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गुरुवार, 24 मई 2012

बच्चों का ध्यान

   कई वर्षों तक कॉलेज के प्राध्यापक रहे डेविड होलक्विस्ट नामक ७७ वर्षीय वृद्ध की मृत्योपरांत, उनकी यादगार सभा में परमेश्वर के वचन बाइबल से पढ़ा गया लूका १८ का भाग कुछ असाधारण लगा क्योंकि बाइबल का वह खंड बच्चों से संबंधित है। किंतु जो लोग डेविड को जानते थे वे पास्टर कि बात से सहमत थे कि यह खंड डेविड की इस यादगार सभा में उनके लिए बिलकुल उपयुक्त है; क्योंकि डेविड को बच्चों से बहुत प्यार था; अपने बच्चों से भी और दूसरों के बच्चों से भी।

   डेविड बच्चों के लिए गुब्बारों से जानवरों के आकार बनाते थे, उनके लिए कठपुतलियां बनाते थे और कठपुतलियों के माध्यम से बच्चों तक मसीही संदेश पहुंचाते थे। जब चर्च के किसी कार्यक्रम की योजना बन रही होती थी तो सदा ही उनका प्रश्न होता था कि बच्चों के लिए क्या किया जाएगा? उनको चिंता रहती थी कि ना केवल व्यसक वरन किसी न किसी रीति से बच्चे भी चर्च की गतिविधियों और परमेश्वर की आराधना में भाग ले सकें।

   लूका के १८ अध्याय में हम प्रभु यीशु मसीह के बच्चों के प्रति ध्यान को पाते हैं। जब लोग बच्चों को प्रभु यीशु के पास लाने लगे तो चेलों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, कि व्यस्त प्रभु को बच्चे परेशान ना करें। किंतु प्रभु बच्चों से परेशान नहीं थे, वरन इसके विपरीत उन्होंने चेलों की यह बात पसन्द नहीं आई; उन्हों ने चेलों से कहा: "...बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्‍हें मना न करो: क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है" (लूका १८:१६)। इसी वृतांत को लिखते हुए मरकुस ने लिखा है कि प्रभु ने बच्चों को अपनी गोद में बैठाया और उन्हें आशीष दी (मरकुस १०:१४-१६)।

   क्यों ना हम बच्चों के प्रति अपने रवैये को जांच लें और अपने प्रभु की इच्छा के अनुरूप और डेविड होलक्विस्ट के उदाहरण के समान उनका ध्यान रखें, उन्हें परमेश्वर की आराधना के लिए प्रोत्साहित करें, बच्चों को किसी रीति से प्रभु के निकट लाने के माध्यम बनें। आखिरकर हमारे प्रभु ने स्वयं ही कहा है कि परमेश्वर का राज्य उन्हीं का है जो बच्चों के समान हैं। - ऐनी सेटास


परमेश्वर छोटे बच्चों के विष्य में बड़ी चिन्ता रखता है।

यीशु न बच्‍चों को पास बुला कर कहा, बालकों को मेरे पास आने दो, और उन्‍हें मना न करो: क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है। - लूका १८:१६

बाइबल पाठ: मरकुस १०:१३-१६
Mar 10:13  फिर लोग बालकों को उसके पास लाने लगे, कि वह उन पर हाथ रखे, पर चेलों ने उनको डांटा।
Mar 10:14 यीशु ने यह देख क्रुध होकर उन से कहा, बालकों को मेरे पास आने दो और उन्‍हें मना न करो, क्‍योंकि परमेश्वर का राज्य ऐसों ही का है।
Mar 10:15  मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाई ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा।
Mar 10:16 और उस ने उन्‍हें गोद में लिया, और उन पर हाथ रखकर उन्‍हें आशीष दी।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास २२-२४ 
  • यूहन्ना ८:२८-५९

बुधवार, 23 मई 2012

उच्चतम संदेशवाहन तकनीक

   संदेशवाहन और सूचनाओं के आदान-प्रदान में हमारा संसार उच्च-तकनीक का प्रयोग कर रहा है और उसमें दिन प्रतिदिन और भी सुधार तथा उन्नति करता जा रहा है। केवल वैज्ञानिक स्तर पर ही नहीं, आम आदमी और सामन्य संपर्क में भी यह बात लागू है। मोबाइल फोन, एस.एम.एस. संदेशों, इंटरनैट, ट्विटर और फेस्बुक जैसे माध्यमों के द्वारा आज के लोग जैसे आपस में सम्पर्क बनाए रखते हैं और सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान होता रहता है, उससे कुछ लोगों को लग सकता है कि परमेश्वर का वचन बाइबल पुराने ज़माने की बात है। परन्तु सत्य यह है कि बाइबल में जो संदेशवाहन की क्षमता है, वह आज के नवीनतम तथा सबसे उन्नत संदेशवाहन प्रौद्यग्की द्वारा भी संभव नहीं है।

   ज़रा कलपना कीजिए, जब और जैसी आपकी आवश्यक्ता है, उसी के अनुसार इस सृष्टि के सृष्टिकर्ता से आपको एक व्यक्तिगत संदेश मिलता है, उस के वचन से, उस के किसी जन के द्वारा, जिस से आप जानने पाते हैं कि अब आगे आप को क्या करना है। संसार और विज्ञान कितनी भी उन्नति कर ले, किसी का मन पढ़कर उसको सही व्यक्तिगत मार्गदर्शन देना, जो आने वाली परिस्थितियों और बीती हुई बातों, दोनों का ध्यान रखता हो और उन में सही तालमेल बनाता हो, किसी भी उच्च से उच्च तकनीक के लिए कभी संभव नहीं है।

   परमेश्वर के वचन के प्रचारक या पास्टर को किसी न किसी उपस्थित श्रोता से यह बात अकसर सुनने को मिलती है कि "जो आज आपने संदेश दिया, वह मेरे ही लिए था, मुझे इसी मार्गदर्शन कि आवश्यक्ता थी।" किसी रीति से संदेश के दिये जाने के समय, परमेश्वर के वचन ने उस श्रोता के मन से बातें कीं, उसकी दुविधा में उसे सही मार्ग दिखाया, उसके प्रश्नों का उत्तर दिया, उसके असमंजस को दूर किया। जब प्रचारक या पास्टर वह संदेश तैयार कर रहा था और दे रहा था तब उसे उस व्यक्ति और उस की समस्या के बारे में पता भी नहीं था, किंतु परमेश्वर जो सब कुछ और सबको जानता है, उसने अपने वचन द्वारा सम्भव किया कि वह संदेश उस व्यक्ति तक पहुंचे और उसका मार्गदर्शन करे। हम मसीही विश्वासी जो परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन में समय बिताते हैं, इस बात को भली भांति जानते हैं कि समय समय पर परमेश्वर का जीवता वचन हम से हमारी आवश्यक्ता के अनुसार बातें करता है; हम सब ने यह अनुभव किया है। परमेश्वर ने हर एक मनुष्य को उसके वचन को समझने के योग्य बनाया है, आवश्यक्ता है उस वचन को मानने और विश्वास के साथ ग्रहण करने की। परमेश्वर का पवित्र आत्मा प्रत्येक मसीही विश्वासी के साथ उसे सिखाने के लिए उपलब्ध रहता है।

   इस बात में हर्षित और आनन्दित हों कि इस वैज्ञानिक युग में उच्चतम संदेशवाहन तकनीक और क्षमता हम मसीही विश्वासियों को सेंतमेंत और अति सहज रीति से उपलब्ध है: "परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं" (१ कुरिन्थियों २:१२)। - जो स्टोवैल


बाइबल प्राचीन अवश्य है, परन्तु उसके सत्य सदा नए रहते हैं।


हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। - १ कुरिन्थियों २:१२

बाइबल पाठ: १ कुरिन्थियों २:१-१६
1Co 2:1   और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया।
1Co 2:2  क्‍योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं।
1Co 2:3   और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा।
1Co 2:4  ओर मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं परन्‍तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था।
1Co 2:5  इसलिए कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्‍तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1Co 2:6  फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्‍तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
1Co 2:7  परन्‍तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।
1Co 2:8  जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
1Co 2:9  परन्‍तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ी वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिए तैयार की हैं।
1Co 2:10  परन्‍तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया, क्‍योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
1Co 2:11   मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा।
1Co 2:12  परन्‍तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्‍तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
1Co 2:13  जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्‍तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिलाकर सुनाते हैं।
1Co 2:14  परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्‍योंकि वे उस की दृष्‍टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्‍हें जान सकता है क्‍योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
1Co 2:15  आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्‍तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता।
1Co 2:16  क्‍योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए परन्‍तु हम में मसीह का मन है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १९-२१ 
  • यूहन्ना ८:१-२७

