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शनिवार, 25 जून 2011

अनुसरणीय नेतृत्व

शिकागो शहर के अखबारों में शहर की भीतरी भागों में स्थित एक आवासीय बस्ती में लगातार हो रही गुण्डागर्दी और लोगों पर हो रहे हमलों की घटनाओं की चर्चा थी। ऐसा प्रतीत होता था कि पुलिस इन घटनाओं को रोक पाने में असमर्थ थी। शिकागो नगरपलिका की अध्य्क्षा जेन बायर्न इस समस्या को सुलझाने में लगी थी लेकिन कोई कारगर हल नहीं मिल पा रहा था। फिर अचानक सब को अचंभित करते हुए जेन ने घोषणा करी कि वे और उनके पति उस आवासीय बस्ती में जा कर वहाँ रहना आरंभ करेंगे। उनके इस साहस पूर्ण कदम ने तुरंत उन्हें समाज में लोकप्रीय बना दिया और इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें समाज का भरपूर समर्थन भी प्राप्त हुआ। उनके समस्या से ग्रसित स्थान पर स्वयं जाकर रहने से एक दम बहुत प्रभाव पड़ा और समस्या को काबू में लाने में बहुत सहायता मिली।

यह घटना और उदाहरण मुझे स्मरण दिलाता है परमेश्वर के वचन के एक पात्र नहेम्याह की। नहेम्याह फारस के राजा के पास ऊँचे पद पर काम करने वाला एक यहूदी दास था, और राजा का विश्वासपात्र था। जब उसे अपनी मातृभूमि में यरुशलेम की दुर्दशा - शहर की ध्वस्त दीवारें, उखड़े और जले हुए फाटक और वहाँ रहने वाले लोगों के दुखी जीवन का पता चला तो वह बहुत दुखी हुआ। हृदय की वेदना के साथ उसने अपने लोगों के पापों के लिए कई दिनों तक परमेश्वर के सामने विलाप किया, उपवास रखा और प्रार्थनाएं करीं। फिर जैसा परमेश्वर ने उसे निर्देश दिया, वह अपनी नौकरी की सुरक्षा और आराम को छोड़ कर दुर्दशा में पड़े यरुशलेम को संवारने के लिए वहाँ जाकर रहने लगा। उसने यरुशलेम का पुनःर्निमाण आरंभ किया और इस कार्य में अनेक कठिनाईयों का सामना करते हुए वह वहाँ तब तक रहा जब तक शहर की दीवारें फिर से नहीं बन गईं और शहर में शाँति तथा व्यवस्था स्थापित नहीं हो गई।

हम चाहे किसी भी ओहदे पर कार्य करते हों, यदि हमें परमेश्वर के लिए उपयोगी होना है तो मनुष्यों की तकलीफों को समझने, उन्हें महसूस करने और उन के निवारण का माध्यम बनने के लिए तैयार होना आवश्यक है। तब ही हम अनुसरणीय नेतृत्व प्रदान करने वाले बन सकते हैं और समाज का कुछ भला कर सकते हैं। - मार्ट डी हॉन


जो लोग हमारे कथनी पर विश्वास नहीं करते, वे हमारी करनी देखकर विश्वास लाएंगे।

मैं रात को तराई के फाटक में होकर निकला और अजगर के सोते की ओर, और कूड़ा फाटक के पास गया, और यरूशलेम की टूटी पड़ी हुई शहरपनाह और जले फाटकों को देखा। - नहेम्याह २:१३


