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बुधवार, 22 जून 2011

पूरा करने वाला

प्रत्येक मेहनतकश किसी कार्य को भली भांति पूरा करने में गर्व महसूस करता है; यह विचार मुझे तब आया जब मैं अपने एक मित्र के पास उसके निर्माणाधीन मकान को देखने गया। घर की नींव रखी गई थी, दीवारें बन गई थीं, छत डाल दी गई थी और बिजली के तार तथा पानी के पाइप यथास्थान बिछा कर लगा दिये गए थे। लेकिन यह ढांचा अभी घर कहलाने लायक नहीं था; वहाँ काम को पूरा करने वालों की आवश्यक्ता थी। बिना लकड़ी का कार्य करने वालों, अलमारियां बनाने वालों, दीवारों पर रंग की पुताई करने वालों, कालीन बिछाने वालों और मकान की भीतरी सजावट करने वालों के वह मकान अधूरा था। उस ढांचे को घर बनाने के लिए पूरा करने वाले चाहिए थे।

ऐसा लगता है कि भजन ७७ के भजनकार को भी अपने जीवन में अधूरेपन का एहसास हुआ, उसे लगा कि जैसे परमेश्वर ने उसके जीवन मे अपना कार्य रोक दिया है, क्योंकि भजनकार व्याकुलता के साथ कहता है, "क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उस ने क्रोध करके अपनी सब दया को रोक रखा है?" (भजन ७७:९)। कभी कभी अपने जीवनों में हमें भी ऐसा लग सकता है। हमें प्रतीत होगा कि शायद हमारे जीवन से संबंधित योजनाओं पर रोक लग गई है, उन्हें बन्द करके पीछे रख दिया गया है और हमारे जीवन में परमेश्वर का कार्य रुक गया है। लेकिन परमेश्वर कभी अपनी सन्तान के जीवन में अपने कार्य को नहीं रोकता, अपने समयानुसार वह हमें तराशता और संवारता रहता है।

परमेश्वर ने अपनी सन्तान के जीवन में अपने कार्य को जारी रखने के लिए हमें अपना पवित्र आत्मा दिया है, जो प्रत्येक मसीही विश्वासी के अन्दर निवास करता है और हमारा सहायक है। परमेश्वर के आत्मा का हमें पवित्र करने का कार्य मसीह में हमारे विश्वास लाने के क्षण से आरंभ होता है और जैसे जैसे हम अपने "विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर" देखते रहते हैं, उसकी आज्ञाकारिता में रहते हैं, पवित्र आत्मा का कार्य भी हमारे जीवनों में सिद्ध होता जाता है। हमारे जीवनों में पाप आकर इस कार्य को अवरोधित तो कर सकता है परन्तु रोक नहीं सकता, क्योंकि पवित्र आत्मा तब हमें पाप के लिए कायल करके उसके लिए क्षमा माँगने को प्रेरित करता है, और जैसे ही हम यह करते हैं, उसका कार्य फिर से आरंभ हो जाता है। परमेश्वर का कोई कार्य अधूरा कभी नहीं रहता। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वासन देता है कि "मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा भी करेगा" (फिलिप्पियों १:६)।

परमेश्वर ने हमारे जीवन में "पूरा करने वाला" अपना पवित्र आत्मा हमें दिया है, अब हमारा कर्तव्य है उसके साथ संगति और आज्ञाकारिता में बने रहना, शेष वह करेगा। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर के साथ कदम मिलाए रखिये; उसने आपके जीवन मार्ग के हर कदम की योजना निर्धारित कर रखी है।

और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर से ताकते रहें... - इब्रानियों १२:२


बाइबल पाठ: इब्रानियों १२:१-४

Heb 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।
Heb 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर से ताकते रहें; जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
Heb 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया, कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।
Heb 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर ६-८
  • प्रेरितों ६

मंगलवार, 21 जून 2011

अधूरा

कभी कभी जब मैं समुद्र तट पर सैर के लिए जाता हूँ तो रेत के बने कई अधूरे किले दिखाई देते हैं। संभवतः उन्हें बनाने वालों का ध्यान किसी दूसरी चीज़ की ओर आकर्शित हो गया होगा और उन्होंने अपना यह प्रयास अधूरा ही छोड़ दिया, और किसी अन्य बात में व्यस्त हो गए। अधूरे चित्र, अधूरी कलाकृतियाँ, अधूरे मकान, अधूरे लेख आदि सब गवाह हैं मनुष्य के बातों को अधूरा छोड़ देने की पृवर्त्ति के।

