ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

अप्रत्याशित उत्तर

   बाइबल संबंधित पुस्तकों के लेखक और वक्ता जोश मैक्डोअवल अपनी दिवंगत माँ के मृत्युपूर्व उद्धार पा लेने के बारे में अनिश्चित थे और यह बात उन्हें बहुत परेशान कर रही थी। इस बात को सोच कर कि संभवतः उनकी माँ अनन्त के विनाश में चली गईं हैं और अब कभी वे अपनी माँ से नहीं मिल पाएंगे, वे निराशा में जाने लगे थे। ऐसे में, यद्यपि यह प्रार्थना उन्हें असंभव प्रतीत हुई, फिर भी उन्हों ने परमेश्वर से माँगा कि, "प्रभु मुझे किसी रीति से यह उत्तर दीजिए, जिससे मैं पुनः सामन्य पर आ जाऊँ; मुझे अपनी माँ के उद्धार के बारे में जानना ही है।"

   इस प्रार्थना के दो दिन पश्चात जोश समुद्र तट पर घूमने गए; वे वहाँ तट पर विचरण कर रहे थे कि वहाँ मछली पकड़ने को बैठी एक महिला ने उन से वार्तालाप आरंभ किया और पूछा कि "आप मूलतः कहाँ के रहने वाले हैं?" जोश ने उत्तर दिया "मिशिगन की यूनियन सिटी के, जो कि..." उनकी बात काटते हुए उस महिला ने बात पूरी करी, "..बैटल क्रीक का एक भाग है; मेरे कुछ कुटुंबी वहाँ रहा करते थे - क्या आप वहाँ के किसी मैक्डोवल परिवार को जानते हैं?" जोश आश्चर्यचकित होकर बोले, "जी हाँ; मैं जोश मैक्डोवेल हूँ!" महिला ने विसमित हो कर उत्तर दिया, "मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है; मैं तुम्हारी माँ की चचेरी बहन हूँ।" जोश ने उनसे पूछा, "क्या आपको मेरी माँ के आत्मिक जीवन के बारे में कुछ ज्ञान है?" महिला बोली, "हाँ, अवश्य; बहुत वर्ष पूर्व, जब मैं और तुम्हारी माँ युवतियाँ ही थे, तो हमारे कसबे में एक मसीही प्रचारक आए थे और उन्हों ने मसीही विश्वास के लिए सभाएं संबोधित करीं थीं। सभाओं की चौथी रात को मैंने और तुम्हारी माँ ने प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण किया था।" इतना सुनते ही जोश आनन्द से चिल्ला उठे, "प्रभु की स्तुति और महिमा हो"; वे इतनी ज़ोर से चिल्लाए कि आस-पास बैठे अन्य मछली पकड़ने वाले उन्हें विसमय से देखने लगे। परमेश्वर ने अद्भुत रीति से जोश को उन की असंभव प्रतीत होने वाली प्रार्थना का स्पष्ट उत्तर दे दिया था।

   यदि हम परमेश्वर के आज्ञाकारी रहते हैं और उसकी इच्छानुसार प्रार्थना में उससे माँगते हैं तो वह अवश्य हमें उत्तर देता है। हमारी प्रार्थनाओं के उत्तर देने की परमेश्वर की क्षमता पर हमें कभी शक नहीं करना चाहिए और ना ही उसे हलका आंकना चाहिए। संभव है कि आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर बस आने ही को है। - डेनिस डी हॉन