बाइबल पाठ: नहेम्याह १:१-६; २:११-१८

Neh 1:1 हकल्याह के पुत्र नहेम्याह के वचन। बीसवें वर्ष के किसलवे नाम महीने में, जब मैं शूशन नाम राजगढ़ में रहता था,
Neh 1:2 तब हनानी नाम मेरा एक भाई और यहूदा से आए हुए कई एक पुरुष आए; तब मैं ने उन से उन बचे हुए यहूदियों के विषय जो बन्धुआई से छूट गए थे, और यरूशलेम के विष्य में पूछा।
Neh 1:3 उन्होंने मुझ से कहा, जो बचे हुए लोग बन्धुआई से छूटकर उस प्रान्त में रहते हैं, वे बड़ी दुर्दशा में पड़े हैं, और उनकी निन्दा होती है क्योंकि यरूशलेम की शहरपनाह टूटी हुई, और उसके फाटक जले हुए हैं।
Neh 1:4 ये बातें सुनते ही मैं बैठ कर रोने लगा और कितने दिन तक विलाप करता और स्वर्ग के परमेश्वर के सम्मुख उपवास करता और यह कहकर प्रार्थना करता रहा।
Neh 1:5 हे स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा, हे महान और भययोग्य ईश्वर ! तू जो अपने प्रेम रखने वाले और आज्ञा मानने वाले के विष्य अपनी वाचा पालता और उन पर करुणा करता है;
Neh 1:6 तू कान लगाए और आंखें खोले रह, कि जो प्रार्थना मैं तेरा दास इस समय तेरे दास इस्राएलियों के लिये दिन रात करता रहता हूँ, उसे तू सुन ले। मैं इस्राएलियों के पापों को जो हम लोगों ने तेरे विरुद्ध किए हैं, मान लेता हूँ। मैं और मेरे पिता के घराने दोनों ने पाप किया है।
Neh 2:11 जब मैं यरूशलेम पहुंच गया, तब वहां तीन दिन रहा।
Neh 2:12 तब मैं थोड़े पुरुषों को लेकर रात को उठा; मैं ने किसी को नहीं बताया कि मेरे परमेश्वर ने यरूशलेम के हित के लिये मेरे मन में क्या उपजाया था। और अपनी सवारी के पशु को छोड़ कोई पशु मेरे संग न था।
Neh 2:13 मैं रात को तराई के फाटक में होकर निकला और अजगर के सोते की ओर, और कूड़ा फाटक के पास गया, और यरूशलेम की टूटी पड़ी हुई शहरपनाह और जले फाटकों को देखा।
Neh 2:14 तब मैं आगे बढ़कर सोते के फाटक और राजा के कुणड के पास गया परन्तु मेरी सवारी के पशु के लिये आगे जाने को स्थान न था।
Neh 2:15 तब मैं रात ही रात नाले से हो कर शहरपनाह को देखता हुआ चढ़ गया फिर घूमकर तराई के फाटक से भीतर आया, और इस प्रकार लौट आया।
Neh 2:16 और हाकिम न जानते थे कि मैं कहां गया और क्या करता था वरन मैं ने तब तक न तो यहूदियों को कुछ बताया था और न याजकों और न रईसों और न हाकिमों और न दूसरे काम करने वालों को।
Neh 2:17 तब मैं ने उन से कहा, तुम तो आप देखते हो कि हम कैसी दुर्दशा में हैं, कि यरूशलेम उजाड़ पड़ा है और उसके फाटक जले हुए हैं। तो आओ, हम यरूशलेम की शहरपनाह को बनाएं, कि भविष्य में हमारी नामधराई न रहे।
Neh 2:18 फिर मैं ने उनको बतलाया, कि मेरे परमेश्वर की कृपादृष्टि मुझ पर कैसी हुई और राजा ने मुझ से क्या क्या बातें कही थीं। तब उन्होंने कहा, आओ हम कमर बान्धकर बनाने लगें। और उन्होंने इस भले काम को करने के लिये हियाव बान्ध लिया।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३, ४
  • प्रेरितों ७:४४-६०

शुक्रवार, 24 जून 2011

ठहराव

जब पतझड़ की ऋतु आती है और मेरे पड़ौस के स्थान में स्थित पेड़ों के पते गिरने लगते हैं तो अपनी खिड़की से मुझे एक दुखद दृश्य दिखाई देने लगता है - एक खंडहर होता मकान जो चारों ओर जंगली घास और झाड़ियों से घिरा हुआ है। उसके निर्माण करने वालों के मन में हर प्रकार की सुविधाओं और संसाधनों से युक्त एक आलीशान स्वास्थ्य क्लब बनाने की इच्छा थी, और इसी के अनुसार कार्य भी आरंभ हुआ। लेकिन कुछ समय में निर्माण के कार्य में कुछ बाधाएं आ गईं, कार्य रुक गया फिर और कुछ समय पश्चात उन्होंने इस योजना को समाप्त कर दिया। अब वह अधूरी इमारत खंडर बनती जा रही है और देकने वालों को इस बात का स्मर्ण दिलाती है कि जो उत्तम हो सकता था वह अधूरा और व्यर्थ रह गया।

