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सोमवार, 13 सितंबर 2010

त्रासदी में आशा

कुछ लोगों का मानना है कि हमें अपनी बाइबल में चित्रांकन नहीं करना चाहिये। परन्तु मुझे खुशी है कि मेरी बेटी मेलिसा ने अपनी बाइबल में चित्रांकन किया। उसने अपनी बाइबल में रोमियों ५ के हाशिये में हरी स्याही से एक मुस्कुराता चेहरा बनाया और पद ३ पर गोलाकार निशान लगाया।

वह कैसे जान सकी कि उसके परिवार और मित्रों को, १७ वर्ष की आयु में उसके अचानक कार दुर्घटना में चले जाने के बाद, इस खंड की आवश्यक्ता होगी? वह कैसे जान सकी कि ये पद उसकी कहानी बयान करेंगे और हमारे तथा दूसरों के जीवन को मार्गदर्शन देते रहेंगे, जैसे वे पिछले ७ वर्षों से, उसके जाने के बाद से कर रहे हैं?

रोमियों ५ का आरंभ होता है प्रभु यीशु पर विश्वास करने के द्वारा हमारा परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी ठहराये जाकर उसके साथ हुए मेल से मिलने वाली शांति की व्याख्या से (पद १)। मेलिसा के पास यह शांति थी। अब वह अपने इस विश्वास के फलों का आनन्द ले रही है, जैसा पद २ में बताया गया है। कलपना कीजिये कि अब ऐसे आनन्द में वह और कैसा मुस्कुराता चेहरा बनाती!

और फिर हम सब हैं - हम सब जो पीछे रह गये हैं, जब हमारे प्रीय जन मृत्यु द्वारा हम से आगे चले गये। ऐसे में भी हम "हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें" - क्यों? क्योंकि क्लेशों से धीरज और धीरज से खरा निकलना होता है और उससे आशा उत्पन्न होती है (पद ३, ४)।

त्रासदी के समय हम असहाय महसूस करते हैं, परन्तु फिर भी हम कभी आशाविहीन नहीं होते। परमेश्वर अपने प्रेम को हमारे हृदय में उंडेलता है और उसके साथ अपनी महीमा की महान आशा भी। यह सब परमेश्वर की महान, रहस्यमयी और अद्भुत योजना का भाग है। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर अक्सर दुखों के फावड़ों से हमारे जीवनों में आनन्द के कुएं खोदता है।

केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशोंमें भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज [उत्पन्न होता है]। - रोमियों ५:३


बाइबल पाठ: रोमियों ५:१-५

सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्‍ड करें।
केवल यही नहीं, बरन हम क्‍लेशों में भी घमण्‍ड करें, यही जानकर कि क्‍लेश से धीरज।
ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्‍पन्न होती है।
और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्‍योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १६-१८
  • २ कुरिन्थियों ६

रविवार, 12 सितंबर 2010

अभद्र व्यवहार

नर्सों की एक पत्रिका Michigan Nurse के एक अंक में एक हैरान करने वाला लेख छपा, जिसने नर्सों के काम काज के दौरान उनके आपसी व्यवहार के कुछ अवगुण प्रकट किये। उस लेख के अनुसार, उनमें आपस में एक दूसरे पर धौंस देना, ज़बर्दस्ती करना, अभद्र व्यवहार करना और गालियां देना, पीठ पीछे बुराई करना, आपसी लड़ाईयां, एक दूसरे पर गलत इल्ज़ाम लगाना, एक दूसरे के विरुद्ध षड़यंत्र रचना आदि प्रचलित था।

यह नहीं है कि इस तरह का व्यवहार न केवल नर्सों में ही देखा जाता है, वरन अन्य काम-काज के स्थानों पर भी देखा जा रहा है और बढ़ता जा रहा है। यह व्यवहार हमेशा ओहदे के दुरुपयोग, हानि के उद्देश्य और भविष्य में और अधिक हानि पहुंचाने की नीयत के साथ जुड़ा होता है।

यदि आपकी धारणा है कि ऐसा व्यवहार क्लीसिया (चर्च) में तो नहीं हो सकता, तो कलीसिया के लोगों और अगुवों के आपसी संबंधों और व्यवहार और जीवन पर ज़रा ग़ौर कीजिये। साथ ही इस पर भी ग़ौर कीजिये कि परिवार के सदस्यों का आपसी व्यवहार कैसा रहता है?

