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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

असहनीय

 

          एक समय था जब The Experience Project, इक्कीसवीं सदी का सबसे बड़ा इंटरनेट का समुदाय था, और इस पर करोड़ों लोग अपने व्यक्तिगत पीड़ादायक अनुभव साझा किया करते थे। उनकी हृदय-विदारक कहानियों और अनुभवों को पढ़कर मुझे समझ में आता था कि कैसे हमें किसी ऐसे का साथ चाहिए होता है जो हमारी पीड़ा को समझे; कोई ऐसा जिसके साथ हम अपनी भावनाएँ बाँट सकें।

          परमेश्वर के वचन बाइबल में, उत्पत्ति की पुस्तक में, एक युवा दासी की कहानी है, जो बताती है कि किसी का साथ कितना शान्तिदायक हो सकता है; जीवन को असहनीय से सहनीय बना सकता है। हाजिरा एक दासी थी, जिसे संभवतः अब्राहम को मिस्र के एक फिरौन ने दिया था (देखिए उत्पत्ति 12:16; 16:1)। जब अब्राहम की पत्नी सारा गर्भवती नहीं हो सकी, तो उसने अब्राहम पर जोर दिया कि वह हाजिरा के द्वारा उसके लिए संतान उत्पन्न करे – जो आज हमें विचलित करने वाला, किन्तु उस समय की प्रथाओं में एक सामान्य बात थी। लेकिन जब हाजिरा गर्भवती हो गई, तो घर में तनाव आ गया, और सारा के द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न से बचने के लिए हाजिरा जंगल में भाग गई (16:1-6)।

          लेकिन हाजिरा की कठिन और दयनीय स्थिति परमेश्वर की दृष्टि से छुपी हुई नहीं थी। परमेश्वर के एक दूत ने हाजिर से बात की, उसे दिलासा और प्रोत्साहन दिया (पद 7-12), और हाजिरा ने परमेश्वर के लिए कहा, “अत्ताएलरोई – तू सब कुछ देखने वाला परमेश्वर है” (पद 13)। इन शब्दों के द्वारा हाजिरा उस की स्तुति और आराधना कर रही थी जो केवल बाहरी स्थितियों और तथ्यों को ही नहीं देखता है,वरन सभी के मनों के अन्दर के हाल को भी अच्छे से जानता है और परखता है (1 इतिहास 28:9)।

          यही परमेश्वर देहधारी होकर पृथ्वी पर प्रभु यीशु मसीह के नाम से रहा, और “जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों के समान जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे” (मत्ती 9:36)। हाजिरा की मुलाक़ात उस परमेश्वर से हुई थी जो ना केवल देखता है, वरन समझता भी है, और सहानुभूति भी रखता है, और समस्या के निवारण के लिए प्रावधान भी करता है। जिसने हाजिरा की स्थिति को देखा, समझा, और उसकी पीड़ा को जाना, उसे समाधान दिया, वही हमारी भी समस्त स्थिति को उसी प्रकार से जानता और समझता है और उचित कार्यवाही भी करता है (इब्रानियों 4:15-16)। हमारे इस प्रभु परमेश्वर की सहानुभूति और प्रावधान, यदि हम उन्हें विश्वास के साथ स्वीकार करें और मानें, तो हमारे असहनीय अनुभवों को न केवल सहनीय बना देते हैं, वरन “और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं” (रोमियों 8:28)। - जेफ़ ओल्सन

 

परमेश्वर हमारी सारी पीड़ा को ऐसे अनुभव करता है, जैसे वह उस ही की हो।


और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा। - 1 इतिहास 28:9

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 16:7-16

उत्पत्ति 16:7 तब यहोवा के दूत ने उसको जंगल में शूर के मार्ग पर जल के एक सोते के पास पाकर कहा,

उत्पत्ति 16:8 हे सारै की दासी हाजिरा, तू कहां से आती और कहां को जाती है? उसने कहा, मैं अपनी स्वामिनी सारै के सामने से भाग आई हूं।

