ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 20 अगस्त 2018

भरोसा और प्रतीक्षा



      सीनै पर्वत के निकट दो वर्ष तक छावनी डाले रहने के पश्चात अब इस्राएल के लोग परमेश्वर द्वारा उन्हें प्रतिज्ञा किए हुए कनान देश में प्रवेश करने की कगार पर थे। परमेश्वर ने उन्हें कहा कि वे बारह लोगों को उस देश और वहाँ रहने वालों के बारे में जानकारी लेने के लिए भेजें। जब उन भेदियों ने वहाँ रहने वाले कनानियों के बल और उनके नगरों के आकार को देखा तो उनमें से दस ने कहा कि “हम नहीं कर पाएँगे!” परन्तु दो ने कहा “हम कर लेंगे!”

      उनके आंकलन में यह अन्तर क्यों था?

      जिन दस ने मान लिया था कि हम नहीं कर सकते हैं, वे कनान देश में रहने वाले विशालकाय मानवों और उनके बल की तुलना अपने आप से कर रहे थे, और विशालकाय मानव और उनकी सामर्थ्य उन्हें बड़ी लगी। लेकिन दो – कालेब और यहोशू ने, उन विशालकाय मानवों और उनकी सामर्थ्य की तुलना परमेश्वर के साथ करी, और तब वे विशालकाय मानव विशालकाय नहीं रह गए। यहोशू और कालेब ने अन्य इस्राएलियों को भी समझाया कि “केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो” (गिनती 14:9), लेकिन इस्राएली नहीं माने।

      अविश्वास हमें कभी कठिनाइयों – अभेद्य नगर, असाध्य विशालकाय मनुष्य, से परे नहीं जाने देता है। अविश्वास हमारे मनों को जड़ कर देता है, उन परिस्थितियों पर ही विचार करते रहने में फंसा देता है, हमें अपनी ही सामर्थ्य से बाहर कभी सोचने ही नहीं देता है।

      किन्तु परमेश्वर में विश्वास, उन कठिनाइयों और परिस्थितियों को कम करके तो नहीं आंकता है, किन्तु उन्हें परमेश्वर से बढ़कर भी नहीं समझता है। विश्वास उन कठिनाइयों और परिस्थियों पर विचार करते रहने के स्थान पर परमेश्वर की ओर देखता है, हमारे साथ सदा बनी रहने वाली उसकी उपस्थिति और उसकी अजेय सामर्थ्य की ओर देखता है, और उन विचलित कर देने वाली बातों को समाधान के लिए परमेश्वर के हाथों में सौंप देता है।

      आज आपके जीवन में कौन सी असाध्य विशालकाय बातें हैं? कोई ऐसी आदत जिसे आप छोड़ नहीं पा रहे हैं? कोई ऐसा प्रलोभन जिसका आप सामना नहीं करने पाते हैं? कोई कठिन वैवाहिक परिस्थिति? किसी व्यसन अथवा नशे की लत में पड़ी सन्तान? यदि हम अपनी कठिनाइयों की तुलना अपने आप से करेंगे तो सदा ही अभिभूत होंगे। परन्तु परमेश्वर में विश्वास उन कठिनाइयों की महानता से दृष्टि हटाकर उस सर्व-सामर्थी, सदा उपस्थित प्रभु परमेश्वर की महानता पर लगाता है, और उसके समय तथा समाधान पर भरोसा रखता है, उसकी प्रतीक्षा करता है। - डेविड रोपर


जब भय अभिभूत करे, तो विश्वास द्वारा उसका सामना करें।

दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिये हुए मेरे पास आता है; परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है। - 1 शमूएल 17:45

