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शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

उड़ान



      परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह के धैर्य के साथ प्रतीक्षा करने से संबंधित शब्द, भरोसे के साथ भविष्य के प्रति आशा की उपेक्षा रखते हैं। हमारे परीक्षाओं के स्थान में, हम उस उद्धार के छुटकारे की प्रतीक्षा में है जिसका आगमन अवश्यंभावी है। प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को आश्वस्त किया, “धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे” (मत्ती 5:4)।

      यह जानते हुए कि हमारी नियति, जो कि स्वर्ग की निश्चित आशा है, महिमामयी है; हम यहाँ पृथ्वी पर रहते हुए उसकी ओर कदम बढ़ा सकते हैं। चाहे हम थके हुए हों, फिर भी हम अपने विश्वास के पंखों को फैला कर उड़ान भर सकते हैं। हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता के मार्ग पर चल सकते हैं, बिना थकित हुए। हम बिना ऊबे हुए अपनी दिनचर्या में चलते रह सकते हैं।  हम मसीही विश्वासियों के लिए एक बेहतर संसार आ रहा है, जहां पर हमारी आत्मा क्रियाशील होंगी और हमारे शरीर भागेंगे, कूदेंगे, और उड़ान भरेंगे! यही हमारी आशा है।

      इस बीच में, जो अन्ततः एक दिन सत्य हो जाएगा, वह आज भी सच होना आरंभ हो सकता है। हम अपनी अत्याधिक थकान के होते हुए भी दृढ़, धीरजवंत, और आनंदित हो सकते हैं। शांत और कृपालु हो सकते हैं, अपनी दुर्बलताओं और थकान पर कम ध्यान लगाने और अपने बारे में चिंता करने की बजाए दूसरों की चिंता करने वाले हो सकते हैं। जो किसी परेशानी या विपरीत परिस्थिति में हों उन्हें प्रेम और प्रोत्साहन के कुछ शब्द कहने वाले हो सकते हैं।

      हम अभी उस समय के लिए तैयार हो सकते हैं जब हमारी आत्माएं उड़ान भरेंगी! – डेविड रोपर

जब आप जीवन के संघर्षों से थकित होने लगें तो प्रभु में विश्राम लें।

यहोवा की बाट जोहता रह; हियाव बान्ध और तेरा हृदय दृढ़ रहे; हां, यहोवा ही की बाट जोहता रह! – भजन 27:14

बाइबल पाठ: यशायाह 40:27-31
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता?
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है।
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं;
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 20-22
  • मरकुस 7:1-13



सोमवार, 29 फ़रवरी 2016

उड़ान


   परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह भविष्यद्वक्ता द्वारा धीरज से प्रभु की प्रतीक्षा करने को कही गई बात (यशायाह 40:31) हमें भविष्य के लिए भरोसेमन्द आशा प्रदान करती है। आज हम अपनी परीक्षाओं के स्थान में अपने उस छुटकारे की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसका आना अवश्यंभावी है, क्योंकि प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को आशावासन दिया है, "धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शांति पाएंगे" (मत्ती 5:4)।

   क्योंकि हम यह जानते हैं कि हमारा भविष्य स्वर्ग जाने की निश्चित आशा है, महिमामय है, हम यहाँ इस पृथ्वी पर अपने कार्यों और ज़िम्मेदारियों के लिए अपने कदम और दृढ़ता से बढ़ा सकते हैं; चाहे हम थके ही क्यों ना हों, हम अपने पंख पसार कर ऊँचाईयों को छू सकते हैं। हम प्रभु की आज्ञाकारिता के मार्ग पर चलने के लिए थकित नहीं हों; अपनी दिनचर्या निभाते हुए श्रमित नहीं हों। हमारी आशा है कि हम मसीही विश्वासियों के लिए एक बेहतर संसार आने वाला है जब हमारी आत्माएं हमें कार्य के लिए बुलाएंगी और प्रत्युत्तर में हमारे शरीर उनमुक्त होकर दौड़ेंगे, कूदेंगे और उड़ान भरेंगे।