जब भावी स्वर्गीय राज्य में पद-प्रतिष्ठा पाने के लिये चेलों में होड़ लगी तो प्रभु ने उन्हें डांटा और कहा "परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा; परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने। जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे।" (मत्ती २०:२६-२८)

यदि प्रभु की यह शिक्षा हमारे जीवन में पाई जाये तो हमारे जीवन में कोई अभद्र व्यवहार कभी नहीं पाया जाएगा। - डेव एगनर


केवल वही जो सेवा करना जानता है और करता है, सच्चा अगुवा होने के योग्य होता है।

परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने। - मत्ती २०:२६


बाइबल पाठ: मती २०:२०-२८

तब जब्‍दी के पुत्रों की माता ने अपने पुत्रों के साथ उसके पास आकर प्रणाम किया, और उस से कुछ मांगने लगी।
उस ने उस से कहा, तू क्‍या चाहती है? वह उस से बोली, यह कह, कि मेरे ये दो पुत्र तेरे राज्य में एक तेरे दाहिने और एक तेरे बाएं बैठें।
यीशु ने उत्तर दिया, तुम नहीं जानते कि क्‍या मांगते हो; जो कटोरा मैं पीने पर हूं, क्‍या तुम पी सकते हो? उन्‍होंने उस से कहा, पी सकते हैं।
उस ने उन से कहा, तुम मेरा कटोरा तो पीओगे पर अपने दाहिने बाएं किसी को बिठाना मेरा काम नहीं, पर जिन के लिये मेरे पिता की ओर से तैयार किया गया, उन्हीं के लिये है।
यह सुनकर, दसों चेले उन दोनों भाइयों पर क्रुद्ध हुए।
यीशु ने उन्‍हें पास बुला कर कहा, तुम जानते हो, कि अन्य जातियों के हाकिम उन पर प्रभुता करते हैं, और जो बड़े हैं, वे उन पर अधिकार जताते हैं।
परन्‍तु तुम में ऐसा न होगा, परन्‍तु जो कोई तुम में बड़ा होना चाहे, वह तुम्हारा सेवक बने।
और जो तुम में प्रधान होना चाहे वह तुम्हारा दास बने।
जैसे कि मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल करी जाए, परन्‍तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे और बहुतों की छुडौती के लिये अपने प्राण दे।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १३-१५
  • २ कुरिन्थियों ५

शनिवार, 11 सितंबर 2010

ईमानदारी के दर्जे

महिलाओं की एक पत्रिका Woman's Day ने २००० से अधिक लोगों का सर्वेक्षण करके पता लगाया कि वे कितने ईमानदार हैं। जब उन लोगों से पूछा गया कि "आप कितने ईमानदार हैं?" तो ४८% ने कहा "बहुत ईमानदार", ५०% ने कहा "कुछ हद तक ईमानदार" और २% ने कहा "ज़्यादा नहीं"।

उन लोगों में से ६८% ने माना कि अपने निज काम के लिये उन्होंने दफतर के सामान को लिया है; और ४०% ने माना कि यदि उन्हें पक्का हो कि वे पकड़े नहीं जाएंगे तो वे अपने कर देने में बेईमानी करेंगे।

हनन्याह और सफीरा ने भी सोचा होगा कि वे बेईमानी से बच निकलेंगे (प्रेरितों ५:१-११)। पर वे शीघ्र ही जान गए कि ऐसा संभव नहीं है, जब पतरस ने उनका झूठ पकड़ कर उनसे कहा कि उन्होंने मनुष्य से नहीं, परमेश्वर के पवित्र आत्मा से झूठ बोला है, और तुरंत मृत्यु ने उन्हें ले लिया।

प्रभु की इच्छा थी कि उसकी नयी कलीसिया (चर्च) पवित्र रहे जिससे वह उस कलीसिया के विश्वासियों को दूसरों तक प्रभु के जीवन को पहुंचाने के लिये प्रयोग कर सके। बाइबल शिक्षक कैम्पबल मौरगन का कहना है कि "पवित्र कलीसिया ही सामर्थी कलीसिया है.... कलीसिया की पवित्रता केवल कलीसिया में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के निवास और सामर्थ से होती है।" कलीसिया की पवित्रता द्वारा ही उनकी गवाही अन्य लोगों तक पहुंची जिससे "विश्वास करने वाले बहुतेरे पुरूष और स्‍त्रियां प्रभु की कलीसिया में और भी अधिक आकर मिलते रहे।" (प्रेरितों ५:१४)

