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शनिवार, 12 मई 2012

दायित्व

   समुद्र तट पर कुछ किशोर खेलने में लगे हुए थे कि उनका ध्यान पास ही में पानी में पलटी हुई एक नाव की ओर गया। उन्होंने तुरंत अपना खेल बन्द किया और पानी में पलटी हुई नाव को सीधा करने में लगे लोगों की सहायता करने के लिए उनके पास गए। जब वे उस नाव पर पहुंचे तो पता चला कि जिनकी नाव पलटी थी और जो लोग उसे वापस सीधा करने के प्रयास में लगे थे वे सभी व्यावसायिक नाविक थे और समुद्र तट पर सैलानियों को नौका विहार कराते थे। उन अनुभावी नाविकों और अनुभवहीन किशोरों ने मिल कर जब ज़ोर लगाया तो वे नाव को सीधा कर सके।

   समुद्र तट पर घटी इस घटना से मेरा ध्यान चर्च में घटित हो सकने वाली संभावाना की ओर गया। कई बार चर्च के कार्यों और प्रबंधन को करने में लगे अनुभवी लोगों, जैसे पास्टर और अगुवों के सामने कुछ ऐसी समस्याएं आ जाती हैं जिनका निवारण करने में वे असमर्थ रहते हैं। ऐसे में चर्च के सामन्य सदस्यों का दायित्व है कि वे इन ’अनुभवी’ लोगों की सहायता करें जिस से समस्या का समाधान हो सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के प्रेरितों ६ में एक ऐसी ही स्थिति का उल्लेख है। मण्डली के कुछ लोगों को लगा कि उनकी उपेक्षा हो रही है और इससे मण्डली में तनाव होने लगा। मण्डली के अगुवों ने समस्या का अध्ययन किया और पहचाना कि समाधान के लिए सामान्य लोगों की सहायता आवश्यक है। उन्होंने मण्डली में से सात लोगों को नामान्कित किया और इन सात लोगों की सहायता से अगुवे उस समस्या को सुलझा सके और मण्डली का कार्य सुचारू रीति से आगे बढ़ सका।

   प्रत्येक मसीही विश्वासी का यह दायित्व है कि वह मण्डली के कार्यों और ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में सहयोग दे। मण्डली का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुभवी पास्टर तथा अगुवों और मण्डली के सामान्य लोगों को एक साथ मिल कर कार्य करना आवश्यक है। - डेव ब्रैनन


परस्पर सहयोग के साथ किया गया कार्य मेहनत घटा देता है और प्रभाव बढ़ा देता है।

जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्‍डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए। - १ पतरस ४:१०

बाइबल पाठ: प्रेरितों ६:१-७
Act 6:1  उन दिनों में जब चेले बहुत होते जाते थे, तो यूनानी भाषा बोलने वाले इब्रानियों पर कुड़कुड़ाने लगे, कि प्रति दिन की सेवकाई में हमारी विधवाओं की सुधि नहीं ली जाती।
Act 6:2 तब उन बारहों ने चेलों की मण्‍डली को अपने पास बुलाकर कहा, यह ठीक नहीं कि हम परमेश्वर का वचन छोड़ कर खिलाने पिलाने की सेवा में रहें।
Act 6:3 इसलिये हे भाइयो, अपने में से सात सुनाम पुरूषों को जो पवित्र आत्मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों, चुन लो, कि हम उन्‍हें इस काम पर ठहरा दें।
Act 6:4 परन्‍तु हम तो प्रार्थना में और वचन की सेवा में लगे रहेंगे।
Act 6:5 यह बात सारी मण्‍डली को अच्‍छी लगी, और उन्‍होंने स्‍तिुफनुस नाम एक पुरूष को जो विश्वास और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था, और फिलप्‍पुस और प्रखुरूस और नीकानोर और तीमोन और परिमनास और अन्‍ताकी वाला नीकुलाउस को जो यहूदी मत में आ गया था, चुन लिया।
Act 6:6 और इन्‍हें प्रेरितों के साम्हने खड़ा किया और उन्‍होंने प्रार्थना कर के उन पर हाथ रखे।
Act 6:7 और परमेश्वर का वचन फैलता गया और यरूशलेम में चेलों की गिनती बहुत बढ़ती गई, और याजकों का एक बड़ा समाज इस मत के अधीन हो गया।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १५-१६ 
  • यूहन्ना ३:१-१८

