ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें : rozkiroti@gmail.com / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

अवस्था लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अवस्था लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 11 जून 2019

अवस्था



      हमारे चर्च के स्तुतिगान समूह में जब मेरे पति माउथ-ऑर्गन बजाते हैं तो मैंने ध्यान किया है कि वे कभी-कभी बजाते समय अपनी आँखे बन्द कर लेते हैं। उनका कहना है कि वे यह इसलिए करते हैं जिससे उनका ध्यान बंटाने वाली किसी बात के कारण उनके बजाने में खलल न पड़े और वे पूरी एकाग्रता से बजा सकें; उनका ध्यान केवल उनके माउथ-ऑर्गन, संगीत और स्वयँ पर हो और इन सबके द्वारा वे पूरी लगाने के साथ परमेश्वर की स्तुति कर सकें।

      कुछ लोग सोचते हैं कि प्रार्थना करते समय आँखें बन्द रखना क्या आवश्यक है? क्योंकि हम कभी भी, किसी भी समय प्रार्थना कर सकते हैं, इसलिए सदा ही आँखे बन्द करना शायद संभव न हो – जैसे कि तब, जब हम कहीं टहलने निकले हैं, या बागबानी कर रहे हैं, या गाड़ी चला रहे हैं।

      जब हम परमेश्वर से वार्तालाप कर रहे हों, तो परमेश्वर के वचन बाइबल में हमारे किसी विशेष अवस्था में होने के लिए कोई नियम या अनिवार्यता नहीं है। जब राजा सुलेमान ने मंदिर के समर्पण के समय प्रार्थना की तो उसने घुटने टेक कर और अपने हाथ स्वर्ग की ओर उठाकर प्रार्थना की (2 इतिहास 6:13-14)। बाइबल में घुटने टेक कर (इफिसियों 3:14), खड़े होकर (लूका 18:10-13), औंधे मूँह होकर (मत्ती 26:39) प्रार्थना करने की अवस्थाओं का उल्लेख आया है।

      हम चाहे परमेश्वर के सामने घुटने टेकें या खड़े हों, चाहे अपने हाथ स्वर्ग की ओर उठाएँ, या परमेश्वर पर ध्यान बेहतर केंद्रित करने के लिए आँखों को बन्द करें, मुख्य बात हमारे शरीर की अवस्था नहीं, हमारे मन की दशा है। हम  जो कुछ करते हैं वह सब हमारे हृदय से ही आता है (नीतिवचन 4: 23)। इसलिए जब हम प्रार्थना करें, तो हमारे हृदय सदा ही परमेश्वर के समक्ष श्रद्धा, कृतज्ञता, और नम्रता में झुके रहें, क्योंकि हम जानते हैं कि उसकी आँखे सदा हम पर लगी रहती हैं और उसके कान हमारी प्रार्थनाओं की ओर सदा लगे रहते हैं (2 इतिहास 6:40)। - सिंडी हैस कैस्पर


नम्र हृदय की गहराइयों से ही सर्वोच्च प्रार्थना निकलती है।

सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है। - नीतिवचन 4: 23

बाइबल पाठ: 2 इतिहास 6:7-9, 12-15
2 Chronicles 6:7 मेरे पिता दाऊद की यह मनसा थी कि इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के नाम का एक भवन बनवाए।
2 Chronicles 6:8 परन्तु यहोवा ने मेरे पिता दाऊद से कहा, तेरी जो मनसा है कि यहोवा के नाम का एक भवन बनाए, ऐसी मनसा कर के तू ने भला तो किया;
2 Chronicles 6:9 तौभी तू उस भवन को बनाने न पाएगा: तेरा जो निज पुत्र होगा, वही मेरे नाम का भवन बनाएगा।
2 Chronicles 6:12 तब वह इस्राएल की सारी सभा के देखते यहोवा की वेदी के साम्हने खड़ा हुआ और अपने हाथ फैलाए।
2 Chronicles 6:13 सुलैमान ने पांच हाथ लम्बी, पांच हाथ चौड़ी और तीन हाथ ऊंची पीतल की एक चौकी बनाकर आंगन के बीच रखवाई थी; उसी पर खड़े हो कर उसने सारे इस्राएल की सभा के सामने घुटने टेक कर स्वर्ग की ओर हाथ फैलाए हुए कहा,
2 Chronicles 6:14 हे यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, तेरे समान न तो स्वर्ग में और न पृथ्वी पर कोई ईश्वर है: तेरे जो दास अपने सारे मन से अपने को तेरे सम्मुख जान कर चलते हैं, उनके लिये तू अपनी वाचा पूरी करता और करुणा करता रहता है।
2 Chronicles 6:15 तू ने जो वचन मेरे पिता दाऊद को दिया था, उसका तू ने पालन किया है; जैसा तू ने अपने मुंह से कहा था, वैसा ही अपने हाथ से उसको हमारी आंखों के साम्हने पूरा भी किया है।