अपनी पुस्तक Intercepted Letters में विलियम मार्शल लिखते हैं, "एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो स्वभाव से हर चीज़ को पूरा करना और पूरे होते देखना चाहता है यह अधूरेपन की पृवर्त्ति कितनी परेशान कर देने वाली होती है और प्रश्न उठाती है कि ये अधूरे टुकड़े कितने अधूरे जीवनों के भाग हैं? ऐसा अधूरेपन की पृवर्त्ति वाले व्यक्ति को अपने आप से पूछना चाहिए, ’अपने जीवन के परिश्रम को दिखाने के लिए मेरे पास क्या है?’ ऐसे में बस हम यही भरोसा रख सकते हैं कि हमारा परमेश्वर हमारे अधूरे प्रयासों को लेकर अपनी सिद्धता और परिपूर्णता में उन्हें ढाँप लेगा क्योंकि वह कुछ अधूरा नहीं छोड़ता, वह कभी चूक नहीं सकता।"

परमेश्वर और मनुष्यों में कितना बड़ा अन्तर है! सृष्टिकर्ता जो आरंभ करता है, उसे अवश्य पूरा भी करता है। उसकी सभी कारीगरी, बीते अनन्त में योजनाबद्ध हुई, समय के साथ आरंभ हुई और समय की पूर्ति के साथ भविष्य के अनन्त के लिए पूरी भी हो जाएगी और तब उसका हर एक विश्वासी, उस ही के स्वरूप में बदला हुआ होगा।

आज हम मसीह की समानता में आने और बढ़ने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन यह निश्वित है कि एक दिन हम अपने इस लक्षय तक पहुँच भी जाएंगे; क्योंकि परमेश्वर स्वयं अपने हर एक विश्वासी को तराश रहा है, अपने पुत्र की समानता में ढाल रहा है और जो उसने आरंभ किया है उसे वह पूरा भी करेगा क्योंकि वह कुछ अधूरा नहीं छोड़ता।

यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो निराश होकर हार कभी न माने, क्योंकि परमेश्वर आप में निरंतर कार्यरत है और आपको सम्पूर्णतः मसीह की समान्ता में ढाले बगैर वह आपको कभी अधूरा नहीं छोड़ेगा। आपका भविष्य आपकी किसी भी कलपना से भी कहीं अधिक महिमामय है। - पौल वैन गोर्डर


पापी का मन परिवर्तन क्षण भर में होने वाला आश्चर्यकर्म है; पापी से सन्त बनने की प्रक्रिया जीवन भर की मेहनत है।

और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१-११

Php 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में होकर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Php 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Php 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Php 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्‍द के साथ बिनती करता हूं।
Php 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से लेकर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Php 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Php 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्‍योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Php 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति करके तुम सब की लालसा करता हूं।
Php 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Php 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्‍चे बने रहो और ठोकर न खाओ।
Php 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर ३-५
  • प्रेरितों ५:२२-४२

सोमवार, 20 जून 2011

निरंतर बढ़ते रहो

एक सुहाने दिन मैंने और मेरे ३ मित्रों ने पास की नदी के किनारे किनारे ५ मील के पैदल सफर का निर्णय लिया। हमारे सफर के अन्त स्थल पर हमारे अन्य मित्रों को हमारी बाट जोहनी थी और हमें उन से जा कर मिलना था। हम ने बड़े उत्साह और सामर्थ से अपना सफर आरंभ किया, फिर कुछ देर के बाद नदी के मोड़ों के साथ पगडंडी भी टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ होने लगी और हमारा सफर कुछ जटिल हो गया। जब हम और आगे बढ़ए तो कहीं हमें तट से ऊपर चढ़ना पड़ा तो कहीं हमें नदी किनारे की फिसलन, कीचड़ और खर-पतवार से होकर बहुत संभल संभल कर निकलना पड़ा। हमारे शरीर थकने लगे थे और अब हमें निश्चित भी नहीं हो पा रहा था कि हमें और कितना आगे जाना है तथा आगे का मार्ग कैसा होगा। लेकिन बस इस एक खयाल ने हमें आगे बढ़ने के लिए तत्पर किया कि यात्रा के अन्तिम स्थान पर हमारे मित्र हमारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, और हम आगे बढ़ते ही रहे।

