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रविवार, 10 जुलाई 2011

भय की प्राथमिकताएं

मैंने एक प्रचारक को कहते सुना कि हमें केवल परमेश्वर से भय रखना चाहिए, यद्यपि उसके कहने का तातपर्य सही था, तो भी मैं उससे पूर्णतः सहमत नहीं हूँ। परमेश्वर के वचन बाइबल में ही प्रेरित पतरस द्वारा परमेश्वर के आत्मा ने लिखवाया है कि सेवक अपने स्वामियों के भय में रहें (१ पतरस २:१८) और पौलुस प्रेरित द्वारा लिखवाया कि बुराई करने वालों को सामाजिक अधिकारियों के भय में रहना चाहिए (रोमियों १३:४)। यह हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हम जिन बातों का भय रखते हैं उनकी सही प्राथमिकताएं भी रखें और उन सही प्राथमिकताओं के अनुसार भय को निभाएं।

एक युवक ने मुझे अपने अनुभव के बारे में बताया, उसके मित्र उसे नशीले पदार्थों के सेवन के लिए उकसा रहे थे, उसे भय था कि यदि उसने उनकी ना मानी तो वे उसे कायर समझेंगे; लेकिन इससे भी अधिक भय उसे इस बात से था कि यदि उसने उन पदार्थों को लेना आरंभ कर दिया तो उसका परिणाम क्या होगा। अपने भय की सही प्राथमिकताओं के कारण ही वह बुरी आदत और उसके दुषपरिणामों से बच सका। एक सैनिक ने अपने युद्ध भूमि के अनुभव बताए। उसने अपनी स्वेच्छा से एक बहुत खतरनाक मुहिम पर जाने की रज़ामन्दी अपनी टुकड़ी के नायक को दी। उसने माना कि उस मुहिम पर जाने के लिए उसे भय तो बहुत था लेकिन उस भय से भी अधिक भय इस बात का था कि यदि दुशमन जीत गया तो क्या परिणाम होगा। भय की प्राथमिकताओं ने ही इन दोनो जवानों को सही निर्णय लेने की प्रेरणा दी।

बाइबल हमें सिखाती है कि हमारा सब से बड़ा भय होना चाहिए परमेश्वर को अप्रसन्न करने का भय। यह वह भय है जिसे सदा हमारे प्राणों के भय से भी बढ़कर रहना चाहिए। यदि एक मसीही विश्वासी के सामने बुराई करने अथवा पीड़ा उठाने या प्राण गंवाने की परिस्थिति हो तो निसन्देह, बिन झिझके उसे परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए पीड़ा उठाने या प्राणों का जोखिम उठाने को चुनना चाहिए, ना कि बुराई के लिए समझौता करने को। प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा, "जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नाश कर सकता है" (मत्ती १०:२८)।

भय हमारे जीवन का एक भाग है। यदि हम भय की प्राथमिकताएं बनाना सीख जाएं और परमेश्वर के भय को सदा सर्वोपरी रखें तो भय हमारे लिए लाभ का कारण बन जाएगा। - हर्ब वैन्डर लुग्ट


मनुष्यों के भय से लज्जा किंतु परमेश्वर के भय से विवेक जागृत होता है।

इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिसे कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो। - रोमियों १३:७



बाइबल पाठ: रोमियों १३:१-७

Rom 13:1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के अधीन रहे, क्‍योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो, और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।
Rom 13:2 इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्‍ड पाएंगे।
Rom 13:3 क्‍योंकि हाकिम अच्‍छे काम के नहीं, परन्‍तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्‍छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी;
Rom 13:4 क्‍योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्‍तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्‍योकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्‍ड दे।
Rom 13:5 इसलिये अधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्‍तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है।
Rom 13:6 इसलिये कर भी दो, क्‍योंकि वे परमश्‍ेवर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं।
Rom 13:7 इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ४१-४२
  • प्रेरितों १६:२२-४०

शनिवार, 9 जुलाई 2011

भय से भरोसा

एक कबीले में प्रथा थी कि जब उनके कबीले का बच्चा व्यसक होने लगता था तो कबीले के अगुवे उसे अपने कबीले की प्रथाएं सिखाते थे। इन प्रथाओं के पालन के लिए वे उसके ऊपर दण्ड का भय या "यह करो, वह न करो" की नैतिकता का भार नहीं डालते थे, वरन वे उस से बस इतना ही कहते थे कि "ना मानने से कबीले के लोग तुम्हारे बारे में बातें कर सकते हैं"। अपने साथ के लगों में सही छवि बनाए रखने के लिए वह बच्चा स्वतः ही प्रथाओं का पालन करने में तत्पर रहता था।

