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रविवार, 26 फ़रवरी 2012

नया स्वामित्व

   हरमन वौउक ने दूसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित एक बहुत रोचक उपन्यास लिखा है The Caine Mutiny जिसमें एक अद्भुत उदाहरण है जो इस बात को समझने में सहायता करता है कि जब कोई व्यक्ति परमेश्वर का अनुयायी हो जाता है तो उसके जीवन में क्या परिवर्तन आ जाता है।

   उस उपन्यास में, एक धनी और ऊंची जान-पहचान रखने वाले परिवार का नौजवान सदस्य नौसेना में भरती लेकर प्रशिक्षण के लिए आता है। उसकी मां उसे एक बड़ी और सुन्दर कार में लेकर प्रशिक्षण केंद्र पर छोड़ने आती है, और वहाँ बड़े प्यार से उसे विदा कहती है। नौजवान दरवाज़े पर खड़े पहरेदार से हाथ मिलाता है और दरवाज़े के अन्दर चला जाता है, दरवाज़ा उसके पीछे बन्द हो जाता है। तभी उस की माँ को विचार आता है कि पता नहीं उसके बेटे के पास उचित मात्रा में पैसा है कि नहीं, और वह दौड़ कर दरवाज़े पर आती है। दरवाज़े पर खड़ा पहरेदार उसे सम्मान पूर्वक अन्दर जाने से रोक देता है। वह अन्दर जाने का हट करती है किन्तु पहरेदार जाने नहीं देता। माँ दरवाज़े के अन्दर खड़े अपने बेटे को देख रही है और गुस्से में कहती है कि "वह मेरा बेटा है, मुझे उससे मिलने का हक है" और दरवाजे की कुँडी को हाथ से पकड़कर खोलने का प्रयास करती है। पहरेदार कुँडी पर से उसका हाथ हटाते हुए उत्तर देता है, "महोदया, मैं जानता हूँ कि वह आपका पुत्र है, किंतु अब पहले वह एक नौसैनिक है और उस पर उसके देश का पहला अधिकार है।"

   जब हम पापों की क्षमा के लिए प्रभु यीशु पर विश्वास लाते हैं और अपने जीवन उसे सौंप देते हैं, तो हम एक नए स्वामीत्व के आधीन आ जाते हैं। तब से हम नए आदेशों के आधीन कार्य करने वाले हो जाते हैं। अब हम प्रभु के हो जाते हैं। अब जो हमें आवश्यक लगता था उसका महत्व नहीं रहता। हमारे मूल्यांकन के मापदण्ड बदल जाते हैं। अब हमारी लालसा पूर्णतः अपने प्रभु परमेश्वर की आज्ञाकरिता में रहकर उससे प्रेम करना और उसकी सेवा करना हो जाती है (व्यवस्थाविवरण ६:५-६); और हमारा प्रभु हर परिस्थिति में हमारे साथ बना रहता है, हमें संभाले रहता है और हमारी आवश्य्क्ताओं को पूरा करता रहता है (मत्ती ६:३३)।

   क्या आप प्रभु के नए स्वामित्व के आधीन आएं हैं? - डेव एगनर

मसीह के अनुयायी मसीह ही से हर आज्ञा पाते हैं।

तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। - मत्ती २२:३७
 
बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण ६:१-९
Deu 6:1  यह वह आज्ञा, और वे विधियां और नियम हैं जो तुम्हें सिखाने की तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने आज्ञा दी है, कि तुम उन्हें उस देश में मानो जिसके अधिक्कारी होने को पार जाने पर हो;
Deu 6:2  और तू और तेरा बेटा और तेरा पोता यहोवा का भय मानते हुए उसकी उन सब विधियों और आज्ञाओं पर, जो मैं तुझे सुनाता हूं, अपने जीवन भर चलते रहें, जिस से तू बहुत दिन तक बना रहे।
Deu 6:3  हे इस्राएल, सुन, और ऐसा ही करने की चौकसी कर; इसलिये कि तेरा भला हो, और तेरे पितरों के परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उस देश में जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं तुम बहुत हो जाओ।
Deu 6:4  हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है;
Deu 6:5  तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।
Deu 6:6  और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें;
Deu 6:7  और तू इन्हें अपने बालबच्चों को समझा कर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।
Deu 6:8  और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी करके बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें।
Deu 6:9  और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना।
 
एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १५-१६ 
  • मरकुस ६:१-२९