बाइबल पाठ: गिनती 13:25-14:9
Numbers 13:25 चालीस दिन के बाद वे उस देश का भेद ले कर लौट आए।
Numbers 13:26 और पारान जंगल के कादेश नाम स्थान में मूसा और हारून और इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के पास पहुंचे; और उन को और सारी मण्डली को संदेशा दिया, और उस देश के फल उन को दिखाए।
Numbers 13:27 उन्होंने मूसा से यह कहकर वर्णन किया, कि जिस देश में तू ने हम को भेजा था उस में हम गए; उस में सचमुच दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और उसकी उपज में से यही है।
Numbers 13:28 परन्तु उस देश के निवासी बलवान्‌ हैं, और उसके नगर गढ़ वाले हैं और बहुत बड़े हैं; और फिर हम ने वहां अनाकवंशियों को भी देखा।
Numbers 13:29 दक्षिण देश में तो अमालेकी बसे हुए हैं; और पहाड़ी देश में हित्ती, यबूसी, और एमोरी रहते हैं; और समुद्र के किनारे किनारे और यरदन नदी के तट पर कनानी बसे हुए हैं।
Numbers 13:30 पर कालेब ने मूसा के साम्हने प्रजा के लोगों को चुप कराने की मनसा से कहा, हम अभी चढ़ के उस देश को अपना कर लें; क्योंकि नि:सन्देह हम में ऐसा करने की शक्ति है।
Numbers 13:31 पर जो पुरूष उसके संग गए थे उन्होंने कहा, उन लोगों पर चढ़ने की शक्ति हम में नहीं है; क्योंकि वे हम से बलवान्‌ हैं।
Numbers 13:32 और उन्होंने इस्त्राएलियों के साम्हने उस देश की जिसका भेद उन्होंने लिया था यह कहकर निन्दा भी की, कि वह देश जिसका भेद लेने को हम गये थे ऐसा है, जो अपने निवासियों निगल जाता है; और जितने पुरूष हम ने उस में देखे वे सब के सब बड़े डील डौल के हैं।
Numbers 13:33 फिर हम ने वहां नपीलों को, अर्थात नपीली जाति वाले अनाकवंशियों को देखा; और हम अपनी दृष्टि में तो उनके साम्हने टिड्डे के सामान दिखाई पड़ते थे, और ऐसे ही उनकी दृष्टि में मालूम पड़ते थे।
Numbers 14:1 तब सारी मण्डली चिल्ला उठी; और रात भर वे लोग रोते ही रहे।
Numbers 14:2 और सब इस्त्राएली मूसा और हारून पर बुड़बुड़ाने लगे; और सारी मण्डली उसने कहने लगी, कि भला होता कि हम मिस्र ही में मर जाते! वा इस जंगल ही में मर जाते!
Numbers 14:3 और यहोवा हम को उस देश में ले जा कर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है? हमारी स्त्रियां और बाल-बच्चे तो लूट में चलें जाएंगे; क्या हमारे लिये अच्छा नहीं कि हम मिस्र देश को लौट जाएं?
Numbers 14:4 फिर वे आपस में कहने लगे, आओ, हम किसी को अपना प्रधान बना लें, और मिस्र को लौट चलें।
Numbers 14:5 तब मूसा और हारून इस्त्राएलियों की सारी मण्डली के साम्हने मुंह के बल गिरे।
Numbers 14:6 और नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालिब, जो देश के भेद लेने वालों में से थे, अपने अपने वस्त्र फाड़कर,
Numbers 14:7 इस्त्राएलियों की सारी मण्डली से कहने लगे, कि जिस देश का भेद लेने को हम इधर उधर घूम कर आए हैं, वह अत्यन्त उत्तम देश है।
Numbers 14:8 यदि यहोवा हम से प्रसन्न हो, तो हम को उस देश में, जिस में दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, पहुंचाकर उसे हमे दे देगा।
Numbers 14:9 केवल इतना करो कि तुम यहोवा के विरुद्ध बलवा न करो; और न तो उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि वे हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो।


एक साल में बाइबल: 
  • भजन 105-106
  • 1कुरिन्थियों 3