शुक्रवार, 11 मई 2012

ईमानदारी

   हास्य चित्रकार स्कौट एडम्स अपने हास्य चित्र श्रंखला ’डिलबर्ट’ के लिए प्रसिद्ध हैं जिसमें मनोरम्जक रीति से कार्य क्षेत्र में सामान्यतः देखने को मिलने वाली व्यर्थ बातों को उजागर किया जाता है। उन्होंने १९९० में इस हास्य चित्र श्रंखला से संबंधित एक पुस्तक भी लिखी "The Dilbert Principle" जिसमें उन्होंने प्रौद्योकी, नेतृत्व तथा प्रबंधन संबंधी अधिकारियों की सनक और अयोग्य प्रबंधकों पर परिहास किया है। बहुत से लोगों को उस पुस्तक में गिए गए उदहरणों और चित्रणों को अपने प्रतिदिन के जीवन और अनुभवों के साथ ताल-मेल देखने के द्वारा अच्छा मनोरंजन मिला है।

   अपनी उस पुस्तक में स्कौट एडम्स कर्मचारियों द्वारा आलसीपन और दिखावे के कार्यों के विषय में लिखते हैं: "कामचोर होने की कला मैंने इस कला के विशेषज्ञों से सीखी है। नौ वर्ष के अनुभव के बाद, किसी कार्य में लगे बिना ही व्यस्त दिखाई देने के बारे में जो कुछ सीखने का हो सकता है वह मैं ने सीख लिया है।"

   किंतु अपने कार्य और स्वामियों के प्रति व्यवहार के संबंध में मसीही विश्वासियों के पास एक बहुत श्रेष्ठ उद्देश्य और बुलाहट है। परमेश्वर का वचन बाइबल विश्वासियों को प्रोत्साहित करती है कि अपने अधिकारियों के प्रति आदर का रवैया बनाए रखें, और अपने कार्य में ईमानदार रहें, किसी मनुष्य को प्रसन्न करने के लिए नहीं वरन अपने प्रभु यीशु और परमेश्वर को प्रसन्न करने के उद्देश्य से: "हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो। और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो" (इफिसीयों ६:५-६)।

   कार्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी के लिए सही रवैया ईमानदार मन से आता है, जहां हम किसी मनुष्य को नहीं वरन अपने प्रभु यीशु को अपना स्वामी मान कर उसके लिए प्रत्येक कार्य करते हैं। जब हम पूरी ईमानदारी के साथ अपने कार्यक्षेत्र की ज़िम्मेदारियों को निभाते हैं और अपने सांसारिक स्वामी के प्रति ईमानदार और खरे रहते हैं, तो इससे हम अपने प्रभु को भी प्रसन्न करते हैं। - डेनिस फिशर


आपका स्वामी चाहे कोई भी हो, अन्ततः आप परमेश्वर को ही जवाबदेह हैं।


और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाई दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो। - इफिसीयों ६:६


बाइबल पाठ: इफिसीयों ६:१-६
Eph 6:1 हे बालकों, प्रभु में अपने माता पिता के आज्ञाकारी बनो, क्‍योंकि यह उचित है।
Eph 6:2  अपनी माता और पिता का आदर कर (यह पहिली आज्ञा है, जिस के साथ प्रतिज्ञा भी है)।
Eph 6:3  कि तेरा भला हो, और तू धरती पर बहुत दिन जीवित रहे।
Eph 6:4 और हे बच्‍चे वालों अपने बच्‍चों को रिस न दिलाओ परन्‍तु प्रभु की शिक्षा, और चितावनी देते हुए, उन का पालन-पोषण करो।
Eph 6:5 हे दासो, जो लोग शरीर के अनुसार तुम्हारे स्‍वामी हैं, अपने मन की सीधाई से डरते, और कांपते हुए, जैसे मसीह की, वैसे ही उन की भी आज्ञा मानो।
Eph 6:6 और मनुष्यों को प्रसन्न करने वालों की नाईं दिखाने के लिये सेवा न करो, पर मसीह के दासों की नाईं मन से परमेश्वर की इच्‍छा पर चलो।


