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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

समीक्षा


   दिसंबर माह के अन्तिम सप्ताह में समाचार संपादक वर्ष की समीक्षा करते हैं और मुख्य घटनाओं का ब्यौरा बनाते हैं - प्रमुख व्यक्तियों की सफलताएं और असफलताएं, प्राकृतिक आपदाएं, आर्थिक चुनौतियाँ,  नेताओं, गण-मान्य तथा प्रतिभाशाली व्यक्तियों की मृत्यु इत्यादि सब उनकी समीक्षा का विषय होते हैं और सबसे अधिक आश्चर्यजनक या चौंका देने वाली बातें उनके द्वारा प्रस्तुत विवरण में प्राथमिकता पाती हैं।

   यदि आप अपने जीवन के बीते वर्ष की समीक्षा करें तो आपकी सूची में क्या आएगा? क्या अपने जीवन में घटी किसी अप्रत्याशित घटना के कारण आप ने परमेश्वर और उसके कार्यों पर कोई प्रश्नचिन्ह लगाया, या, वह घटना, आपके लिए उसकी भलाई को और भी गहरे रूप में अनुभव करने का माध्यम बनी?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन ७७ भजनकार के विलाप और अनुभव हैं। भजनकार को लगा जैसे परमेश्वर ने उसे छोड़ दिया है, उसपर से अपना अनुग्रह हटा लिया है: "क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा? क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है? क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है?" (भजन ७७:७-९)। परन्तु अपने दुख में भी भजनकार ने निश्चय किया कि, "मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा" (भजन ७७:११)। उसके इस निर्णय का परिणाम हुआ परमेश्वर में उसके विश्वास और आशा की पुनःस्थापना: "अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है" (भजन ७७:१४)।

   इस वर्ष की समीक्षा करते हुए अपने जीवन की मुख्य घटनाओं को लिख लें। अपनी इस समीक्षा के ब्यौरे में जीवन कि कठिनाईयों और निराशाओं को सम्मिलित करने से ना हिचकिचाएं; साथ ही उन बातों को भी स्मरण करें जिनमें आप ने परमेश्वर कि उपस्थिति अपने साथ बनी हुई अनुभव करी। आपकी समीक्षा आपको दिखाएगी कि हर कठिन परिस्थिति में परमेश्वर आपके प्रति विश्वासयोग्य और भला ही रहा है। - डेविड मैक्कैसलैंड



जीवन में आने वाली कठिनाईयाँ परमेश्वर की विश्वासयोग्यता अनुभव करने के अवसर होते हैं।

मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा। - भजन ७७:११

बाइबल पाठ: भजन ७७:१-१४
Ps 77:1  मैं परमेश्वर की दोहाई चिल्ला चिल्लाकर दूंगा, मैं परमेश्वर की दोहाई दूंगा, और वह मेरी ओर कान लगाएगा।
Ps 77:2  संकट के दिन मैं प्रभु की खोज में लगा रहा; रात को मेरा हाथ फैला रहा, और ढीला न हुआ, मुझ में शांति आई ही नहीं।
Ps 77:3  मैं परमेश्वर का स्मरण कर कर के करहाता हूं; मैं चिन्ता करते करते मूर्छित हो चला हूं। (सेला)
Ps 77:4  तू मुझे झपक्की लगने नहीं देता; मैं ऐसा घबराया हूं कि मेरे मुंह से बात नहीं निकलती।
Ps 77:5  मैंने प्राचीन काल के दिनों को, और युग युग के वर्षों को सोचा है।
Ps 77:6  मैं रात के समय अपने गीत को स्मरण करता; और मन में ध्यान करता हूं, और मन में भली भांति विचार करता हूं:
Ps 77:7  क्या प्रभु युग युग के लिये छोड़ देगा; और फिर कभी प्रसन्न न होगा?
Ps 77:8  क्या उसकी करूणा सदा के लिये जाती रही? क्या उसका वचन पीढ़ी पीढ़ी के लिये निष्फल हो गया है?
Ps 77:9  क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उसने क्रोध कर के अपनी सब दया को रोक रखा है? (सेला)
Ps 77:10  मैने कहा यह तो मेरी दुर्बलता ही है, परन्तु मैं परमप्रधान के दाहिने हाथ के वर्षों को विचारता हूं।
Ps 77:11  मैं याह के बड़े कामों की चर्चा करूंगा; निश्चय मैं तेरे प्राचीन काल वाले अद्भुत कामों को स्मरण करूंगा।
Ps 77:12  मैं तेरे सब कामों पर ध्यान करूंगा, और तेरे बड़े कामों को सोचूंगा।
Ps 77:13  हे परमेश्वर तेरी गति पवित्रता की है। कौन सा देवता परमेश्वर के तुल्य बड़ा है?
Ps 77:14  अद्भुत काम करने वाला ईश्वर तू ही है, तू ने अपने देश देश के लोगों पर अपनी शक्ति प्रगट की है।

एक साल में बाइबल: 
  • ज़कर्याह ५-८ 
  • प्रकाशितवाक्य १९