मंगलवार, 22 मई 2012

आपूर्ति

   चील के बच्चे अभी एक सप्ताह के भी नहीं हुए थे, वे रोएंदार परों की गेंद के समान दिखाई देते थे, उनका स्वरूप अभी ठीक से बना भी नहीं था लेकिन वे भोजन के लिए आपस में लड़ने लगे थे। अभी उनमें इतनी ताकत भी नहीं थी कि अपने सिर कुछ सैकिंड के लिए ही संभाल कर सीधे रख सकें, लेकिन वे एक दूसरे पर अपनी छोटी सी चोंच से प्रहार करने से नहीं रुक रहे थे। अभी उनकी आंखें खुली भी नहीं थीं और वे एक दुसरे को देख भी नहीं सकते थे, लेकिन अपने स्वार्थ के आगे एक को दूसरे की उपस्थिति स्वीकार नहीं थी। जब भी उनके माता-पिता उनके लिए भोजन लाते, तो तुरंत ही वे एक दुसरे को दबा कर उस भोजन को अकेले ही हड़प करने के प्रयासों में लग जाते थे। यदि भोजन की उपलब्धता में कोई कमी होती, या माता-पिता एक को दे रहे और दूसरे को नज़रंदाज़ कर रहे होते तो उनका व्यवहार समझा जा सकता था; किंतु ऐसा बिलकुल नहीं था। माता-पिता दोनो के लिए बहुतायत से भोजन ला कर दोनों को खिला रहे थे, उनकी ओर से कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन उन चूज़ों में इस बात का कोई एहसास नहीं था। उनकी हर क्रीया केवल अपने स्वार्थ से ही वशीभूत और निर्देषित थी।

   चील के उन लालची और स्वार्थी चूज़ों को देख कर मुझे लोगों में विद्यमान ऐसी ही स्वार्थी भावना और मूर्खता स्मरण हो आई, जो अपने लिए हर वह वस्तु पाने की लालसा रखते हैं जो किसी और के लिए है (याकूब ४:१-५)। हमारे आपसी विवाद और झगड़ों का एक बहुत बड़ा कारण है हमारा लालच और आपसी द्वेष। जो परमेश्वर ने किसी दूसरे के लिए रखी है, हम वही वस्तु पाना चाहते हैं, फिर चाहे वह हमारे परिवार, संबंधी, मित्र या पड़ौसी के पास हो या उसके लिए हो। हम यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर ने हम में से प्रत्येक के लिए कुछ न कुछ भला रखा है, और वह हमें देता है। हमें किसी दूसरे की वस्तु का लालच करने या उसके कारण दूसरे से द्वेष रखने की आवश्यक्ता नहीं है। जो हमारा है, वह परमेश्वर हमें अवश्य ही देगा, कुछ पाने के लिए किसी दूसरे का हक छीनने या उसका नुकसान करने की कोई आवश्यक्ता नहीं है।

   हमारे परमेश्वर पिता के पास हम सब के लिए बहुतायत से है, और हमारा भला भी केवल उस से ही होगा जो परमेश्वर ने हमारे किए निर्धारित किया है; बाकी सब हमारे लिए व्यर्थ है। व्यर्थ कड़ुवाहट में पड़ने की बजाए अपने लिए परमेश्वर की आपूर्ति पर विश्वास रखिए और उसी में आनन्दित रहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


हमारी आवश्यक्ताएं कितनी भी हों, वे कभी भी परमेश्वर की आपूर्ति की क्षमता से अधिक नहीं हो सकतीं।


...क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है। - भजन ५०:१२

बाइबल पाठ: याकूब ४:१-१०
Jas 4:1  तुम में लड़ाइयां और झगड़े कहां से आ गए? क्‍या उन सुख-विलासों से नहीं जो तुम्हारे अंगों में लड़ते-भिड़ते हैं?
Jas 4:2  तुम लालसा रखते हो, और तुम्हें मिलता नहीं; तुम हत्या और डाह करते हो, और कुछ प्राप्‍त नहीं कर सकते; तुम झगड़ते और लड़ते हो; तुम्हें इसलिए नहीं मिलता, कि मांगते नहीं।
Jas 4:3  तुम मांगते हो और पाते नहीं, इसलिए कि बुरी इच्‍छा से मांगते हो, ताकि अपने भोग विलास में उड़ा दो।
Jas 4:4  हे व्यभिचारिणयों, क्‍या तुम नहीं जानतीं, कि संसार से मित्रता करनी परमेश्वर से बैर करना है? सो जो कोई संसार का मित्र होना चाहता है, वह अपने आप को परमेश्वर का बैरी बनाता है।
Jas 4:5  क्‍या तुम यह समझते हो, कि पवित्र शास्‍त्र व्यर्थ कहता है जिस आत्मा को उस ने हमारे भीतर बसाया है, क्‍या वह ऐसी लालसा करता है, जिस का प्रतिफल डाह हो?
Jas 4:6   वह तो और भी अनुग्रह देता है; इस कारण यह लिखा है, कि परमेश्वर अभिमानियों से विरोध करता है, पर दीनों पर अनुग्रह करता है।
Jas 4:7  इसलिए परमेश्वर के आधीन हो जाओ, और शैतान का साम्हना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।
Jas 4:8  परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो।
Jas 4:9 दुखी होओ, और शोक करा, और रोओ; तुम्हारी हंसी शोक से और तुम्हारा आनन्‍द उदासी से बदल जाए।
Jas 4:10  प्रभु के साम्हने दीन बनो, तो वह तुम्हें शिरोमणि बनाएगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १६-१८ 
  • यूहन्ना ७:२८-५३