एक साल में बाइबल: 

  • २ राजा १३-१४ 
  • यूहन्ना २

गुरुवार, 10 मई 2012

स्वर्ग का एहसास

   कुछ समय पहले मेरी पत्नी की मुलाकात एक महिला से हुई जिसे यात्रा में सहायता की आवश्यक्ता थी। मेरी पत्नी को लगा कि यह बात परमेश्वर की ओर से है, और उसने उस महिला को अपनी कार में बैठा लिया। यात्रा के दौरान हुई बातचीत में उस महिला ने बताया कि वह भी एक मसीही विश्वासी है लेकिन मादक पदार्थों की लत से निकलने के लिए जूझ रही है। मेरी पत्नी ने प्रेम और आदर के साथ इस दुखी महिला की बातें सुनीं और उस के साथ बातचीत भी करी, उस के विश्वास को बढ़ाया। उस दुखी जन को उसकी हर परिस्थिति में उसके साथ बनी हुई परमेश्वर कि उपस्थिति का तथा स्वर्ग का एहसास कराने के साथ, मेरी पत्नी ने उसे एक अच्छे भविष्य की आशा भी दी।

   जब परमेश्वर ने मूसा को अपने निर्देशों के अनुसार एक पवित्र स्थान बनाने के लिए कहा, तो उसका एक उद्देश्य यह भी था कि उसके लोग उन के मध्य उस की उपस्थिति के एहसास के साथ रहें। बाद में जब राजा सुलेमान ने परमेश्वर के मन्दिर को बनवाया, तो उस के द्वारा भी लोगों को अपने बीच परमेश्वर के निवास के एहसास होता था (१ राजा ५-८)। फिर परमेश्वर का वह सिद्ध पवित्र स्थान, प्रभु यीशु मनुष्यों बीच डेरा करने आया (यूहन्ना १:१४)। इन सभी पवित्र स्थानों के द्वारा परमेश्वर की इच्छा रही है कि उसके जन सदा उनके साथ उसकी उपस्थिति के एहसास में जीवन बिताएं। जब प्रभु यीशु का स्वर्गारोहण हुआ तो उन्होंने अपने पवित्र आत्मा को अपने अनुयायियों के साथ रहने को भेजा ( यूहन्ना १४:१६-१७), जिस से उनके अनुयायी परमेश्वर के निवास स्थान और मन्दिर बन कर रहें (१ कुरिन्थियों ३:१६; ६:१९)।

   आज परमेश्वर के मन्दिर और निवास स्थान होने के कारण हम मसीही विश्वासियों को परमेश्वर की ओर से यह ज़िम्मेवारी सौंपी गई है कि हम इस पाप और अशांति से भरे संसार को परमेश्वर की उपस्थिति का एहसास कराएं। हमारे जीवनों में और हमारे जीवनों के द्वारा वे स्वर्ग का एहसास कर सकें, स्वर्ग के खोजी हो सकें और प्रभु यीशु को समर्पण द्वारा वे भी परमेश्वर के मन्दिर बनें। - मार्विन विलियम्स