उत्पत्ति 16:9 यहोवा के दूत ने उस से कहा, अपनी स्वामिनी के पास लौट जा और उसके वश में रह।

उत्पत्ति 16:10 और यहोवा के दूत ने उस से कहा, मैं तेरे वंश को बहुत बढ़ाऊंगा, यहां तक कि बहुतायत के कारण उसकी गणना न हो सकेगी।

उत्पत्ति 16:11 और यहोवा के दूत ने उस से कहा, देख तू गर्भवती है, और पुत्र जनेगी, सो उसका नाम इश्माएल रखना; क्योंकि यहोवा ने तेरे दु:ख का हाल सुन लिया है।

उत्पत्ति 16:12 और वह मनुष्य बनैले गदहे के समान होगा उसका हाथ सबके विरुद्ध उठेगा, और सब के हाथ उसके विरुद्ध उठेंगे; और वह अपने सब भाई बन्धुओं के मध्य में बसा रहेगा।

उत्पत्ति 16:13 तब उसने यहोवा का नाम जिसने उस से बातें की थीं, अत्ताएलरोई रखकर कहा कि, क्या मैं यहां भी उसको जाते हुए देखने पाई जो मेरा देखने वाला है?

उत्पत्ति 16:14 इस कारण उस कुएं का नाम लहैरोई कुआं पड़ा; वह तो कादेश और बेरेद के बीच में है।

उत्पत्ति 16:15 सो हाजिरा अब्राम के द्वारा एक पुत्र जनी: और अब्राम ने अपने पुत्र का नाम, जिसे हाजिरा जनी, इश्माएल रखा।

उत्पत्ति 16:16 जब हाजिरा ने अब्राम के द्वारा इश्माएल को जन्म दिया उस समय अब्राम छियासी वर्ष का था।

 

एक साल में बाइबल: 

  • 1 शमूएल 4-6
  • लूका 9:1-17

रविवार, 21 जुलाई 2013

दृष्टिकोण और भविष्य

   अपने जीवन के एक लम्बे समय तक मैं उन लोगों के समान ही दृष्टीकोण रखता था जो परमेश्वर के विरुद्ध हैं क्योंकि परमेश्वर ने संसार में पीड़ा को होने दिया है। मैं किसी भी रीति से इस भिन्न-भिन्न प्रकार की पीड़ाओं से भरे विषाक्त संसार को तर्कसंगत नहीं मान सकता था। लेकिन जब मेरा मेलजोल उन लोगों से हुआ जो मुझ से भी अधिक दुख अथवा पीड़ा में से हो कर निकल रहे थे, तो उनके जीवन में इसके प्रभाव को देखकर मैं चकित हुआ। मैंने देखा कि दुख और पीड़ा एक समान ही दो भिन्न कार्य कर सकते हैं, परमेश्वर और उसके कार्यों के प्रति सन्देह उत्पन्न करना, या परमेश्वर में विश्वास और भी दृढ़ कर देना।

   दुख और पीड़ा को लेकर परमेश्वर के विरुद्ध मेरा वैमनस्य एक बात के कारण जाता रहा है - क्योंकि अब मैं परमेश्वर को जानने लगा हूँ और उस पर विश्वास रखता हूँ। उसे इस प्रकार व्यक्तिगत रीति से जानने और उस पर विश्वास लाने से मेरे जीवन में आनन्द, प्रेम और भलाई भर गए हैं। अब मेरा विश्वास मनुष्यों द्वारा गढ़ी गई किसी धारणा या विचारधारा, या किसी किंवदंती अथवा काल्पनिक बात पर नहीं वरन एक प्रमाणित और जीवित ऐतिहासिक व्यक्ति - प्रभु यीशु मसीह पर है, और मेरे प्रभु ने मुझे ऐसा दृढ़ विश्वास दिया है जो किसी भी दुख अथवा पीड़ा से काटा नहीं जा सकता और ना ही कम हो सकता है।