एक साल में बाइबल:  
  • एज्रा 1-2
  • यूहन्ना 19:23-42



गुरुवार, 14 अप्रैल 2016

कार्यरत


   विवियन और डॉन 90-100 के मध्य की आयु में हैं, और उनके वैवाहिक जीवन के 70 वर्ष पूरे हो चुके हैं। हाल ही में विवियन का कूल्हा टूट जाने से वे कठिनाई में आ गए; उनके लिए यह और भी अधिक दुःखी करने वाली बात इसलिए थी क्योंकि कई वर्षों से वे इस बात को लेकर दुःखी हैं कि अपनी उम्र के कारण वे नियमित चर्च नहीं जा पा रहे हैं और चर्च की गतिविधियों में भाग नहीं लेने पा रहे हैं।

   लेकिन फिर भी विवियन और डॉन प्रभु परमेश्वर के लिए सतत कार्यरत हैं; चाहे वे चर्च या अन्य स्थानों पर ना जा पाते हों किंतु वे प्रार्थना-योद्धा हैं। चर्च के तथा अन्य लोगों के लिए वे घर पर ही प्रार्थनाएं करते रहते हैं, अपनी प्रार्थनाओं में उनका ध्यान रखते हैं, उनके लिए परमेश्वर से सहायाता और आशीष जुटाते हैं। वे इस उम्र में भी, चाहे पृष्ठभूमि में ही सही, किंतु परमेश्वर के कार्य में कार्यरत हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में मत्ती रचित सुसमाचार के 25वें अध्याय में प्रभु यीशु द्वारा दिया गया ’तोड़ों’ का दृष्टांत है, जिसके द्वारा उन्होंने सिखाया कि जो भी गुण, आशीष और योग्यता परमेश्वए ने हमें प्रदान करी है, उसका सदुपयोग परमेश्वर के राज्य की बढ़ोतरी के लिए सबको बुद्धिमानी से करना है, ना कि उन्हें ऐसे ही दबा कर निषक्रीय रखना है; और परमेश्वर ने अपने प्रत्येक जन को कुछ-ना-कुछ दिया है।

   परमेश्वर हमें केवल हमारी सामर्थ के वर्षों ही में उपयोग नहीं करता; परन्तु यदि हम उसे करने दें तो वह हमारे बचपन, बुढ़ापे, हमारी कमज़ोरियों और बीमारियों में भी हमें अपने लिए इस्तेमाल करता है। विवियन और डॉन इस बात का सजीव उदाहरण हैं, जो अपनी उम्र और अस्वस्थता के बावजूद आज भी परमेश्वर के लिए कार्यरत हैं। उन के समान, अपने उद्धारकर्ता प्रभु परमेश्वर की सेवकाई के लिए अपने गुणों, आशीषों और योग्यताओं का सदुपयोग करके हम परमेश्वर का आदर और उपासना करते हैं। - डेव ब्रैनन


यदि आप इच्छुक हैं, तो परमेश्वर किसी भी उम्र या परिस्थिति में आपका उपयोग कर सकता है।

जिसने मुझे भेजा है; हमें उसके काम दिन ही दिन में करना अवश्य है: वह रात आनेवाली है जिस में कोई काम नहीं कर सकता। - यूहन्ना 9:4

बाइबल पाठ: मत्ती 25:14-21
Matthew 25:14 क्योंकि यह उस मनुष्य की सी दशा है जिसने परदेश को जाते समय अपने दासों को बुलाकर, अपनी संपत्ति उन को सौंप दी। 
Matthew 25:15 उसने एक को पांच तोड़े, दूसरे को दो, और तीसरे को एक; अर्थात हर एक को उस की सामर्थ के अनुसार दिया, और तब पर देश चला गया। 
Matthew 25:16 तब जिस को पांच तोड़े मिले थे, उसने तुरन्त जा कर उन से लेन देन किया, और पांच तोड़े और कमाए। 
Matthew 25:17 इसी रीति से जिस को दो मिले थे, उसने भी दो और कमाए। 
Matthew 25:18 परन्तु जिस को एक मिला था, उसने जा कर मिट्टी खोदी, और अपने स्‍वामी के रुपये छिपा दिए। 
Matthew 25:19 बहुत दिनों के बाद उन दासों का स्‍वामी आकर उन से लेखा लेने लगा। 
Matthew 25:20 जिस को पांच तोड़े मिले थे, उसने पांच तोड़े और लाकर कहा; हे स्‍वामी, तू ने मुझे पांच तोड़े सौंपे थे, देख मैं ने पांच तोड़े और कमाए हैं। 
Matthew 25:21 उसके स्‍वामी ने उस से कहा, धन्य हे अच्‍छे और विश्वासयोग्य दास, तू थोड़े में विश्वासयोग्य रहा; मैं तुझे बहुत वस्‍तुओं का अधिकारी बनाऊंगा अपने स्‍वामी के आनन्द में संभागी हो।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 25-26
  • लूका 12:32-59