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शुक्रवार, 1 जनवरी 2010

उस पर जीयो

हर साल मेरे लक्ष्यों में से एक पूरी बाइबिल पढ़ना है| वह नए साल के मेरे निरानायों में से एक है. मैं ने अपनी मेज़ पर एक प्रष्ठ-संकेत देखा, जिसके एक ओर अनाथ बचों की देख रेख की अपील थी| दूसरी और यह शब्द थे "यों ही मत पढो, उसपर जियो | वास्तविक बच्चे| वास्तविक कहानियाँ| वास्तविक जीवन|" उस प्रष्ठ-संकेत को बनाने वाले जानते थे की हम सरलता से पढ़ लेते हैं परन्तु उसपर चलते नहीं हैं| वे चाहते थे की पढ़ाने का परिणाम कार्य में हो|

परमेश्वर के वचन की क्रमिक पढाई अच्छी है, परन्तु उससे उद्देश्य पूर्ती नहीं होती| भविष्यद्वक्ता यहेजकेल के श्रोता भी केवल सुनने वाले थे, उनपर अमल नहीं करते थे| परमेश्वर ने यहेजकेल से कहा, "तू उनकी द्रष्टि में प्रेम के मधुर गीत गानेवाले और अच्छे बजानेवाले का सा ठहरा है, क्योंकि वे तेरे वचन सुनते तो हैं परन्तु उनपर चलते नहीं" (३३:३२) | यीशू ने कहा, "जो कोइ मेरी यह बातें सुनकर उन्हें मानता है, वह उस बुद्धीमान मनुष्य की नई ठहरेगा, जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया" (मत्ती :२४)|

हम इस साल बाइबिल कैसे पढ़ेंगे? क्या हम उसे जलदी-जलदी पढ़के ख़तम करने के लक्ष्य से पढ़ेंगे? या उसके वचनों पर चलने के लक्ष्य से? उसे केवल पढो नहीं उसपर जीयो|- DCM
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बाइबिल का मूल्य उसे जानने में नहीं, उसे मानने में है|

बाइबिल एक साल में, पढिये :

* उत्पत्ति १-३
* मत्ती १