सन १९५६ में अपनी मृत्यु के समय जिम इलियट दक्षिण अमेरिका की आऔका कबायली जाति के लोगों तक प्रभु यीशु का सुसमाचार पहुँचाने का प्रयास कर रहा था। इससे लगभग तीन वर्ष पूर्व, एक कबायली मनुष्य की मृत्यु देखते हुए उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी थी कि "प्रभु मुझे तब तक जीवित रखिए जब तक मैं इन लोगों में आपके नाम का प्रचार न कर लूँ।" जिम इलियट को यह कतई अन्देशा नहीं था कि परमेश्वर उसकी प्रार्थना का उत्तर तीस वर्ष की आयु तक पहुँचने के पहले ही उन कबायलीयों द्वारा भाला भोंक कर मारे जाने द्वारा देंगे; और ना ही उसे यह पता था कि उसकी मृत्यु के तीन वर्ष के अन्दर ही उसका नाम संसार भर में प्रसिद्ध हो जाएगा और उसकी डायरी में उसके द्वारा लिखे विवरणों को पढ़कर बहुत से लोग प्रभु की सेवकाई की चुनौती को स्वीकार करेंगे और अपने आप को उन कबायलियों के बीच प्रभु की सेवा करने के लिए समर्पित करेंगे। इलियट की मृत्यु व्यर्थ नहीं थी, उस एक मत्यु ने उस इलाके में प्रभु की सेवाकाई के लिए अनेकों को ला खड़ा किया, और जो काम हुआ वह उसकी सोच और समझ से कहीं अधिक बढ़कर था।
परमेश्वर हमसे बहुत प्रेम करता है और हमारी प्रार्थनाओं को ध्यान से सुनता है, लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका हर उत्तर हमारी उम्मीद के अनुसार ही हो। क्योंकि वह ऐसा परमेश्वर है जो "कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है" (इफिसियों३:२०); इसलिए हम आश्वस्त रह सकते हैं कि यदि उसने हमारी समझ के अनुसार हमें उत्तर नहीं दिया है तो वह इसलिए कि वह हमें उससे भी बेहतर कुछ देना चाहता है।
जब हम अपना माँगा हुआ सब कुछ नहीं प्राप्त करते तो यह निराश होने की बात नहीं है। परमेश्वर हम से प्रेम करता है और हमारी इच्छा पूरी भी करना चाहता है; लेकिन वह आरंभ से ही अन्त को जानता है, इसलिए हमारी माँगी हुई कुछ बातों को रोक लेता है क्योंकि वह हमारे भविष्य के अनुसार हमें और भी उत्तम कुछ देना चाहता है।
जब हम स्वर्ग पहुँचेंगे तब ही जानेंगे कि उसने कैसी अद्भुत रीति से हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया, और जो उसने हमें दिया, वह वास्तव में हमारी विनती और समझ से कहीं बढ़कर और उत्तम था। - हर्ब वैण्डर लुग्ट
परमेश्वर सदैव ही हमें हमारी प्रार्थना के अनुसार, या उससे भी बेहतर ही देता है।
अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है; - इफिसियों३:२०
बाइबल पाठ: इफिसियों३:१३-२१
Eph 3:13 इसलिये मैं बिनती करता हूं कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण हियाव न छोड़ो, क्योंकि उन में तुम्हारी महिमा है।
Eph 3:14 मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं,
Eph 3:15 जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है।
Eph 3:16 कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ।
Eph 3:17 और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर।
Eph 3:18 सब पवित्र लागों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है।
Eph 3:19 और मसीह के उस प्रेम को जान सको जो ज्ञान से परे है, कि तुम परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाओ।
Eph 3:20 अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है,
Eph 3:21 कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन।
एक साल में बाइबल:
- यशायाह १-२
- गलतियों ५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें