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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

अनुकम्पा


   अपनी पत्नि मार्लीन से मैं जब पहली बार मिला था तब हम दोनो ही कॉलेज में थे। मार्लीन बच्चों को शिक्षा देने का प्रशिक्षण ले रही थी और जब मैंने बच्चों के साथ काम करते हुए उसे पहली बार देखा तो मुझे तुरंत आभास हुआ कि यह उसके स्वभाव के कितना अनुकूल था। हमारे विवाह पश्चात जब हमारे अपने बच्चे हुए तो यह बात और भी अधिक स्पष्ट हो गई। बच्चों के साथ उसके व्यवहार को देखना निस्वार्थ प्रेम का एक पाठ सीखने के समान था। उसे बच्चों के साथ देखने से पता चलता था कि सारे संसार में बच्चों के प्रति माँ के कोमल प्रेम और अनुकम्पा के समान कोई अन्य बात है ही नहीं।

   इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह ४९:१५ इतना असाधारण लगता है और इस पद का मर्म इतना विशिष्ट। इस पद में परमेश्वर ने अपने लोगों को, जो अपने आप को त्यागा हुआ और भुलाया हुआ अनुभव कर रहे थे, आश्वासन दिया: "क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।"

   कभी कभी जीवन के संघर्ष और कठिनाईयों में हम यह सोचने लगते हैं कि परमेश्वर ने हमें भुला दिया है। संभवतः हम यह भी मानने लगते हैं कि परमेश्वर अब हमसे प्रेम नहीं रखता। परन्तु परमेश्वर के प्रेम की चौड़ाई क्रूस पर मसीह यीशु की फैली हुई बाहों के समान है। परमेश्वर का कोमल प्रेम और अनुकम्पा एक माँ के अपने दूधपिउवे बच्चे के प्रति प्रेम और अनुकम्पा से भी बढ़कर है। परमेश्वर का अपनी प्रत्येक सन्तान से वायदा है "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों १३:५)।

   यदि आपने प्रभु यीशु में पापों की क्षमा और उद्धार द्वारा परमेश्वर कि सन्तान होने का गौरव प्राप्त किया है तो आप प्रत्येक परिस्थिति में आश्वस्त रह सकते हैं क्योंकि अपने बच्चों के प्रति परमेश्वर का प्रेम ना कभी घटता है और ना ही टलता है। हमारे परमेश्वर पिता का प्रेम बच्चे के प्रति माँ के प्रेम से भी बढ़कर और विश्वासयोग्य है; जिसका हाथ उसने एक दफा थाम लिया फिर उसे वह कभी नहीं छोड़ता, किसी परिस्थिति में नहीं। - बिल क्राउडर


परमेश्वर के प्रेम का प्रमाण क्रूस पर लटके मसीह यीशु की फैली हुई बाहों हैं।

क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता। - यशायाह ४९:१५

बाइबल पाठ: यशायाह ४९:१३-१८
Isaiah 49:13 हे आकाश, जयजयकार कर, हे पृथ्वी, मगन हो; हे पहाड़ों, गला खोल कर जयजयकार करो! क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है और अपने दीन लोगों पर दया की है।
Isaiah 49:14 परन्तु सिय्योन ने कहा, यहोवा ने मुझे त्याग दिया है, मेरा प्रभु मुझे भूल गया है।
Isaiah 49:15 क्या यह हो सकता है कि कोई माता अपने दूधपिउवे बच्चे को भूल जाए और अपने जन्माए हुए लड़के पर दया न करे? हां, वह तो भूल सकती है, परन्तु मैं तुझे नहीं भूल सकता।
Isaiah 49:16 देख, मैं ने तेरा चित्र हथेलियों पर खोदकर बनाया है; तेरी शहरपनाह सदैव मेरी दृष्टि के साम्हने बनी रहती है।
Isaiah 49:17 तेरे लड़के फुर्ती से आ रहे हैं और खण्डहर बनाने वाले और उजाड़ने वाले तेरे बीच से निकले जा रहे हैं।
Isaiah 49:18 अपनी आंखें उठा कर चारों ओर देख, वे सब के सब इकट्ठे हो कर तेरे पास आ रहे हैं। यहोवा की यह वाणी है कि मेरे जीवन की शपथ, तू निश्चय उन सभों को गहने के समान पहिल लेगी, तू दुल्हिन की नाईं अपने शरीर में उन सब को बान्ध लेगी।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती ४-६ 
  • मरकुस ४:१-२०