   बहुत से लोगों के मन में प्रश्न रहता है - जब दुख और पीड़ा आती हैं तब परमेश्वर कहाँ होता है? उत्तर स्पष्ट और जगविदित है - वहीं जहाँ आपने अपने जीवन में उसे रखा है। यदि परमेश्वर आप के जीवन का स्वामी है, आपने अपना जीवन उसे समर्पित किया है, और उसकी इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत करने के प्रयास में रहते हैं तो वह आपके जीवन का रखवाला भी है, और हर परिस्थिति में वह आपके साथ बना रहता है और आपकी हर पीड़ा को वह सहता भी है और आपको उसे सहने और उस पर जयवंत होने की सामर्थ भी देता है। यदि आपने परमेश्वर को अपने जीवन से दूर कर रखा है, आप स्वयं अपने जीवन के स्वामी हैं और अपनी मन-मर्ज़ी से, अपनी ही लालसाओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीवन व्यतीत करते हैं, तो परमेश्वर भी आपके निर्णय का आदर करते हुए आपके जीवन की किसी बात में दखलंदाज़ी नहीं करता।

   दुख और पीड़ा परमेश्वर द्वारा करी गई सृष्टि की रचना का भाग नहीं हैं; इनका सृष्टि में प्रवेश मनुष्य द्वारा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता और पाप का परिणाम है। जहाँ पाप की उपस्थिति है, वहाँ परमेश्वर कि उपस्थिति नहीं रह सकती है और ऐसी स्थिति शैतान को खुली रीति से अपना कार्य करने की पूरी छूट है। लेकिन परमेश्वर शैतान और उसके कार्यों के प्रति मजबूर नहीं है। परमेश्वर की सामर्थ ऐसी है कि वह शैतान द्वारा लाई गई दुख और पीड़ा की परिस्थितियों को भी अपने बच्चों की भलाई के लिए प्रयोग कर लेता है, उन्हें अपने बारे में और भी गहराई से सिखाने के लिए और अपने प्रति उनके विश्वास को और भी अधिक दृढ़ करने के लिए। इसीलिए आप पाएंगे कि जो लोग मसीही विश्वास में दृढ़ हैं, दुख और पीड़ाएं उनके जीवनों को परमेश्वर के और भी निकट ले आती हैं और उन परिस्थितियों में भी वे एक अद्भुत शांति के साथ रहते हैं, जो संसार की किसी भी शांति से बिलकुल भिन्न तथा श्रेष्ठतम होती है (यूहन्ना 14:27; 16:33)।

   हमारे उद्धाकर्ता प्रभु यीशु ने हमारे लिए दुख और पीड़ा व्यक्तिगत रूप में सहे हैं, वह अपने प्रीयों के दुख को अनुभव करके रोया भी है; आताताईयों द्वारा बड़ी निर्मम रीति से उसका शरीर तोड़ा गया है और उसका लहू बहाया गया है; उसने संसार के हर अपमान, तिरिस्कार और बेवजह क्रूरता को मृत्यु तक सहा है। इसीलिए वह हमारी हर पीड़ा और दुख को जानता है और सदा अपने विश्वासियों के साथ बना रहता है, उन्हें सामर्थ देता रहता है और इन परिस्थितियों द्वारा अपने लोगों को तराश कर, चमका कर, उनके जीवनों से व्यर्थ बातों को निकालकर उन्हें सिद्ध और अपने ही स्वरूप के लोग बना रहा है; "...हम उसी तेजस्‍वी रूप में अंश अंश कर के बदलते जाते हैं" (2 कुरिन्थियों 3:18)। एक दिन आएगा, और संसार के हालात गवाह हैं कि शीघ्र ही आएगा, जब शैतान, पीड़ा और दुख का अन्त किया जाएगा और सृष्टि पर पुनः परमेश्वर का राज्य और शांति स्थापित हो जाएगी।