एक तरह से कुछ ऐसी ही दुखदायी परिस्थित से बचने की चेतावनी इब्रानियों का लेखक अपने पाठकों को पुस्तक के पाँचवें अध्याय में दे रहा है - चेतावनी जिसे प्रत्येक मसीही विश्वासी को गंभीरता से लेना चाहिए। लेखक कह रहा है कि हमारे जीवनों में पापों से पश्चाताप और उद्धार की नींव पड़ जाने के बाद ठहराव नहीं आ जाना चाहिए वरन हमें अपने विश्वास की उस परिपक्वता तक पहुँचने के प्रयास में लगा रहना चाहिए जो हमारे विश्वास के सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने हमारे लिए निर्धारित किया है - एक ऐसा जीवन जो संसार के सामने उस पर किए गए विश्वास की उत्तमता और परिणामतः प्राप्त श्रेष्ठ प्रतिफलों को प्रकट करे और परमेश्वर को महिमा दे। इस ध्येय को प्राप्त करने के लिए जो भी आवश्यकताएं और साधन चाहिएं जैसे समय, वचन की शिक्षा और अध्ययन, सामर्थ, संगति आदि, वह सब उसने हमारे लिए न केवल उपल्ब्ध करा दिए हैं परन्तु समयनुसार उपलब्ध करवाता भी रहेगा। इसलिए जब कठिनाईयाँ आएं या प्रलोभन हमें कार्य से दूर खींचें तो हमें एक दृढ़ निश्चय के साथ इन भटकाने वाली बातों का इन्कार करके अपने निर्धारित कार्य को पूरा करने में पूरे यत्न सहित जुटे रहना है; कार्य में कभी ठहराव नहीं आना चाहिए।

परमेश्वर ने हमें चुना है "कि हम उसके निकट प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों" (इफिसियों १:४)। हमारे जीवनों में इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परमेश्वर ने हमें अपना पवित्र वचन और अपना पवित्र आत्मा दिया है जो हम में निवास करता है। अब इन साधनों का सदुपयोग करना और अपने मसीही विश्वास के जीवनों को नई ऊँचाईयों तक पहुँचाना हमारी ज़िम्मेदारी है। - डेव ब्रैनन


परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी न होने दें वरन परमेश्वर प्रदित संसाधनों द्वारा परिस्थितियों को वश में करके सिद्धता की ओर बढ़ते जाएं।

इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़ कर, हम सिद्धता की ओर बढ़ते जाएं... - इब्रानियों ६:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों ५:१२-६:३

Heb 5:12 समय के विचार से तो तुम्हें गुरू हो जाना चाहिए था, तौभी क्‍या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए? और ऐसे हो गए हो, कि तुम्हें अन्न के बदले अब तक दूध ही चाहिए।
Heb 5:13 क्‍योंकि दूध पीने वाले बच्‍चे को तो धर्म के वचन की पहिचान नहीं होती, क्‍योंकि वह बालक है।
Heb 5:14 पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्‍द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं।
Heb 6:1 इसलिये आओ मसीह की शिक्षा की आरम्भ की बातों को छोड़ कर, हम सिद्धता की ओर बढ़ते जाएं, और मरे हुए कामों से मन फिराने, और परमेश्वर पर विश्वास करने।
Heb 6:2 और बपतिस्मों और हाथ रखने, और मरे हुओं के जी उठने, और अन्‍तिम न्याय की शिक्षा रूपी नेव, फिर से न डालें।
Heb 6:3 और यदि परमेश्वर चाहे, तो हम यहीं करेंगे।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब १, २
  • प्रेरितों ७:२२-४३

गुरुवार, 23 जून 2011

अधूरी तस्वीर

एक लड़का अपनी माँ के डेस्क पर बैठकर और माँ की कलम दवात लेकर बड़े ध्यान से अपने पालतु कुत्ते की तस्वीर बना रहा था। थोड़ी देर के बाद उसने कलम दवात रख दी और उठ कर जाने लगा। जाने से पहले उसने बड़े गर्व से अपनी माँ को वह तस्वीर दिखाई, माँ ने देख कर तस्वीर की प्रशंसा करी और कहा कि वाकई तसवीर उनके पलतु कुत्ते के समान लगती थी, लेकिन तभी माँ का ध्यान तस्वीर में एक बात की ओर गया और उसने विस्मय से अपने बेटे से पूछा, "अरे, उसकी दुम कहाँ है?" लड़के ने बड़ी लापरवाही से उत्तर दिया, "उसकी दुम तो अभी दवात में ही है।"