सोमवार, 21 मई 2012

स्वार्थ


   १९७० के दशक में उस समय के प्रसिद्ध गायक दल बीटल्स (The Beatles) ने यह दिखाने के उद्देश्य से कि उनके संगीत की रचना कैसे होती है, अपने दल के सदस्यों और उनके कार्यों पर एक चलचित्र (documentary) बनाना आरंभ किया। परन्तु जब चलचित्र बना तब बजाए यह दिखाने के कि उनके संगीत की रचना कैसे होती थी, जो सामने आया वह था उनमें से प्रत्येक का स्वार्थ और आपसी कलह। दल का हर सदस्य दल की उन्नति के लिए नहीं वरन अपनी ही उन्नति की चाह और महत्वकांक्षाओं से भरा हुआ था, और अपने स्वार्थ में होकर ही कार्य कर रहा था। इस चलचित्र के बनने के कुछ समय पश्चात ही यह प्रसिद्ध संगीत दल टूट कर बिखर गया; कारण था स्वार्थ से उपजा आपसी विवाद और टूटी मित्रता।

   स्वार्थ, मानव संबंधों को बिगाड़ने वाली एक बहुत पुरानी समस्या रही है। प्रथम ईसवीं में प्रेरित पौलुस को भय था कि फिलिप्पी की मण्डली भी इसी व्याधि का शिकार न बन जाए। वह भली भांति जानता था कि जब व्यक्तिगत उन्नति की भावना, मण्डली की सामूहिक उन्नति की लालसा पर भारी पड़ने लगती है तो शीघ्र ही लोगों के रवैये भी एक दूसरे के प्रति फूट और द्वेष के हो जाते हैं, और मण्डली पतन की ओर चल निकलती है।
   इस खतरनाक प्रवृति को पनपने से रोकने के लिए पौलुस ने उन्हें अपनी पत्री में लिखा: "विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे" (फिलिप्पियों २:३-४)।

   आज यदि आपके जीवन पर एक चलचित्र बनाया जाए तो वह क्या प्रगट करेगा; स्वार्थी या निस्वार्थी जीवन? हम मसीही विश्वासियों को विशेषकर इस बात में बहुत सावधान रहना है और अपने प्रभु यीशु के जीवन के अनुरूप अपने जीवनों में भी औरों के लिए निस्वार्थ चिंता प्रगट करनी है। निस्वार्थ भावना द्वारा ही हम चर्च और परिवारों में टूटना और बिखरना रोक सकेंगे और सामूहिक उन्न्ति की राह पर अग्रसर हो सकेंगे। - बिल क्राउडर


जो मन दुसरों के हित की भावना से भरा रहता है वह कभी स्वार्थ द्वारा नष्ट नहीं हो सकता।

विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो। - फिलिप्पियों २:३

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों २:१-११
Php 2:1  सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।
Php 2:2  तो मेरा यह आनन्‍द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो।
Php 2:3  विरोध या झूठी बड़ाई के लिए कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्‍छा समझो।
Php 2:4  हर एक अपने ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे।
Php 2:5  जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो।
Php 2:6  जिस ने परमेश्वर के स्‍वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्‍तु न समझा।
Php 2:7  वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया।
Php 2:8   और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली।
Php 2:9  इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्‍ठ है।
Php 2:10  कि जो स्‍वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें।
Php 2:11  और परमेश्वर पिता की महिमा के लिए हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १३-१५ 
  • यूहन्ना ७:१-२७


रविवार, 20 मई 2012

उपयुक्त भेंट

   मुझे जान कर बहुत प्रसन्नता हुई कि मेरे एक मित्र ने मेरे पड़ौसी को, जो उसका भी मित्र था, परमेश्वर के वचन बाइबल की एक प्रति भेंट करी। किंतु कुछ समय बाद मैंने जाना कि उस पड़ौसी ने बाइबल पढ़ना बन्द कर दिया क्योंकि वह समझ नहीं पाई कि परमेश्वर कैन द्वारा लाई गई भेंट अस्वीकार करने का अन्याय कैसे कर सकता है? उनका तर्क था कि कैन तो किसान था, इसलिए स्वाभाविक है कि जो उसकी उपज थी, वह उसी को परमेश्वर के पास लेकर आएगा। फिर क्यों परमेश्वर को कैन की भेंट स्वीकार नहीं हुई; क्या इसलिए कि वह जीव-जन्तु नहीं वरन खेती की उपज थी?