यात्रा के अनत में जब हम बैठ कर सुस्ता रहे थे तो इस यात्रा और हमारी मसीही जीवन की यात्रा में हमें कई समानान्तर दीख पड़े और हम मित्रों ने बैठे बैठे इनकी चर्चा आपस में करी। साधारणत्या हम अपना मसीही जीवन का सफर अपने उद्धार के अनुभव के साथ बड़े उत्साह से करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, बहुत कुछ करना चाहते हैं। कुछ देर के बाद जीवन के उतार चढ़ाव, समस्याएं और प्रलोभन हमारे मसीही विश्वास के रास्तों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देते हैं। अपने विश्वास में उतम स्तर बनाए रखने कि बजाए साधारण स्तर से ही संतुष्ट होने के दलदल, सांसारिक उपलब्धियों को पाने के झाड़-झंकाड़ और घमंड की फिसलन भी हमारे आगे बढ़ने में बाधाएं बनते हैं। कभी कभी हमें समझ में नहीं आता कि हमारे आगे क्या आने वाला है, परिस्थितियों की अनिश्चितता हमें निराशा की ओर धकेलेती है। लेकिन फिर भी हम एक बात दृढ़ता और पूरे विश्वास से जानते हैं कि हमारे सफर के अन्त में परमेश्वर के साथ महिमामयी अनन्तता और हमारा उद्धारकर्ता प्रभु हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और यह तथ्य हमें धीरज के साथ अपनी यह यात्रा पूरी करने को प्रेरित करते हैं।

हम सभी को निराशा और थकान का सामना करना पड़ता है; कितनी ही बार हमें लगता है कि कितना अच्छा हो यदि हम जहाँ हैं बस वहीं पड़े रहें, अब और कुछ करने की आवश्यक्ता नहीं है। जब प्रलोभन आते हैं तो वह समय होता है आत्मा की सामर्थ की एक लंबी साँस भर लेने का और दृढ़ निश्च्य के साथ निरंतर कदम आगे बढ़ाने का, स्मरण करके कि अन्त में एक महिमामयी और अति उत्तम प्रतिफल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। - डेव एग्नर


जब निराश होकर छोड़ देने का प्रलोभन आए तब स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाना।

इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। - इब्रानियों १२:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:३२-३९

Heb 10:32 परन्‍तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Heb 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Heb 10:34 क्‍योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्‍द से लुटने दी, यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Heb 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्‍योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Heb 10:36 क्‍योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्‍छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Heb 10:37 क्‍योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Heb 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Heb 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर १, २
  • प्रेरितों ५:१-२१

रविवार, 19 जून 2011

दृढ़ निश्चय

एक मसीही सेवक कुछ समय से एक चर्च में पास्टर का कार्य कर रहा था, लेकिन उसकी सेवकाई और मेहनत का कोई विषेश प्रभाव उसे चर्च की मण्डली में दिखाई नहीं दे रह था और वह निराश होने लगा। एक रात उसे एक स्वप्न दिखाई दिया जिसमें वह एक घन द्वारा एक भारी चट्टान को तोड़ने का प्रयत्न कर रहा है। घंटों की लगातार मेहनत और पूरी सामर्थ से किए गए प्रहारों के बावजूद उस चट्टान पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया, और थक कर उसने निराशा से कहा, "इसमें कोई फायदा नहीं, मैं इस काम को छोड़ रहा हूँ" और घन नीचे रखने लगा। तभी एक व्यक्ति उसके पास आकर खड़ा हो गया और उससे पूछा, "क्या तुम्हें इसी कार्य के लिए नियुक्त नहीं किया गया था? तुम क्यों अपनी ज़िम्मेवारी से मुँह मोड़ रहे हो?" सेवक ने उत्तर दिया, "श्रीमन, यह कार्य व्यर्थ है; इतनी मेहनत के बाद भी इस चट्टान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अब क्यों और व्यर्थ इसमें अपनी ताकत और समय गवाऊँ?" व्यक्ति ने उत्तर दिया, "यह सब सोचना तुम्हारा कार्य नहीं है। जिसने तुम्हें यह ज़िम्मेदारी दी, वह इस सब के बारे में जानता है; उसे तुम्हारी योग्यता और सामर्थ भी पता है तथा इस चट्टान की मज़बूती भी। बस सौंपा गया कार्य करो भली-भाँति करो, परिणाम की चिंता मत करो। चलो निराशा छोड़ो और अपने काम में पुनः लग जाओ।" उस व्यक्ति के कहने से सेवक ने घन फिर से उठाकर उस चट्टान पर भरपूर प्रहार किया, अब कि बार के एक ही प्रहार से चट्टान टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गई। वह चौंक कर जाग उठा; उसे मार्ग मिल गया था, वह अपने कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण सबक अब सीख चुका था।

