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बुधवार, 19 जून 2013

बचाए गए

   जनवरी 2010 में हेती द्वीप समूह में एक विनाशकारी भूकम्प आया। भूकम्प और उसके बाद के बचाव कार्य को मीडिया के द्वारा व्यापक रूप से दिखाया गया। विनाश तथा जान और माल की हानि के दृश्यों के बीच में, सभी आशाओं के विपरीत, किसी किसी के मलबे से जीवित निकाले जाने के दृश्य भी देखने को मिलते थे, और उनके साथ ही उन बचाए गए लोगों के रिश्तेदारों आदि के कृतज्ञता तथा धन्यवाद सहित आँसुओं से भरे चेहरे भी दिखाए जाते थे। वे रिश्तेदार कृतज्ञ एवं धन्यवादी थे उन अनजान लोगों के प्रति जो चौबीसों घण्टे बचाने के कार्य में लगे रहते थे और जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाई। 

   यदि यह आपके साथ होता तो आपको कैसा अनुभव होता? क्या आप कभी किसी जोखिम से बचाए गए हैं?

   परमेश्वर के वचन बाइबल में कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को, जिन्होंने व्यक्तिगत रीति से प्रभु यीशु को जाना और जीवन समर्पण किया था तथा जिनके जीवन उनके इस विश्वास को दिखाते थे, लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने पहले तो उन्हें आशवासन दिया कि वह निरंतर उन्हें प्रार्थना में स्मरण रखता है कि वे परमेश्वर की सिद्ध और भली इच्छा को जानने वाले और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले बन सकें; तत्पश्चात पौलुस उन्हें स्मरण दिलाता है कि परमेश्वर ने उनके लिए क्या किया है: "उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया। जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है" (कुलुस्सियों 1:13-14)।

   मसीह यीशु में हम पाप और पाप के श्राप तथा दण्ड से बचाए जाते हैं। उसी ने अपने आप को हमारे लिए बलिदान कर दिया जिससे वह हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर, अपनी धार्मिकता हमे दे सके। उसी में हमें मोक्ष या उद्धार और परमेश्वर की सन्तान होने का दर्जा तथा स्वर्ग में स्थान मिलता है। मसीह यीशु ही है जो संसार के हर व्यक्ति को पाप की मृत्यु से उद्धार के अनन्त जीवन में प्रवेश देता है, अन्धकार की शक्तियों से बचाकर निर्मल ज्योति में निवास देता है।

   पाप के प्रभाव तथा अंजाम से बचाए जाने और परमेश्वर के इस अनुग्रह तथा कृपा का हमारे जीवन में क्या स्थान एवं महत्व है, हमारे लिए यह एक गहन विचार का तथा परमेश्वर के प्रति निरंतर धन्यवादी होने का विषय होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


जो पाप से बचाए गए हैं वे ही दूसरों को भी पाप से बचाने की लालसा रखते हैं।

परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। - इफिसियों 2:4-6

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:3-18
Colossians 1:3 हम तुम्हारे लिये नित प्रार्थना कर के अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता अर्थात परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं।
Colossians 1:4 क्योंकि हम ने सुना है, कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्वास है, और सब पवित्र लोगों से प्रेम रखते हो।
Colossians 1:5 उस आशा की हुई वस्तु के कारण जो तुम्हारे लिये स्वर्ग में रखी हुई है, जिस का वर्णन तुम उस सुसमाचार के सत्य वचन में सुन चुके हो।
Colossians 1:6 जो तुम्हारे पास पहुंचा है और जैसा जगत में भी फल लाता, और बढ़ता जाता है; अर्थात जिस दिन से तुम ने उसको सुना, और सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है।
Colossians 1:7 उसी की शिक्षा तुम ने हमारे प्रिय सहकर्मी इपफ्रास से पाई, जो हमारे लिये मसीह का विश्वास योग्य सेवक है।
Colossians 1:8 उसी ने तुम्हारे प्रेम को जो आत्मा में है हम पर प्रगट किया।
Colossians 1:9 इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना करने और बिनती करने से नहीं चूकते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ।
Colossians 1:10 ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
Colossians 1:11 और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्‍त होते जाओ, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको।
Colossians 1:12 और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिसने हमें इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों।
Colossians 1:13 उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
Colossians 1:14 जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
Colossians 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Colossians 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Colossians 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Colossians 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13 
  • प्रेरितों 4:23-37


मंगलवार, 18 जून 2013

केंद्र बिन्दु

   मुझे गोल्फ खेलना अच्छा लगता है, इसलिए कभी कभी मैं कुछ ऐसे वीडियो देखता हूँ जो इस खेल की बारीकियों और इसे खेलने के बारे में सिखाते हैं। लेकिन एक वीडियो से मैं बहुत निराश हुआ क्योंकि सिखाने वाले ने गोल्फ के एक बिन्दु को समझाने के लिए 8 क्रम और हर क्रम के नीचे और दर्जन भर उप-क्रम बताए। यह सब समझने में बहुत कठिन और अनुपयोगी था। यद्यपि मैं गोल्फ का कोई कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं हूँ, फिर भी सालों से खलने के अनुभव ने मुझे यह सिखाया है कि खेलते समय जितने अधिक विचार आपके दिमाग़ में चल रहे होंगे, आपकी सफलता की संभावना उतनी ही कम होगी। अच्छे खेल के लिए आपको अपने विचारों को सीमित एवं सरल तथा ध्यान को एक ही बात पर केंद्रित रखना चाहिए कि किस प्रकार गोल्फ के बल्ले और गेंद में सबसे अधिक कारगर संपर्क बनाया जाए। उस प्रशिक्षक द्वारा दिए गए इतने अधिक विचार ध्यान को केंद्रित रखने में बाधा थे।

   जैसे गोल्फ में, वैसे ही जीवन में इसी प्रकार से केंद्रित रहना सफलता के लिए अनिवार्य है। यही बात मसीही विश्वास और मसीही जीवन में भी पाई जाती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इस बारे में लिखा है (फिलिप्पियों 3)। बजाए इसके कि वह अनेक बातों पर ध्यान करता रहे, पौलुस ने सबसे महत्वपूरण एक ही बात पर अपना ध्यान केंद्रित रखा: "हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (फिलिप्पियों 3:13-14)।

   उसके जीवन की सफलता और उन्नति का यही राज़ था - "केवल यह एक काम करता हूं" - केंद्रित विचार। ध्यान इधर-उधर खींचने और भंग करने के अनेक आकर्षणों तथा विधियों से भरे इस संसार में एक मसीही विश्वासी के लिए अपने ध्यान को अपने उद्धारकर्ता मसीह यीशु पर ध्यान केंद्रित रखने से भला और कुछ नहीं है। लेकिन यह तब ही हो सकता है जब मसीह यीशु आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान हो। जब ऐसा होगा तब सांसारिक प्रलोभन और विचार नहीं वरन मसीह यीशु का जीवन और शिक्षाएं आपका मार्गदर्शक तथा उद्देश्य होंगी और परमेश्वर की आशीष आपके जीवन में बनी रहेगी। 

   क्या आज मसीह यीशु आपके जीवन तथा ध्यान का केंद्र बिन्दु है? - बिल क्राउडर


जब हम मसीह यीशु पर अपने ध्यान को बनाए रखते हैं तब ही हम उसके लिए सबसे प्रभावशाली होते हैं।

क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। - 1 कुरिन्थियों 9:24 

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:8-16
Philippians 3:8 वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं।
Philippians 3:9 और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है।
Philippians 3:10 और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूँ, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं।
Philippians 3:11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं।
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 10-11 
  • प्रेरितों 4:1-22