   बहुत से अन्य लोगों के समान, मेरे उस पड़ौसी ने भी वास्तविकता को समझे बिना ही एक गलत धारणा बना ली और उस के आधार पर निर्णय ले लिया। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर को साग-पात पसन्द नहीं, वरन बात यह थी कि कैन अपनी भेंट के पीछे अपनी गलत प्रवृति और मनसाएं छिपाने का प्रयास कर रहा था। भेंट अस्वीकार करने से जब कैन क्रोधित हुआ तब परमेश्वर ने कैन से कहा, "यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा" (उत्पत्ति ४:७)। कैन अपने अन्दर से परमेश्वर के प्रति पूर्णतः समर्पित हुए बिना ही बाहरी क्रियाओं और विधि-विधानों के आडम्बर द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करना चाह रहा था, जिसे परमेश्वर जानता था और जो परमेश्वर को स्वीकार नहीं था।

   यही गलती आज भी बहुत से लोग परमेश्वर के साथ अपने संबंध के विषय में करते हैं। उनके मन ना तो परमेश्वर को समर्पित होते हैं और ना ही वे सच्चे मन से परमेश्वर की उपासना करते हैं; वे केवल रीति-रिवाज़ों के पालन और विधि-विधानों की पूर्ति के द्वारा परमेश्वर को बाध्य करना चाहते हैं कि वह उनसे प्रसन्न हो और उन्हें आशीष दे। वे बाहर से धर्मी दिखते हैं परन्तु उनके मन परमेश्वर से दूर और अपनी ही लालसाओं को समर्पित रहते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल में यहूदा ने अपनी पत्री में ऐसे लोगों के विषय में कैन के उदाहरण के साठ लिखा: "उन पर हाय! कि वे कैन की सी चाल चले, और मजदूरी के लिए बिलाम की नाईं भ्रष्‍ट हो गए हैं: और कोरह की नाईं विरोध करके नाश हुए हैं" (यहूदा १:११)। हम चाहे जितने जोश के साथ परमेश्वर के नाम में भले कार्य करें, उसका स्तुतिगान करें, उसके नाम में दान-पुण्य इत्यादि करें, किंतु यदि हमारा मन परमेश्वर में नहीं है तो सब व्यर्थ है, कुछ भी परमेश्वर को स्वीकारीय नहीं है।

   विचार कीजिए, क्या वास्तव में परमेश्वर आपकी प्राथमिकता है? क्या वह आप के लिए आपकी योजनाओं और लालसाओं से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या वह उस बात से, उस पाप से अधिक रोचक तथा वांछनीय है जो आप को भरमा कर उससे दूर ले जाता है?

   जब आपकी भेंट सच्चे और समर्पित मन के साथ परमेश्वर के सम्मुख प्रस्तुत की जाएगी तब ही वह ऐसी उपयुक्त भेंट होगी जिसे परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करेगा। उस सर्वोच्च और सर्वोत्तम को आपकी संपत्ति की नहीं आपके मन कि लालसा है; एक टूटा और पिसा हुआ मन ही परमेश्वर के लिए उपयुक्त भेंट है; "क्योकि तू मेलबलि में प्रसन्न नहीं होता, नहीं तो मैं देता; होमबलि से भी तू प्रसन्न नहीं होता। टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता" (भजन ५१:१६-१७)। - जो स्टोवैल


अपने प्रति समर्पित हृदय की भेंट को परमेश्वर कभी अस्वीकार नहीं करता।

यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा। - उत्पत्ति ४:७

बाइबल पाठ: उत्पत्ति ४:१-७
Gen 4:1  जब आदम अपनी पत्नी हव्वा के पास गया तब उस ने गर्भवती होकर कैन को जन्म दिया और कहा, मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरूष पाया है।
Gen 4:2  फिर वह उसके भाई हाबिल को भी जन्मी, और हाबिल तो भेड़-बकरियों का चरवाहा बन गया, परन्तु कैन भूमि की खेती करने वाला किसान बना।
Gen 4:3 कुछ दिनों के पश्चात्‌ कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया।
Gen 4:4  और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई; तब यहोवा ने हाबिल और उसकी भेंट को तो ग्रहण किया,
Gen 4:5  परन्तु कैन और उसकी भेंट को उस ने ग्रहण न किया। तब कैन अति क्रोधित हुआ, और उसके मुंह पर उदासी छा गई।
Gen 4:6  तब यहोवा ने कैन से कहा, तू क्यों क्रोधित हुआ? और तेरे मुंह पर उदासी क्यों छा गई है?
Gen 4:7  यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? और यदि तू भला न करे, तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी और होगी, और तू उस पर प्रभुता करेगा।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास १०-१२ 
  • यूहन्ना ६:४५-७१