   क्या आप उस दिन के लिए और उस दिन परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए तैयार हैं? यदि नहीं तो आज अवसर है, हो जाईए; प्रभु यीशु से पापों की क्षमा और उसे जीवन समर्पण की मन से निकली एक प्रार्थना आपका दृष्टिकोण और भविष्य दोनों ही भले के लिए बदल देगी। - फिलिप यैन्सी


दुख और पीड़ा संसार के लोगों को परमेश्वर के विमुख कर सकते हैं परन्तु एक मसीही विश्वासी को परमेश्वर के और निकट ले आते हैं।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:51-58
1 Corinthians 15:51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे।
1 Corinthians 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले।
1 Corinthians 15:54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया।
1 Corinthians 15:55 हे मृत्यु तेरी जय कहां रही?
1 Corinthians 15:56 हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है।
1 Corinthians 15:57 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है।
1 Corinthians 15:58 सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 29-30 
  • प्रेरितों 23:1-15


शुक्रवार, 31 मई 2013

गलत चुनाव


   टेलिविज़न पर बुलाए गए मेहमानों से वार्ता करने और भिन्न बातों के प्रति उनके विचार जानने वाले एक कार्यक्रम में प्रस्तुतक्रता लैरी किंग ने एक वृद्ध टेलिविज़न स्टार से पूछा कि स्वर्ग के बारे में उनकी क्या राय है। यह प्रश्न पूछने से पहले लैरी किंग ने सुप्रसिद्ध और अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुसमाचार प्रचारक बिली ग्राहम द्वारा दिए गए इसी प्रश्न के उत्तर को उन्हें बताया जिसमें बिली ग्राहम ने कहा था कि वे जानते हैं कि आगे उनके लिए क्या रखा हुआ है - वे स्वर्ग में होंगे। किंग ने उस मेहमान टेलिविज़न स्टार से पूछा, "आप का विश्वास क्या है?" मेहमान ने उत्तर दिया, "मुझे बहुत चहल-पहल और गतिविधि का जीवन पसन्द है। मुझे लगता है कि स्वर्ग एक बहुत शांत और नीरस स्थान होगा जबकि नरक में बहुत गतिविधि होगी - जो मुझे अधिक पसन्द है।"

   दुख की बात है कि यह व्यक्ति इस राय को रखने में अकेला नहीं है; संसार के बहुत से लोग यही या इससे मिलती जुलती राय रखते हैं। उनके लिए शैतान के साथ नरक में रहना एक अधिक रोचक विकल्प है। मैंने बहुत से लोगों को कहते सुना है क्योंकि उनके मित्र नरक में ही होंगे इसलिए वे भी वहीं जाना चाहते हैं। एक अन्य व्यक्ति ने लिखा, "यदि नरक वास्तविक है तो वह कोई बुरा स्थान नहीं होगा क्योंकि बहुत से दिलचस्प लोग वहाँ मिलेंगे।"

   इस प्रकार की विचारधारा रखने वाले भरमाए गए लोगों को यह कैसे समझाया जा सकता है कि नरक उनकी कलपना जैसा कोई विनोद का स्थान नहीं है, और उससे बचकर रहना ही भला है। एक तरीका हो सकता है उन्हें नरक की वास्तविकता के बारे में बताने के द्वारा। परमेश्वर के वचन बाइबल में नरक की कई बातें बताई गई हैं, जैसे, वह आग की झील है (प्रकाशितवाक्य 20:15); एक अनन्त बदनामी और घिनौनेपन का स्थान है (दानिएल 12:2); वह घोर पीड़ा और तड़पने का स्थान है जहाँ से कोई फिर कभी बाहर नहीं निकल सकता (लूका 16:23-26); वहाँ कोई आमोद-प्रमोद या मस्ती नहीं वरन सदाकाल का रोना और दांतों का पीसना ही होगा (मत्ती 8:12) और प्रकाशितवाक्य 14:11 में लिखा है कि जो नरक में होंगे "उन की पीड़ा का धुआं युगानुयुग उठता रहेगा"।