बाइबल कि न्यायियों की पुस्तक में रूबेन का गोत्र भी कुछ ऐसी ही पृवर्ति का था। जब इस्त्राएल की चौथी न्यायी दबोरा ने कनानियों पर प्राप्त इस्त्राएल की विजय के उपलक्ष में गीत गाया (न्यायियों ५:२-३१) तो उसने रूबेन के गोत्र का उल्लेख किया। उसने कहा कि "रूबेन की नदियों के पास बड़े बड़े काम मन में ठाने गए" (पद १५), लेकिन फिर साथ ही यह भी कहा कि "तू चरवाहों का सीटी बजाना सुनने को भेड़शालों के बीच क्यों बैठा रहा? रूबेन की नदियों के पास बड़े बड़े काम सोचे गए" (पद १६)। अर्थात रूबेन के लोग योजनाएं तो बहुत बनाते थे परन्तु उनको कार्यान्वित नहीं करते थे; उनके ध्यान इधर उधर हो जाते और योजनाएं धरी की धरी रह जाती थीं।

मसीही विश्वास के जीवन में भी यह बात अन्जानी नहीं है। कुछ विश्वासी भी ऐसे ही योजनाएं तो अनेक बनाते हैं किंतु उनको पूरा कम ही कर पाते हैं। एक आम बात जिसमें यह अधिकतर देखा जाता है वह है हमारा परमेश्वर के वचन को पढ़ने और सीखने का निर्णय, जिसकी अकसर अन्य गतिविधियों द्वारा अवहेलना हो जाती है। कुछ ऐसा ही हमारा प्रार्थना के समय के साथ भी होता है; हम कई बातों और लोगों के लिए प्रार्थना करने का निर्णय तो लेते हैं, कुछ समय तक करते भी हैं, फिर वे निर्णय ढीले पड़ जाते हैं, अन्य बातें प्राथमिकता ले लेती हैं और प्रार्थनाएं अधूरी रह जाती हैं।

हम जिस परमेश्वर की उपासाना करते हैं और जिसपर विश्वास रखते हैं वह कभी कुछ अधूरा नहीं छोड़ता। उसका हर कार्य सिद्ध और संपूर्ण होता है। हमारी योजनाएं कितनी भी अच्छी क्यों न हों, हमारे इरादे कितने भी उमदा क्यों न हों, यदि पूर्णतया कार्यान्वित नहीं होते तो वे कभी परमेश्वर को आदर और महिमा नहीं दे सकते।

किसी भी दुम को दवात में मत छोड़िए, अपने निर्णय की तस्वीर को सदा पूरा कीजिए। - पौल वैन गोर्डर


हम सही मार्ग पर हो सकते हैं, परन्तु मार्ग पर केवल बैठे रह जाने से ही मंज़िल नहीं मिल जाती।

यीशु ने उस से कहा; जो कोई अपना हाथ हल पर रख कर पीछे देखता है, वह परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं। - लूका ९:६२


बाइबल पाठ: लूका ९:५७-६२

Luk 9:57 जब वे मार्ग में चले जाते थे, तो किसी न उस से कहा, जहां जहां तू जाएगा, मैं तेरे पीछे हो लूंगा।
Luk 9:58 यीशु ने उस से कहा, लोमडिय़ों के भट और आकाश के पक्षियों के बसेरे होते हैं, पर मनुष्य के पुत्र को सिर धरने की भी जगह नहीं।
Luk 9:59 उस ने दूसरे से कहा, मेरे पीछे हो ले; उस ने कहा, हे प्रभु, मुझे पहिले जाने दे कि अपने पिता को गाड़ दूं।
Luk 9:60 उस ने उस से कहा, मरे हुओं को अपने मुर्दे गाड़ने दे, पर तू जा कर परमेश्वर के राज्य की कथा सुना।
Luk 9:61 एक और ने भी कहा; हे प्रभु, मैं तेरे पीछे हो लूंगा, पर पहिले मुझे जाने दे कि अपने घर के लोगों से विदा हो आऊं।
Luk 9:62 यीशु ने उस से कहा; जो कोई अपना हाथ हल पर रख कर पीछे देखता है, वह परमेश्वर के राज्य के योग्य नहीं।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर ९-१०
  • प्रेरितों ७:१-२१