वह मसीही विश्वासी जो दूसरों के लिए छोटे छोटे कार्य करने को तैयार है, परमेश्वर के लिए बड़े बड़े कार्य कर सकता है।
क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? - १ कुरिन्थियों ३:१६
बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों ३:११-१७; ६:१५-२०
1Co 3:11  क्‍योंकि उस नेव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता।
1Co 3:12  और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्‍दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है।
1Co 3:13  तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा, क्‍योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है?
1Co 3:14   जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा।
1Co 3:15  और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्‍तु जलते जलते।
1Co 3:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्‍दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है?
1Co 3:17  यदि कोई परमेश्वर के मन्‍दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा, क्‍योंकि परमेश्वर का मन्‍दिर पवित्र है, और वह तुम हो।
1Co 6:15  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह मसीह के अंग हैं सो क्‍या मैं मसीह के अंग लेकर उन्‍हें वेश्या के अंग बनाऊं कदापि नहीं।

1Co 6:16  क्‍या तुम नहीं जानते, कि जो कोई वेश्या से संगति करता है, वह उसके साथ एक तन हो जाता है क्‍योंकि वह कहता है, कि वे दोनों एक तन होंगे।
1Co 6:17   और जो प्रभु की संगति में रहता है, वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
1Co 6:18  व्यभिचार से बचे रहो: जितने और पाप मनुष्य करता है, वे देह के बाहर हैं, परन्‍तु व्यभिचार करने वाला अपनी ही देह के विरूद्ध पाप करता है।
1Co 6:19  क्‍या तुम नहीं जानते, कि तुम्हारी देह पवित्रात्मा का मन्‍दिर है जो तुम में बसा हुआ है और तुम्हें परमेश्वर की ओर से मिला है, और तुम अपने नहीं हो?
1Co 6:20   कयोंकि दाम देकर मोल लिये गए हो, इसलिये अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो।
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा १०-१२ 
  • यूहन्ना १:२९-५१

बुधवार, 9 मई 2012

सुरक्षा स्थल

   जब चीन के नैनजिन्ग प्रांत में युद्ध से अत्याचार होने लगे तो आम नागरिकों को भी बहुत कष्टों का सामना करना पड़ा। महिलाएं भी इन अत्याचारों से अछूती नहीं थीं, बहुत सी महिलाओं को मार डाला गया या उन्हें हिंसा को झेलना पड़ा। इस भीषण परिस्थिति में एक मिशनरी अध्यापिका, मिन्नी वौट्रिन ने, चीनी महिलाओं को हिंसा और अत्याचार से बचाने के लिए अद्भुत साहस के कार्य करे। मिन्नी ने चीनी नागरिकों, अन्य मिशनरीयों, डाक्टरों और व्यापारियों के साथ मिल कर, जिस कॉलेज में वह अध्यापिका थी, उसे एक सुरक्षा स्थल बना लिया जहां हज़ारों स्त्रियों और लड़कियों ने शरण पाई और युद्ध के अत्यचारों से बच सके।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम दो पात्रों को देखते हैं - रूथ और उसकी सास नाओमी; उन्हें भी एक सुरक्षा स्थल की आवश्यक्ता थी। बहुत वर्ष पहले देश में पड़े अकाल के कारण नाओमी के परिवार ने अपना वह इलाका छोड़ दिया था और परदेश में जाकर रहने लगे थे। परदेश में ही नाओमी के दोनो पुत्रों ने शादियां करीं, किंतु वहीं नाओमी का पति और उसके दोनो पुत्र चल बसे। एक बहु तो अपने देश में ही रह गई, दुसरी बहु रूथ, अपनी सास के साथ वापस देश में आ गए। अब इन दोनो विधवाओं को अपनी गुज़र-बसर करने के लिए फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे पड़े अनाज को बीन कर काम चलाना पड़ता था। उनके लिए अब बचाव का एक ही उपाए था कि कोई ’छुड़ाने वाला कुटुंबी’ मिल जाए और उन्हें स्वीकार कर ले - एक ऐसा जन जो नाओमी के परिवार से संबंधित हो और रूथ को ब्याह कर अपने घर लेने को तैयार हो।