जब हम परमेश्वर से निश्चित हो कर माँगते हैं, तो निश्चित ही वह उत्तर देता है।

और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं। - १ युहन्ना ३:२२
 
बाइबल पाठ: १ युहन्ना ३:१९-२४
    1Jn 3:19  इसी से हम जानेंगे, कि हम सत्य के हैं और जिस बात में हमारा मन हमें दोष देगा, उस विषय में हम उसके साम्हने अपने अपने मन को ढाढ़स दे सकेंगे।
    1Jn 3:20  क्‍योंकि परमेश्वर हमारे मन से बड़ा है और सब कुछ जानता है।
    1Jn 3:21  हे प्रियो, यदि हमारा मन हमें दोष न दे, तो हमें परमेश्वर के सामने हियाव होता है।
    1Jn 3:22  और जो कुछ हम मांगते हैं, वह हमें उस से मिलता है; क्‍योंकि हम उस की आज्ञाओं को मानते हैं और जो उसे भाता है वही करते हैं।
    1Jn 3:23  और उस की आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसा उस ने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखें।
    1Jn 3:24  और जो उस की आज्ञाओं को मानता है, वह उस में, और यह उस में बना रहता है: और इसी से, अर्थात उस आत्मा से जो उस ने हमें दिया है, हम जानते हैं, कि वह हम में बना रहता है।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ७-८ 
  • इफिसियों २

बुधवार, 28 सितंबर 2011

सबसे महान सेवकाई

   स्कॉटलैण्ड के सुप्रसिद्ध प्रचारक जौन नौक्स, बहुत बीमार हुए, उन्होंने अपनी पत्नि को बुलाया और कहा, "मुझे बाइबल का वह खंड पढ़कर सुनाओ जिसके द्वारा मैं स्थिर किया गया था।" उनकी पत्नि ने बाइबल पढ़ना आरंभ किया, युहन्ना १७ में प्रभु यीशु की सुन्दर प्रार्थना सुनने के बाद, नौक्स ने प्रार्थना करना आरंभ कर दिया। उन्होंने अपने साथ के लोगों के लिए प्रार्थना करी, उन लोगों के लिए प्रार्थना करी जिन्होंने सुसमाचार की अवहेलना करी थी और प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता मानने से इन्कार कर दिया था, उन लोगों कि लिए प्रार्थना करी जिन्होंने अभी हाल ही में प्रभु यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण किया था। उन्होंने परमेश्वर से उन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करी जो सुसमाचार की सेवकाई में लगे हुए हैं और सताव का सामना कर रहे हैं। प्रार्थना करते करते प्रभु के उस सेवक की आत्मा सदा के लिए अपने प्रभु से जा मिली। वह व्यक्ति जिसके लिए स्कॉटलैण्ड की रानी - मेरी, ने कहा था: "मैं अपने शत्रुओं की सेना से अधिक उस व्यक्ति की प्रार्थनाओं से घबराती हूँ" अपनी जीवन के अन्तिम क्षण तक प्रार्थना की सेवकाई में लगा रहा।

   प्रार्थना मसीही विश्वासी के जीवन में कार्य करने की सामर्थ है। यद्यपि अकसर लोग प्रार्थना को परमेश्वर की उपासना का एक भाग मानते हैं, लेकिन प्रार्थना उससे बढ़ कर परमेश्वर के लिए हमारी सेवकाई का आवश्यक अंग है। हमारे प्रभु ने जितना अपने शिष्य शमौन पतरस के लिए उसे निराशाओं से उभारने के द्वारा किया, उतना ही उसके लिए प्रार्थना के द्वारा भी किया।

   प्रार्थना हमारा प्रधान कर्तव्य है - यदि हम इस बात को मानते हैं तो हम प्रार्थना में अधिक समय भी बिताएंगे। जब हम किसी के लिए और कुछ ना भी करने पाएं, तब भी हम उसके लिए प्रार्थना कर सकते हैं; और ऐसा करके हम अपनी सबसे महान सेवकाई को पूरा करेंगे। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

परमेश्वर के योद्धा अपने युद्ध अपने घुटनों पर झुक कर लड़ते हैं।

परन्‍तु मैं ने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना। - लूका २२:३२