शनिवार, 19 मई 2012

व्यक्तिगत विश्वास

   बचपन में मेरा पालन-पोषण सिंगापुर में हुआ था और मुझे स्मरण है कि मेरे कई मित्रों को उनके ग़ैर-मसीही माता-पिता द्वारा घरों से इस लिए निकाल बाहर कर दिया गया क्योंकि उन्होंने मसीह यीशु में विश्वास किया। मेरे इन मित्रों को अपने विश्वास के कारण दुखः उठाना पड़ा, किंतु इससे उनका विश्वास और सुदृढ़ हुआ। उनकी तुलना में, मेरा जन्म और पालन-पोषण एक मसीही परिवार में हुआ, इसलिए मुझे उनके समान दुखः तो नहीं उठाने पड़े, किंतु अपने मसीही विश्वास से संबंधित बातों के लिए मुझे भी व्यक्तिगत निर्णय लेने पड़े और फिर उन पर बने रहना पड़ा।

   जो इस्त्राएली यहोशू के साथ, परमेश्वर द्वारा वाचा में दिए गए कनान देश में आए थे, उन्होंने परमेश्वर के महान और सामर्थी कार्य देखे थे और उस पर विश्वास किया था (न्यायियों २:७)। परन्तु उनकी अगली पीढ़ी ही के बारे में लिखा है कि "....तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिये किया था" (न्यायियों २:१०)। इसका परिणाम यह हुआ कि वे शीघ्र ही अपने परमेश्वर और विश्वास से हट गए और अन्य देवी-देवताओं की उपासना करने लगे (न्यायियों २:१२)। उस पीढ़ी ने अपने पितरों के विश्वास को व्यक्तिगत रीति से अपना विश्वास नहीं बनाया था, इसलिए वे विश्वास में स्थिर नहीं रह सके।

   कोई भी पीढ़ी अपनी पिछली पीढ़ी के विश्वास के आधार पर ही स्थिर नहीं रह सकती; सबको एक नए और ताज़ा व्यक्तिगत विश्वास में आना अनिवार्य है। जब कठिनाईयों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तो जो विश्वास व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित नहीं है, वह लड़खड़ा जाएगा और ठोकर खाएगा; किंतु जिस के पास विश्वास के व्यक्तिगत अनुभव हैं वह स्थिर भी रहेगा और उन परिस्थितियों में से और दृढ़ भी होकर निकलेगा। जो दूसरी, तीसरी, चौथी या अन्य किसी पीढ़ी के मसीही हैं उनके पास विश्वास की एक बहुत अच्छी विरासत तो है, लेकिन उन्हें भी मसीह में व्यक्तिगत विश्वास की उतनी ही आवश्यक्ता है जितनी कि किसी नए विश्वासी को।

   मसीही विश्वास का एक नया और ताज़ा अनुभव लीजिए, परमेश्वर के वचन के अध्ययन में व्यक्तिगत रुचि दिखाईए। आप अपने व्यक्तिगत विश्वास के आधार पर ही अपने प्रभु के लिए प्रभावशाली जीवन व्यतीत कर सकते हैं। - सी.पी.हिया


यदि आपका विश्वास व्यक्तिगत नहीं है तो सच्चा और खरा भी नहीं है।


और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपने अपने पितरों में मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिए किया था। - न्यायियों २:१०

बाइबल पाठ: न्यायियों २:६-१३
Jdg 2:6  जब यहोशू ने लोगों को विदा किया था, तब इस्राएली देश को अपने अधिकार में कर लेने के लिए अपने अपने निज भाग पर गए।
Jdg 2:7  और यहोशू के जीवन भर, और उन वृद्ध लोगों के जीवन भर जो यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और देख चुके थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिए कैसे कैसे बड़े काम किए हैं, इस्राएली लोग यहोवा की सेवा करते रहे।
Jdg 2:8  निदान यहोवा का दास नून का पुत्र यहोशू एक सौ दस वर्ष का होकर मर गया।
Jdg 2:9  और उसको तिम्नथेरेस में जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नाम पहाड़ की उत्तर अलंग पर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई।
Jdg 2:10 और उस पीढ़ी के सब लोग भी अपने अपने पितरों में मिल गए; तब उसके बाद जो दूसरी पीढ़ी हुई उसके लोग न तो यहोवा को जानते थे और न उस काम को जो उस ने इस्राएल के लिए किया था।
Jdg 2:11  इसलिए इस्राएली वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और बाल नाम देवताओं की उपासना करने लगे;
Jdg 2:12 वे अपने पूर्वजों के परमेश्वर यहोवा को, जो उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया था, त्यागकर पराए देवताओं की उपासना करने लगे, और उन्हें दण्डवत्‌ किया, और यहोवा को रिस दिलाई।
Jdg 2:13  वे यहोवा को त्याग कर के बाल देवताओं और अशतोरेत देवियों की उपासना करने लगे।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास ७-९ 
  • यूहन्ना ६:२२-४४