यदि परमेश्वर ने हमें किसी कार्य पर नियुक्त किया है, तो वह हमारी क्षमता और योग्यता तथा कार्य की आवश्यक्ताएं हम से बेहतर जानता है। उसके चुनाव और नियुक्ति में कोई गलती नहीं हो सकती, इसलिए निराश होकर उसके कार्य को अधूरा छोड़ देना हमारे लिए विकल्प कभी नहीं हो सकता। अपने जीवन की ’चट्टानें’ हमें लोहे से भी अधिक मजबूत लग सकती हैं, लेकिन हमें अपने प्रयास में लगे रहना हैं क्योंकि परमेश्वर के समय और विधि में वे अवश्य ही टूट जाएंगी। निराशा और हताश होकर हार मानवा लेना शैतान के हथियार हैं। ऐसा कोई मसीही सेवक नहीं है जिन्हें इन परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा हो, लेकिन वे ही कामयाब हुए और उन्होंने ही प्रतिफल पाया, जो दृढ़ निश्चय और दृढ़ विश्वास के साथ परमेश्वर द्वारा सौंपे गए कार्य में सन्लग्न रहे।

जब हम निराश और असंभव प्रतीत होने वाली परिस्थितियों में हों, तो ऐसे में हमारे विश्वास का प्रमाण हमारा दृढ़ निश्चय के साथ कार्यरत रहना ही है। - डेनिस डी हॉन


दृढ़ता से कार्य पर डटे रहना केवल मज़बूत मनोबल से ही नहीं होता, वरन उसके साथ उतनी ही मज़बूती से निराशा का इनकार भी करना होता है।

हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। - गलतियों ६:९


बाइबल पाठ: गलतियों ६:९-१८

Gal 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Gal 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।
Gal 6:11 देखो, मैं ने कैसे बड़े बड़े अक्षरों में तुम को अपने हाथ से लिखा है।
Gal 6:12 जितने लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे तुम्हारे खतना करवाने के लिये दबाव देते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएं।
Gal 6:13 क्‍योंकि खतना कराने वाले आप तो, व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना कराना इसलिये चाहते हैं, कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्‍ड करें।
Gal 6:14 पर ऐसा न हो, कि मैं और किसी बात का घमण्‍ड करूं, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूं।
Gal 6:15 क्‍योंकि न खतना, और न खतनारिहत कुछ है, परन्‍तु नई सृष्‍टि।
Gal 6:16 और जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्‍त्राएल पर, शान्‍ति और दया होती रहे।
Gal 6:17 आगे को कोई मुझे दुख न दे, क्‍योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूं।
Gal 6:18 हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह १२, १३
  • प्रेरितों ४:२३-३७