बाइबल पाठ: लूका २२:३१-४६
    Luk 22:31  शमौन, हे शमौन, देख, शैतान ने तुम लोगों को मांग लिया है कि गेंहूं की नाई फटके।
    Luk 22:32  परन्‍तु मैं ने तेरे लिये विनती की, कि तेरा विश्वास जाता न रहे: और जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करना।
    Luk 22:33  उस ने उस से कहा; हे प्रभु, मैं तेरे साथ बन्‍दीगृह जाने, वरन मरने को भी तैयार हूं।
    Luk 22:34  उस ने कहा, हे पतरस मैं तुझ से कहता हूं, कि आज मुर्ग बांग ना देगा जब तक तू तीन बार मेरा इन्‍कार न कर लेगा कि मैं उसे नहीं जानता।
    Luk 22:35  और उस ने उन से कहा, कि जब मैं ने तुम्हें बटुए, और झोली, और जूते बिना भेजा था, तो क्‍या तुम को किसी वस्‍तु की घटी हुई थी? उन्‍होंने कहा; किसी वस्‍तु की नहीं।
    Luk 22:36  उस ने उन से कहा, परन्‍तु अब जिस के पास बटुआ हो वह उसे ले, और वैसे ही झोली भी, और जिस के पास तलवार न हो वह अपने कपड़े बेच कर एक मोल ले।
    Luk 22:37  क्‍योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यह जो लिखा है, कि वह अपराधियों के साथ गिना गया, उसका मुझ में पूरा होना अवश्य है; क्‍योंकि मेरे विषय की बातें पूरी होने पर हैं।
    Luk 22:38  उन्‍होंने कहा, हे प्रभु, देख, यहां दो तलवारें हैं: उस ने उन से कहा, बहुत हैं।
    Luk 22:39  तब वह बाहर निकल कर अपनी रीति के अनुसार जैतून के पहाड़ पर गया, और चेले उसके पीछे हो लिए।
    Luk 22:40  उस जगह पहुंच कर उस ने उन से कहा, प्रार्थना करो, कि तुम परीक्षा में न पड़ो।
    Luk 22:41  और वह आप उन से अलग एक ढेला फेंकने के टप्‍पे भर गया, और घुटने टेक कर प्रार्थना करने लगा।
    Luk 22:42  कि हे पिता यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्‍तु तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।
    Luk 22:43  तब स्‍वर्ग से एक दूत उस को दिखाई दिया जो उसे सामर्थ देता था।
    Luk 22:44  और वह अत्यन्‍त संकट में व्याकुल होकर और भी हृदय वेदना से प्रार्थना करने लगा, और उसका पसीना मानो लोहू की बड़ी बड़ी बून्‍दों की नाईं भूमि पर गिर रहा था।
    Luk 22:45  तब वह प्रार्थना से उठा और अपने चेलों के पास आकर उन्‍हें उदासी के मारे सोता पाया; और उन से कहा, क्‍यों सोते हो?
    Luk 22:46  उठो, प्रार्थना करो, कि परीक्षा में न पड़ो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ५-६ 
  • इफिसियों १

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

अर्थपूर्ण प्रार्थनाएं

   मेरा एक मित्र अपने छोटे बेटे को लेकर होटल में गया। वहां उसने अपने बेटे को अपने साथ की कुर्सी पर बैठाया और भोजन का ऑर्डर दिया। जब खाना परोसा गया तो पिता ने कहा, "बेटा हम खाने से पहले, भोजन के लिए खामोशी से धन्यवाद की प्रार्थना कर लेते हैं" और पिता ने शांत रूप से अपनी प्रार्थना कर ली, बेटा सर झुकाए और आंखें बन्द किए बैठा रहा। कुछ समय तक बेटे की प्रार्थना समाप्त होने का इन्तज़ार करने के बाद, पिता ने पूछा, "इतनी लम्बी प्रार्थना किस बात के लिए कर रहे हो?" बेटे ने उत्तर दिया, "मुझे क्या पता, मैं तो खामोश था!"

   बहुत बार हमारी प्रार्थनाएं ऐसी ही होती हैं - हम प्रार्थना में तो होते हैं लेकिन प्रभु से कुछ कहते नहीं हैं; क्योंकि हम केवल शब्द दोहराते हैं लेकिन उन शब्दों में कोई गंभीरता या आग्रह नहीं होता। जो प्रार्थना प्रभु हम से चाहता है वह गंभीर और हृदय से निकलने वाली होनी चाहिए, जो पवित्र आत्मा की प्रेर्णा से करी गई और प्रभु यीशु के नाम से परमेश्वर को अर्पित करी गईं हों। ऐसी ही प्रार्थनाओं के लिए प्रेरित पौलुस लिखता है कि, "तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी" (फिलिप्पियों ४:७)।