   बोआज़ एक ऐसा कुटुंबी था। उसने नाओमी के प्रति रूथ के प्रेम और त्याग को जाना था और वह उसके परमेश्वर के प्रति प्रेम (रूथ २:१२), तथा भले चरित्र और स्वभाव से भी प्रभावित था। बोआज़ ने सभी विधियों का निर्वाह करते हुए रूथ को उसकी उस दयनीय दशा से ’छुड़ा’ लिया और आदर के साथ अपनी पत्नी बना कर अपने घर ले आया। बोआज़ का घर उनके लिए सुरक्षा स्थल बन गया और नाओमी तथा रूथ को संरक्षण मिला। बोआज़ और रूथ का परपोता दाउद हुआ, जो इस्त्राएल का सबसे प्रीय राजा बना, और फिर जिसके वंश में संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु का जन्म हुआ।

   हमारा एकमात्र शरण स्थान तो प्रभु ही (भजन ४६:१), लेकिन वह हम में होकर अपने कार्य करता है। वह चाहता है कि हम उसके लिए लोगों के ’सुरक्षा स्थल’ बनें, जहां पाप और दुख में पड़े लोगों को सांत्वना मिले, तकलीफों से राहत मिले और उद्धारकर्ता परमेश्वर प्रभु के बारे में वे जान सकें, उद्धार पा सकें और अपने अनन्त काल के सुरक्षा स्थल - प्रभु यीशु में आश्रय पा सकें। - डेनिस फिशर


जो प्रेम प्रदर्शित करते हैं वे प्रेम करते भी हैं। - शेक्सपीयर
 
यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे। - रूथ २:१२
 
बाइबल पाठ: रूथ २:१-१२
Rth 2:1  नाओमी के पति एलीमेलेक के कुल में उसका एक बड़ा धनी कुटुम्बी था, जिसका नाम बोअज था।
Rth 2:2  और मोआबिन रूत ने नाओमी से कहा, मुझे किसी खेत में जाने दे, कि जो मुझ पर अनुग्रह की दृष्टि करे, उसके पीछे पीछे मैं सिला बीनती जाऊं। उस ने कहा, चली जा, बेटी।
Rth 2:3  सो वह जाकर एक खेत में लवने वालों के पीछे बीनने लगी, और जिस खेत में वह संयोग से गई थी वह एलीमेलेक के कुटुम्बी बोअज का था।
Rth 2:4  और बोअज बेतलेहेम से आकर लवने वालों से कहने लगा, यहोवा तुम्हारे संग रहे, और वे उस से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे।
Rth 2:5  तब बोअज ने अपने उस सेवक से जो लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था पूछा, वह किस की कन्या है।
Rth 2:6  जो सेवक लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था उस ने उत्तर दिया, वह मोआबिन कन्या है, जो नाओमी के संग मोआब देश से लौट आई है।
Rth 2:7  उस ने कहा था, मुझे लवने वालों के पीछे पीछे पूलों के बीच बीनने और बालें बटोरने दे। तो वह आई, और भोर से अब तक यहीं है, केवल थोड़ी देर तक घर में रही थी।
Rth 2:8  तब बोअज ने रूत से कहा, हे मेरी बेटी, क्या तू सुनती है? किसी दूसरे के खेत में बीनने को न जाना, मेरी ही दासियों के संग यहीं रहना।
Rth 2:9  जिस खेत को वे लवतीं हों उसी पर तेरा ध्यान बन्धा रहे, और उन्हीं के पीछे पीछे चला करना। क्या मैं ने जवानों को आज्ञा नहीं दी, कि तुझ से न बोलें? और जब जब तुझे प्यास लगे, तब तब तू बरतनों के पास जाकर जवानों का भरा हुआ पानी पीना।
Rth 2:10  तब वह भूमि तक झुक कर मुंह के बल गिरी, और उस से कहने लगी, क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि कर के मेरी सुधि ली है?
Rth 2:11  बोअज ने उत्तर दिया, जो कुछ तू ने पति मरने के पीछे अपनी सास से किया है, और तू किस रीति अपने माता पिता और जन्मभूमि को छोड़ कर ऐसे लोगों में आई है जिनको पहिले तू ने जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है।
Rth 2:12  यहोवा तेरी करनी का फल दे, और इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके पंखों के तले तू शरण लेने आई है तुझे पूरा बदला दे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा ७-९ 
  • यूहन्ना १:१-२८