बुधवार, 22 जून 2011

पूरा करने वाला

प्रत्येक मेहनतकश किसी कार्य को भली भांति पूरा करने में गर्व महसूस करता है; यह विचार मुझे तब आया जब मैं अपने एक मित्र के पास उसके निर्माणाधीन मकान को देखने गया। घर की नींव रखी गई थी, दीवारें बन गई थीं, छत डाल दी गई थी और बिजली के तार तथा पानी के पाइप यथास्थान बिछा कर लगा दिये गए थे। लेकिन यह ढांचा अभी घर कहलाने लायक नहीं था; वहाँ काम को पूरा करने वालों की आवश्यक्ता थी। बिना लकड़ी का कार्य करने वालों, अलमारियां बनाने वालों, दीवारों पर रंग की पुताई करने वालों, कालीन बिछाने वालों और मकान की भीतरी सजावट करने वालों के वह मकान अधूरा था। उस ढांचे को घर बनाने के लिए पूरा करने वाले चाहिए थे।

ऐसा लगता है कि भजन ७७ के भजनकार को भी अपने जीवन में अधूरेपन का एहसास हुआ, उसे लगा कि जैसे परमेश्वर ने उसके जीवन मे अपना कार्य रोक दिया है, क्योंकि भजनकार व्याकुलता के साथ कहता है, "क्या ईश्वर अनुग्रह करना भूल गया? क्या उस ने क्रोध करके अपनी सब दया को रोक रखा है?" (भजन ७७:९)। कभी कभी अपने जीवनों में हमें भी ऐसा लग सकता है। हमें प्रतीत होगा कि शायद हमारे जीवन से संबंधित योजनाओं पर रोक लग गई है, उन्हें बन्द करके पीछे रख दिया गया है और हमारे जीवन में परमेश्वर का कार्य रुक गया है। लेकिन परमेश्वर कभी अपनी सन्तान के जीवन में अपने कार्य को नहीं रोकता, अपने समयानुसार वह हमें तराशता और संवारता रहता है।

परमेश्वर ने अपनी सन्तान के जीवन में अपने कार्य को जारी रखने के लिए हमें अपना पवित्र आत्मा दिया है, जो प्रत्येक मसीही विश्वासी के अन्दर निवास करता है और हमारा सहायक है। परमेश्वर के आत्मा का हमें पवित्र करने का कार्य मसीह में हमारे विश्वास लाने के क्षण से आरंभ होता है और जैसे जैसे हम अपने "विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर" देखते रहते हैं, उसकी आज्ञाकारिता में रहते हैं, पवित्र आत्मा का कार्य भी हमारे जीवनों में सिद्ध होता जाता है। हमारे जीवनों में पाप आकर इस कार्य को अवरोधित तो कर सकता है परन्तु रोक नहीं सकता, क्योंकि पवित्र आत्मा तब हमें पाप के लिए कायल करके उसके लिए क्षमा माँगने को प्रेरित करता है, और जैसे ही हम यह करते हैं, उसका कार्य फिर से आरंभ हो जाता है। परमेश्वर का कोई कार्य अधूरा कभी नहीं रहता। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें आश्वासन देता है कि "मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा भी करेगा" (फिलिप्पियों १:६)।

परमेश्वर ने हमारे जीवन में "पूरा करने वाला" अपना पवित्र आत्मा हमें दिया है, अब हमारा कर्तव्य है उसके साथ संगति और आज्ञाकारिता में बने रहना, शेष वह करेगा। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर के साथ कदम मिलाए रखिये; उसने आपके जीवन मार्ग के हर कदम की योजना निर्धारित कर रखी है।

और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर से ताकते रहें... - इब्रानियों १२:२


बाइबल पाठ: इब्रानियों १२:१-४

Heb 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।
Heb 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर से ताकते रहें; जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
Heb 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया, कि तुम निराश होकर हियाव न छोड़ दो।
Heb 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर ६-८
  • प्रेरितों ६

मंगलवार, 21 जून 2011

अधूरा

कभी कभी जब मैं समुद्र तट पर सैर के लिए जाता हूँ तो रेत के बने कई अधूरे किले दिखाई देते हैं। संभवतः उन्हें बनाने वालों का ध्यान किसी दूसरी चीज़ की ओर आकर्शित हो गया होगा और उन्होंने अपना यह प्रयास अधूरा ही छोड़ दिया, और किसी अन्य बात में व्यस्त हो गए। अधूरे चित्र, अधूरी कलाकृतियाँ, अधूरे मकान, अधूरे लेख आदि सब गवाह हैं मनुष्य के बातों को अधूरा छोड़ देने की पृवर्त्ति के।

अपनी पुस्तक Intercepted Letters में विलियम मार्शल लिखते हैं, "एक ऐसे व्यक्ति के लिए जो स्वभाव से हर चीज़ को पूरा करना और पूरे होते देखना चाहता है यह अधूरेपन की पृवर्त्ति कितनी परेशान कर देने वाली होती है और प्रश्न उठाती है कि ये अधूरे टुकड़े कितने अधूरे जीवनों के भाग हैं? ऐसा अधूरेपन की पृवर्त्ति वाले व्यक्ति को अपने आप से पूछना चाहिए, ’अपने जीवन के परिश्रम को दिखाने के लिए मेरे पास क्या है?’ ऐसे में बस हम यही भरोसा रख सकते हैं कि हमारा परमेश्वर हमारे अधूरे प्रयासों को लेकर अपनी सिद्धता और परिपूर्णता में उन्हें ढाँप लेगा क्योंकि वह कुछ अधूरा नहीं छोड़ता, वह कभी चूक नहीं सकता।"

परमेश्वर और मनुष्यों में कितना बड़ा अन्तर है! सृष्टिकर्ता जो आरंभ करता है, उसे अवश्य पूरा भी करता है। उसकी सभी कारीगरी, बीते अनन्त में योजनाबद्ध हुई, समय के साथ आरंभ हुई और समय की पूर्ति के साथ भविष्य के अनन्त के लिए पूरी भी हो जाएगी और तब उसका हर एक विश्वासी, उस ही के स्वरूप में बदला हुआ होगा।

आज हम मसीह की समानता में आने और बढ़ने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, लेकिन यह निश्वित है कि एक दिन हम अपने इस लक्षय तक पहुँच भी जाएंगे; क्योंकि परमेश्वर स्वयं अपने हर एक विश्वासी को तराश रहा है, अपने पुत्र की समानता में ढाल रहा है और जो उसने आरंभ किया है उसे वह पूरा भी करेगा क्योंकि वह कुछ अधूरा नहीं छोड़ता।

यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो निराश होकर हार कभी न माने, क्योंकि परमेश्वर आप में निरंतर कार्यरत है और आपको सम्पूर्णतः मसीह की समान्ता में ढाले बगैर वह आपको कभी अधूरा नहीं छोड़ेगा। आपका भविष्य आपकी किसी भी कलपना से भी कहीं अधिक महिमामय है। - पौल वैन गोर्डर


पापी का मन परिवर्तन क्षण भर में होने वाला आश्चर्यकर्म है; पापी से सन्त बनने की प्रक्रिया जीवन भर की मेहनत है।

और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा। - फिलिप्पियों १:६


बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१-११

Php 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में होकर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Php 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Php 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Php 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्‍द के साथ बिनती करता हूं।
Php 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से लेकर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Php 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिस ने तुम में अच्‍छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Php 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्‍योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Php 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति करके तुम सब की लालसा करता हूं।
Php 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Php 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्‍चे बने रहो और ठोकर न खाओ।
Php 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर ३-५
  • प्रेरितों ५:२२-४२

सोमवार, 20 जून 2011

निरंतर बढ़ते रहो

एक सुहाने दिन मैंने और मेरे ३ मित्रों ने पास की नदी के किनारे किनारे ५ मील के पैदल सफर का निर्णय लिया। हमारे सफर के अन्त स्थल पर हमारे अन्य मित्रों को हमारी बाट जोहनी थी और हमें उन से जा कर मिलना था। हम ने बड़े उत्साह और सामर्थ से अपना सफर आरंभ किया, फिर कुछ देर के बाद नदी के मोड़ों के साथ पगडंडी भी टेढ़ी-मेढ़ी और ऊबड़-खाबड़ होने लगी और हमारा सफर कुछ जटिल हो गया। जब हम और आगे बढ़ए तो कहीं हमें तट से ऊपर चढ़ना पड़ा तो कहीं हमें नदी किनारे की फिसलन, कीचड़ और खर-पतवार से होकर बहुत संभल संभल कर निकलना पड़ा। हमारे शरीर थकने लगे थे और अब हमें निश्चित भी नहीं हो पा रहा था कि हमें और कितना आगे जाना है तथा आगे का मार्ग कैसा होगा। लेकिन बस इस एक खयाल ने हमें आगे बढ़ने के लिए तत्पर किया कि यात्रा के अन्तिम स्थान पर हमारे मित्र हमारी प्रतीक्षा कर रहे होंगे, और हम आगे बढ़ते ही रहे।