   हमें प्रार्थना के महत्व और गंभीरता को समझना चाहिए। प्रार्थना करने का अर्थ केवल आँखें बन्द करके, सर झुका के कुछ शब्दों को दोहरा लेना नहीं होता। परमेश्वर के सम्मुख हमारे आग्रह परमेश्वर के वचन के अनुकूल होने चाहिएं और सच्चे मन से आने चाहिएं, तभी वे अर्थपूर्ण प्रार्थनाएं होंगी और हम उनके नतीजे देखने पाएंगे। - पौल वैन गोर्डर


अर्थपूर्ण प्रार्थना सच्चे मन से होती है, सुन्दर शब्दों से नहीं।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। - फिलिप्पियों ४:६
 
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों ४:१-७
    Php 4:1  इसलिये हे मेरे प्रिय भाइयों, जिन में मेरा जी लगा रहता है जो मेरे आनन्‍द और मुकुट हो, हे प्रिय भाइयो, प्रभु में इसी प्रकार स्थिर रहो।
    Php 4:2  मैं यूआदिया को भी समझाता हूं, और सुन्‍तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें।
    Php 4:3  और हे सच्‍चे सहकर्मी मैं तुझ से भी बिनती करता हूं, कि तू उन स्‍त्रियों की सहयता कर, क्‍योंकि उन्‍होंने मेरे साथ सुसमाचार फैलाने में, क्‍लेमेंस और मेरे उन और सहकिर्मयों समेत परिश्रम किया, जिन के नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखे हुए हैं।
    Php 4:4  प्रभु में सदा आनन्‍दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्‍दित रहो।
    Php 4:5  तुम्हारी कोमलता सब मनुष्यों पर प्रगट हो: प्रभु निकट है।
    Php 4:6  किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
    Php 4:7  तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह ३-४ 
  • गलतियों ६

सोमवार, 26 सितंबर 2011

माँगने और सोचने से बढ़कर

   सन १९५६ में अपनी मृत्यु के समय जिम इलियट दक्षिण अमेरिका की आऔका कबायली जाति के लोगों तक प्रभु यीशु का सुसमाचार पहुँचाने का प्रयास कर रहा था। इससे लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक कबायली मनुष्य की मृत्यु देखते हुए उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी थी कि "प्रभु मुझे तब तक जीवित रखिए जब तक मैं इन लोगों में आपके नाम का प्रचार न कर लूँ।" जिम इलियट को यह कतई अन्देशा नहीं था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर तीस वर्ष की आयु तक पहुँचने के पहले ही उन कबायलीयों द्वारा भाला भोंक कर मारे जाने द्वारा देंगे; और ना ही उसे यह पता था कि उसकी मृत्यु के तीन वर्ष के अन्दर ही उसका नाम संसार भर में प्रसिद्ध हो जाएगा और उसकी डायरी में उसके द्वारा लिखे विवरणों को पढ़कर बहुत से लोग प्रभु की सेवकाई की चुनौती को स्वीकार करेंगे और अपने आप को उन कबायलियों के बीच प्रभु की सेवा करने के लिए समर्पित करेंगे। इलियट की मृत्यु व्यर्थ नहीं थी, उस एक मत्यु ने उस इलाके में प्रभु की सेवाकाई के लिए अनेकों को ला खड़ा किया, और जो काम हुआ वह उसकी सोच और समझ से कहीं अधिक बढ़कर था।

   परमेश्वर हमसे बहुत प्रेम करता है और हमारी प्रार्थनाओं को ध्यान से सुनता है, लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका हर उत्तर हमारी उम्मीद के अनुसार ही हो। क्योंकि वह ऐसा परमेश्वर है जो "कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है" (इफिसियों३:२०); इसलिए हम आश्वस्त रह सकते हैं कि यदि उसने हमारी समझ के अनुसार हमें उत्तर नहीं दिया है तो वह इसलिए कि वह हमें उससे भी बेहतर कुछ देना चाहता है।

