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सोमवार, 24 जून 2013

प्रेम का कारण

   एक दिन मेरा तीन वर्षीय बेटा अचानक ही बोल उठा, "माँ मैं आपसे बहुत प्रेम करता हूँ।" मुझे सुनकर अच्छा तो लगा लेकिन साथ ही जानने का कौतहूल भी हुआ कि एक तीन वर्षीय बालक को ऐसा क्या अच्छा लगता है जिसके कारण उसने यह भाव व्यक्त किया। जानने के लिए मैंने अपने बेटे से पूछा कि वह क्यों मुझसे प्रेम करता है, तो तुरंत ही बड़े स्वाभाविक भाव से उसने उत्तर दिया, "क्योंकि आप मेरे साथ खेलते हो!" कारण सुनकर मुझे थोड़ी सी निराशा हुई इसलिए मैंने फिर पूछा, "बस इसी कारण या और कुछ भी है?" उसी साधारण और उनमुक्त भाव से वह बोला, "नहीं, बस इतना ही।" उसका यह उत्तर सुनकर मैं मुस्कुराई तो सही, लेकिन मुझे परमेश्वर के साथ अपने संबंध का भी ध्यान आया। क्या परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम का कारण केवल मुझे भली लगने वाली वे बातें हैं जो परमेश्वर मेरे लिए करता है? यदि मेरी मनपसन्द बातें कल ना हों तब मेरा प्रेम परमेश्वर के प्रति कैसा होगा?

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक अय्युब को ऐसी ही परीक्षा से निकलना पड़ा। अय्युब एक बहुत ही धर्मी और परमेश्वर का भय मानने वाला और बहुत धनी व्यक्ति था। अचानक ही उसका परिवार, मकान, संपत्ति और स्वास्थ्य, सब शैतान द्वारा बरबाद कर दिए गए, और उसकी पत्नि ने उसकी दयनीय दशा देखकर सलाह दी: "तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा" (अय्युब 2:9 )। लेकिन अय्युब का अपनी पत्नि को प्रत्युत्तर था: "उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया" (अय्युब 2:10)। उसके साथ सांत्वना दिखाने आए उसके मित्र भी उसी पर दोषारोपण करने लगे कि अवश्य ही उसके जीवन में कुछ पाप होगा जिसके कारण उसे यह सब भोगना पड़ रहा है; अय्युब स्वयं भी परमेश्वर से प्रश्न करता रहा कि क्यों उसे यह सब सहना पड़ रहा है, लेकिन उसने परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को नहीं छोड़ा और उसके प्रति आशावान रहा। अन्ततः परमेश्वर से उसने केवल जितना उसने गंवाया था उससे दोगुनी आशीष ही नहीं पाई वरन परमेश्वर के नए और गहरे दर्शन तथा समझ-बूझ भी प्राप्त करी।

   अय्युब का परमेश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा का कारण उसके जीवन की खुशहाली या समस्याओं का समाधान नहीं था वरन वह परमेश्वर से परमेश्वर के व्यक्तित्व और जो कुछ वह है और करता है के कारण प्रेम करता था। परमेश्वर के प्रति अय्युब का दृष्टिकोण था "वह बुद्धिमान और अति सामथीं है: उसके विरोध में हठ कर के कौन कभी प्रबल हुआ है?" (अय्युब 9:4)

   क्या आज परमेश्वर के प्रति आपका भी अय्युब के समान ही दृष्टिकोण है? विचार कीजिए कि परमेश्वर के प्रति आपके प्रेम का कारण क्या है? यदि आप किसी परेशानी में पड़ जाएं और आपकी सुख समृद्धि जाती रहे तो क्या आप फिर भी परमेश्वर से वैसा ही प्रेम बनाए रखेंगे? - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर के व्यक्तित्व और चरित्र पर ध्यान केंद्रित रखने से हम परिस्थितियों से ध्यान हटाए रहते हैं।

उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया। - अय्युब 2:10

बाइबल पाठ: अय्युब 2
Job 2:1 फिर एक और दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके साम्हने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी उसके साम्हने उपस्थित हुआ।
Job 2:2 यहोवा ने शैतान से पूछा, तू कहां से आता है? शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, कि इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।
Job 2:3 यहोवा ने शैतान से पूछा, क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है कि पृथ्वी पर उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय मानने वाला और बुराई से दूर रहने वाला मनुष्य और कोई नहीं है? और यद्यापि तू ने मुझे उसको बिना कारण सत्यानाश करने को उभारा, तौभी वह अब तक अपनी खराई पर बना है।
Job 2:4 शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, खाल के बदले खाल, परन्तु प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।
Job 2:5 सो केवल अपना हाथ बढ़ाकर उसकी हड्डियां और मांस छू, तब वह तेरे मुंह पर तेरी निन्दा करेगा।
Job 2:6 यहोवा ने शैतान से कहा, सुन, वह तेरे हाथ में है, केवल उसका प्राण छोड़ देना।
Job 2:7 तब शैतान यहोवा के साम्हने से निकला, और अय्यूब को पांव के तलवे से ले सिर की चोटी तक बड़े बड़े फोड़ों से पीड़ित किया।
Job 2:8 तब अय्यूब खुजलाने के लिये एक ठीकरा ले कर राख पर बैठ गया।
Job 2:9 तब उसकी स्त्री उस से कहने लगी, क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।
Job 2:10 उसने उस से कहा, तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दु:ख न लें? इन सब बातों में भी अय्यूब ने अपने मुंह से कोई पाप नहीं किया।
Job 2:11 जब तेमानी एलीपज, और शूही बिलदद, और नामाती सोपर, अय्यूब के इन तीन मित्रों ने इस सब विपत्ति का समाचार पाया जो उस पर पड़ी थीं, तब वे आपस में यह ठान कर कि हम अय्यूब के पास जा कर उसके संग विलाप करेंगे, और उसको शान्ति देंगे, अपने अपने यहां से उसके पास चले।
Job 2:12 जब उन्होंने दूर से आंख उठा कर अय्यूब को देखा और उसे न चीन्ह सके, तब चिल्लाकर रो उठे; और अपना अपना बागा फाड़ा, और आकाश की ओर धूलि उड़ाकर अपने अपने सिर पर डाली।
Job 2:13 तब वे सात दिन और सात रात उसके संग भूमि पर बैठे रहे, परन्तु उसका दु:ख बहुत ही बड़ा जान कर किसी ने उस से एक भी बात न कही।


एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 1-2 
  • प्रेरितों 7:22-43