साथियों के इस दबाव के संबंध में परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह की पुस्तक के ५१ अध्याय में भी कुछ कहा गया है - समाज में सही दिखने वाले व्यवहार को लेकर। कबीले के अगुवे बच्चों को सही व्यवहार बनाए रखने के लिए साथियों का दबाव बताते थे, लेकिन यशायाह ५१ में इसका दूसरा पहलू दर्शाया गया है - साथियों के दबाव में आकर पाप में फंसना और गिर जाना (यशायाह ५१:७)। परमेश्वर ने अपने लोगों को चेतावनी दी कि "लोग उन के बारे में क्या कहेंगे" का भय, उन के जीवनों में परमेश्वर की आज्ञाओं के साथ समझौता करने और अनाज्ञाकारी होने का कारण हो सकता है और वे अनैतिक संबंधों में फंस सकते हैं। परमेश्वर ने कहा कि जब ऐसी बात उठे तब वह उस पर भरोसा रखें और केवल उसी की सम्म्ति से कार्य करें।

यह सलाह आज हमारे लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज भी "मनुष्यों का भय" बहुत से मसीही लोगों को परमेश्वर के अनाज्ञाकारी होने के लिए बाध्य कर देता है और इसके दुषपरिणाम वे अपने जीवनों मे भोगते रहते हैं। यदि हम अपना व्यवहार केवल लोगों की पसन्द - नापसन्द पर आधारित रखेंगे तो शीघ्र ही हमारे जीवन कुण्ठाओं और दुखदाई अनिश्चितताओं से भर जाएंगे और हम न स्वयं प्रसन्न रह सकेंगे, न किसी दूसरे को सदा प्रसन्न रख सकेंगे और परमेश्वर से भी विमुख हो जाएंगे।

जब हम अपनी तृप्ति सदा ही परमेश्वर को भाने वाली बातों में बनाएंगे तो हमें अपंग करने वाले मनुष्यों के भय से स्वतः ही मुक्ति मिल जाएगी। फिर मनुष्यों के भय के स्थान पर हम परमेश्वर के भय में कार्य करने लगेंगे जो सदा ही उन्नति का कारण होता है। परमेश्वर का भय उसके प्रति श्रद्धा का सकारात्मक भय है, जो हमें उसकी इच्छानुसार चलने को प्रेरित करता है और सदा हमारे भले ही का भरोसा देता है। - मार्ट डी हॉन


परमेश्वर का भय ही हमें मनुष्यों के भय से मुक्त कर सकता है।

मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है, परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है। - नीतिवचन २९:२५


बाइबल पाठ: यशायाह ५१:७-१६

Isa 51:7 हे धर्म के जानने वालों, जिनके मन में मेरी व्यवस्था है, तुम कान लगाकर मेरी सुनो, मनुष्यों की नामधराई से मत डरो, और उनके निन्दा करने से विस्मित न हो।
Isa 51:8 क्योंकि घुन उन्हें कपड़े की नाईं और कीड़ा उन्हें ऊन की नाईं खाएगा; परन्तु मेरा धर्म अनन्तकाल तक, और मेरा उद्धार पीढ़ी से पीढ़ी तक बना रहेगा।
Isa 51:9 हे यहोवा की भुजा, जाग! जाग और बल धारण कर, जैसे प्राचीन काल में और बीते हुए पीढिय़ों में, वैसे ही अब भी जाग। क्या तू वही नहीं है जिस ने रहब को टुकड़े टुकड़े किया और मगरमच्छ को छेदा?
Isa 51:10 क्या तू वही नहीं जिस ने समुद्र को अर्थात गहिरे सागर के जल को सुखा डाला और उसकी गहराई में अपने छुड़ाए हओं के पार जाने के लिये मार्ग निकाला था?
Isa 51:11 सो यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौट कर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे, और उनके सिरों पर अनन्त आनन्द गूंजता रहेगा; वे हर्ष और आनन्द प्राप्त करेंगे, और शोक और सिसकियों का अन्त हो जाएगा।
Isa 51:12 मैं, मैं ही तेरा शान्तिदाता हूं, तू कौन है जो मरने वाले मनुष्य से, और घास के समान मुर्झाने वाले आदमी से डरता है?
Isa 51:13 और आकाश के तानने वाले और पृथ्वी की नेव डालने वाले अपने कर्ता यहोवा को भूल गया है, और जब द्रोही नाश करने को तैयार होता है तब उसकी जलजलाहट से दिन भर लगातार थरथराता है? परन्तु द्रोही की जलजलाहट कहां रही?
Isa 51:14 बंधुआ शीघ्र ही स्वतन्त्र किया जाएगा; वह गड़हे में न मरेगा और न उसे रोटी की कमी होगी।
Isa 51:15 जो समुद्र को उथल-पुथल करता जिस से उसकी लहरों मे गरजन होती है, वह मैं ही तेरा परमेश्वर यहोवा हूं मेरा नाम सेनाओं का यहोवा है। और मैं ने तेरे मुंह में अपने वचन डाले,
Isa 51:16 और तुझे अपने हाथ की आड़ में छिपा रखा है कि मैं आकाश को तानूं और पृथ्वी की नेव डालूं, और सिय्योन से कहूं, तुम मेरी प्रजा हो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३८-४०
  • प्रेरितों १६:१-२१

शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

हर तरह का मौसम

भजनकार ने सारी सृष्टि को परमेश्वर की स्तुति में अपनी आवाज़ उठाने को कहा ( भजन १४८:७-१२)। उस ने पहचाना की प्रकृति की प्रबल शक्तियाँ परमेश्वर द्वारा भेजी जाती हैं कि उसकी इच्छा को पूरी करें। ये शक्तियाँ न केवल जीवन की रक्षा और पोषण करती हैं वरन उसे आकार और स्वरूप भी देती हैं।

अपने घर के बाहर लगे विशाल पेड़ को देखकर मैं यही सोच रहा था। लम्बे समय से उस पेड़ के मज़बूत और गगनचुँबी तने और हर तरफ फैली शाखाओं को देखकर उनहें सराहता रहता था। अब मैं ने विचार किया कि परमेश्वर द्वारा भेजी गई प्रकृति की इन प्रबल शक्तियों ने ही इस पेड़ को इसका यह स्वरूप दिया है। गरमीयों की कठोर धूप, निकट की झील से आती तेज़ ठण्डी हवाएं जो उसकी शाखाओं को झकझोरती हैं, बरसात की तेज़ आँधियाँ, सर्दियों में उस पर पड़ने और जमने वाली बर्फ जिसका बोझ उसे उठाना होता है, वसन्त ऋतु में आने वाले तूफान, सब मिलकर उस पेड़ को इतना मज़बूत और स्थिर बनाते हैं।

जीवन में आने वाले तूफान के दबाव और बर्फानी हवाओं के थपेड़े परमेश्वर की ओर से भेजे गए मौसम के अलग अलग मिज़ाजों की तरह हैं। इनसे मेरे जीवन में सामर्थ और परिपक्वता आती है, ये परमेश्वर की ओर से मुझे उस स्वरूप में ढालते हैं जो परमेश्वर मेरे जीवन में चाहता है।

हमारे जीवन में हर प्रकार का मौसम, गर्मी की तपिश और सर्दी की ठिठुरन, सब परमेश्वर की ओर से है और हमें उस ही के स्वरूप में ढालने के लिए हैं, यदि हम आपने आप को उसके हाथों में समर्पित कर दें तो।


परमेश्वर निर्धारित करेगा कि आपको क्या झेलना है, आप यह निर्धारित कीजिए कि किस रीति से झेलेंगे।

पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर, हे अग्नि और ओलों, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार! - भजन १४८:७, ८