   जब हम अपना माँगा हुआ सब कुछ नहीं प्राप्त करते तो यह निराश होने की बात नहीं है। परमेश्वर हम से प्रेम करता है और हमारी इच्छा पूरी भी करना चाहता है; लेकिन वह आरंभ से ही अन्त को जानता है, इसलिए हमारी माँगी हुई कुछ बातों को रोक लेता है क्योंकि वह हमारे भविष्य के अनुसार हमें और भी उत्तम कुछ देना चाहता है।

   जब हम स्वर्ग पहुँचेंगे तब ही जानेंगे कि उसने कैसी अद्भुत रीति से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, और जो उसने हमें दिया, वह वास्तव में हमारी विनती और समझ से कहीं बढ़कर और उत्तम था। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

परमेश्वर सदैव ही हमें हमारी प्रार्थना के अनुसार, या उससे भी बेहतर ही देता है।

अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है; - इफिसियों३:२०

बाइबल पाठ: इफिसियों३:१३-२१
    Eph 3:13  इसलिये मैं बिनती करता हूं कि जो क्‍लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण हियाव न छोड़ो, क्‍योंकि उन में तुम्हारी महिमा है।
    Eph 3:14  मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
    Eph 3:15  जिस से स्‍वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
    Eph 3:16  कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्‍व में सामर्थ पाकर बलवन्‍त होते जाओ।
    Eph 3:17  और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
    Eph 3:18  सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
    Eph 3:19  और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
    Eph 3:20  अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
    Eph 3:21  कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह १-२ 
  • गलतियों ५

रविवार, 25 सितंबर 2011

दरवाज़े बन्द कर लीजिए

   अमेरिका में आए एक विदेशी पर्यटक को टेलिफोन करने की आवश्यक्ता पड़ी और वह टेलिफोन बूथ में गया; वह बूथ उसके अपने देश के टेलिफोन बूथ से भिन्न था। शाम होने के कारण बूथ के अन्दर रौशनी कम थी और वह टेलिफोन डायरेक्टरी में से नंबर पढ़ पाने में कठिनाई अनुभव कर रहा था। उसने रौशनी के लिए इधर-उधर देखा, उसे बूथ की छत पर बल्ब तो दिखाई दिया, लेकिन उसे जलाने के लिए कोई बटन नज़र नहीं आया; अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे बल्ब जलाए और डायरेक्टरी से नंबर पढ़े। उसके असमंजस को देख, राह चलते एक व्यक्ति ने उसे सलाह दी, "यदि आप को रौशनी चाहिए तो दरवाज़ा बन्द करना होगा।" उसने सलाह मानकर जैसे ही बूथ का दरवाज़ा बन्द किया, बल्ब स्वतः ही जल गया और बूथ रौशन हो गया।

   परमेश्वर के साथ संगति और प्रार्थना के लिए भी यही चाहिए - परमेश्वर सम्मुख आने पर मन के दरवाज़े संसार की बातों और व्यस्तता पर बन्द कर दीजिए, और स्वतः ही उसकी उपस्थिति का प्रकाश हमारे अन्धेरे मन को रौशन करके हमें हमारी परेशानियों और कठिनाईयों में मार्ग दिखाएगा। हम परमेश्वर से संगति करने पाएंगे और अपने जीवन के लिए उसके मार्गदर्शन और संसाधनों का लाभ उठाने पाएंगे।

   हमारा प्रभु यीशु भी अकसर अपने स्वर्गीय पिता के साथ समय बिताने के लिए एकांत स्थानों में जाया करता था; वह ऐसा कभी प्रचार और चंगाई के व्यस्त दिन की समाप्ति पर करता था, जैसा हम लूका ५ में वर्णन पाते हैं, तो कभी तड़के सुबह मुँह अन्धेरे ही उठकर (मरकुस १:१५), अथवा किसी बड़े निर्ण्य को लेने से पहले (लूका ६:१२)।

