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बुधवार, 23 मई 2012

उच्चतम संदेशवाहन तकनीक

   संदेशवाहन और सूचनाओं के आदान-प्रदान में हमारा संसार उच्च-तकनीक का प्रयोग कर रहा है और उसमें दिन प्रतिदिन और भी सुधार तथा उन्नति करता जा रहा है। केवल वैज्ञानिक स्तर पर ही नहीं, आम आदमी और सामन्य संपर्क में भी यह बात लागू है। मोबाइल फोन, एस.एम.एस. संदेशों, इंटरनैट, ट्विटर और फेस्बुक जैसे माध्यमों के द्वारा आज के लोग जैसे आपस में सम्पर्क बनाए रखते हैं और सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान होता रहता है, उससे कुछ लोगों को लग सकता है कि परमेश्वर का वचन बाइबल पुराने ज़माने की बात है। परन्तु सत्य यह है कि बाइबल में जो संदेशवाहन की क्षमता है, वह आज के नवीनतम तथा सबसे उन्नत संदेशवाहन प्रौद्यग्की द्वारा भी संभव नहीं है।

   ज़रा कलपना कीजिए, जब और जैसी आपकी आवश्यक्ता है, उसी के अनुसार इस सृष्टि के सृष्टिकर्ता से आपको एक व्यक्तिगत संदेश मिलता है, उस के वचन से, उस के किसी जन के द्वारा, जिस से आप जानने पाते हैं कि अब आगे आप को क्या करना है। संसार और विज्ञान कितनी भी उन्नति कर ले, किसी का मन पढ़कर उसको सही व्यक्तिगत मार्गदर्शन देना, जो आने वाली परिस्थितियों और बीती हुई बातों, दोनों का ध्यान रखता हो और उन में सही तालमेल बनाता हो, किसी भी उच्च से उच्च तकनीक के लिए कभी संभव नहीं है।

   परमेश्वर के वचन के प्रचारक या पास्टर को किसी न किसी उपस्थित श्रोता से यह बात अकसर सुनने को मिलती है कि "जो आज आपने संदेश दिया, वह मेरे ही लिए था, मुझे इसी मार्गदर्शन कि आवश्यक्ता थी।" किसी रीति से संदेश के दिये जाने के समय, परमेश्वर के वचन ने उस श्रोता के मन से बातें कीं, उसकी दुविधा में उसे सही मार्ग दिखाया, उसके प्रश्नों का उत्तर दिया, उसके असमंजस को दूर किया। जब प्रचारक या पास्टर वह संदेश तैयार कर रहा था और दे रहा था तब उसे उस व्यक्ति और उस की समस्या के बारे में पता भी नहीं था, किंतु परमेश्वर जो सब कुछ और सबको जानता है, उसने अपने वचन द्वारा सम्भव किया कि वह संदेश उस व्यक्ति तक पहुंचे और उसका मार्गदर्शन करे। हम मसीही विश्वासी जो परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन में समय बिताते हैं, इस बात को भली भांति जानते हैं कि समय समय पर परमेश्वर का जीवता वचन हम से हमारी आवश्यक्ता के अनुसार बातें करता है; हम सब ने यह अनुभव किया है। परमेश्वर ने हर एक मनुष्य को उसके वचन को समझने के योग्य बनाया है, आवश्यक्ता है उस वचन को मानने और विश्वास के साथ ग्रहण करने की। परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी के साथ उसे सिखाने के लिए उपलब्ध रहता है।

   इस बात में हर्षित और आनन्दित हों कि इस वैज्ञानिक युग में उच्चतम संदेशवाहन तकनीक और क्षमता हम मसीही विश्वासियों को सेंतमेंत और अति सहज रीति से उपलब्ध है: "परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं" (१ कुरिन्थियों २:१२)। - जो स्टोवैल


बाइबल प्राचीन अवश्य है, परन्तु उसके सत्य सदा नए रहते हैं।


हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। - १ कुरिन्थियों २:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-१६
1Co 2:1   और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
1Co 2:2  क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।
1Co 2:3   और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
1Co 2:4  ओर मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था।
1Co 2:5  इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1Co 2:6  फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
1Co 2:7  परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।
1Co 2:8  जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
1Co 2:9  परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिए तैयार की हैं।
1Co 2:10  परन्‍तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्‍योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
1Co 2:11   मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा।
1Co 2:12  परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
1Co 2:13  जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्‍तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।
1Co 2:14  परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्‍योंकि वे उस की दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्‍हें जान सकता है क्‍योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
1Co 2:15  आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्‍तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।
1Co 2:16  क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए परन्‍तु हम में मसीह का मन है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १९-२१ 
  • यूहन्ना ८:१-२७