शनिवार, 18 जून 2011

प्रयासरत रहिए

एक लघु कथा है, दो मेंढक किसी घर में घुस आए और यहाँ-वहाँ फुदकते हुए घूमने लगे। फुदकते हुए वे एक गहरे पात्र में गिर पड़े जिसमें मलाई रखी हुई थी। उन्होंने बाहर निकलने बहुत की कोशिश करी लेकिन मलाई की फिसलन और पात्र की गहराई के कारण न निकल सके। उनमें से एक ने मलाई में डूब जाने द्वारा अपना अन्त निकट देखकर अपने मित्र से अलविदा कहा, लेकिन दूसरे ने कहा, मैंने अभी हार नहीं मानी है। मैं बाहर निकलने का अपना प्रयास तब तक जारी रखुंगा जब तक मैं अपने अंग चला सकता हूँ। और यह कहकर वह पात्र में चारों ओर तैरने लगा और फुदककर बहर जाने का सतत प्रयास करने लगा। थोड़ी देर में उसका हताश मित्र तो अपने कहे अनुसार मलाई में डूब गया, किंतु इस मेंढक के प्रयास से मथ कर मलाई से मक्खन अलग होने लगा। और कुछ देर के प्रयास के बाद, मलाई के उपर मक्खन का एक बन्धा हुआ डला तैरने लगा। मेंढक फुदककर उसपर जा बैठा, फिर कुछ देर आराम करके उसने मक्खन पर से पात्र के बाहर की ओर छलांग लगाई और पात्र से बाहर हो गया। कहानी का सन्देश यही है कि यदि किसी परिस्थिति से बचने का तुरंत मार्ग ना भी मिले फिर भी अपने प्रयास में ढीले न पड़ें।

बहुत से लोग अपने लक्ष्य को पाने में इसीलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि वे विपरीत परिस्थितियों से निराश और हताश होकर हार मान लेते हैं, अपने प्रयास छोड़ देते हैं और लक्ष्य के निकट होते हुए भी असफल रह जाते हैं। नहेम्याह ने जब परमेश्वर की आज्ञानुसार उजड़े हुए यरुशलेम जाकर उसे फिर से ठीक करने कि ठानी तो उसे बहुत निराशाओं और प्रतिरोधियों का सामना करना पड़ा, किंतु वह अपने प्रयास में ढीला नहीं हुआ और न ही अपने साथ कार्य करने वालों को निराशा में पड़ने दिया (नहेम्याह २-६)। उनके सतत प्रयास और फलस्वरूप परमेश्वर से मिली सुरक्षा और सहायता से, केवल बावन दिनों में नगर की शहरपनाह बन कर तैयार हो गई जो किसी की भी कलपना से भी परे था; और उनके विरोधी जान गए कि यह परमेश्वर की ओर से हुआ है (नहेम्याह ६:१५)।

प्रभु यीशु ने अपने चेलों को चिताया, "जिस ने मुझे भेजा है, हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आने वाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता" (यूहन्ना ९:४)। जब हम परमेश्वर के कार्य में लगते हैं तो शैतान अवश्य विरोध करता है और विपरीत परिस्थितियाँ, मुश्किलें और सताव लेकर आता है। पतरस प्रेरित ने लिखा "सचेत हो, और जागते रहो, क्‍योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए" (१ पतरस ५:१८); पौलुस प्रेरित ने कहा, "पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे" (२ तिमुथियुस ३:१२)। परमेश्वर का वचन हमें बार बार चिताता है कि शैतान के इन हमलों से निराश होकर हम अपने प्रयास न छोड़ दें क्योंकि प्रभु यीशु ने हमें पहले से बता रखा है कि हमारे विश्वास के कारण शैतान हम पर कैसे आक्रमण करेगा "ये बातें मैं ने तुम से इसलिये कहीं कि तुम ठोकर न खाओ। वे तुम्हें आराधनालयों में से निकाल देंगे, वरन वह समय आता है, कि जो कोई तुम्हें मार डालेगा यह समझेगा कि मैं परमेश्वर की सेवा करता हूं।" (युहन्ना १६:१, २); लेकिन साथ ही प्रभु का कभी न टलने वाला आश्वासन भी है कि "जो दु:ख तुझ को झेलने होंगे, उन से मत डर: क्‍योंकि देखो, शैतान तुम में से कितनों को जेलखाने में डालने पर है ताकि तुम परखे जाओ...प्राण देने तक विश्वासी रह तो मैं तुझे जीवन का मुकुट दूंगा" (प्रकाशितवाक्य २:१०)।

"धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है, क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।" (याकूब १:१२)