   हम मसीही विश्वासी जो प्रभु यीशु के चेले हैं, आश्वस्त रह सकते हैं कि "यदि हम उस की इच्‍छा के अनुसार कुछ मांगते हैं, तो वह हमारी सुनता है" (१ युहन्ना ५:१४): इसलिए उसकी इच्छा जानना हमारे लिए अति आवश्यक है। यह तब ही संभव है जब हम शांत और स्थिर मन के साथ उसके साथ संगति में समय बिताएं, और इसके लिए हमें संसार की बातों और अपनी व्यस्तता पर अपने मन के दरवाज़े बन्द करने होंगे, तब ही उसका प्रकाश हमारे मन और मार्ग को रौशन करेगा। - रिचर्ड डी हॉन


प्रबल और सफल प्रार्थना का भेद है एकांत में प्रार्थना करना।

परन्‍तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। - मत्ती ६:६

बाइबल पाठ: लूका ५:१२-१६
    Luk 5:12  जब वह किसी नगर में था, तो देखो, वहां कोढ़ से भरा हुआ एक मनुष्य था, और वह यीशु को देख कर मुंह के बल गिरा, और बिनती की, कि हे प्रभु यदि तू चाहे हो मुझे शुद्ध कर सकता है।
    Luk 5:13  उस ने हाथ बढ़ा कर उसे छूआ और कहा मैं चाहता हूं तू शुद्ध हो जा: और उसका कोढ़ तुरन्‍त जाता रहा।
    Luk 5:14  तब उस ने उसे चिताया, कि किसी से न कह, परन्‍तु जाके अपने आप को याजक को दिखा, और अपने शुद्ध होने के विषय में जो कुछ मूसा ने चढ़ावा ठहराया है उसे चढ़ा; कि उन पर गवाही हो।
    Luk 5:15  परन्‍तु उस की चर्चा और भी फैलती गई, और भीड़ की भीड़ उस की सुनने के लिये और अपनी बिमारियों से चंगे होने के लिये इकट्ठी हुई।
    Luk 5:16  परन्‍तु वह जंगलों में अलग जा कर प्रार्थना किया करता था।
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ६-८ 
  • गलतियों ४

शनिवार, 24 सितंबर 2011

"मैंने परमेश्वर से वार्तालाप किया"

   King's College के भूतपूर्व अधिपति, डा० रॉबर्ट कुक ने एक सभा को संबोधित करते हुए श्रोताओं को बताया कि पिछले दिन उन्होंने तत्कालीन उप-राष्ट्र्पति जॉर्ज बुश से बात करी और फिर उसके दो घंटे बाद थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति रौनल्ड रीएगन से भी बातचीत करी। फिर एक बड़ी सी मुस्कान के साथ वे बोले, यह तो कुछ भी नहीं, आज मैंने परमेश्वर के साथ वार्तलाप किया - वे प्रार्थना में बिताए गए अपने समय की बात कह रहे थे।

   प्रार्थना एक नई सामर्थ और तत्परता ले लेती है, जब हम इस बात के लिए जागरूक होते हैं कि हम प्रार्थना में जिस के सम्मुख विद्यमान हैं उसकी महिमा और महानता कितनी विशाल है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम कुछ लोगों की प्रतिक्रिया के विषय में पढ़ते हैं जब उन्होंने परमेश्वर के दर्शन उसकी महिमा में किए: अय्युब अपने दुर्भाग्य के लिए बहुत कुड़कुड़ा रहा था और अपनी धार्मिकता पर उसे घमण्ड था, लेकिन जब उसने परमेश्वर के दर्शन पाए तो कह उठा, "मैंने कानों से तेरा समाचार सुना था, परन्तु अब मेरी आंखें तुझे देखती हैं; इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूँ" (अय्युब ४२:५-६); परमेश्वर के नबी यशायाह ने जब परमेश्वर के दर्शन पाए तो पुकार उठा, "हाय! हाय! मैं नाश हूआ; क्योंकि मैं अशुद्ध होंठ वाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठ वाले मनुष्यों के बीच में रहता हूं; क्योंकि मैं ने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा है!" (यशायाह ६:५); परमेश्वर के एक और नबी यहेजकेल ने जब परमेश्वर की महिमा देखी तो कह उठा, "उसे देख कर, मैं मुंह के बल गिरा" (यहेजकेल १:२८); प्रभु यीशु के चेले युहन्ना ने जब प्रभु को उसकी महिमा में देखा तो, "जब मैं ने उसे देखा, तो उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा" (प्रकशितवाक्य १:१७)।