बाइबल पाठ: भजन १४८

Psa 148:1 याह की स्तुति करो! यहोवा की स्तुति स्वर्ग में से करो, उसकी स्तुति ऊंचे स्थानों में करो!
Psa 148:2 हे उसके सब दूतों, उसकी स्तुति करो: हे उसकी सब सेना उसकी स्तुति कर!
Psa 148:3 हे सूर्य और चन्द्रमा उसकी स्तुति करो, हे सब ज्योतिमय तारागण उसकी स्तुति करो!
Psa 148:4 हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
Psa 148:5 वे यहोवा के नाम की स्तुति करें, क्योंकि उसी ने आज्ञा दी और ये सिरजे गए।
Psa 148:6 और उस ने उन को सदा सर्वदा के लिये स्थिर किया है और ऐसी विधि ठहराई है, जो टलने की नहीं।
Psa 148:7 पृथ्वी में से यहोवा की स्तुति करो, हे मगरमच्छों और गहिरे सागर,
Psa 148:8 हे अग्नि और ओलों, हे हिम और कुहरे, हे उसका वचन मानने वाली प्रचण्ड बयार!
Psa 148:9 हे पहाड़ों और सब टीलो, हे फलदाई वृक्षों और सब देवदारों!
Psa 148:10 हे वन- पशुओं और सब घरैलू पशुओं, हे रेंगने वाले जन्तुओं और हे पक्षियों!
Psa 148:11 हे पृथ्वी के राजाओं, और राज्य राज्य के सब लोगों, हे हाकिमों और पृथ्वी के सब न्यायियों!
Psa 148:12 हे जवानों और कुमारियों, हे पुरनियों और बालकों!
Psa 148:13 यहोवा के नाम की स्तुति करो, क्योंकि केवल उसी का नाम महान है; उसका ऐश्वर्य पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
Psa 148:14 और उस ने अपनी प्रजा के लिये एक सींग ऊंचा किया है, यह उसके सब भक्तों के लिये अर्थात इस्राएलियों के लिये और उसके समीप रहने वाली प्रजा के लिये स्तुति करने का विषय है। याह की स्तुति करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३६-३७
  • प्रेरितों १५:२२-४१

गुरुवार, 7 जुलाई 2011

चिकने और गोलाकार

समुद्र के किनारे पैदल चलते हुए मैं एक छोटी से खाड़ीनुमा स्थान पर आया जिसका मुहाना तंग तथा सुरक्षित था और बड़ी तथा तेज़ लहरें वहाँ अन्दर तक वेग से नहीं आ पाती थीं। मैंने ध्यान किया कि जो पत्थर और चट्टानें वहाँ तट पर पड़ीं थीं वे उबड़-खाबड़ और पैनी थीं न की चिकनी और गोलाकार, जैसी की उस खाड़ीनुमा इलाके के बाहर थीं जहाँ पर समुद्र की लहरें वेग से आकर चट्टानों पर टूटती थीं और उन से घिस कर चट्टानों का पैनापन जाता रहा था और वे चिकनी हो गई थीं।

यही बात मसीही विश्वासी के चरित्र पर भी लागु होती है। जैसे लहरों और पानी का कठोर प्रहार चट्टानों को घिस कर चिकना कर देता है, वैसे ही हमारे जीवनों की कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमारे चरित्र को निखार कर हम में मसीही परिपक्वता ले आती हैं। इसी लिए भजनकार ने लिखा कि, "मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं" (भजन ११९:७१)। इसी भाव को प्रचारक सैमुएल रदरफोर्ड ने भी व्यक्त किया जब उसने कहा कि "क्लेषों की भट्टी से होकर निकलने से मुझे परमेश्वर का वचन एक नए रूप में मिल गया है।" जब उसका विश्वास परखा गया तो परमेश्वर के वचन की एक नई समझ उसे मिली और साथ ही उसका चरित्र भी और अधिक निखर गया।

एक सामन्य भ्रांति है कि जब हमारे साथ कुछ बुरा हो रहा होता है, तब परमेश्वर हमें दण्ड दे रहा होता है। यह सदा सत्य नहीं होता, परमेश्वर का वचन हमें यह भी सिखाता है कि परीक्षाएं एक मसीही विश्वासी के लिए सम्मान के पदक भी हो सकते हैं। वे दिखाती हैं कि उन परीक्षाओं में होकर परमेश्वर हम में कार्य कर रहा है जिससे वह हम में वह धैर्य उत्पन्न कर सके जिसकी चर्चा याकूब ने करी और जो हमें परिपक्व करता है जिससे हम किसी भी घटी में न रहें (याकूब १:४)।

क्लेषों और परीक्षाओं के द्वारा परमेश्वर हमारे चरित्र के पैने और ऊबड़-खाबड़ हिस्सों को घिस कर चिकना और गोलाकार करता है और हमें अपने पुत्र और हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की समानता में बदलता जाता है। - पौल वैन गोर्डर


परमेश्वर हमारे जीवनों में कठिनाईयाँ और परिक्षाएं हमें निखारने के लिए आने देता है, हमें बिगाड़ने के लिए नहीं।

...तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है। - याकूब १:३


बाइबल पाठ: याकूब १:१-१८

Jas 1:1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्‍कार पहुंचे।
Jas 1:2 हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो
Jas 1:3 तो इसे पूरे आनन्‍द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्न होता है।
Jas 1:4 पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे।
Jas 1:5 पर यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है और उस को दी जाएगी।
Jas 1:6 पर विश्वास से मांगे, और कुछ सन्‍देह न करे क्‍योंकि सन्‍देह करने वाला समुद्र की लहर के समान है जो हवा से बहती और उछलती है।
Jas 1:7 ऐसा मनुष्य यह न समझे, कि मुझे प्रभु से कुछ मिलेगा।
Jas 1:8 वह व्यक्ति दुचित्ता है, और अपनी सारी बातों में चंचल है।
Jas 1:9 दीन भाई अपने ऊंचे पद पर घमण्‍ड करे।
Jas 1:10 और धनवान अपनी नीच दशा पर: क्‍योंकि वह घास के फूल की नाई जाता रहेगा।
Jas 1:11 क्‍योंकि सूर्य उदय होते ही कड़ी धूप पड़ती है और घास को सुखा देती है, और उसका फूल झड़ जाता है, और उस की शोभा जाती रहती है; उसी प्रकार धनवान भी अपने मार्ग पर चलते चलते धूल में मिल जाएगा।
Jas 1:12 धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है क्‍योंकि वह खरा निकल कर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिस की प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करने वालों को दी है।
Jas 1:13 जब किसी ही परीक्षा हो, तो वह यह न कहे, कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है क्‍योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है, और न वही किसी की परीक्षा आप करता है।
Jas 1:14 परन्‍तु प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही अभिलाषा में खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।
Jas 1:15 फिर अभिलाषा गर्भवती होकर पाप को जनता है और पाप बढ़ जाता है तो मृत्यु को उत्‍पन्न करता है।
Jas 1:16 हे मेरे प्रिय भाइयों, धोखा न खाओ।
Jas 1:17 क्‍योंकि हर एक अच्‍छा वरदान और हर एक उत्तम दान ऊपर ही से है, और ज्योतियों के पिता की ओर से मिलता है, जिस में न तो कोई परिवर्तन हो सकता है, ओर न अदल बदल के कारण उस पर छाया पड़ती है।
Jas 1:18 उस ने अपनी ही इच्‍छा से हमें सत्य के वचन के द्वारा उत्‍पन्न किया, ताकि हम उस की सृष्‍टि की हुई वस्‍तुओं में से एक प्रकार के प्रथम फल हों।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३४-३५
  • प्रेरितों १५:१-२१

बुधवार, 6 जुलाई 2011

दिल पर हावी

अपनी बैसाखियों के कारण रौजर कभी खेल-कूद में भाग नहीं ले सका, लेकिन वह अपनी पढ़ाई में सदा अच्छा स्थान बनाए रहा, सदा हँसमुख रहता था और उसके साथ के लोग उसे बहुत पसन्द करते थे। बहुत समय तक उसकी इस असमर्थता के बारे में किसी ने उससे कुछ नहीं पूछा, लेकिन एक दिन उसके एक अच्छे मित्र ने उस से पूछ ही लिया। रौजर ने उसे बताया कि उसकी यह असमर्थता बचपन में हुई पोलियो की बीमारी के कारण थी। उसके मित्र ने फिर पूछा "इतनी कठिनाईयों और तकलीफों के बावजूद तुम्हारे अन्दर कोई कडुवाहट क्यों नहीं दिखाई देती?" रौजर ने अपने दिल की ओर ऊँगुली का इशारा करते हुए और मुस्कुराते हुए उत्तर दिया "क्योंकि मैंने इसे अपने दिल पर कभी हावी नहीं होने दिया।"

हो सकता है कि कोई लोग ऐसे भी हों जिन्होंने कभी क्लेषों का सामना नहीं किया हो। लेकिन हम में से अधिकांश लोगों के लिये क्लेष - शारीरिक, मानसिक अथवा भावनाओं से जुड़े हुए, अनजान नहीं हैं; देर-सवेर, किसी न किसी रूप में, ये हमारे जीवनों में आ ही जाते हैं और तब हमारी स्वाभाविक प्रतिक्रिया इनसे बचने और राहत पाने की होती है। परमेश्वर का वचन बाइबल कभी कहीं यह आश्वासन नहीं देती कि हमारे जीवन सदा क्लेषों से मुक्त होंगें और हम पर कभी कोई असमर्थता नहीं आएगी, और ना ही कोई ऐसा आश्वासन देती है कि क्लेषों से मुक्ति की प्रत्येक प्रार्थना का उत्तर हमारी इच्छानुसार ही होगा, यद्यपि कभी ऐसा होता भी है। लेकिन परमेश्वर का वचन हमें यह आश्वासन अवश्य देता है कि हर क्लेष में हमारा परमेश्वर और उसकी शांति तथा सामर्थ हमारे साथ बनी रहेगी और हर क्लेष में वह हमारे अविनाशी आत्मा को संभाले रहेगा, जो नशवर शरीर से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।