शुक्रवार, 18 मई 2012

विजयी जीवन

   सन १९३५ में अमेरिका के टेक्सस प्रांत के एक छोटे और अज्ञात अश्वेत विद्यार्थियों के कॉलेज से वादविवाद प्रतियोगिता में भाग लेने आए दल ने अप्रत्याशित रीति से दक्षिण कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से आए और राष्ट्रीय स्तर पर विजयी श्वेत विद्यार्थियों के दल को हरा दिया। यह एक अन्जान और असंभावित की, किसी जाने माने और बलवंत पर अप्रत्याशित विजय का अद्भुत उदाहरण था।

   इस्त्राएल के इतिहास में हम ऐसी कई घटनाएं पाते हैं जहां परमेश्वर की सहायता से वे अपने विरोधियों पर, जो उन से अधिक और शक्तिशाली थे, विजयी रहे। ऐसी ही एक घटना है छोटे लड़के दाऊद और दैत्याकार फिल्स्तीनी योद्धा गोलियत की, जिसका विवरण हमें परमेश्वर के वचन बाइबल में १ शमूएल १७ अध्याय में मिलता है। इस्त्राएल और फलिस्तीनीयों के सेनाएं एलाह कि घाटी में आमने-सामने थीं; इस्त्राएली उनका सामना करने से घबारा रहे थे क्योंकि ९’ ९" का एक फिल्स्तीनी योद्धा उन्हें ललकारता था, और वे उसके डील-डौल को देखकर उसका सामना करने से डरते थे।

   इस स्थिति में दाऊद नाम का एक इस्त्राएली लड़का अपने भाईयों की, जो इस्त्राएली सेना में थे, खोज-खबर लेने और उन्हें भोजन का सामान देने के लिए आया। उसने जब इस्त्राएल की डरी हुई सेना और गोलियत की ललकार तथा उसके द्वारा की जाने वाली परमेश्वर की निन्दा को सुना, तो उसने इस्त्राएल के राजा शाउल से अनुमति मांगी कि गोलियत का सामना करे। राजा शाउल ने बड़े हिचकिचाते हुए उसे अनुमति दी और दाऊद अपने गोफन, पांच चिकने पत्थर और परमेश्वर में अपने दृढ़ विश्वास के साथ गोलियत के सामने जा खड़ा हुआ। उसने गोफन में एक पत्थर लगाकर उसने फिल्स्ती के माथे पर दे मारा, जिससे वह गिर गया और दाउद ने फिर उसी की तलवार लेकर उसका काम तमाम कर दिया। अपने दैत्याकार योद्धा का अनजाम देखकर फिल्स्तीनी सेना के पांव उखड़ गए, और वे इस्त्राएलियों के सामने से भाग खड़े हुए और इस्त्राएलियों को एक बड़ी विजय मिली।

   हम सब अपने अपने जीवनों में कई दैत्याकार समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे चिंता, शक, भय, पाप, अपराध-बोध इत्यादि और हमें लगता है कि इन पर विजयी होने कि सामर्थ हम में नहीं है। किंतु परमेश्वर पर अपने दृढ़ विश्वास और सच्चे समर्पण के द्वारा हमारा भी इन सभी बातों पर विजयी होना संभव है। हमें आवश्यक्ता है साहस के साथ कदम आगे बढ़ाने और अपने इन दैत्यों का परमेश्वर के नाम में सामना करने को तैयार होने की, अपनी रणभूमि में जाकर खड़ा होने की। वहीं परमेश्वर हमारी सहायता करेगा, हमें जयवंत करेगा। - मार्विन विलियम्स


अपने प्रबल बैरियों का सामना करने और उन पर जयवन्त होने की सामर्थ हमें परमेशवर ही से मिलती है।


फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिस ने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे। - १ शमूएल १७:३७