   इन सभी के लिए परमेश्वर के उसकी महिमा और महानता में दर्शन देखना, उनके अन्दर अपनी दीन-हीन स्थिति के भारी एहसास को लेकर आया; ऐसा एहसास जो उनके सहने से बाहर था। इसी सामर्थी और महान परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह में होकर अपने विश्वसियों के साथ पिता और पुत्र का रिश्ता स्थपित किया है, और आज अपने पुत्र-पुत्रियों की प्रार्थनाएं को लालायित रहता है। वह चाहता है कि हम प्रार्थना में उसके सम्मुख आएं, उससे बात-चीत करें; उससे अपने दिल की कहें, उसके दिल की सुनें। वह चाहता है कि हम उसे "हे पिता" कह कर संबोधित करें। - हर्ब वैण्डर लुग्ट

हम मसीही विश्वासियों का सबसे बड़ा विशेषाधिकार है परमेश्वर के साथ वार्तालाप कर पाना।

उस ने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए। - लूका ११:२
 
बाइबल पाठ: लूका ११:१-१३
    Luk 11:1  फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था: और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखलाया वैसे ही हमें भी तू सिखा दे।
    Luk 11:2  उस ने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो: हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
    Luk 11:3  हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
    Luk 11:4  और हमारे पापों को क्षमा कर, क्‍योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।
    Luk 11:5  और उस ने उन से कहा, तुम में से कौन है कि उसका एक मित्र हो, और वह आधी रात को उसके पास आकर उस से कहे, कि हे मित्र, मुझे तीन रोटियां दे।
    Luk 11:6  क्‍योंकि एक यात्री मित्र मेरे पास आया है, और उसके आगे रखने के लिये मेरे पास कुछ नहीं है।
    Luk 11:7  और वह भीतर से उत्तर दे, कि मुझे दुख न दे; अब तो द्वार बन्‍द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठ कर तुझे दे नहीं सकता;
    Luk 11:8  मैं तुम से कहता हूं, यदि उसका मित्र होने पर भी उसे उठकर न दे, तौभी उस के लज्ज़ा छोड़ कर मांगने के कारण उसे जितनी आवश्यकता हो उतनी उठ कर देगा।
    Luk 11:9  और मैं तुम से कहता हूं कि मांगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूंढ़ों तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।
    Luk 11:10  क्‍योंकि जो कोई मांगता है, उसे मिलता है; और जो ढूंढ़ता है, वह पाता है; और जो खटखटाता है, उसके लिये खोला जाएगा।
    Luk 11:11  तुम में से ऐसा कौन पिता होगा, कि जब उसका पुत्र रोटी मांगे, तो उसे पत्थर दे: या मछली मांगे, तो मछली के बदले उसे सांप दे?
    Luk 11:12  या अण्‍डा मांगे तो उसे बिच्‍छू दे?
    Luk 11:13  सो जब तुम बुरे होकर अपने लड़के-बालों को अच्‍छी वस्‍तुऐं देना जानते हो, तो स्‍वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को पवित्र आत्मा क्‍यों न देगा?
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत ४-५ 
  • गलतियों ३

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

बचाव द्वारा शान्ति

   अपनी पुस्तक The Heavenly Octave में लेखक बोरहेम ने लिखा, "आदर्श मेल-मिलाप कराने वाला वह है जो शान्ति को भंग ही नहीं होने देता है। युद्ध जीतने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसे आरंभ ही ना होने दो।" एक यहूदी धर्म-गुरू ने बोरहेम को यहूदी विवाह में करी जाने वाली एक रस्म के बारे में बताया; उसने कहा, "हम नव-दंपति के सामने एक काँच का ग्लास ऊंचा उठाकर छोड़ देते हैं और वह गिरकर टुकड़े टुकड़े होकर बिखर जाता है। उन टूटे टुकड़ों की ओर इशारा कर के हम उनसे कहते हैं कि इस पवित्र रिशते की, जिसमें तुम बन्धे हो, पूरी सावधानी और मेहनत से रक्षा करना, क्योंकि एक बार यह टूटा तो फिर उसे कभी पहले जैसा नहीं बनाया जा सकता।"

