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शनिवार, 23 जून 2012

कंटीली झाड़ियां

   इस वसन्त ऋतु में परमेश्वर ने हमें अच्छी बारिश दी, इस कारण हमारे घर के पिछवाड़े में उगने वाली जंगली कंटीली झाड़ीयां और जंगली फूल भी बहुतायात से हुए। बटरकप फूलों की छटा तो देखे ही बनती थी, वे आकार में बड़े और बहुत सुन्दर थे। इससे पहले कि वे मुर्झा जाएं, मैंने चाहा कि उनकी फोटो उतार कर रख लूँ। लेकिन उनके निकट पहुंचना कठिन था, क्योंकि वे कीचड़ और कंटीली झाड़ियों में उगे हुए थे। एक दोपहर को मैंने फोटो लेने की ठान ही ली, और अपनी तैयारी कर के मैं उन फूलों की ओर चल पड़ी। उन बटरकप फूलों तक पहुँचने से पहले ही मेरे पांव कीचड़ में लथपथ हो गए, मेरे हाथ-पैरों पर झाड़ियों से खरोंचें आ गईं और मुझे कई जगह पर कीड़ों ने भी काट लिया; परन्तु उन फूलों की सुन्दरता को निकट से देख तथा निहार पाने के आनन्द ने मेरे उन सभी कष्टों को भुला दिया; उन सुन्दर फूलों की ली गई फोटो के द्वारा आते समय में दूसरों तक उनकी सुन्दरता को पहुँचा पाने और उनके जीवनों को भी आनन्दित कर पाने के आनन्द के सामने मेरे वे कष्ट कुछ भी नहीं थे।

   हमारे जीवन का अधिकांश भाग उन परेशानियों और परीक्षाओं से निकलने में व्यतीत होता है जिनका होना इस पाप से भरे संसार में अवश्यंभावी है। इन्ही परीक्षाओं में से एक है सताव। प्रभु यीशु के चेलों ने भी इस बात को अपने जीवनों में सत्य पाया। वे चेले उन भली बातों और आशीषों को जानते थे जो परमेश्वर ने उनके लिए रख छोड़ी हैं, परन्तु जब परमेश्वर द्वारा पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को उन्होंने संसार को बताना चाहा तो चेलों को बहुत प्रतिरोध और सताव का सामना करना पड़ा (प्रेरितों १४:५); और यही तब से लेकर आज तक भी होता आ रहा है।

   जिन मसीही विश्वासियों ने परमेश्वर के कार्य को करना ठान रखा है, और जो जानते हैं कि परमेश्वर का मार्ग ही सबसे उत्तम मार्ग है (१ कुरिन्थियों १२:३१), वे यह भी जानते हैं कि इस मार्ग पर चलने के लिए उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पड़ेगा, बहुत दुख उठाने पड़ेंगे और इस मार्ग में वे ’कंटिली झाड़ियों’ द्वारा घायल भी होंगे। लेकिन इस मार्ग पर चलने से मिलने वाली आशीषों के सामने ये दुख कुछ भी नहीं हैं; दूसरों के जीवनों में परमेश्वर की करुणा, क्षमा और शांति के आनन्द को ला पाने के सुख के सामने संसार से मिलने वाले ये दुख बहुत ही गौण हैं। और फिर जो प्रतिफल स्वर्ग में हमारे लिए हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने रखा हुआ है, उसके सामने तो इन दुखों की कोई हस्ती ही नहीं है।

   मार्ग की कंटिली झाड़ियों की ओर नहीं, अन्त के सुख पर अपनी नज़रें लगाइये और बिना विचिलित हुए परमेश्वर के कार्य को पूरा करने में लगे रहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


पृथ्वी - परीक्षाओं का स्थान; स्वर्ग - प्रतिफलों का स्थान।


और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे, कि हमें बड़े क्‍लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा। - प्रेरितों १४:२२

बाइबल पाठ: प्रेरितों १४:१-७, १९-२२
Act 14:1  इकुनियुम में ऐसा हुआ कि वे यहूदियों की आराधनालय में साथ साथ गए, और ऐसी बातें की, कि यहूदियों और यूनानियों दोनों में से बहुतों ने विश्वास किया।
Act 14:2 परन्‍तु न मानने वाले यहूदियों ने अन्यजातियों के मन भाइयों के विरोध में उकसाए, और बिगाड़ कर दिए।
Act 14:3 और वे बहुत दिन तक वहां रहे, और प्रभु के भरोसे पर हियाव से बातें करते थे: और वह उन के हाथों से चिन्‍ह और अद्भुत काम करवाकर अपने अनुग्रह के वचन पर गवाही देता था।
Act 14:4 परन्‍तु नगर के लोगों में फूट पड़ गई थी; इस से कितने तो यहूदियों की ओर, और कितने प्रेरितों की ओर हो गए।
Act 14:5 परन्‍तु जब अन्यजाति और यहूदी उन का अपमान और उन्‍हें पत्थरवाह करने के लिये अपने सरदारों समेत उन पर दौड़े।
Act 14:6 तो वे इस बात को जान गए, और लुकाउनिया के लुस्‍त्रा और दिरबे नगरों में, और आसपास के देश में भाग गए।
Act 14:7  और वहां सुसमाचार सुनाने लगे।
Act 14:19 परन्‍तु कितने यहूदियों ने अन्‍ताकिया और इकुनियम से आकर लोगों को अपनी ओर कर लिया, और पौलुस को पत्थरवाह किया, और मरा समझकर उसे नगर के बाहर घसीट ले गए।
Act 14:20  पर जब चेले उस की चारों ओर आ खड़े हुए, तो वह उठकर नगर में गया और दूसरे दिन बरनबास के साथ दिरबे को चला गया।
Act 14:21 और वे उस नगर के लोगों को सुसमाचार सुनाकर, और बहुत से चेले बनाकर, लुस्‍त्रा और इकुनियम और अन्‍ताकिया को लौट आए।
Act 14:22 और चेलों के मन को स्थिर करते रहे और यह उपदेश देते थे, कि हमें बड़े क्‍लेश उठाकर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना होगा।


एक साल में बाइबल: 

  • एस्तेर ९-१० 
  • प्रेरितों ७:१-२१