यदि परमेश्वर से जीवन का मुकुट चाहते हैं तो उसके कार्यों में सदा प्रयासरत रहिए। - रिचर्ड डी हॉन


निरंतर प्रयास ही सफल्ता की कुंजी है।

सब बातों का अन्‍त तुरन्‍त होने वाला है इसलिये संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। - १ पतरस ४:७

बाइबल पाठ: १ पतरस ४:१२-१९; ५:६-११
1Pe 4:12 हे प्रियों, जो दुख रूपी अग्‍नि तुम्हारे परखने के लिये तुम में भड़की है, इस से यह समझ कर अचम्भा न करो कि कोई अनोखी बात तुम पर बीत रही है।
1Pe 4:13 पर जैसे जैसे मसीह के दुखों में सहभागी होते हो, आनन्‍द करो, जिस से उसकी महिमा के प्रगट होते समय भी तुम आनन्‍दित और मगन हो।
1Pe 4:14 फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो क्‍योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है।
1Pe 4:15 तुम में से कोई व्यक्ति हत्यारा या चोर, या कुकर्मी होने, या पराए काम में हाथ डालने के कारण दुख न पाए।
1Pe 4:16 पर यदि मसीही होने के कारण दुख पाए, तो लज्ज़ित न हो, पर इस बात के लिये परमेश्वर की महिमा करे।
1Pe 4:17 क्‍योंकि वह समय आ पहुंचा है, कि पहिले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए, और जब कि न्याय का आरम्भ हम ही से होगा तो उन का क्‍या अन्‍त होगा जो परमेश्वर के सुसमाचार को नहीं मानते?
1Pe 4:18 और यदि धर्मी व्यक्ति ही कठिनता से उद्धार पाएगा, तो भक्तिहीन और पापी का क्‍या ठिकाना?
1Pe 4:19 इसलिये जो परमेश्वर की इच्‍छा के अनुसार दुख उठाते हैं, वे भलाई करते हुए, अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के हाथ में सौंप दें।
1Pe 5:6 इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए।
1Pe 5:7 और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्‍योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
1Pe 5:8 सचेत हो, और जागते रहो, क्‍योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाई इस खोज में रहता है, कि किस को फाड़ खाए।
1Pe 5:9 विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जानकर उसका साम्हना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुख भुगत रहे हैं।
1Pe 5:10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिस ने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्‍त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्‍त करेगा।
1Pe 5:11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह १०, ११
  • प्रेरितों ४:१-२२

शुक्रवार, 17 जून 2011

बाइबल से समस्याएं

एक बाइबल कॉलेज के शिक्षक ने नए आए छात्रों की पहली क्लास में आकर एक छात्र से पूछा, "श्रीमान, क्या आपको बाइबल से कोई समस्या है?" नए छात्र ने बड़े हियाव से उत्तर दिया, "जी नहीं!" शिक्षक ने उससे कहा, "तब तो आप को बाइबल पढ़ना आरंभ कर देना चाहिए। यदि पढ़ेंगे तो अवश्य ही समस्याएं भी होंगीं।"

यह बात बिलकुल सत्य है; ध्यान पूर्वक बाइबल पढ़ने वालों के मन में प्रश्न अवश्य ही उठते हैं। प्रभु यीशु के एक चेले पतरस प्रेरित ने पौलुस प्रेरित की पत्रियों के बारे में अपनी पत्री में लिखा, "और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है। वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी हैं, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्‍त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं" (२ पतरस ३:१५, १६)।

बाइबल अध्ययन करते समय अनेक बार हमें उस समय किसी सत्य का कोई एक ही पहलु दिखाई देता है, या हमें किसी बात में कोई विरोधाभास दिखाई देता है। फिर, बाइबल अध्ययन हमारा ध्यान कई जटिल बातों की ओर ले जाता है, जैसे परमेश्वर द्वारा पहले से चुने जाना, मनुष्य की स्वतन्त्रता, बुराई का मूल, दुखों और क्लेशों के कारण आदि। लेकिन इन जटिलताओं के होने या उनका उत्तर न ढूंढ पाने के कारण हमारा विश्वास बाइबल की सच्चाईयों पर से न तो हटना चाहिए और न ही कमज़ोर पड़ना चाहिए। इन और ऐसे ही अन्य प्रश्नों का हमारे मनों में उठना इस बात को दर्शाता है कि बाइबल हमारे मनों से बात कर रही है और अपनी सच्चाई तथा खराई परखने के लिए हमें प्रेरित कर रही है।