मंगलवार, 8 मई 2012

व्याव्हारिक प्रेम

   आयर्लैंड के डबलिन शहर में स्थित चेस्टर बीट्टी पुस्तकालय में बाइबल के प्राचीन लेखों और भागों का संग्रह है। वहां रखे हुए एक छोटे से टुकड़े पर यूहन्ना रचित सुसमाचार के १९वें अध्याय का एक अंश है। इस अंश पर उस समय का विवरण दर्ज है जब प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, और उन्होंने अपनी माँ को संबोधित करके उनके प्रति अपने प्रेम और चिंता को व्यक्त किया था। उस अंश पर लिखे शब्द उस अध्याय के २६ पद से हैं जहां हम पढ़ते हैं, "यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है।"

   परमेश्वर के वचन के उस प्राचीन अंश को देखते हुए मुझे एक नया एहसास हुआ को प्रभु यीशु का प्रेम अपनी माता और अपने मित्र के प्रति कितना स्पष्ट और प्रत्यक्ष था। बड़े ही साफ रीति से उन्होंने संसार के सामने इस प्रेम और चिंता को प्रस्तुत किया, यह कह कर कि अब उन के बाद उनका मित्र युहन्ना ही उनकी माता की देखभाल करेगा। वहां क्रूस पर लटके हुए, उस बेबयान पीड़ा में भी प्रभु ने अपने चेले और मित्र युहन्ना से कहा, "’यह तेरी माता ह’, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया" (पद २७)।

   आज का यह दिन उपयुक्त समय कि आप अपनी माँ के प्रति अपने प्रेम को प्रत्यक्ष रूप में प्रकट करें, यदि वे संसार में उपस्थित हैं; अन्यथा उन के लिए परमेश्वर का धन्यवाद करें। अपने प्रेम को, किसी न किसी रूप में, व्यावाहारिक बनाएं। - बिल क्राउडर


अब्राहम लिंकन ने कहा: "परमेश्वर मेरी माँ पर आशीष दें; मैं जो कुछ भी हूँ, या हो सकता हूँ, उस सब के लिए मैं उसका ऋणी हूँ।"
यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है। - यूहन्ना १९:२६
बाइबल पाठ: यूहन्ना १९:२५-३०
Joh 19:25 परन्‍तु यीशु के क्रूस के पास उस की माता और उस की माता की बहिन मरियम, क्‍लोपास की पत्‍नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थीं।
Joh 19:26  यीशु ने अपनी माता, और उस चेले को, जिससे वह प्रेम करता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा, हे नारी, देख यह तेरा पुत्र है।
Joh 19:27  तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया।
Joh 19:28 इस के बाद यीशु ने यह जान कर कि अब सब कुछ हो चुका, इसलिये कि पवित्र शास्‍त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं।
Joh 19:29 वहां एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्‍होंने सिरके के भिगोए हुए इस्‍पंज को जूफे पर रख कर उसके मुंह से लगाया।
Joh 19:30  जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा पूरा हुआ और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए।
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा ४-६ 
  • लूका २४:३६-५३