यात्रा के अनत में जब हम बैठ कर सुस्ता रहे थे तो इस यात्रा और हमारी मसीही जीवन की यात्रा में हमें कई समानान्तर दीख पड़े और हम मित्रों ने बैठे बैठे इनकी चर्चा आपस में करी। साधारणत्या हम अपना मसीही जीवन का सफर अपने उद्धार के अनुभव के साथ बड़े उत्साह से करते हैं, योजनाएं बनाते हैं, बहुत कुछ करना चाहते हैं। कुछ देर के बाद जीवन के उतार चढ़ाव, समस्याएं और प्रलोभन हमारे मसीही विश्वास के रास्तों को टेढ़ा-मेढ़ा बना देते हैं। अपने विश्वास में उतम स्तर बनाए रखने कि बजाए साधारण स्तर से ही संतुष्ट होने के दलदल, सांसारिक उपलब्धियों को पाने के झाड़-झंकाड़ और घमंड की फिसलन भी हमारे आगे बढ़ने में बाधाएं बनते हैं। कभी कभी हमें समझ में नहीं आता कि हमारे आगे क्या आने वाला है, परिस्थितियों की अनिश्चितता हमें निराशा की ओर धकेलेती है। लेकिन फिर भी हम एक बात दृढ़ता और पूरे विश्वास से जानते हैं कि हमारे सफर के अन्त में परमेश्वर के साथ महिमामयी अनन्तता और हमारा उद्धारकर्ता प्रभु हमारी प्रतीक्षा कर रहे हैं, और यह तथ्य हमें धीरज के साथ अपनी यह यात्रा पूरी करने को प्रेरित करते हैं।

हम सभी को निराशा और थकान का सामना करना पड़ता है; कितनी ही बार हमें लगता है कि कितना अच्छा हो यदि हम जहाँ हैं बस वहीं पड़े रहें, अब और कुछ करने की आवश्यक्ता नहीं है। जब प्रलोभन आते हैं तो वह समय होता है आत्मा की सामर्थ की एक लंबी साँस भर लेने का और दृढ़ निश्च्य के साथ निरंतर कदम आगे बढ़ाने का, स्मरण करके कि अन्त में एक महिमामयी और अति उत्तम प्रतिफल हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। - डेव एग्नर


जब निराश होकर छोड़ देने का प्रलोभन आए तब स्वर्ग की ओर दृष्टि उठाना।

इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। - इब्रानियों १२:१


बाइबल पाठ: इब्रानियों १०:३२-३९

Heb 10:32 परन्‍तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
Heb 10:33 कुछ तो यों, कि तुम निन्‍दा, और क्‍लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
Heb 10:34 क्‍योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्‍द से लुटने दी, यह जानकर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
Heb 10:35 सो अपना हियाव न छोड़ो क्‍योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
Heb 10:36 क्‍योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्‍छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
Heb 10:37 क्‍योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
Heb 10:38 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
Heb 10:39 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।

एक साल में बाइबल:
  • एस्तर १, २
  • प्रेरितों ५:१-२१

रविवार, 19 जून 2011

दृढ़ निश्चय

एक मसीही सेवक कुछ समय से एक चर्च में पास्टर का कार्य कर रहा था, लेकिन उसकी सेवकाई और मेहनत का कोई विषेश प्रभाव उसे चर्च की मण्डली में दिखाई नहीं दे रह था और वह निराश होने लगा। एक रात उसे एक स्वप्न दिखाई दिया जिसमें वह एक घन द्वारा एक भारी चट्टान को तोड़ने का प्रयत्न कर रहा है। घंटों की लगातार मेहनत और पूरी सामर्थ से किए गए प्रहारों के बावजूद उस चट्टान पर कोई प्रभाव दिखाई नहीं दिया, और थक कर उसने निराशा से कहा, "इसमें कोई फायदा नहीं, मैं इस काम को छोड़ रहा हूँ" और घन नीचे रखने लगा। तभी एक व्यक्ति उसके पास आकर खड़ा हो गया और उससे पूछा, "क्या तुम्हें इसी कार्य के लिए नियुक्त नहीं किया गया था? तुम क्यों अपनी ज़िम्मेवारी से मुँह मोड़ रहे हो?" सेवक ने उत्तर दिया, "श्रीमन, यह कार्य व्यर्थ है; इतनी मेहनत के बाद भी इस चट्टान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। अब क्यों और व्यर्थ इसमें अपनी ताकत और समय गवाऊँ?" व्यक्ति ने उत्तर दिया, "यह सब सोचना तुम्हारा कार्य नहीं है। जिसने तुम्हें यह ज़िम्मेदारी दी, वह इस सब के बारे में जानता है; उसे तुम्हारी योग्यता और सामर्थ भी पता है तथा इस चट्टान की मज़बूती भी। बस सौंपा गया कार्य करो भली-भाँति करो, परिणाम की चिंता मत करो। चलो निराशा छोड़ो और अपने काम में पुनः लग जाओ।" उस व्यक्ति के कहने से सेवक ने घन फिर से उठाकर उस चट्टान पर भरपूर प्रहार किया, अब कि बार के एक ही प्रहार से चट्टान टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गई। वह चौंक कर जाग उठा; उसे मार्ग मिल गया था, वह अपने कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण सबक अब सीख चुका था।