बाइबल ही एक मात्र ऐसा धर्मग्रंथ है जो अन्धविश्वास के लिए नहीं वरन अध्ययन करने वाले द्वारा स्वयं परख कर जाँचने और तब विश्वास करने के लिए निमंत्रण देता है:
  • "सब बातों को परखो: जो अच्‍छी हैं उसे पकड़े रहो।" (१ थिसुलिनीकियों ५:२१);
  • "परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।" (भजन ३४:८);
  • "अब हम तेरे कहने ही से विश्वास नहीं करते क्‍योंकि हम ने आप ही सुन लिया, और जानते हैं कि यही सचमुच में जगत का उद्धारकर्ता है।" (युहन्ना ४:४२)

परमेश्वर चाहता है कि हम जिज्ञासा के साथ उसके पवित्र वचन बाइबल को पढ़ें क्योंकि जिज्ञासु मन ही खोजने वाला और सीखने का इच्छुक भी होता है। संभव है कि कभी हमारी जिज्ञासा की सम्पूर्ण सन्तुष्टी न भी हो, अथवा उस ही समय न हो। जो आज अस्पष्ट है, वह कल किसी अन्य अध्ययन में स्पष्ट हो सकता है या किसी अन्य के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। ऐसे में हमें अस्प्ष्ट अथवा अधूरी समझ में आई बातों पर अटके रह कर बाइबल पर शक करने कि बजाए बाइबल की स्पष्ट और अद्भुत बातों की ओर अपना ध्यान करना चाहिए और उन्हें अपने जीवनों में लागू करना चाहिए।

चाहे कोई भी समस्या हमें बाइबल की सच्चाईयों को पूर्णतः समझने में आड़े क्यों न आए, हम परमेश्वर के धन्यवादी हों कि उसने अपने वचन में हमें अपने बारे में इतना कुछ तो स्पष्ट बताया है कि हम उस पर अपना विश्वास ला सकते हैं, उसके सत्य के आधार पर अपने जीवन उसे समर्पित कर सकते हैं, उसकी सन्तान होने का आदर पा सकते हैं और स्वर्ग के वारिस बन सकते हैं। - डेनिस डी हॉन


बाइबल की सच्चाईयों को समझने में होने वाली कठिनाईयाँ का कारण परमेश्वर की गल्तियाँ नहीं, हमारी की अज्ञानता है।

गुप्त बातें हमारे परमेश्वर यहोवा के वश में हैं, परन्तु जो प्रगट की गई हैं वे सदा के लिये हमारे और हमारे वंश में रहेंगी, इसलिये कि इस व्यवस्था की सब बातें पूरी ही जाएं। - व्यवस्थाविवरण २९:२९

बाइबल पाठ: २ पतरस ३:१४-१८

2Pe 3:14 इसलिये, हे प्रियो, जब कि तुम इन बातों की आस देखते हो तो यत्‍न करो कि तुम शान्‍ति से उसके साम्हने निष्‍कलंक और निर्दोष ठहरो।
2Pe 3:15 और हमारे प्रभु के धीरज को उद्धार समझो, जैसे हमारे प्रिय भाई पौलुस न भी उस ज्ञान के अनुसार जो उसे मिला, तुम्हें लिखा है।
2Pe 3:16 वैसे ही उस ने अपनी सब पत्रियों में भी इन बातों की चर्चा की है जिन में कितनी बातें ऐसी है, जिनका समझना कठिन है, और अनपढ़ और चंचल लोग उन के अर्थों को भी पवित्र शास्‍त्र की और बातों की नाईं खींच तान कर अपने ही नाश का कारण बनाते हैं।
2Pe 3:17 इसलिये हे प्रियो तुम लोग पहिले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो, ताकि अधमिर्यों के भ्रम में फंस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दो।
2Pe 3:18 पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह ७-९
  • प्रेरितों ३