   स्पष्ट है कि बाइबल के सत्य किसी को यह सोचने की अनुमति नहीं देते कि नरक एक रोचक और मज़ेदार स्थान होगा। ज़रा सोचिए, यदि किसी छोटी सी चोट की पीड़ा, या फिर कुछ समय का सिरदर्द या थोड़ा बुखार तबियत को ऐसा कर देता है कि ना मित्रों और ना आमोद-प्रमोद की बातों और ना किसी हँसी-मज़ाक में कोई रुचि रहती है, वरन ये उस कष्ट को और बढ़ाते ही लगते हैं, तो नरक की भयानक और कलपना से परे पीड़ा में क्या किसी को मित्र मण्डली, दिलचस्प लोगों और हँसी-ठिठोली का कोई होश या इच्छा रह सकेगी? उस भयानक पीड़ा के साथ यदि कुछ होगा तो नरक से बचने के उन जान बूझकर गवाँए गए अवसरों के लिए अति गहन शोक तथा ग्लानि की पीड़ा। आज यह चुनाव करने का अवसर आप के पास है; परमेश्वर की चेतावनियों के बावजूद अपने लिए जो भी चुनाव आप करेंगे, उसी चुनाव का निर्वाह बाद में परमेश्वर को करना पड़ेगा और उन परिणामों के ज़िम्मेदार परमेश्वर नहीं आप स्वयं होंगे।

   अपने हाथों अपना सर्वनाश मत कीजिए, अपने अनन्त भविश्य के लिए नरक को मत चुनिए, यह बहुत गलत चुनाव है - जो एक बार वहाँ गया वह फिर कदापि किसी रीति वहाँ से बाहर नहीं आ सकेगा। प्रभु यीशु मसीह में सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा स्वीकार करके अनन्त काल तक परमेश्वर की संगति तथा अवर्णननीय आनन्द के स्थान स्वर्ग में आज और अभी अपना स्थान सुनिश्चित कर लीजिए। - डेव ब्रैनन


जिस मसीह यीशु ने स्वर्ग के वैभव और आनन्द की बात कही है, वह ही नरक की भयानक पीड़ा तथा वीभत्सता को भी बताता है।

और जो भूमि के नीचे सोए रहेंगे उन में से बहुत से लोग जाग उठेंगे, कितने तो सदा के जीवन के लिये, और कितने अपनी नामधराई और सदा तक अत्यन्त घिनौने ठहरने के लिये। - दानिएलl 12:2 

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 20:11-15
Revelation 20:11 फिर मैं ने एक बड़ा श्वेत सिंहासन और उसको जो उस पर बैठा हुआ है, देखा, जिस के साम्हने से पृथ्वी और आकाश भाग गए, और उन के लिये जगह न मिली।
Revelation 20:12 फिर मैं ने छोटे बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के साम्हने खड़े हुए देखा, और पुस्‍तकें खोली गई; और फिर एक और पुस्‍तक खोली गई; और फिर एक और पुस्‍तक खोली गई, अर्थात जीवन की पुस्‍तक; और जैसे उन पुस्‍तकों में लिखा हुआ था, उन के कामों के अनुसार मरे हुओं का न्याय किया गया।
Revelation 20:13 और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उस में थे दे दिया, और मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया; और उन में से हर एक के कामों के अनुसार उन का न्याय किया गया।
Revelation 20:14 और मृत्यु और अधोलोक भी आग की झील में डाले गए; यह आग की झील तो दूसरी मृत्यु है।
Revelation 20:15 और जिस किसी का नाम जीवन की पुस्‍तक में लिखा हुआ न मिला, वह आग की झील में डाला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 13-14 
  • यूहन्ना 12:1-26