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रविवार, 13 मार्च 2011

प्रेम की सामर्थ

एक गांव के प्रार्थना भवन की दीवार पर दो बारह वर्षीय युवकों की तसवीरें लगीं हैं। एक का नाम है रिक और दूसरे का रोज़ी। वे तसवीरें यादगार हैं एक दुर्घटना की जो कई साल पहले घटी थी। उस गांव के बच्चे एक झील पर नौका विहार के लिये गए थे। नौका अभियान के बाद वे किनारे लौटे और अपने खेमे लगाने लगे। तभी रोज़ी को पानी में कुछ तैरता दिखाई दिया, और वह उसे लेने के लिये नाव पानी में उतार कर उसकी ओर चल दिया। तेज़ हवाओं ने उसे शीघ्र ही किनारे से दूर धकेल दिया। उसकी खतरनाक दशा को देखकर उनके साथ के अधिकारियों ने दो नौकाएं और पानी में उतारीं के उसे बचा लाएं। जब रिक ने देखा कि उसका सबसे अच्छा मित्र खतरे में है तो उसने भी बचाव दल के साथ जाने का हठ किया और उनके साथ चल दिया। तेज़ हवाओं ने उन तीनों नौकाओं को झकझोर दिया और उलट दिया। बचाव दल के लोग किसी तरह तैरकर अपनी जान बचाने में सफल हुए लेकिन रिक और रोज़ी दोनो ही झील की गहराईयों में खो गए। उन दोनो की तसवीर के बीच में एक स्मृति-पटिका पर यह शब्द खुदे हैं "रिक, जिसने इतना प्रेम किया कि अपनी जान दूसरे के लिये दे दी। रोज़ी, जो ऐसे प्रेम के लायक था कि दूसरे ने उसके लिये अपनी जान दे दी।"

यह कहानी स्मरण दिलाती है " देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है..." (१ यूहन्ना ३:१) - ऐसा प्रेम कि हमारे पापों के लिये अपने पुत्र को बलिदान होने को दे दिया। और हम ऐसे प्रेम के भागी बने कि पुत्र स्वेच्छा से हमारे सन्ती बलिदान हो गया।

हमारा उद्धार ही उसके प्रेम की इस सामर्थ का सबसे महान प्रमाण है। - डेव एगनर


परमेश्वर के प्रेम का सच्चा माप यही है कि उसके प्रेम को मापा नहीं जा सकता।

देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है... - १ यूहन्ना ३:१


बाइबल पाठ : १ यूहन्ना ४:७-११

हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्‍योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है और परमेश्वर को जानता है।
जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्‍योंकि परमेश्वर प्रेम है।
जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं।
प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा।
हे प्रियों, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।

एक साल में बाइबल:
  • व्यवस्थाविवरण २०-२२
  • मरकुस १३:२१-३७