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

समाधान


   मई १८८४ की बात है, युवा माता-पिता जॉन और मार्था की जोड़ी अपने नवजात बेटे के नामकरण में मध्य नाम को लेकर असहमत थे। माँ मार्था अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम सौलोमन रखना चाहती थी और पिता जॉन अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम शिप्पे रखना माँगते थे। क्योंकि दोनो ही मध्य नाम को लेकर सहमत नहीं हुए इसलिए दोनो ने समस्या के समाधान के लिए केवल अंग्रेज़ी भाषा के S शब्द को, जो दोनो ही विवादाधीन नामों का प्रथम अक्षर था, प्रयोग करने का निर्णय लिया और बच्चे का नाम रखा गया हैरी एस. ट्रूमैन जो आगे चलकर अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति बने जिनका मध्य नाम केवल एक अक्षर ही था। इस बात को १२० वर्ष हो गए हैं, इतिहास उस विवाद को भी बताता है और उसके समाधान को भी।

    परमेश्वर के वचन बाइबल में हम एक और विवाद के बारे में पढ़ते हैं जो प्रभु यीशु के दो अनुयायियों के बीच एक तीसरे अनुयायी को लेकर हुआ। प्रेरितों के काम के १५ अध्याय में प्रेरित पौलुस एवं बरनाबास के इस विवाद का उल्लेख है। बरनाबास और पौलुस को सेवकाई और सुसमाचार प्रचार की यात्रा पर निकलना था। बरनाबास अपने साथ एक युवा विश्वासी मरकुस को भी ले जाना चाहता था, किंतु मरकुस को लेकर कुछ पिछले अनुभवों के आधार पर पौलुस ने इस बात का विरोध किया। बात यहाँ तक बढ़ गई कि पौलुस और बरनाबास ने अलग अलग अपने अपने रास्ते ले लिए। इस बात को दो हज़ार वर्ष के लगभग हो गए हैं, और यह परमेश्वर के वचन में सदा काल के लिए दर्ज भी है। किंतु बात यहीं समाप्त नहीं हुई; आगे चलकर पौलुस और मरकुस के बीच की दूरीयाँ मिट गईं, समस्या का समाधान निकल आया और मरकुस पौलुस का प्रीय बन गया। अपनी सेवकाई के अन्त में, मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा में कैदखाने में पड़े पौलुस ने अपनी अन्तिम पत्री में एक अन्य मसीही विश्वासी तिमुथियुस को लिखा: "...मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (२ तिमुथियुस ४:११)।

   एक और विवाद मानव जाति के इतिहास के आरंभ में हुआ - पाप के कारण परमेश्वर और हमारे आदि-पूर्वज आदम और हव्वा के बीच दूरी आ गई और हमारे आदि माता-पिता परमेश्वर की संगति से दूर हो गए। तब से पाप मनुष्य में बना हुआ है और आदम हव्वा की सभी संतान इस पाप स्वभाव के साथ ही पैदा होती आई है तथा परमेश्वर से दूर है। परमेश्वर ने ही स्वयं आगे बढ़कर अपने बड़े प्रेम में होकर मानव के लिए पाप से बचने और पाप स्वभाव के चंगुल से निकलने का मार्ग दिया। उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार में भेजा, उसने संसार में एक निष्पाप और निषकलंक जीवन बिताया और समस्त मानव जाति का पाप अपने ऊपर लेकर उस पाप के दण्ड को सभी मनुष्यों के लिए सह लिया। उसने क्रूस पर अपने प्राण बलिदान किए, वह मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मृतकों से जीवित होकर उसने अपने परमेश्वरत्व को प्रमाणित कर दिया। आज भी उसकी खाली कब्र उसके पुनरुत्थान और परमेश्वर होने की गवाह है।

