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शनिवार, 15 जून 2013

वचन का अध्ययन

   मैं एक जवान प्रबन्धक के साथ परमेश्वर के वचन बाइबल को नियमित रूप से पढ़ने और उसपर मनन करने से होने वाले लाभ के बारे में बात कर रहा था, और उसने पूछा, "क्या मुझे बाइबल में लैव्यवस्था की पुस्तक पढ़ना आवश्यक है? पुराना नियम पढ़ना कभी कभी उबाऊ और कठिन होता है।" यह केवल उस एक जन का विचार नहीं है, बहुत से मसीही विश्वासी भी ऐसे ही विचार रखते हैं और पुराने नियम को या उसके कुछ भागों को पढ़ने से कतराते हैं। लेकिन सच तो यह है कि पुराने नियम को संपूर्णता से पढ़ना हमारे लिए आवश्यक तथा लाभपूर्ण है क्योंकि पुराने नियम से ही हमें नए नियम को समझने की पृष्ठभूमि और संसार की सृष्टि से चले आ रहे परमेश्वर के उद्देश्य पता लगते हैं जिनकी व्याख्या तथा पूर्ति नए नियम में आकर पूर्ण होती है।

   यशायाह हमें परमेश्वर के खोजी होने को प्रेरित करता है (यशायाह 55:6); साथ ही वह हमें यह भी सिखाता है कि परमेश्वर का वचन कभी व्यर्थ नहीं लौटता, वरन परमेश्वर की इच्छा पूरी करके ही लौटता है (यशायाह 55:11)। बाइबल की अन्य पुस्तकों में परमेश्वर के वचन को जीवित और प्रबल कहा गया है "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है" (इब्रानियों 4:12); उसे उपदेश देने, समझाने, सुधारने तथा सिद्ध बनने के लिए लाभदायक बताया गया है (2 तिमुथियुस 3:16-17)। संभव है कि परमेश्वर के वचन की बातें हमें वर्तमान में ही व्यावाहरिक अथवा कार्यकारी ना लगें, परन्तु किसी अन्य समय और परिस्थिति में उनकी व्यावाहरिकता तथा उपयोगिता प्रकट हो जाती है और समझ में आती है।

   जब हम परमेश्वर के वचन की सच्चाईयों को अपने मन में पढ़ने तथा मनन करने के द्वारा संजो लेते हैं तो परमेश्वर का आत्मा हमें हमारी आवश्यकतानुसार उन्हें स्मरण दिलाता है और उन्हें जीवन में उपयोगी बनाता है - लैव्यवस्था को भी; उदाहरणस्वरूप, लैव्यवस्था 19:10-11 हमें सिखाती है कि व्यावसायिक स्पर्धा और निर्धनों के प्रति कैसा रवैया रखें। परमेश्वर का आत्मा ऐसे ही अनेक सिद्धांत और उदाहरण हमें सही समय पर स्मरण दिलाकर हमारी सहायता करता है जिससे हम सही निर्णय ले सकें। इसलिए परमेश्वर के वचन को उसकी संपूर्णता में अपने हृदय तथा जीवन में स्थान देना हमारे लिए बहुत आवश्यक है।

   परमेश्वर के वचन को पढ़ना तथा उसपर मनन करना हमारे मनों को एक अनमोल तथा सदा उपयोगी खज़ाने का भण्डार बना देता है, और हमारी आवश्यकता तथा परिस्थिति के अनुसार परमेश्वर का आत्मा हमारे इस भण्डार से लेकर हमें सही मार्ग दिखाता है, हमें सफल बनाता है। इसलिए परमेश्वर के वचन बाइबल की सभी 66 पुस्तकों का अध्ययन आवश्यक है - लैव्यवस्था का भी! - रैन्डी किल्गोर


परमेश्वर के वचन को समझने के लिए परमेश्वर के आत्मा पर निर्भर रहें।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: यशायाह 55:6-13
Isaiah 55:6 जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;
Isaiah 55:7 दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है,
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे।
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 1-3 
  • प्रेरितों 2:1-21