सोमवार, 7 मई 2012

परमेश्वर की उपस्थिति

   भाई लौरेंस बैराग लेकर एक मठ में रहने वाले बैरागी थे। १७वीं शताब्दी के इस बैरागी को मठ में रसोई में कार्य और सफाई करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। अपनी इस तुच्छ प्रतीत होने वाली ज़िम्मेदारी को परमेश्वर के प्रति जिस समर्पण और प्रेम भावना से उन्होंने निभाया था, वह आज भी लोगों के लिए एक उदाहरण है। अपनी पुस्तक, The Practice of the Presence of God में भाई लौरेंस ने परमेश्वर को, प्रतिदिन के कार्य करते रहने में भी, संपूर्ण समर्पण करने के तरीके बताए, चाहे वह कार्य भोजन पकाना हो या अन्य साथियों के जूते साफ करना। लौरेंस का कहना था कि आप के आत्मिक जीवन की गहराई इस बात पर निर्भर नहीं है कि आप अपने हालात को कितना बदल पाते हैं, वरन इस बात पर निरभर है कि आप किस उद्देश्य से कार्य करते हैं - जो आप सामन्यतः अपने लिए करते हैं उसे परमेश्वर के लिए करना आरंभ कर दीजिए, और आपका कार्य करने का ढंग ही बदल जाएगा।

   भाई लौरेंस की प्रशंसा में लिखे गए एक विवरण में कहा गया, "इस भले भाई को परमेश्वर की उपस्थिति हर स्थान पर मिलती थी, चाहे वह प्रार्थना का समय हो या जूते साफ तथा ठीक करने का। उन की दृष्टि कार्य पर नहीं, उपस्थित परमेश्वर पर लगी होती थी। वे जानते थे कि कार्य जितना उनकी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विरुद्ध होगा, उसे भली भांति कर के वह उतने ही अधिक प्रेम के साथ परमेश्वर को उसे भेंट के रूप में अर्पित कर सकेंगे।"

   इस बात ने मेरी पत्नी को बहुत प्रभावित किया। शिकागो नगर के एक भाग में बुज़ुर्ग व्यक्तियों के बीच उनकी सहायातार्थ कार्य करते समय मेरी पत्नि को कई बार ऐसे कार्य करने होते थे जो उसकी प्रवृत्ति के विरुद्ध होते थे, जिन्हें करना उसे पसन्द नहीं था। ऐसे कार्यों को करते समय, वह अपने आप को स्मरण दिलाती रहती थी कि उसे बस केवल परमेश्वर और उसकी महिमा को ही अपने सामने रखना है और उसी के लिए वह कार्य करना है।

   सतत प्रयास के साथ, कठिन से कठिन लगने वाला कार्य भी परमेश्वर के लिए और परमेश्वर को अर्पित करने के लिए किया जा सकता है (कुलुस्सियों ३:१७)। - फिलिप यैन्सी


कार्य को मात्र कर्तव्य देखना ऊबा देने वाली नीरसता है; प्रेम सहित कर्तव्य का निर्वाह आनन्द है।
 
और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो। - कुलुस्सियों ३:१७
 
बाइबल पाठ: कुलुस्सियों ३:१२-१७
Col 3:12  इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
Col 3:13  और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
Col 3:14 और इन सब के ऊपर प्रेम को जो सिद्धता का कटिबन्‍ध है बान्‍ध लो।
Col 3:15 और मसीह की शान्‍ति जिस के लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे, और तुम धन्यवादी बने रहो।
Col 3:16 मसीह के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो, और सिद्ध ज्ञान सहित एक दूसरे को सिखाओ, और चिताओ, और अपने अपने मन में अनुग्रह के साथ परमेश्वर के लिए भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाओ।
Col 3:17  और वचन से या काम से जो कुछ भी करो सब प्रभु यीशु के नाम से करो, और उसके द्वारा परमेश्वर पिता का धन्यवाद करो।
 
एक साल में बाइबल: 
  • २ राजा १-३ 
  • लूका २४:१-३५

रविवार, 6 मई 2012

सुनने के लिए समय

   इतिहासकार कैसियस डियो ने रोमी सम्राट हेड्रियन (११७-१३८ ईस्वीं) के जीवन की एक रोचक घटना लिखी। हेड्रियन मार्ग से होकर एक कार्य के लिए जा रहा था कि एक महिला ने उससे रुक कर उसकी विनती सुनने का आग्रह किया। हेड्रियन बिना रुके, यह कहते हुए आगे बढ़ गया कि "मेरे पास समय नहीं है।" किंतु जब उस महिला ने पीछे से पुकार कर कहा, "तो फिर अपने सम्राट होने के पद को छोड़ दो", तो वह लौट कर आया और उस महिला की बात सुनी।