हम ऐसे लोग बनें जो ईमानदारी से काम करते हों (नीतिवचन १२:२२) जिससे प्रभु हमारा उपयोग कर सके। - एनी सेटास

ईमानदारी के कोई दर्जे नहीं होते।


झूठों से यहोवा को घृणा आती है परन्तु जो विश्वास से काम करते हैं, उन से वह प्रसन्न होता है। - नीतिवचन १२:२२

बाइबल पाठ: प्रेरितों ५:१-११

और हनन्याह नाम एक मनुष्य, और उस की पत्‍नी सफीरा ने कुछ भूमि बेची।
और उसके दाम में से कुछ रख छोड़ा, और यह बात उस की पत्‍नी भी जानती थी, और उसका एक भाग लाकर प्ररितों के पावों के आगे रख दिया।
परन्‍तु पतरस ने कहा, हे हनन्याह! शैतान ने तेरे मन में यह बात क्‍यों डाली है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले, और भूमि के दाम में से कुछ रख छोड़े?
जब तक वह तेरे पास रही, क्‍या तेरी न थी और जब बिक गई तो क्‍या तेरे वश में न थी? तू ने यह बात अपने मन में क्‍यों विचारी? तू मनुष्यों से नहीं, परन्‍तु परमेश्वर से झूठ बोला।
ये बातें सुनते ही हनन्याह गिर पड़ा, और प्राण छोड़ दिए, और सब सुनने वालों पर बड़ा भय छा गया।
फिर जवानों ने उठ कर उसकी अर्थी बनाई और बाहर ले जाकर गाड़ दिया।
लगभग तीन घंटे के बाद उस की पत्‍नी, जो कुछ हुआ था न जान कर, भीतर आई।
तब पतरस ने उस से कहा मुझे बता क्‍या तुम ने वह भूमि इतने ही में बेची थी? उस ने कहा हां, इतने ही में।
पतरस ने उस से कहा यह क्‍या बात है, कि तुम दोनों ने प्रभु की आत्मा की परीक्षा के लिये एका किया है? देख, तेरे पति के गाड़ने वाले द्वार ही पर खड़े हैं, और तुझे भी बाहर ले जाएंगे।
तब वह तुरन्‍त उसके पांवों पर गिर पड़ी, और प्राण छोड़ दिए: और जवानों ने भीतर आकर उसे मरा पाया, और बाहर ले जाकर उसके पति के पास गाड़ दिया।
और सारी कलीसिया पर और इन बातों के सब सुनने वालों पर, बड़ा भय छा गया।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १०-१२
  • २ कुरिन्थियों ४

शुक्रवार, 10 सितंबर 2010

उपेक्षित स्थान

हमने सपरिवार छुट्टी मनाने के लिये एक झील के किनारे एक घर किराये पर लिया। छुट्टी का अपना सप्ताह आराम से बिताने के लिये हम बड़े उत्सुक्त थे। जब हम उस घर में पहुंचे तो मेरी पत्नी ने वहां मकड़ियां और चूहों के होने के चिन्ह देखे। ऐसा नहीं है कि हमने पहले कभी इनका सामना नहीं किया था, पर हमारी उम्मीद थी कि हमारे आने से पहले वह घर साफ करके हमारे रहने के लिये तैयार किया जायेगा। परन्तु इस की अपेक्षा उस घर की अलमारियां, मेज़, बिस्तर आदि इन जीवों की गन्दगी से भरे हुए थे और इससे पहले कि हम उसमें रहने पाते, हमें उसे साफ करने में काफी वक्त बिताना पड़ा। घर तो बुरा नहीं था, बस केवल उसकी देख रेख ठीक नहीं हुई थी।

जैसे उस घर की उपेक्षा करी गई, हम भी अपने मन की उपेक्षा करने के ऐसे ही दोषी हो सकते हैं। हमारे मन के उपेक्षित स्थान बुरी बातों, गलत सोच, गलत प्रवृत्तियों और पापमय व्यवहार के पनपने और पलने के स्थान बन सकते हैं, जिन्हें बाद में ठीक करने के लिये बहुत ध्यान की आवश्यक्ता पड़ती है। अकलमंदी इसी में है कि हम परमेश्वर के वचन द्वारा अपने मन को संवार कर रखने की आवश्यक्ता को समझें और उस वचन के सत्य में बने रहें।

भजन ११९:११ में भजनकार ने परमेश्वर के वचन पर आधारित जीवन न बनाने के खतरे को समझा और कहा "मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।"