   इस बीच, जब तक यह होने का समय आए, वर्तमान में भी हम अपने लिए इसे सत्य बना सकते हैं; कैसे? अपनी थकान में भी दृढ़, धीरजवन्त और आनन्दित रहने के द्वारा; अपनी कमज़ोरियों और निराशाओं पर ध्यान लगाने की बजाए शान्त और नम्र होकर अपनी नहीं वरन दूसरों के हित की चिंता करने के द्वारा; जो लोग कठिनाईयों में संघर्ष कर रहे हैं उनसे प्रेम के कुछ शब्द कहने के द्वारा। उस दिन के लिए जिस दिन हमारी आत्माएं उड़ान भरेंगी हम आज और अभी से तैयार हो सकते हैं। - डेविड रोपर


जब आप जीवन के संघर्षों से थकने लगें तो प्रभु यीशु में विश्राम लें।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: यशायाह 40:27-31
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? 
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। 
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। 
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।



रविवार, 9 जनवरी 2011

जान बूझ कर "गलती से"

डगलस कौरिगन, १९३८ में, एक उपनाम, ’गलत राह लेने वाले कौरिगन’ के नाम से मशहूर हो गए, जब उन्होंने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर से कैलिफोर्निया शहर के लिये अपने हवाईजहाज़ में उड़ान भरी और २३ घंटे बाद प्रशांत महासागर पार योरप में आयरलेंड के डबलिन शहर में उतर कर उन्होंने वहां के अधिकारियों से पूछा, "क्या यह लॉस एंजिलिस है?" इस बात के लिये, सालों तक लोग उनका मज़ाक उड़ाते रहे, परन्तु १९६३ में उन्हों ने अन्ततः यह मान लिया कि प्रशांत महासागर के पार की उनकी यह उड़ान "गलती से" नहीं हुई थी वरन योजनाबद्ध थी। क्योंकि उन्हें सागर के पार उड़ान भरने की अनुमति नहीं दी जा रही थी, इसलिये उन्होंने जान बूझ कर यह "गलती" करी।

कौरिगन ने जो किया, उसमें और हमारे मसीही जीवन के अनुभवों में बहुत समानान्तर हैं। रोमियों १ में लिखा है कि मनुष्य की स्वभाविक प्रकृति स्वार्थी, पाप करने और परमेश्वर की अवलेहना करने की है। पाप करने की मनशा विश्वासी के जीवन में ज़ोर मारती रहती है (रोमियों७:१५-१९)। यद्यपि विश्वासी मसीह में नई सृष्टि हो जाता है, लेकिन उसमें पाप करने की प्रवृति सिर उठाती रहती है, जिसे लगातार मसीह की सामर्थ से दबा कर काबू में रखना होता है।

कुछ लोग सोचते हैं कि मसीही जान बूझ कर पाप नहीं कर सकते, लेकिन बाइबल स्पष्ट बताती है कि प्रत्येक विश्वासी शरीर की लालसाओं और उस के अन्दर बसने वाली पवित्र आत्मा के बीच के संघर्ष को अनुभव करता है (गलतियों ५:१६, १७)। इसिलिये हमें लगातार अपने आप को परमेश्वर के आधीन करते रहना पड़ता है, क्योंकि वह ही हमें धार्मिकता के सही मार्ग पर चलते रहने की इच्छा और योग्य शक्ति देता है।

इस तरह का जान बूझ कर किया गया परमेश्वर को समर्पण, हमें जान बूझ कर "गलती से" गलत राह पर चल निकलने से बचाए रखेगा। - मार्ट डी हॉन


जो संपूर्ण रीति से परमेश्वर को समर्पित हैं, वे कभी जान बूझ कर शैतान के आगे घुटने नहीं टेकेंगे।

...उन्‍होंने परमेश्वर को पहिचानना न चाहा... - रोमियों १:२८


बाइबल पाठ: रोमियों १:१८-२५

परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्‍वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं।
इसलिये कि परमश्‍ेवर के विषय में ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्‍योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है।
क्‍योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्‍व जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरूत्तर हैं।
इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्‍होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्‍तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्‍धेरा हो गया।
वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए।
और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्‍तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला।
इस कारण परमेश्वर ने उन्‍हें उन के मन के अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें।
क्‍योंकि उन्‍होंने परमेश्वर की सच्‍चाई को बदल कर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • उत्पत्ति २३-२४
  • मत्ती ७