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शनिवार, 8 अक्तूबर 2016

प्रतीक्षा


   चा सा-सून नामक एक 69 वर्षीय कोरियाई महिला ने, 3 वर्ष के सतत प्रयास के पश्चात, ड्राईविंग लाईसेंस पाने की लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करके वह लाईसेंस प्राप्त कर ही लिया। वह अपने नाती-पोतों को चिड़ियाघर घुमाने लेजाना चाहती थी इसीलिए उसे उस लाईसेंस की आवश्यकता थी। सामन्यतः तुरंत परिणाम प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले इस संसार में ऐसा धैर्य और सतत प्रयास कम ही देखने को मिलता है। जब हम किसी चीज़ को पाना चाहते हैं, और वह हमें नहीं मिलती, तो हम अकसर कुड़ाकुड़ाते हैं, तथा और भी अधिक अधीरता से उसकी माँग करते हैं; या फिर, यदि वह चीज़ हमें शीघ्रता से उपलब्ध नहीं होती, तो उसे छोड़कर हम आगे बढ़ जाते हैं। "प्रतीक्षा" एक ऐसा शब्द है जिसे हम सुनना कदापि पसन्द नहीं करते हैं।

   लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल हमें बताता है कि परमेश्वर ने अनेकों स्थानों पर, कई बातों के लिए अपने लोगों से चाहा है कि वे उसके सही समय और सही तरीके की प्रतीक्षा करें। परमेश्वर की प्रतीक्षा करने से तात्पर्य है कि अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए धैर्य के साथ परमेश्वर की ओर देखना। दाऊद ने यह समझ लिया था कि उसे प्रभु परमेश्वर की प्रतीक्षा करना क्यों ज़रूरी है: क्योंकि उसका उद्धार परमेश्वर से था (भजन 62:1); उसे कोई और छुड़ा नहीं सकता था। उसकी सारी आशा केवल परमेश्वर से ही थी (पद 5), क्योंकि केवल परमेश्वर ही है जो प्रार्थनाओं को सुनता है (पद 8)।

   हमारी प्रार्थनाओं में अकसर यह मांग रहती है कि परमेश्वर शीघ्रता से हमारी प्रार्थना सुने, तुरंत ही वैसा कर दे और जो भी हम चाह रहे हैं उस पर आशीष दे। दाऊद के समान ही हम भी प्रार्थना कर सकते हैं: "हे यहोवा, भोर को मेरी वाणी तुझे सुनाई देगी, मैं भोर को प्रार्थना कर के तेरी बाट जोहूंगा" (भजन 5:3)। लेकिन क्या हमने रुक कर कभी यह सोचा है कि यदि परमेश्वर की ओर से हमारी प्रार्थना का उत्तर हो, "धैर्य रखो; मेरी प्रतीक्षा करो" तो हम क्या कहेंगे या करेंगे?

   हम मसीही विश्वासियों को चाहिए कि प्रत्येक बात के लिए हम परमेश्वर के उत्तर की प्रतीक्षा करने वाले बनें, चाहे वह उत्तर हमारे समयानुसार ना भी आए; क्योंकि परमेश्वर के समय और तरीके से मिलने वाला प्रत्येक उत्तर हमारे लिए सर्वोत्तम ही होगा। - सी० पी० हिया


परमेश्वर से करी गई हमारी प्रत्येक प्रार्थना का 
अन्तिम वाक्य होना चाहिए, "आपकी इच्छा ही पूरी हो"।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 62:1-12
Psalms 62:1 सचमुच मैं चुपचाप हो कर परमेरश्वर की ओर मन लगाए हूं; मेरा उद्धार उसी से होता है। 
Psalms 62:2 सचमुच वही, मेरी चट्टान और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; मैं बहुत न डिगूंगा।
Psalms 62:3 तुम कब तक एक पुरूष पर धावा करते रहोगे, कि सब मिलकर उसका घात करो? वह तो झुकी हुई भीत वा गिरते हुए बाड़े के समान है। 
Psalms 62:4 सचमुच वे उसको, उसके ऊंचे पद से गिराने की सम्मति करते हैं; वे झूठ से प्रसन्न रहते हैं। मुंह से तो वे आशीर्वाद देते पर मन में कोसते हैं।
Psalms 62:5 हे मेरे मन, परमेश्वर के साम्हने चुपचाप रह, क्योंकि मेरी आशा उसी से है। 
Psalms 62:6 सचमुच वही मेरी चट्टान, और मेरा उद्धार है, वह मेरा गढ़ है; इसलिये मैं न डिगूंगा। 
Psalms 62:7 मेरा उद्धार और मेरी महिमा का आधार परमेश्वर है; मेरी दृढ़ चट्टान, और मेरा शरणस्थान परमेश्वर है। 
Psalms 62:8 हे लोगो, हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोल कर कहो; परमेश्वर हमारा शरणस्थान है। 
Psalms 62:9 सचमुच नीच लोग तो अस्थाई, और बड़े लोग मिथ्या ही हैं; तौल में वे हलके निकलते हैं; वे सब के सब सांस से भी हलके हैं। 
Psalms 62:10 अन्धेर करने पर भरोसा मत रखो, और लूट पाट करने पर मत फूलो; चाहे धन सम्पति बढ़े, तौभी उस पर मन न लगाना।
Psalms 62:11 परमेश्वर ने एक बार कहा है; और दो बार मैं ने यह सुना है: कि सामर्थ्य परमेश्वर का है। 
Psalms 62:12 और हे प्रभु, करूणा भी तेरी है। क्योंकि तू एक एक जन को उसके काम के अनुसार फल देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 30-31
  • फिलिप्पियों 4