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बुधवार, 21 फ़रवरी 2018

दृष्टिकोण


   हमारा घर एक तराई में स्थित है, चारों ओर ऊँचे पहाड़ हैं, जिससे नीचे तराई में शीत ॠतु में बहुत ठंडा हो जाता है। पहाड़ों पर से धुंध और बादल नीचे आकर तराई में ठहर जाते हैं, सूर्य की रौशनी उनके पार नहीं आने पाती और नीचे की ठंडी हवा उन बादलों के नीचे दबी रह जाती है, जिससे तापमान बहुत कम हो जाता है, परन्तु बादलों के ऊपर सूर्य की गर्मी से तापमान उतना कम नहीं होने पाता। तराई से निकलकर ऊपर पहाड़ पर चढ़ने का एक मार्ग भी है, और कार से कुछ ही मिनिटों की यात्रा करके हम उस धुंध और ठण्ड से बच कर ऊपर की गर्मी और चमकते हुए सूर्य के आनन्द को ले सकते हैं। वहाँ ऊपर से नीचे का दृश्य बिलकुल भिन्न दिखता है।

   कभी-कभी जीवन भी इसी प्रकार होता है। परिस्थितियाँ उस धुंध के समान हमें घेर लेती हैं, और प्रतीत होता है कि कोई रोशनी, कोई गरमाहट उनके पार नहीं पहुँच पा रही है। परन्तु प्रभु परमेश्वर में हमारा विश्वास हमारे लिए वह एक मार्ग है जिसके द्वारा हम तराई से निकलकर ऊपर चढ़ सकते हैं – अपने मन “स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में” लगा सकते हैं (कुलुस्सियों 3:1)। जब हम ऐसा करते हैं, तो प्रभु परमेश्वर हमारे लिए संभव करता है कि हम परिस्थितियों से ऊपर उठ कर आगे बढ़ने के लिए सामर्थ्य और शान्ति पाएँ। जैसे परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने लिखा, “...मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं” (फिलिप्पियों 4:11)।

   विश्वास के इस मार्ग द्वारा हम अपनी परेशानी और धुँधलेपन से ऊपर चढ़ सकते हैं; कुछ समय प्रभु परमेश्वर के साथ बिता सकते हैं, उसकी शान्ति और सामर्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं, और एक भिन्न दृष्टिकोण से जीवन और परिस्थतियों का अवलोकन तथा मूल्याँकन कर सकते हैं। - डेविड रोपर


विश्वास आपको आपके भय से ऊपर उठा सकता है।

सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ। - कुलुस्सियों 3:1-2

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 4:8-13
Philippians 4:8 निदान, हे भाइयों, जो जो बातें सत्य हैं, और जो जो बातें आदरणीय हैं, और जो जो बातें उचित हैं, और जो जो बातें पवित्र हैं, और जो जो बातें सुहावनी हैं, और जो जो बातें मनभावनी हैं, निदान, जो जो सदगुण और प्रशंसा की बातें हैं, उन्‍हीं पर ध्यान लगाया करो।
Philippians 4:9 जो बातें तुम ने मुझ से सीखीं, और ग्रहण की, और सुनी, और मुझ में देखीं, उन्‍हीं का पालन किया करो, तब परमेश्वर जो शान्‍ति का सोता है तुम्हारे साथ रहेगा।।
Philippians 4:10 मैं प्रभु में बहुत आनन्‍दित हूं कि अब इतने दिनों के बाद तुम्हारा विचार मेरे विषय में फिर जागृत हुआ है; निश्‍चय तुम्हें आरम्भ में भी इस का विचार था, पर तुम्हें अवसर न मिला।
Philippians 4:11 यह नहीं कि मैं अपनी घटी के कारण यह कहता हूं; क्योंकि मैं ने यह सीखा है कि जिस दशा में हूं, उसी में सन्‍तोष करूं।
Philippians 4:12 मैं दीन होना भी जानता हूं और बढ़ना भी जानता हूं: हर एक बात और सब दशाओं में तृप्‍त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है।
Philippians 4:13 जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।


एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 1-3
  • मरकुस 3



शनिवार, 30 सितंबर 2017

तराई से प्रार्थना


   एक कविता रूप में परमेश्वर से की गई प्रार्थना है, जो The Valley of Vision के नाम से जानी जाती है। इस प्रार्थना-कविता का विषय पापी मनुष्य और उसके पवित्र परमेश्वर के मध्य की दूरी है। मनुष्य परमेश्वर से कहता है, "आप मुझे दर्शन की तराई में लेकर आए हैं...; चारों ओर पाप के पहाड़ों से घिरा होकर भी मैं ऊपर आपकी महिमा को देखता हूँ।" मनुष्य को अपनी गलतियों का बोध है, परन्तु फिर भी वह आशावादी है। वह आगे कहता है, "गहरे कूओं से भी सितारे दिखाई देते हैं; और कूआँ जितना गहरा होगा, सितारे उतने अधिक चमकीले दिखेंगे।" इस प्रार्थना-कविता का अन्त निवेदन के साथ होता है: "होने दें कि मैं अपने अन्धकार में आपकी ज्योति को...अपनी तराई में आपकी महिमा को पा सकूँ।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि योना ने परमेश्वर की महिमा को सागर की गहराई में पाया। वह परमेश्वर से बलवा कर के भाग रहा था, और अपने पाप से अभिभूत, वह एक बड़ी मछली के पेट में पहुँच गया। वहाँ से योना ने परमेश्वर को पुकारा: "तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया...मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे" (योना 2:3, 5)। अपनी विकट परिस्थिति के बावजूद योना ने कहा, "जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई" (योना 2:7)। परमेश्वर ने योना की प्रार्थना सुनी और उसे मछली के पेट से स्वतंत्र किया।

   यद्यपि हमारे पाप, हमारे तथा परमेश्वर के मध्य दूरी लाते हैं, तो भी अपने जीवन के न्यूनतम स्तर से भी हम परमेश्वर की ओर देख सकते हैं - उसकी पवित्रता, भलाई, और अनुग्रह को, और प्रार्थना में उसे पुकार सकते हैं, और वह सच्चे हृदय से की गई हमारी प्रार्थना को सुनता है। यदि हम सच्चे पश्चाताप के साथ अपने पापों से मन फिराएं, परमेश्वर के समक्ष पापों का अंगीकार कर लें, तो वह हमें क्षमा कर देगा (1 यूहन्ना 1:9)। परमेश्वर तराई से की गई प्रार्थना को भी सुनता है, उसका उत्तर देता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


पाप का अन्धकार परमेश्वर के अनुग्रह की ज्योति को 
और अधिक चमकदार बना देता है।

यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। - 1 यूहन्ना 1:9

बाइबल पाठ: योना 2:1-10
Jonah 2:1 तब योना ने उसके पेट में से अपने परमेश्वर यहोवा से प्रार्थना कर के कहा, 
Jonah 2:2 मैं ने संकट में पड़े हुए यहोवा की दोहाई दी, और उसने मेरी सुन ली है; अधोलोक के उदर में से मैं चिल्ला उठा, और तू ने मेरी सुन ली। 
Jonah 2:3 तू ने मुझे गहिरे सागर में समुद्र की थाह तक डाल दिया; और मैं धाराओं के बीच में पड़ा था, तेरी भड़काई हुई सब तरंग और लहरें मेरे ऊपर से बह गईं। 
Jonah 2:4 तब मैं ने कहा, मैं तेरे साम्हने से निकाल दिया गया हूं; तौभी तेरे पवित्र मन्दिर की ओर फिर ताकूंगा। 
Jonah 2:5 मैं जल से यहां तक घिरा हुआ था कि मेरे प्राण निकले जाते थे; गहिरा सागर मेरे चारों ओर था, और मेरे सिर में सिवार लिपटा हुआ था। 
Jonah 2:6 मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुंच गया था; मैं सदा के लिये भूमि में बन्द हो गया था; तौभी हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने मेरे प्राणों को गड़हे में से उठाया है। 
Jonah 2:7 जब मैं मूर्छा खाने लगा, तब मैं ने यहोवा को स्मरण किया; और मेरी प्रार्थना तेरे पास वरन तेरे पवित्र मन्दिर में पहुंच गई। 
Jonah 2:8 जो लोग धोखे की व्यर्थ वस्तुओं पर मन लगाते हैं, वे अपने करूणानिधान को छोड़ देते हैं। 
Jonah 2:9 परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है। 
Jonah 2:10 और यहोवा ने मच्छ को आज्ञा दी, और उसने योना को स्थल पर उगल दिया।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 9-10
  • इफिसियों 3