परमेश्वर के वचन पर ध्यान बनाये रखने से हम अपने आत्मिक जीवन दृढ़ बना सकते हैं, जो फिर उपेक्षित स्थान होने के खतरों से बचे रहेंगे। - बिल क्राउडर


आत्मिक सामर्थ प्राप्त करने और उसमें बढ़ने के लिये परमेश्वर के वचन का नित्य अध्ययन कीजीये।

मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं। - भजन ११९:११


बाइबल पाठ: भजन ११९:९-१६

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं, मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरूद्ध पाप न करूं।
हे यहोवा, तू धन्य है, मुझे अपनी विधियां सिखा!
तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।
मैं तेरी विधियों से सुख पाऊंगा और तेरे वचन को न भूलूंगा।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ८, ९
  • २ कुरिन्थियों ३

गुरुवार, 9 सितंबर 2010

धनवान बनना

मुझे यह रोचक लगता है कि प्रभु यीशु ने धन के बारे में जितनी शिक्षाएं दीं, उतनी अन्य किसी विष्य के बारे में नहीं दीं, और यह तब जब कि उसका उद्देश्य कभी पृथ्वी पर कोई खज़ाना भरने का नहीं था। जहां तक हम जानते हैं, उसने अपने लिये कभी कोई भेंट उठाने को भी नहीं कहा। धन के बारे में उसका इतनी अधिक शिक्षा देने का विशेष कारण था - वह जानता था कि धन कमाने के लिये बहुत मेहनत करना या बहुत धन की लालसा रखना, दोनों ही हमारी आत्मिक जीवन के लिये हनिकारक हैं।

उस मनुष्य के बारे में सोचिये जिसने उदण्डता पूर्वक यीशु से कहा "... हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे" (लूका १२:१३)। अद्भुत है, उस मनुष्य के पास यीशु के साथ गहरा संबंध बनाने का अवसर था, किंतु उसे केवल अपनी जेब गहरी करने ही की चिंता थी!

प्रभु यीशु ने भी उसे चौंका देने वाले कठोर अन्दाज़ में उत्तर दिया "उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है? और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता" (लूका १२:१४, १५)। फिर यीशु ने उन्हें उस धनी व्यक्ति का दृष्टांत कहा जो सांसारिक रीति से तो बहुत धनी और कमयाब था - उसके खेतों में इतनी उपज हुई थी कि उसे बड़े खत्ते बनाने की आवश्यक्ता पड़ गई थी; परन्तु परमेश्वर की दृष्टि में वह "मूर्ख" था - इसलिये नहीं कि वह धनी था, वरन इसलिये कि वह परमेश्वर के प्रति धनी नहीं था।

संसार से आप धनवान बनने के लिये बहुत तरह की सलाह और शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, पर केवल यीशु ही है जो आपसे खरी बात दो टूक कहता है - आवश्यक्ता सांसारिक रीति से धनवान होने की नहीं है, वरन यीशु के साथ बहुमूल्य संबंध बनाने और अपने लालच को उदारता में बदलने की है। - जो स्टोवैल


परमेश्वर के प्रति धनवान होने से अनन्त लाभ मिलता रहता है।

चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता - लूका १२:१५

बाइबल पाठ: लूका १२:१३-२१

फिर भीड़ में से एक ने उस से कहा, हे गुरू, मेरे भाई से कह, कि पिता की संपत्ति मुझे बांट दे।
उस ने उस से कहा हे मनुष्य, किस ने मुझे तुम्हारा न्यायी या बांटने वाला नियुक्त किया है?
और उस ने उन से कहा, चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्‍योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायत से नहीं होता।
उस ने उन से एक दृष्‍टान्‍त कहा, कि किसी धनवान की भूमि में बड़ी उपज हुई।
तब वह अपने मन में विचार करने लगा, कि मैं क्‍या करूं, क्‍योंकि मेरे यहां जगह नहीं, जहां अपनी उपज इत्यादि रखूं।
और उस ने कहा मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;
और वहां अपना सब अन्न और संपत्ति रखूंगा: और अपने प्राण से कहूंगा, कि प्राण, तेरे पास बहुत वर्षों के लिये बहुत संपत्ति रखी है; चैन कर, खा, पी, सुख से रह।
परन्‍तु परमेश्वर ने उस से कहा हे मूर्ख, इसी रात तेरा प्राण तुझ से ले लिया जाएगा: तब जो कुछ तू ने इकट्ठा किया है, वह किस का होगा?
ऐसा ही वह मनुष्य भी है जो अपने लिये धन बटोरता है, परन्‍तु परमेश्वर की दृष्‍टि में धनी नहीं।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ६, ७
  • २ कुरिन्थियों २

