ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 2 मई 2012

आर्थिक मन्दी से शिक्षाएं

   अपने सन्देश "आर्थिक मन्दी के उद्देश्य" में पास्टर जौन पाइपर कहते हैं कि जब अर्थ व्यवस्था में गिरावट आती है तो परमेश्वर उस से भी अपने उद्देश्य पूरे करने में सक्षम है, जैसे:
  1.  - हमारे छुपे हुए पाप प्रगट कर के हमें पश्चाताप और शुद्धता में लाना।
  2.  - हमारा ध्यान विकासशील देशों की स्थिति की ओर खेंचना और हमें उन की आवश्यकताओं प्रति संवेदन शील करना, जहां हमेशा ही आर्थिक संकट बना रहता है।
  3.  - हमें एक बार फिर स्मरण दिलाना कि हमारे सुख-शांति का आधार उसका अनुग्रह है ना कि हमारी संपत्ति, उसकी दया है ना कि हमारी दौलत, उसकी सामर्थ्य है ना कि हमारी सामर्थ।
  4.  - संसार में उसके उद्धार और बचाव के सन्देश को और भी फैलाना तथा उसकी मण्डली की बढ़ोतरी को और भी बढ़ा कर दिखाना, यह प्रमाणित करने के लिए कि ये कार्य लिए सांसारिक स्त्रोतों और संपदा पर निर्भर नहीं हैं।
  5.  - अपनी मण्डली के सदस्यों को यह सीखने का अवसर देना कि वे अपने दुखते अंगों के दुख में शामिल हों, उनकी सहायता और देखभाल करें और प्रेम के वरदान में उन्नति पाएं।

   इन कठिन समयों में परमेश्वर हमें और क्या सिखाना चाहता है? 
  • यह कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है (लूका १:३७)। 
  • यह कि "वन के सारे जीव-जन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर" (भजन ५०:१०) उसी के हैं, और संसार की अर्थ व्यवस्था का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 
  • यह कि चाहे संसार की संपदा ने हमें छोड़ दिया हो किंतु परमेश्वर हमें कभी नहीं छोड़ता है; और 
  • संसार की बदलती परिस्थितियाँ उसके अनुयायियों के लिए उसके सुसमाचार प्रचार के उद्देश्य (मत्ती २८:२०) को बदल नहीं सकतीं, वह हर परिस्थिति में मान्य और लागू है।

   अपनी आशा सांसारिक धन संपत्ति पर नहीं वरन उस पर लगाएं जो संसार और सृष्टि का स्वामी है। - सिंडी हैस कैस्पर


जब आपके पास परमेश्वर के सिवाय और कुछ नहीं होता, तब आपके पास जिसे होना चाहिए वह होता है।
हे यहोवा ! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है, क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा ! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। - १ इतिहास २९:११
बाइबल पाठ: भजन ५०:१-११
Psa 50:1  ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है।
Psa 50:2  सिरयोन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है।
Psa 50:3  हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी, और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी।
Psa 50:4  वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर से आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा:
Psa 50:5  मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ा कर मुझ से वाचा बान्धी है!
Psa 50:6  और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है।
Psa 50:7  हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूं, और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूं। परमेश्वर तेरा परमेश्वर मैं ही हूं।
Psa 50:8  मैं तुझ पर तेरे मेलबलियों के विषय दोष नहीं लगाता, तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं।
Psa 50:9  मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा।
Psa 50:10  क्योंकि वन के सारे जीव-जन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं।
Psa 50:11  पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं, और मैदान पर चलने फिरने वाले जानवर मेरे ही हैं।
एक साल में बाइबल: 
  • १ राजा १२-१३ 
  • लूका २२:१-२०