यदि हम किसी ऐसी व्याधि से होकर निकलें, जिसका निवारण परमेश्वर तुरंत और हमारी इच्छानुसार नहीं कर देता तो हमें निराश और हताश होकर अपने जीवनों में कडुवाहट, आत्मग्लानि और परमेश्वर के प्रति विरोध और विद्रोह को आने नहीं देना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में अवश्य ही इस प्रकार के विचार हमारे मनों में घर बनाने का प्रयास करेंगे। जब जब ऐसा हो तो बड़ी सच्चाई और साधारण विश्वास के साथ हमें अपनी इन भावनाओं को परमेश्वर के सामने मान लेना चाहिए, क्योंकि वह न केवल सब कुछ जानता है वरन हमारी दशा को समझता भी है और हमसे प्रेम तथा सहानुभुति भी रखता है। ऐसा करने से न केवल हम परिस्थितियों पर जयवंत होंगे और हमारे जीवनों में परमेश्वर की शांति राज करेगी, वरन परमेश्वर भी हमें अपने प्रेम और सामर्थ का उदाहरण बना कर दूसरों तक अपनी गवाही को पहुँचाने पाएगा जिससे कि उनके जीवनों में भी निराशा राज न करने पाए।

यदि हर परिस्थिति में हम अपने जीवन परमेश्वर के आगे खुले रखेंगे तो कोई परिस्थिति कभी हमारे दिलों पर हावी नहीं हो सकेगी। - डेनिस डी हॉन


शरीर का ऐसा कोई क्लेष नहीं है जिससे आत्मा सामर्थ न पा सके।

जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा। - भजन ४१:३


बाइबल पाठ: भजन ४१

Psa 41:1 क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा।
Psa 41:2 यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा, और वह पृथ्वी पर भाग्यवान होगा। तू उसको शत्रुओं की इच्छा पर न छोड़।
Psa 41:3 जब वह व्याधि के मारे सेज पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।
Psa 41:4 मैं ने कहा, हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर, मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैं ने तो तेरे विरूद्ध पाप किया है!
Psa 41:5 मेरे शत्रु यह कह कर मेरी बुराई करते हैं: वह कब मरेगा, और उसका नाम कब मिटेगा?
Psa 41:6 और जब वह मुझ से मिलने को आता है, तब वह व्यर्थ बातें बकता है, जब कि उसका मन अपने अन्दर अधर्म की बातें संचय करता है; और बाहर जाकर उनकी चर्चा करता है।
Psa 41:7 मेरे सब बैरी मिलकर मेरे विरूद्ध कानाफूसी करते हैं; वे मेरे विरूद्ध होकर मेरी हानि की कल्पना करते हैं।
Psa 41:8 वे कहते हैं कि इसे तो कोई बुरा रोग लग गया है, अब जो यह पड़ा है, तो फिर कभी उठने का नहीं।
Psa 41:9 मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरूद्ध लात उठाई है।
Psa 41:10 परन्तु हे यहोवा, तु मुझ पर अनुग्रह करके मुझ को उठा ले कि मैं उनको बदला दूं!
Psa 41:11 मेरा शत्रु जो मुझ पर जयवन्त नहीं हो पाता, इस से मैं ने जान लिया है कि तू मुझ से प्रसन्न है।
Psa 41:12 और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है।
Psa 41:13 इस्राएल का परमेश्वर यहोवा आदि से अनन्तकाल तक धन्य है आमीन, फिर आमीन।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३२-३३
  • प्रेरितों १४