   हमारे अपने जीवनों में यही बात कितनी ही बार होती है; कितनी बार हमें सुनना या कहना पड़ता है कि, "अभी नहीं, अभी मैं व्यस्त हूँ", या "माफ कीजिए, मेरे पास अभी समय नहीं है"। किंतु हमारे परमेश्वर पिता के पास, जो इस सारी सृष्टि का सृजनहार और चलाने वाला है, हमारे लिए सदा समय रहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने लिखा, "यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं। धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है" (भजन३४:१५,१७)।

   हमारा परमेश्वर पिता किसी ऐसे सम्राट या व्यस्त अधिकारी के समान नहीं है जो अपने समय और कार्यों में आने वाली अड़चनों और बातों से बचने के प्रयास करता हो। हमारा पिता परमेश्वर अपने बच्चों की बात सुनने और उनकी प्रार्थना का उत्तर देने को सदा तैयार रहता है, उससे आनन्दित होता है; भजनकार ने आगे लिखा "यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है" (पद १८)।

   अपनी प्रजा के एक जन की बात सुनना, सम्राट हेड्रियन के पुनः विचार का नतीजा था; किंतु हमारे परमेश्वर का प्रथम विचार ही सदा हमारी सुनने के लिए होता है। हमें जब कभी उससे कुछ कहना हो, उसके पास हमारी बात सुनने के लिए समय सदैव होता है। - डेविड मैक्कैस्लैंड


परमेश्वर कभी इतना व्यस्त नहीं होता कि अपने बच्चों के लिए उसके पास समय ना हो।
इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया। - भजन३४:६
बाइबल पाठ: भजन३४:४-१८
Psa 34:4  मैं यहोवा के पास गया, तब उस ने मेरी सुन ली, और मुझे पूरी रीति से निर्भय किया।
Psa 34:5  जिन्होंने उसकी ओर दृष्टि की उन्होंने ज्योति पाई, और उनका मुंह कभी काला न होने पाया।
Psa 34:6  इस दीन जन ने पुकारा तब यहोवा ने सुन लिया, और उसको उसके सब कष्टों से छुड़ा लिया।
Psa 34:7  यहोवा के डरवैयों के चारों ओर उसका दूत छावनी किए हुए उनको बचाता है।
Psa 34:8  परख कर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है।
Psa 34:9  हे यहोवा के पवित्र लोगों, उसका भय मानो, क्योंकि उसके डरवैयों को किसी बात की घटी नहीं होती!
Psa 34:10  जवान सिहों को तो घटी होती और वे भूखे भी रह जाते हैं, परन्तु यहोवा के खोजियों को किसी भली वस्तु की घटी न होवेगी।
Psa 34:11  हे लड़कों, आओ, मेरी सुनो, मैं तुम को यहोवा का भय मानना सिखाऊंगा।
Psa 34:12  वह कौन मनुष्य है जो जीवन की इच्छा रखता, और दीर्घायु चाहता है ताकि भलाई देखे?
Psa 34:13  अपनी जीभ को बुराई से रोक रख, और अपने मुंह की चौकसी कर कि उस से छल की बात न निकले।
Psa 34:14  बुराई को छोड़ और भलाई कर, मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर।
Psa 34:15  यहोवा की आंखे धर्मियों पर लगी रहती हैं, और उसके कान भी उसकी दोहाई की ओर लगे रहते हैं।
Psa 34:16  यहोवा बुराई करने वालों के विमुख रहता है, ताकि उनका स्मरण पृथ्वी पर से मिटा डाले।
Psa 34:17  धर्मी दोहाई देते हैं और यहोवा सुनता है, और उनको सब विपत्तियों से छुड़ाता है।
Psa 34:18  यहोवा टूटे मन वालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा २१-२२ 
  • लूका २३:२६-५६