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सोमवार, 13 जनवरी 2014

खुले द्वार


   प्रभु यीशु ने अपने चेलों पर यह स्पष्ट कर दिया कि वह ही मार्ग, सत्य और जीवन है (यूहन्ना 14:6); केवल वह ही परमेश्वर पिता तक पहुँचने का एकमात्र माध्यम है। इस बात के लिए प्रभु यीशु पर किया गया हमारा विश्वास और उसके प्रति समर्पण हमारे मनों में उसके प्रति प्रेम और आज्ञाकारिता लाता है और हमें परमेश्वर के साथ हमारे अनन्तकाल के स्वर्गीय निवास स्थान का अडिग और अटल आश्वसन देता है।

   बेलारूस देश के मिंस्क नगर की एक बाइबल कॉलेज की छात्रा क्रिस्टीना ने अपने मसीही जीवन की यह गवाही लिखी: "प्रभु यीशु ने संसार के प्रत्येक जन के लिए मृत्यु सही, सबसे घोर और आशाहीन पापी के लिए भी। संसार का कोई अपराधी ऐसा नहीं, चाहे वह कितना भी निकृष्ट क्यों ना हो, जो यदि विश्वास से प्रभु यीशु के पास आए तो उसे क्षमा और नए जीवन का उपहार सेंत-मेंत ना मिले। एक बहुत लंबे समय तक प्रभु यीशु मेरे दिल के द्वार पर खटखटा रहा था। एक रीति से देखा जाए तो मेरे हृदय का द्वार उसके लिए खुला हुआ था, मैं मसीही थी, लेकिन मेरा उसके प्रति समर्पण अधूरा था। मैंने अपना जीवन पूर्णत्या उसको नहीं सौंपा था। मेरे हृद्य का द्वार खुला अवश्य था किन्तु एक सीमित तौर से, मैंने उस द्वार की भीतरी सुरक्षा कड़ी नहीं खोली थी इसलिए किसी का भी उस द्वार से अन्दर प्रवेश करना संभव नहीं था।"

   क्रिस्टीना जानती थी कि उसका यह रवैया ठीक नहीं था, और परमेश्वर उसे बदलने तथा पूर्ण समर्पण के लिए कह रहा था। अन्ततः क्रिस्टीना ने परमेश्वर की बात को मान लिया, अपने हृद्य के द्वार की सुरक्षा कड़ी खोल दी, प्रभु यीशु को भीतर आकर अपने हृद्य के सिंहासन पर विराजमान हो लेने दिया, उसके प्रति पूर्ण समर्पण कर दिया और उसकी आज्ञाकारिता में जीवन व्यतीत करने का निर्णय ले लिया। यही सच्चे और समर्पित मसीही विश्वासी की पहचान है - प्रभु यीशु के प्रति समर्पण में कोई अधूरापन नहीं; खुले द्वार को सीमित रखने के लिए कोई सुरक्षा कड़ी नहीं, बच निकलने का कोई छिपा द्वार नहीं, जीवन का कोई भाग ऐसा नहीं जो प्रभु को ना सौंप दिया हो, कोई छिपा पाप नहीं और प्रभु यीशु की आज्ञाकारिता में कोई आनाकानी नहीं।

   क्रिस्टीना के समान ही यदि परमेश्वर आपको भी बुला रहा है, और आप उसकी इस बुलाहट को नज़रंदाज़ कर रहे हैं, तो यह समय है परमेश्वर की बात को मान लेने का, क्रिस्टीना के समान ही अपने जीवन की समपूर्ण कमान उसे सौंप देने का। अपने जीवन के द्वार को प्रभु यीशु के लिए पूरी तौर से खोल दीजिए और उसके आज्ञाकारी हो कर जीवन व्यतीत करने की आशीषों के आनन्द को अनुभव करना आरंभ कर दीजिए। आपको अपने इस निर्णय के लिए कभी पछतावा नहीं होगा। - डेव एगनर


परमेश्वर को समर्पित जीवन से अधिक सुरक्षित और कोई जीवन हो नहीं सकता।

यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना 14:6

बाइबल पाठ: यूहन्ना 14:15-24
John 14:15 यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे। 
John 14:16 और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे। 
John 14:17 अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा। 
John 14:18 मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं। 
John 14:19 और थोड़ी देर रह गई है कि फिर संसार मुझे न देखेगा, परन्तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे। 
John 14:20 उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में। 
John 14:21 जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। 
John 14:22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं। 
John 14:23 यीशु ने उसको उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे। 
John 14:24 जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिसने मुझे भेजा।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 40-42