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

क्लेषों का उद्देश्य

सूखे और पत्थरीले रेगिस्तानी इलाकों में पाई जाने वाली कुछ झाड़ीयों के बीज तब तक अंकुरित नहीं होते जब तक रगड़ खाकर उनके बाहरी खोल क्षतिग्रस्त नहीं हो जाते। जब झाड़ीयों में बीज बनता है तो उसपर एक कठोर खोल भी चढा होता है जो उनके अन्दर के अंकुरित होने की क्षमता और सामग्री की रक्षा करता है, लेकिन इस खोल के कारण पानी उनके अन्दर भी नहीं पहुंच पाता और वे सही परिस्थितयों के होने तक अंकुरित नहीं हो पाते। जब भारी बारिश से उन पत्थरीली ढालों पर पानी तेज़ी से बहता है, तो उस पानी के वेग से वे बीज भी कंकड़ों और पत्थरों से टकाराते और रगड़ खाते हुए पानी के प्रवाह के साथ लुड़कते चले जाते हैं और उनका कठोर बाहरी खोल क्षतिग्रस्त होता जाता है, जिससे पानी उनके अन्दर पहुँच पाता है। पानी के साथ बहते हुए ये बीज ऐसे स्थानों में मिट्टी में दब जाते हैं जहाँ पानी का कुछ ठहराव हो और भूमि की नमी कुछ समय बनी रहे। यहाँ पर इन अनुकूल परिस्थितित्यों में अब ये अंकुरित होकर जड़ पकड़ सकते हैं और आगे चलकर बीज बनाने वाले नए पौधे बन सकते हैं।

कभी कभी हम मसीही विश्वासी भी इन बीजों की तरह ही होते हैं। हमें भी जीवन के तेज़ प्रवाह द्वारा इधर उधर पटके जाने की आवश्यक्ता होती है जिससे परमेश्वर के वचन का जल हमारे अन्दर पहुँच सके और हम में मसीही चरित्र को अंकुरित कर सके। हम तब तक अपने विश्वास को गंभीरता से नहीं लेते जब तक कुछ उग्र हमारे साथ घटित नहीं हो जाता, जैसे, बीमारी और अस्पताल के बिस्तर पर बिताया कुछ समय, या अचानक आया कोई बड़ा खर्च, या परिवार में आई कोई गंभीर समस्या आदि। यद्यपि हमारा परमेश्वर पिता हमें अनावश्यक रूप से किसी दुख और संकट में जाने नहीं देना चाहता, लेकिन वह हमारे जीवन में ऐसी परिस्थितियाँ आने देता है जो हमारे अन्दर परमेश्वर के वचन रूपी जल को पहुँचने से रोकने वाली बातों को छीलकर हटाती रहें और हमें नम्र बनाए रखें। ऐसी परिस्थितियाँ अवश्य दुख देती हैं, लेकिन जब इनमें भी हम परमेश्वर की योजना को पहचान कर परमेश्वर के आगे नम्र और उसके आधीन हो जाते हैं तो यही परिस्थितियाँ हमारे आत्मिक जीवन की बढ़ोतरी का कारण भी बन जाती हैं।

चाहे हम बीज के रुप में एक स्थान पर सूखे और शिथिल पड़े रहना चाहते हों, लेकिन हमारा परमेश्वर पिता हमें फलवन्त वृक्ष देखना चाहता है, और इसलिए वह हम पर क्लेष भी आने देता है कि हम अंकुरित हों और उसकी महिमा के लिए फल लाएं। - मार्ट डी हॉन


कठिनाईयों से निकले बिना कुछ प्राप्त नहीं होता।

हे मेरे पुत्र, यहोवा की शिक्षा से मुंह न मोड़ना, और जब वह तुझे डांटे, तब तू बुरा न मानना, क्योंकि यहोवा जिस से प्रेम रखता है उसको डांटता है, जैसे कि बाप उस बेटे को जिसे वह अधिक चाहता है। - नीतिवचन ३:११, १२


बाइबल पाठ: इब्रानियों १२:१-१२

Heb 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्‍तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें।
Heb 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर से ताकते रहें, जिस ने उस आनन्‍द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न करके, क्रूस का दुख सहा और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
Heb 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिस ने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो।
Heb 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो।
Heb 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाई दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़।
Heb 12:6 क्‍योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है और जिसे पुत्र बना लेता है, उस को कोड़े भी लगाता है।
Heb 12:7 तुम दुख को ताड़ना समझ कर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता?
Heb 12:8 यदि वह ताड़ना जिस के भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्‍तान ठहरे!
Heb 12:9 फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे, तो क्‍या आत्माओं के पिता के और भी आधीन न रहें जिस से जीवित रहें।
Heb 12:10 वे तो अपनी अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उस की पवित्रता के भागी हो जाएं।
Heb 12:11 और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्‍द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उस को सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्‍हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।
Heb 12:12 इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब ३०-३१
  • प्रेरितों १३:२६-५२