बुधवार, 8 सितंबर 2010

ढाढ़स देने के लिये ढाढ़स पाना

कुछ मसीही खिलाड़ियों से मैंने पूछा कि कठिनाईयों का सामना करते में उनकी स्वभाविक प्रतिक्रीया क्या होती है? उनके उत्तरों में भय, क्रोध, आत्मग्लानि, आक्रमण, निराशा, गाली-गलौज का व्यवहार, उदासीनता, परमेश्वर की ओर मुड़ना आदि प्रतिक्रीयाएं सम्मिलित थीं। मैं ने उन्हें प्रोत्साहित किया कि हर कठिनाई में परमेश्वर उन्हें ढाढ़स देगा और फिर उन्हें दूसरों को ढाढ़स देने के लिये प्रयोग करेगा।

जैसे मैंने उन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया, कुरिन्थुस शहर में पौलूस ने भी विश्वासियों को प्रोत्साहित किया। उसने उन्हें स्मरण दिलाया कि मसीह के विश्वासियों के लिये क्लेश अवश्यंभावी हैं। उनमें से कई, मसीह के साथ अपने संबंध के कारण, क्लेशों से निकल रहे थे; कोई ताड़ना सह रहा था, कोई निर्दयता और सताव में होकर निकल रहा था तो कोई बन्दीगृह में डाला गया था। पौलुस चाहता था कि वे यह बात जानें कि उनके क्लेशों में परमेश्वर उनके साथ था और उनका मददगार था, जिससे इन क्लेशों में उनका प्रत्युत्तर सांसारिक नहीं वरन ईश्वरीय स्वभाव के अनुसार हो। फिर पौलुस ने परमेश्वर द्वारा उन पर इन क्लेशों के आने की अनुमति और क्लेशों में ईश्वरीय शांति प्राप्त होने एक कारण उन्हें बताया - जिससे कुरिन्थुस के वे विश्वासी दूसरों के क्लेशों में उन से सहानुभूति रख सकें और उन क्लेशों में उन्हें ढाढ़स दे सकें। (२ कुरिन्थियों १:४)

जब हम क्लेशों से होकर निकलते हैं तो स्मरण रखें कि परमेश्वर अपने वचन, अपने आत्मा और हमारे सहविश्वासियों के द्वारा हमें ढाढ़स देगा, इसलिये नहीं कि हम आराम से रहें, वरन इसलिये कि जब हम परमेश्वर से ढाढ़स पाते हैं तो दूसरों को भी ढाढ़स देने वाले हों। - मार्विन विलियम्स


जब परमेश्वर प्रीक्षाएं आने देता है तब अपनी शांति भी देता है।

वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों। - २ कुरिन्थियों १:४

बाइबल पाठ: २ कुरिन्थियों १:३-११

हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर, और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता, और सब प्रकार की शान्‍ति का परमेश्वर है।
वह हमारे सब क्‍लेशों में शान्‍ति देता है, ताकि हम उस शान्‍ति के कारण जो परमेश्वर हमें देता है, उन्‍हें भी शान्‍ति दे सकें, जो किसी प्रकार के क्‍लेश में हों।
क्‍योंकि जैसे मसीह के दुख हम को अधिक होते हैं, वैसे ही हमारी शान्‍ति भी मसीह के द्वारा अधिक होती है।
यदि हम क्‍लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति और उद्धार के लिये है और यदि शान्‍ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्‍ति के लिये है; जिस के प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्‍लेशों को सह लेते हो, जिन्‍हें हम भी सहते हैं।
और हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है, क्‍योंकि हम जानते हैं, कि तुम जैसे दुखों, के वैसे ही शान्‍ति के भी सहभागी हो।
हे भाइयों, हम नहीं चाहते कि तुम हमारे उस क्‍लेश से अनजान रहो, जो आसिया में हम पर पड़ा, कि ऐसे भारी बोझ से दब गए थे, जो हमारी सामर्थ से बाहर था, यहां तक कि हम जीवन से भी हाथ धो बैठे थे।
वरन हम ने अपने मन में समझ लिया था, कि हम पर मृत्यु की आज्ञा हो चुकी है कि हम अपना भरोसा न रखें, वरन परमेश्वर का जो मरे हुओं को जिलाता है।
उसी ने हमें ऐसी बड़ी मृत्यु से बचाया, और बचाएगा, और उस से हमारी यह आशा है, कि वह आगे को भी बचाता रहेगा।
और तुम भी मिलकर प्रार्थना के द्वारा हमारी सहायता करोगे, कि जो वरदान बहुतों के द्वारा हमें मिला, उसके कारण बहुत लोग हमारी ओर से धन्यवाद करें।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन ३-५
  • २ कुरिन्थियों १

