ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 8 जनवरी 2014

दान


   मेरे पति का जन्म-दिन निकट ही था, और मैंने उन से पूछा कि जन्म-दिन के उपहार के लिए उन्हें क्या पसन्द होगा। वे बोले कि मुझे कोई उपहार नहीं चाहिए; मैंने अपने मन में सोचा, "हाँ, हाँ, मैं जानती हूँ कि कोई उपहार चाहिए या नहीं!" मैंने उन पर दबाव दिया कि वे अपनी पसन्द की कोई चीज़ बताएं। मेरे इस प्रकार दबाव देने पर वे बोले कि वे चाहते हैं कि जो पैसा हम लोग उनके लिए उपहार खरीदने पर व्यय करने  की योजना बना रहे हैं, उस पैसे को किसी ज़रूरतमन्द को दान कर दिया जाए।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि हमें स्वेच्छा और उदारता से देना चाहिए ना कि अनिच्छा से अथवा केवल औपचारिकता पूरी करने के लिए। हमारा दान परमेश्वर के कार्य और परमेश्वर के सेवकों की सहायता के लिए होना चाहिए (2 कुरिन्थियों 9:7)। इस प्रकार का स्वेच्छा से दिया गया दान, देने वाले के लिए हर्ष का कारण होता है। जब राजा दाऊद ने अपने सोने, चांदी के भण्डार से परमेश्वर का मन्दिर बनवाने के लिए दान दिया, तो अनेक इस्त्राएली अधिकारियों ने भी उसके इस उदार कार्य का अनुसरण किया। उन के द्वारा पीतल, लोहा, मणि और बहुमूल्य धातुओं के दान किए जाने के बाद "तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न हो कर खरे मन और अपनी अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ" (1 इतिहास 29:9)।

   उस आनन्द के उत्सव में राजा दाऊद ने परमेश्वर की स्तुति करते हुए कहा "मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है" (1 इतिहास 29:14)। राजा दाऊद इस तथ्य का अंगीकार कर रहा था कि अन्ततः परमेश्वर ही प्रत्येक वस्तु का वास्तविक स्वामी है। जब दाऊद के समान हम भी इस तथ्य को स्मरण रखते हैं तो हमें दान देने में कोई समस्या नहीं होती क्योंकि हम उसे ही तो वापस लौटा रहे हैं जो उस सब का वास्तविक स्वामी है, अर्थात परमेश्वर।

   इस कारण जब आप अगली बार पैसा, सेवा या कोई वस्तु मसीही सेवकाई के लिए दान करें तो दान के प्रति अपनी मनशा और अपने रवैये को भी देख लें - क्या आप स्वेच्छा और उदारता से दे रहे हैं, क्योंकि परमेश्वर ऐसे देने वालों से प्रेम करता है। - जेनिफ़र बेन्सन शुल्ट


हम कितना दान देते हैं से अधिक महत्वपूर्ण है हम कैसे दान देते हैं।

हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। - 2 कुरिन्थियों 9:7

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 29:1-14
1 Chronicles 29:1 फिर राजा दाऊद ने सारी सभा से कहा, मेरा पुत्र सुलैमान सुकुमार लड़का है, और केवल उसी को परमेश्वर ने चुना है; काम तो भारी है, क्योंकि यह भवन मनुष्य के लिये नहीं, यहोवा परमेश्वर के लिये बनेगा। 
1 Chronicles 29:2 मैं ने तो अपनी शक्ति भर, अपने परमेश्वर के भवन के निमित्त सोने की वस्तुओं के लिये सोना, चान्दी की वस्तुओं के लिये चान्दी, पीतल की वस्तुओं के लिये पीतल, लोहे की वस्तुओं के लिये लोहा, और लकड़ी की वस्तुओं के लिये लकड़ी, और सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के योग्य मणि, और पच्ची के काम के लिये रंग रंग के नग, और सब भांति के मणि और बहुत संगमर्मर इकट्ठा किया है। 
1 Chronicles 29:3 फिर मेरा मन अपने परमेश्वर के भवन में लगा है, इस कारण जो कुछ मैं ने पवित्र भवन के लिये इकट्ठा किया है, उस सब से अधिक मैं अपना निज धन भी जो सोना चान्दी के रूप में मेरे पास है, अपने परमेश्वर के भवन के लिये दे देता हूँ। 
1 Chronicles 29:4 अर्थात तीन हजार किक्कार ओपीर का सोना, और सात हजार किक्कार तपाई हुई चान्दी, जिस से कोठरियों की भीतें मढ़ी जाएं। 
1 Chronicles 29:5 और सोने की वस्तुओं के लिये सोना, और चान्दी की वस्तुओं के लिये चान्दी, और कारीगरों से बनाने वाले सब प्रकार के काम के लिये मैं उसे देता हूँ। और कौन अपनी इच्छा से यहोवा के लिये अपने को अर्पण कर देता है? 
1 Chronicles 29:6 तब पितरों के घरानों के प्रधानों और इस्राएल के गोत्रों के हाकिमों और सहस्रपतियों और शतपतियों और राजा के काम के अधिकारियों ने अपनी अपनी इच्छा से, 
1 Chronicles 29:7 परमेश्वर के भवन के काम के लिये पांच हजार किक्कार और दस हजार दर्कनोन सोना, दस हजार किक्कार चान्दी, अठारह हजार किक्कार पीतल, और एक लाख किक्कार लोहा दे दिया। 
1 Chronicles 29:8 और जिनके पास मणि थे, उन्होंने उन्हें यहोवा के भवन के खजाने के लिये गेर्शोनी यहीएल के हाथ में दे दिया। 
1 Chronicles 29:9 तब प्रजा के लोग आनन्दित हुए, क्योंकि हाकिमों ने प्रसन्न हो कर खरे मन और अपनी अपनी इच्छा से यहोवा के लिये भेंट दी थी; और दाऊद राजा बहुत ही आनन्दित हुआ। 
1 Chronicles 29:10 तब दाऊद ने सारी सभा के सम्मुख यहोवा का धन्यवाद किया, और दाऊद ने कहा, हे यहोवा! हे हमारे मूल पुरुष इस्राएल के परमेश्वर! अनादिकाल से अनन्तकाल तक तू धन्य है। 
1 Chronicles 29:11 हे यहोवा! महिमा, पराक्रम, शोभा, सामर्थ्य और वैभव, तेरा ही है; क्योंकि आकाश और पृथ्वी में जो कुछ है, वह तेरा ही है; हे यहोवा! राज्य तेरा है, और तू सभों के ऊपर मुख्य और महान ठहरा है। 
1 Chronicles 29:12 धन और महिमा तेरी ओर से मिलती हैं, और तू सभों के ऊपर प्रभुता करता है। सामर्थ्य और पराक्रम तेरे ही हाथ में हैं, और सब लोगों को बढ़ाना और बल देना तेरे हाथ में है। 
1 Chronicles 29:13 इसलिये अब हे हमारे परमेश्वर! हम तेरा ध्न्यवाद और तेरे महिमायुक्त नाम की स्तुति करते हैं। 
1 Chronicles 29:14 मैं क्या हूँ? और मेरी प्रजा क्या है? कि हम को इस रीति से अपनी इच्छा से तुझे भेंट देने की शक्ति मिले? तुझी से तो सब कुछ मिलता है, और हम ने तेरे हाथ से पाकर तुझे दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 23-26