा बल, आत्मा में परमेश्वर की सामर्थ का होना है।

इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं। - 2 कुरिन्थियों 12:10 

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 16:9-13
1 Corinthians 16:9 क्योंकि मेरे लिये एक बड़ा और उपयोगी द्वार खुला है, और विरोधी बहुत से हैं।
1 Corinthians 16:10 यदि तीमुथियुस आ जाए, तो देखना, कि वह तुम्हारे यहां निडर रहे; क्योंकि वह मेरी नाईं प्रभु का काम करता है। 
1 Corinthians 16:11 इसलिये कोई उसे तुच्‍छ न जाने, परन्तु उसे कुशल से इस ओर पहुंचा देना, कि मेरे पास आ जाए; क्योंकि मैं उस की बाट जोह रहा हूं, कि वह भाइयों के साथ आए। 
1 Corinthians 16:12 और भाई अपुल्लोस से मैं ने बहुत बिनती की है कि तुम्हारे पास भाइयों के साथ जाए; परन्तु उसने इस समय जाने की कुछ भी इच्छा न की, परन्तु जब अवसर पाएगा, तब आ जाएगा। 
1 Corinthians 16:13 जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्‍त होओ।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 3-5
  • प्रेरितों 5:22-42



गुरुवार, 12 जून 2014

उपयोगी


   नर मोर बहुत खूबसूरत पक्षी होते हैं। उनकी रंगीन पंखों से बनी लंबी पूँछ, उस पूँछ में भिन्न प्रकार के पंख और उनके चमकते चटकीले रंग, उनके सिर की कलगी, उनकी गरदन और छाती के चमकते हुए रंग बस देखते ही बनते हैं, खासकर जब वे अपनी पूँछ खड़ी करके नृत्य करते हैं तो देखने वालों को मानों मंत्र-मुग्ध कर देते हैं। लेकिन उनके पाँव बड़े कुरूप होते हैं!

   ईमानदारी से कहें तो यह हम सब की दशा भी है - हम सब में कोई ना कोई कमज़ोरी या किसी ना किसी बात की घटी अवश्य होती है - वह हम में जन्म से विद्यमान हो सकती है या किसी कारणवश हम में आने वाली हो सकती है; वह लंबे समय से हमारे साथ हो सकती है, या फिर हाल ही में किसी घटना के कारण हम में आ सकती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने अपनी एक कमी को "शरीर में चुभाया गया काँटा" कहा जो उसे नम्र रखने के लिए था (2 कुरिन्थियों 12:7-9)। पौलुस ने तीन बार परमेश्वर से उसे हटाने के लिए प्रार्थना करी, संभवतः इस विचार से कि उसके हटने के बाद वह और भली रीति से परमेश्वर की सेवा करने पाएगा, लेकिन परमेश्वर ने उसे आश्वस्त किया कि "मेरा अनुग्रह ही तेरे लिए काफी है" और "मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है"। परमेश्वर के इस आश्वासन पर पौलुस का प्रत्युत्तर था, "इसलिए मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूँगा कि मसीह की सामर्थ्य मुझ पर छाया करती रहे"।

   मसीही विश्वास की एक विशेषता है कि परमेश्वर अपने महत्वपूर्ण कार्यों को हमारे द्वारा संपन्न कराने के लिए हमें हमारी निर्बलताओं के बावजूद चुन लेता है, ना कि इसलिए कि हम में कोई वाकपटुता है, या हम कार्य करने की विशेष योग्यता रखते हैं या हमारा रूप-रंग अच्छा है। प्रसिद्ध मिशनरी सेवक हडसन टेलर ने कहा था, "परमेश्वर को अपने कार्य करवाने के लिए किसी योग्यता-विहीन तथा निर्बल जन की आवश्यकता थी, इसलिए उसने मुझे और आपको चुन लिया"।

   जब हम परमेश्वर को ही अपनी सामर्थ और योग्यता का आधार बना लेते हैं, तो वो हमें ऐसे उपयोग करने पाता है जो हमारी कलपना से परे है। - डेविड रोपर


परमेश्वर की सामर्थ हमारी निर्बलता में प्रकट होती है।

हे भाइयो, अपने बुलाए जाने को तो सोचो, कि न शरीर के अनुसार बहुत ज्ञानवान, और न बहुत सामर्थी, और न बहुत कुलीन बुलाए गए। परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे। - 1 कुरिन्थियों 1:26-27

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:7-10
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 55-57