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

निरुत्तर प्रार्थनाएं

प्रार्थना का उत्तर न मिलने का एक कारण जो अकसर दिया जाता है वह है प्रार्थना मांगने वाले के विश्वास की घटी। परन्तु यीशु ने लूका १७:६ में चेलों से कहा "कि यदि तुम को राई के दाने के बराबर भी विश्वास होता, तो तुम इस तूत के पेड़ से कहते कि जड़ से उखड़कर समुद्र में लग जा, तो वह तुम्हारी मान लेता।" कहने का तातपर्य था कि प्रार्थना का प्रभावी होना विश्वास की मात्रा पर नहीं वरन विश्वास की मौजूदगी पर निर्भर है।

लूका एक रोमी सूबेदार के बारे में बताता है कि जो "बड़ा विश्वासी" था (लूका ७:९)। उसके विश्वास के बड़े होने का प्रगटीकरण सबसे पहले प्रभु यीशु से उसके बीमार दास को चंगा करने की विनती से हुआ, फिर इस बात से कि उसने माना कि यीशु कहीं से भी और कभी भी उसके सेवक को चंगा कर सकता है। उस सूबेदार ने अपनी इच्छा के अनुसार करने के लिये यीशु को मजबूर नहीं किया।

विश्वास की एक परिभाषा है "परमेश्वर की सामर्थ और उसके मन पर भरोसा रखना।" कुछ प्रार्थनाओं के निरुत्तर रहने का कारण हो सकता है कि परमेश्वर ने अपने प्रेम में हमारी इच्छाओं को खारिज कर दिया, क्योंकि वह जानता है कि जो हमने मांगा उसमें हमारी भलाई नहीं है; अथवा हो सकता है कि प्रार्थना में मांगी गई बात के लिये हमारे और परमेश्वर के समय में अन्तर हो; या यह भी हो सकता है कि परमेश्वर हमारे लिये उससे भी कुछ अधिक और अच्छा चाहता है, इसलिये जो हमने मांगा वह न देकर अपने समय में मांगे हुए से भी उत्तम देगा। हमें नहीं भूलना चाहिये कि प्रभु यीशु ने भी प्रार्थना करी कि "...मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।" (लूका २२:४२)

क्या हमारा विश्वास उस सूबेदार के समान बड़ा है - ऐसा विश्वास जो परमेश्वर को उसका काम उस ही के तरीके से करने देता है? - सी. पी. हिया


परमेश्वर के उत्तर हमारी प्रार्थनाओं से अधिक समझदार हैं।

यह सुनकर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेरकर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही यी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया। - लूका ७:९



बाइबल पाठ: लूका ७:१-१०

जब वह लोगों को अपनी सारी बातें सुना चुका, तो कफरनहूम में आया।
और किसी सूबेदार का एक दास जो उसका प्रिय था, बीमारी से मरने पर था।
उस ने यीशु की चर्चा सुनकर यहूदियों के कई पुरिनयों को उस से यह बिनती करने को उसके पास भेजा, कि आकर मेरे दास को चंगा कर।
वे यीशु के पास आकर उस से बड़ी बिनती करके कहने लगे, कि वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे।
क्‍योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।
यीशु उन के साथ साथ चला, पर जब वह घर से दूर न था, तो सूबेदार ने उसके पास कई मित्रों के द्वारा कहला भेजा, कि हे प्रभु दुख न उठा, क्‍योंकि मैं इस योग्य नहीं, कि तू मेरी छत के तले आए।
इसी कारण मैं ने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊं, पर वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा।
मैं भी पराधीन मनुष्य हूं, और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूं, जा, तो वह जाता है, और दूसरे से कहता हूं कि आ, तो आता है; और अपने किसी दास को कि यह कर, तो वह उसे करता है।
यह सुन कर यीशु ने अचम्भा किया, और उस ने मुंह फेर कर उस भीड़ से जो उसके पीछे आ रही थी कहा, मैं तुम से कहता हूं, कि मैं ने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।
और भेजे हुए लोगों ने घर लौट कर, उस दास को चंगा पाया।

एक साल में बाइबल:
  • नीतिवचन १, २
  • १ कुरिन्थियों १६