यदि परमेश्वर ने हमें किसी कार्य पर नियुक्त किया है, तो वह हमारी क्षमता और योग्यता तथा कार्य की आवश्यक्ताएं हम से बेहतर जानता है। उसके चुनाव और नियुक्ति में कोई गलती नहीं हो सकती, इसलिए निराश होकर उसके कार्य को अधूरा छोड़ देना हमारे लिए विकल्प कभी नहीं हो सकता। अपने जीवन की ’चट्टानें’ हमें लोहे से भी अधिक मजबूत लग सकती हैं, लेकिन हमें अपने प्रयास में लगे रहना हैं क्योंकि परमेश्वर के समय और विधि में वे अवश्य ही टूट जाएंगी। निराशा और हताश होकर हार मानवा लेना शैतान के हथियार हैं। ऐसा कोई मसीही सेवक नहीं है जिन्हें इन परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ा हो, लेकिन वे ही कामयाब हुए और उन्होंने ही प्रतिफल पाया, जो दृढ़ निश्चय और दृढ़ विश्वास के साथ परमेश्वर द्वारा सौंपे गए कार्य में सन्लग्न रहे।

जब हम निराश और असंभव प्रतीत होने वाली परिस्थितियों में हों, तो ऐसे में हमारे विश्वास का प्रमाण हमारा दृढ़ निश्चय के साथ कार्यरत रहना ही है। - डेनिस डी हॉन


दृढ़ता से कार्य पर डटे रहना केवल मज़बूत मनोबल से ही नहीं होता, वरन उसके साथ उतनी ही मज़बूती से निराशा का इनकार भी करना होता है।

हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। - गलतियों ६:९


बाइबल पाठ: गलतियों ६:९-१८

Gal 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्‍योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Gal 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्वासी भाइयों के साथ।
Gal 6:11 देखो, मैं ने कैसे बड़े बड़े अक्षरों में तुम को अपने हाथ से लिखा है।
Gal 6:12 जितने लोग शारीरिक दिखावा चाहते हैं वे तुम्हारे खतना करवाने के लिये दबाव देते हैं, केवल इसलिये कि वे मसीह के क्रूस के कारण सताए न जाएं।
Gal 6:13 क्‍योंकि खतना कराने वाले आप तो, व्यवस्था पर नहीं चलते, पर तुम्हारा खतना कराना इसलिये चाहते हैं, कि तुम्हारी शारीरिक दशा पर घमण्‍ड करें।
Gal 6:14 पर ऐसा न हो, कि मैं और किसी बात का घमण्‍ड करूं, केवल हमारे प्रभु यीशु मसीह के क्रूस का जिस के द्वारा संसार मेरी दृष्‍टि में और मैं संसार की दृष्‍टि में क्रूस पर चढ़ाया गया हूं।
Gal 6:15 क्‍योंकि न खतना, और न खतनारिहत कुछ है, परन्‍तु नई सृष्‍टि।
Gal 6:16 और जितने इस नियम पर चलेंगे उन पर, और परमेश्वर के इस्‍त्राएल पर, शान्‍ति और दया होती रहे।
Gal 6:17 आगे को कोई मुझे दुख न दे, क्‍योंकि मैं यीशु के दागों को अपनी देह में लिये फिरता हूं।
Gal 6:18 हे भाइयो, हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम्हारी आत्मा के साथ रहे। आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • नहेम्याह १२, १३
  • प्रेरितों ४:२३-३७