बाइबल पाठ: १ शमूएल १७:३२-५२
1Sa 17:32  तब दाऊद ने शाऊल से कहा, किसी मनुष्य का मन उसके कारण कच्चा न हो, तेरा दास जाकर उस पलिश्ती से लड़ेगा।
1Sa 17:33  शाऊल ने दाऊद से कहा, तू जाकर उस पलिश्ती के विरूद्ध नहीं युद्ध कर सकता क्योंकि तू तो लड़का ही है, और वह लड़कपन ही से योद्धा है।
1Sa 17:34  दाऊद ने शाऊल से कहा, तेरा दास अपने पिता की भेड़ बकरियां चराता था, और जब कोई सिंह वा भालू झुंड में से मेम्ना उठा ले गया,
1Sa 17:35  तब मैं ने उसका पीछा करके उसे मारा, और मेम्ने को उसके मुंह से छुड़ाया; और जब उस ने मुझ पर चढ़ाई की, तब मैं ने उसके केश को पकड़ कर उसे मार डाला।
1Sa 17:36  तेरे दास ने सिंह और भालू दोनों को मार डाला और वह खतनारहित पलिश्ती उनके समान हो जाएगा, क्योंकि उस ने जीवित परमेश्वर की सेना को ललकारा है।
1Sa 17:37  फिर दाऊद ने कहा, यहोवा जिस ने मुझ सिंह और भालू दोनों के पंजे से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती के हाथ से भी बचाएगा। शाऊल ने दाऊद से कहा, जा, यहोवा तेरे साथ रहे।
1Sa 17:38  तब शाऊल ने अपने वस्त्र दाऊद को पहिनाए, और पीतल का टोप उसके सिर पर रख दिया, और झिलम उसको पहिनाया।
1Sa 17:39  और दाऊद ने उसकी तलवार वस्त्र के ऊपर कसी, और चलने का यत्न किया; उस ने तो उनको न परखा था। इसलिये दाऊद ने शाऊल से कहा, इन्हें पहिने हुए मुझ से चला नहीं जाता, क्योंकि मैं ने नहीं परखा। और दाऊद ने उन्हें उतार दिया।
1Sa 17:40  तब उस ने अपनी लाठी हाथ में ले नाले में से पांच चिकने पत्थर छांटकर अपनी चरवाही की थैली, अर्थात अपने झोले में रखे और अपना गोफन हाथ में लेकर पलिश्ती के निकट चला।
1Sa 17:41  और पलिश्ती चलते चलते दाऊद के निकट पहुंचने लगा, और जो जन उसकी बड़ी ढाल लिए था वह उसके आगे आगे चला।
1Sa 17:42  जब पलिश्ती ने दृष्टि कर के दाऊद को देखा, तब उसे तुच्छ जाना क्योंकि वह लड़का ही था, और उसके मुख पर लाली झलकती यी, और वह सुन्दर था।
1Sa 17:43  तब पलिश्ती ने दाऊद से कहा, क्या मैं कुत्ता हूं, कि तू लाठी लेकर मेरे पास आता है? तब पलिश्ती अपने देवताओं के नाम लेकर दाऊद को कोसने लगा।
1Sa 17:44  फिर पलिश्ती ने दाऊद से कहा, मेरे पास आ, मैं तेरा मांस आकाश के पक्षियों और वन पशुओं को दे दूंगा।
1Sa 17:45  दाऊद ने पलिश्ती से कहा, तू तो तलवार और भाला और सांग लिए हुए मेरे पास आता है, परन्तु मैं सेनाओं के यहोवा के नाम से तेरे पास आता हूं, जो इस्राएली सेना का परमेश्वर है, और उसी को तू ने ललकारा है।
1Sa 17:46  आज के दिन यहोवा तुझ को मेरे हाथ में कर देगा, और मैं तुझ को मारूंगा, और तेरा सिर तेरे धड़ से अलग करूंगा; और मैं आज के दिन पलिश्ती सेना की लोथें आकाश के पक्षियों और पृथ्वी के जीव जन्तुओं को दे दूंगा, तब समस्त पृथ्वी के लोग जान लेंगे कि इस्राएल में एक परमेश्वर है।
1Sa 17:47  और यह समस्त मण्डली जान लेगी की यहोवा तलवार वा भाले के द्वारा जयवन्त नहीं करता, इसलिये कि संग्राम तो यहोवा का है, और वही तुम्हें हमारे हाथ में कर देगा।
1Sa 17:48  जब पलिश्ती उठ कर दाऊद का साम्हना करने के लिये निकट आया, तब दाऊद सेना की ओर पलिश्ती का साम्हना करने के लिये फुर्ती से दौड़ा।
1Sa 17:49  फिर दाऊद ने अपनी थैली में हाथ डाल कर उस में से एक पत्थर निकाला, और उसे गोफन में रख कर पलिश्ती के माथे पर ऐसा मारा कि पत्थर उसके माथे के भीतर घुस गया, और वह भूमि पर मुंह के बल गिर पड़ा।
1Sa 17:50  यों दाऊद ने पलिश्ती पर गोफन और एक ही पत्थर के द्वारा प्रबल होकर उसे मार डाला; परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार न थी।
1Sa 17:51  तब दाऊद दौड़ कर पलिश्ती के ऊपर खड़ा हुआ, और उसकी तलवार पकड़ कर मियान से खींची, और उसको घात किया, और उसका सिर उसी तलवार से काट डाला। यह देख कर कि हमारा वीर मर गया पलिश्ती भाग गए।
1Sa 17:52  इस पर इस्राएली और यहूद पुरूष ललकार उठे, और गत और एक्रोन से फाटकों तक पलिश्तियों का पीछा करते गए, और घायल पलिश्ती शारैम के मार्ग में और गत और एक्रोन तक गिरते गए।


एक साल में बाइबल: 

  • १ इतिहास ४-६ 
  • यूहन्ना ६:१-२१