गुरुवार, 16 जून 2011

वचन से शुद्धता

एक स्त्री ने अपने पापों की क्षमा माँगकर प्रभु यीशु मसीह को अपना निज उद्धारकर्ता ग्रहण किया और मसीही विश्वासी बन गई। जिस व्यक्ति के द्वारा उसने प्रभु यीशु मसीह और उद्धार के बारे में जाना था वह उसके पास नियमित बाइबल अध्ययन के लिए आने लगी। कुछ ही समय में उसे बाइबल सिखाने वाला व्यक्ति उससे बहुत निराश हो गया क्योंकि जो कुछ भी वह सिखाता था, वह स्त्री उसे जल्द ही भूल जाती थी। एक दिन शिक्षक ने अपनी छात्रा से व्याकुल होकर उससे कहा, "कभी कभी मैं सोचता हूँ कि तुम्हें कुछ सिखाने से क्या लाभ; तुम तो सब जल्द ही भूल जाती हो। तुम मुझे छलनी की याद दिलाती हो, जैसे छलनी में जितना भी पानी डाला जाए, वह सब उसमें से होकर निकल जाता है, उसमें रुकता नहीं; ऐसे ही मैं जो कुछ तुम्हारे दिमाग में डालने का प्रयास करता हूँ, वह सब कहीं बाहर बह जाता है, तुम्हारे अन्दर बिलकुल भी नहीं रुकता।" छात्रा ने तुरंत सहज भाव से अपने शिक्षक को उत्तर दिया, "यह सही है कि मैं आप के द्वारा सिखाई गई हर बात याद नहीं रख पाती। लेकिन जैसे छलनी में से होकर बहता पानी चाहे उसके भीतर न रुके तो भी पानी के बहने से छलनी साफ हो जाती है, वैसे ही जो भी आप मुझे बाइबल में से सिखाते हैं वह मेरे जीवन को स्वच्छ बनाता है और मुझे इस स्वच्छता की बहुत आवश्यक्ता है। मैं बाइबल से मिलने वाली इसी स्वच्छता के लिए आपके पास बार बार आती रहती हूँ।"

इस नई मसीही विश्वासी ने जो कुछ उसे सिखाया गया, सभी याद तो नहीं रखा, लेकिन बाइबल की सच्चाईयाँ जैसे जैसे उसके जीवन और दिमाग़ से होकर निकलती रहीं, वह उनकी शुद्ध करने वाली सामर्थ को अनुभव करती रही और यह शुद्धता का अनुभव उसे और नए अनुभव के लिए प्रेरित करता रहा। परमेश्वर के वचन बाइबल में मन और जीवन को शुद्ध करने की सामर्थ है। एक जयवन्त मसीही जीवन जीने का सबसे अचूक मार्ग है प्रतिदिन बाइबल की शिक्षाओं से अपने आप को स्व्च्छ करना। जब हम परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित रूप से पढ़ते हैं, उसकी बातों पर मनन करते हैं और उनका पालन करते हैं तो यह वचन हमारे मन-ध्यान-विचारों और जीवन को शुद्ध और स्वच्छ बनाता है।

यह आवश्यक है कि हम प्रतिदिन परमेश्वर के वचन के साथ पाए जाएं, परन्तु इससे भी कहीं अधिक आवश्यक है कि परमेश्वर का वचन प्रतिदिन हममें बहुतायत से निवास करता पाया जाये। तभी इस वचन का शुद्ध करने का कार्य हमारे जीवनों में प्रभावी होगा और सब के समक्ष विदित भी होगा। - रिचर्ड डी हॉन


यदि हम परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते रहेंगे तो उसका शुद्ध करने का कार्य भी हमारे जीवनों में होता रहेगा।

तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। - यूहन्ना १५:३


बाइबल पाठ: यूहन्ना १५:१-७

Joh 15:1 सच्‍ची दाखलता मैं हूं और मेरा पिता किसान है।
Joh 15:2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
Joh 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो।
Joh 15:4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते।
Joh 15:5 में दाखलता हूं: तुम डालियां हो, जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्‍योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
Joh 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाई फेंक दिया जाता, और सूख जाता है और लोग उन्‍हें बटोर कर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।
Joh 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह ४-६
  • प्रेरितों २:२२-४७