   उस स्वर्गीय राज्य के निवासी होने के नाते, जिसका शासन "शान्ति के राज्कुमार" के हाथों में है, हम मसीही विश्वासियों को भी यथासंभव शान्ति का जीवन जीना चाहिए - विशेषकर अपने परिवार के लोगों के साथ। लेकिन यह हमेशा आसान नहीं होता। विश्वास और शान्ति का यह कमज़ोर धागा बड़ी आसानी से टूट सकता है, और फिर घर में कलह और अशान्ति का राज्य बना रहता है। ऐसा होने से बचने के लिए हमें आपसी विश्वास का आदर बनाए रखना चाहिए, एक दूसरे के साथ प्रेम पूर्ण संबंध विकसित करते रहना चाहिए और एक दूसरे के भले की चाह में लगे रहना चाहिए।

   हमें मेल-मिलाप करने वाले बनना चाहिए। हमारे प्रभु यीशु ने भी यही शिक्षा दी, उन्होंने अपने चेलों से कहा है "धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे" (मत्ती ५:९)।

   परिवार, पड़ौस, समाज, कार्यस्थल या मण्डली, कहीं भी हो, इससे पहले कि कलह बढ़कर संबंधों में विछेद और स्थाई बरबादी ले आए, हम मसीही विश्वासियों को हर स्थान और परिस्थिति में शान्ति स्थापित करने के मार्गों के खोजी और समस्याओं का समाधान ढूंढने वाला बनना चाहिए। इसके लिए सर्वप्रथम अपने आप को जाँचने की आवश्यक्ता है कि कहीं हम ही तो कलह के कारण नहीं; अथवा कहीं हमारे व्यवहार के कारण ही तो आपसी मतभेद नहीं बढ़ रहे?

   मेल-मिलाप कराने वाला व्यक्ति कलह के आरंभ हो पाने ही को रोक देने के द्वारा शान्ति बनाए रखने वाला व्यक्ति होता है। - डेव एग्नर


कलह को कभी निमंत्रण न दें; वह हर निमंत्रण तुरंत स्वीकार कर लेता है।
 
धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्‍योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे। - मत्ती ५:९
 
बाइबल पाठ: भजन ३७:१-११
    Psa 37:1  कुकर्मियों के कारण मत कुढ़, कुटिल काम करने वालों के विषय डाह न कर!
    Psa 37:2  क्योंकि वे घास की नाईं झट कट जाएंगे, और हरी घास की नाई मुर्झा जाएंगे।
    Psa 37:3  यहोवा पर भरोसा रख, और भला कर; देश में बसा रह, और सच्चाई में मन लगाए रह।
    Psa 37:4  यहोवा को अपने सुख का मूल जान, और वह तेरे मनोरथों को मूरा करेगा।
    Psa 37:5  अपने मार्ग की चिन्ता यहोवा पर छोड़, और उस पर भरोसा रख, वही पूरा करेगा।
    Psa 37:6  और वह तेरा धर्म ज्योति की नाई, और तेरा न्याय दोपहर के उजियाले की नाई प्रगट करेगा।
    Psa 37:7  यहोवा के साम्हने चुपचाप रह, और धीरज से उसका आसरा रख; उस मनुष्य के कारण न कुढ़, जिसके काम सफल होते हैं, और वह बुरी युक्तियों को निकालता है!
    Psa 37:8  क्रोध से परे रह, और जलजलाहट को छोड़ दे! मत कुढ़, उस से बुराई ही निकलेगी।
    Psa 37:9  क्योंकि कुकर्मी लोग काट डाले जाएंगे और जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वही पृथ्वी के अधिकारी होंगे।
    Psa 37:10  थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं; और तू उसके स्थान को भलीं भांति देखने पर भी उसको न पाएगा।
    Psa 37:11  परन्तु नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • श्रेष्ठगीत १-३ 
  • गलतियों २