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शनिवार, 1 दिसंबर 2018

जीवन



      अंतरिक्ष यान दल के एक सदस्य चार्ल्स फ्रैंक बोल्डन जूनियर ने कहा कि “मेरे पहली बार अंतरिक्ष में जाने पर ही पृथ्वी के प्रति मेरा दृष्टिकोण एकदम बदल गया।” पृथ्वी से चार सौ मील की दूरी पर उन्हें पृथ्वी पर सब कुछ शान्त और सुन्दर दिखाई दे रहा था। किन्तु बोल्डन ने बताया कि जब उनका यान मध्य-पूर्व पर से गुज़र रहा था तो उनका ध्यान “वहाँ की वास्तविकता के द्वारा झकझोर दिया गया।” फिल्म निर्माता जारेड लेटो को दिए जाने वाले एक साक्षात्कार में बोल्डन ने कहा कि उस पल उन्होंने पृथ्वी को उस दृष्टिकोण से देखा जैसी वह होनी चाहिए – और उससे उन्हें एक चुनौती की अनुभूति हुई कि पृथ्वी को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए जो कुछ संभव होगा उन्हें वह करना है।

      जब प्रभु यीशु का जन्म यरूशलेम में हुआ था तब भी पृथ्वी वैसी नहीं थी जैसी परमेश्वर चाहता था कि हो। पृथ्वी पर पाप के कारण छाए नैतिक और आत्मिक अन्धकार में प्रभु यीशु मसीह सँसार के सभी लोगों के लिए जीवन की ज्योति बनकर आए (यूहन्ना 1:4)। यद्यपि सँसार ने प्रभु को नहीं पहचाना, परन्तु “परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं” (पद 12)।

      जब भी जीवन वैसा नहीं होता है जैसा हम चाहते हैं कि वह हो, जब परिवारों में विच्छेद होते हैं, जब बच्चे भूखे रहते हैं, जब सँसार में युद्ध होते हैं, तो हमारा उदास या निराश होना स्वाभाविक होता है। परन्तु परमेश्वर का यह वायदा है कि प्रभु यीशु मसीह में लाए गए विश्वास के द्वारा प्रत्येक मसीही विश्वासी एक नई और सही दिशा में बढ़ सकता है।

      क्रिसमस का यह समय हमें स्मरण दिलाता है कि सँसार का उद्धारकर्ता प्रभु यीशु हर उस व्यक्ति को जीवन की ज्योति देता है जो उसे स्वीकार करता है, उसपर विश्वास करता है। - डेविड मैक्कैसलैंड


हमें वैसा बनाने के लिए, जैसा वह चाहता है, परमेश्वर निरन्तर कार्यरत रहता है।

परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार प्रगट होता है, जिस प्रकार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 3:18

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-14
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था।
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई।
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी।
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया।
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था।
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था।
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी।
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना।
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं।
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।


एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 40-41
  • 2 पतरस 3