ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 2 जून 2017

महत्वहीन?


   हम उन सात अरब लोगों में से एक हैं जो इस पृथ्वी पर निवास करते हैं; उस पृथ्वी पर जो आकार में अपेक्षाकृत महत्वहीन एक सौर-मंडल का एक छोटा सा भाग है। वास्तव में हमारी पृथ्वी परमेश्वर द्वारा सृजे गए करोड़ों आकाशीय पिंडों में एक छोटा सा नीला बिंदु मात्र है। इस अति विशाल सृष्टि के दृश्य-पटल पर हमारी सुन्दर, भव्य पृथ्वी धूल के एक छोटे से कण के समान दिखाई देती है, और हम उस कण पर निवास करने वाले अरबों व्यक्तियों में से एक हैं।

   यह विचार हमें अत्यंत महत्वहीन और नगण्य अनुभव करवा सकता है। परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि वास्तव में इसका उलट ही सही है। हमारे महान परमेश्वर, जिसके विषय लिखा गया है, "किस ने महासागर को चुल्लू से मापा और किस के बित्ते से आकाश का नाप हुआ, किस ने पृथ्वी की मिट्टी को नपवे में भरा और पहाड़ों को तराजू में और पहाडिय़ों को कांटे में तौला है?" (यशायाह 40:12), की दृष्टि में हम में से प्रत्येक व्यक्ति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उसने हम सब को अपने ही स्वरूप में रचा है, हमें अपनी इस भवय सृष्टि का आनन्द लेने के लिए बनाया है (1 तिमुथियुस 6:17)। जितने जन अपने पापों से पश्चाताप कर के प्रभु यीशु पर विश्वास लाते हैं, उसे अपना प्रभु मान लेते हैं, उन सबके लिए परमेश्वर ने कुछ भले कार्य निर्धारित किए हैं (इफिसियों 2:10)। इस सृष्टि की विशालता के बावजूद परमेश्वर हम में से प्रत्येक के बारे में सब कुछ जानता है, हम में से प्रत्येक की परवाह करता है।

   बाइबल में भजन 139 हमें बताता है कि परमेश्वर जानता है कि हम क्या कहने जा रहे हैं, क्या विचार कर रहे हैं। हम उसकी उपस्थिति से कहीं भाग नहीं सकते, बच नहीं सकते, उसकी नज़रों से कहीं भी ओझल नहीं हो सकते हैं। उसने हमारे जन्म से पूर्व ही हमारे अस्तित्व का प्रत्येक पल नियोजित किया है। हमारे परमेश्वर पिता ने हमें अनन्त विनाश से निकालकर अनन्त आनन्द के जीवन में लाने के लिए, हमारे पापों की क्षमा के लिए अपने एकलौते पुत्र को भी नहीं रख छोड़ा, वरन उसे भी इस संसार में भेजकर बलिदान कर दिया जिससे उसके साथ हमारा मेल-मिलाप हो सके। यदि इस सृष्टि के सृजनहार की नज़रों में हम इतने महत्वपूर्ण, इतने कीमती हैं, तो फिर हम महत्वहीन कैसे हो सकते हैं? - डेव ब्रैनन

   
जिस परमेश्वर ने इस सृष्टि को सृजा, वह आपसे भी प्रेम करता है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: भजन 139:7-16
Psalms 139:7 मैं तेरे आत्मा से भाग कर किधर जाऊं? वा तेरे साम्हने से किधर भागूं? 
Psalms 139:8 यदि मैं आकाश पर चढूं, तो तू वहां है! यदि मैं अपना बिछौना अधोलोक में बिछाऊं तो वहां भी तू है! 
Psalms 139:9 यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बसूं, 
Psalms 139:10 तो वहां भी तू अपने हाथ से मेरी अगुवाई करेगा, और अपने दाहिने हाथ से मुझे पकड़े रहेगा। 
Psalms 139:11 यदि मैं कहूं कि अन्धकार में तो मैं छिप जाऊंगा, और मेरे चारों ओर का उजियाला रात का अन्धेरा हो जाएगा, 
Psalms 139:12 तौभी अन्धकार तुझ से न छिपाएगा, रात तो दिन के तुल्य प्रकाश देगी; क्योंकि तेरे लिये अन्धियारा और उजियाला दोनों एक समान हैं।
Psalms 139:13 मेरे मन का स्वामी तो तू है; तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। 
Psalms 139:14 मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। 
Psalms 139:15 जब मैं गुप्त में बनाया जाता, और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं। 
Psalms 139:16 तेरी आंखों ने मेरे बेडौल तत्व को देखा; और मेरे सब अंग जो दिन दिन बनते जाते थे वे रचे जाने से पहिले तेरी पुस्तक में लिखे हुए थे।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 17-18
  • यूहन्ना 13:1-20