सोमवार, 4 जुलाई 2011

तराशा हुआ हीरा

एक हीरा अपने स्वाभाविक स्वरूप में कंकड़ या छोटे पत्थर के समान ही दिखता है, उसकी सुन्दरता तराशे जाने के बाद ही निखर कर बाहर आने लगती है तथा तराशे जाने के बाद जब उसे चमकाया जाता है और तब उसकी चमक देखने लायक होती है तथा उसकी कीमत बन जाती है। साधारण कंकड़ से बहुमूल्य हीरा बनाने के लिए निपुण कारीगर उसे कठोर सान पर लगा कर चारों ओर से घिसता है, जिससे उसके बेडौल स्वाभाविक स्वरूप को सुन्दर स्वरूप में बदल सके। यह एक बहुत बारीकी से करी गई कारिगरी की प्रक्रिया है जिसमें बहुत ध्यान और समय लगता है। स्वरूप देने के बाद कारीगर फिर उसे निखारने के लिए रगड़ कर उसे चमकाता है।

यह प्रक्रिया उस प्रक्रिया के समान है जो परमेश्वर अपनी सन्तान के साथ करता है। जिन कठोर परिस्थितियों का सामना हमें प्रति दिन करना पड़ता है वे उस सान के समान हैं जो हीरे को स्वरूप देती है। परमेश्वर जीवन की कठिनाईयों और विषम परिस्थितियों द्वारा हमें तराशता और चमकाता है जिससे हमारा चरित्र निखर कर सिद्ध हो जाए और हम एक दिन उसके साथ स्वर्ग में सुन्दर और तेजोमय हो सकें। अवश्य ही यह प्रक्रिया सुखद नहीं होती, और ना ही उस ईश्वरीय कारीगर का उद्देश्य इसका सुखदाई होना है। उसकी नज़र हमारे अन्तिम तेजोमय स्वरूप पर है, और उस स्वरूप में बदलने के लिए वह हमारे जीवन और चरित्र से हर अनावश्यक बात तराश कर निकालता रहता है और हमें रगड़ कर चमकाता रहता है।

पतरस प्रेरित ने कहा "... कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो" (१ पतरस १:६), लेकिन जब हम इन परीक्षाओं के उद्देश्य को समझ लेंगे तो अपनी इन परीक्षाओं की आवश्यक्ता और कीमत को भी जान सकेंगे। परमेश्वर का, इस निखारे जाने की प्रक्रिया के दौरान, अपनी सन्तान के लिए एक ही ध्येय है: "और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे" (१ पतरस १:७)।

अपने जीवन में आने वाली परेशानियों और कठिनाईयों के उद्देश्य को जानते और पहचानते हुए, हमें परमेश्वर और हमारे प्रति उसके प्रेम पर शक नहीं करना चाहिए, वरन इन बातों के आगे आने वाले तेजोमय भविष्य पर अपनी नज़रें लगा कर वर्तमान में भी आनन्दित रहना चाहिए ना कि उन से निराशा होना चाहिए। - पौल वैन गौर्डर


जैसे सान पर लगाए बिना हीरा तराशा नहीं जा सकता, वैसे ही कठिनाईयों की रगड़ लगे बिना मनुष्य निखर नहीं सकता।

और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।" - १ पतरस १:७


बाइबल पाठ: १ पतरस १:१-९

1Pe 1:1 पतरस की ओर से जो यीशु मसीह का प्रेरित है, उन परदेशियों के नाम, जो पुन्‍तुस, गलतिया, कप्‍पदुकिया, आसिया, और बितुनिया में तित्तर बित्तर होकर रहते हैं।
1Pe 1:2 और परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार, आत्मा के पवित्र करने के द्वारा आज्ञा मानने, और यीशु मसीह के लोहू के छिड़के जाने के लिये चुने गए हैं। तुम्हें अत्यन्‍त अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
1Pe 1:3 हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद दो, जिस ने यीशु मसीह को मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया।
1Pe 1:4 अर्थात एक अविनाशी और निर्मल, और अजर मीरास के लिये।
1Pe 1:5 जो तुम्हारे लिये स्‍वर्ग में रखी है, जिन की रक्षा परमेश्वर की सामर्थ से, विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आने वाले समय में प्रगट होने वाली है, की जाती है।
1Pe 1:6 और इस कारण तुम मगन होते हो, यद्यपि अवश्य है कि अब कुछ दिन तक नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उदास हो।
1Pe 1:7 और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे।
1Pe 1:8 उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास कर के ऐसे आनन्‍दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
1Pe 1:9 और अपने विश्वास का प्रतिफल अर्थात आत्माओं का उद्धार प्राप्‍त करते हो।

एक साल में बाइबल:
  • अय्युब २८-२९
  • प्रेरितों १३:१-२५