   प्रभु यीशु के इस बलिदान और पुनरुत्थान के द्वारा पाप की समस्या का समाधान हो गया, सभी मनुष्यों के लिए पाप क्षमा और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग खुल गया। अब जो कोई सच्चे मन से अपने पापों की क्षमा प्रभु यीशु से माँगता है तथा स्वेच्छा से अपना जीवन उसे समर्पित करता है उसे प्रभु यीशु से पापों की क्षमा, पाप स्वभाव से मुक्ति तथा परमेश्वर की सन्तान होने का आदर मिलता है और वह परमेश्वर के साथ संगति में आ जाता है। परमेश्वर का यह प्रयोजन सारे संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है और सभी को परमेश्वर की ओर से इसका निमंत्रण है।

   क्या आपने अपने पापों और उनके कारण हुई परमेश्वर से दूरी का परमेश्वर द्वारा निर्धारित समाधान स्वीकार कर लिया है? यदि नहीं तो अभी अवसर है, कर लीजिए। इस समाधान का तिरस्कार बहुत महंगा, बहुत कष्टदायक और अनन्तकालीन है। - डेव ब्रैनन


पाप के कारण मनुष्य का परमेश्वर से हुआ मनमुटाव समय के साथ नहीं घटता नहीं है।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों ५:८

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-१२; १७-१९
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ।
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १-३ 
  • मरकुस ३


बुधवार, 20 फ़रवरी 2013

आराधना


   एक समय था जब मुझे चर्च में आराधना का समय मनोरंजन लगता था। मेरे जैसे लोगों के लिए ही सॉरेन किर्केगार्ड ने कहा है: "हम चर्च को एक नाट्यशाला के समान देखते हैं। हम श्रोताओं के समान जाकर पीछे की पंक्तियों में बैठ जाते हैं और सामने हो रही आराधना का अवलोकन किसी नाटक को देखने के समान करते हैं और यदि प्रस्तुत कार्यक्रम अच्छा लगता है तो फिर प्रशंसास्वरूप ताली भी बजा देते हैं। लेकिन चर्च में नाट्यशाला से उलट व्यवहार होता है, वहां आराधना के लिए एकत्रित जन अभिनेता तथा परमेश्वर श्रोता होता है। जो सबसे महत्वपूर्ण है वह उपस्थित लोगों के हृदयों में होता है ना कि सामने किसी मंच पर। हमारे हृदय से निकलने वाली आराधना की परख परमेश्वर करता है। जब हम आराधना से बाहर आते हैं तो हमारे मनों में अपने प्रसन्न होने या न होने का नहीं वरन प्रश्न यह होना चाहिए कि क्या परमेश्वर मेरी आराधना से प्रसन्न हुआ? क्या मेरी आराधना सच्ची तथा उसे ग्रहणयोग्य थी?"

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम में इस्त्राएल के लिए परमेश्वर ने कई बलिदान और पर्व निर्धारित किए जो उनकी आराधना विधि का एक अंग थे। परन्तु फिर भी परमेश्वर ने कहा: "मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा। क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं" (भजन ५०:९-१०)। परमेश्वर उन लोगों से पशु नहीं आज्ञाकारिता तथा धन्यवाद चाहता था (पद २३)।

   जब हम आराधना की क्रीयाविधि और अन्य बाह्य बातों पर ध्यान केंद्रित रखते हैं तो हम आराधना का केंद्र बिंदु भूल जाते हैं - परमेश्वर के लिए सच्चे हृदय से निकलने वाला धन्यवाद और उसके प्रति वास्तविक समर्पण, जिस से वह प्रसन्न होता है, ना कि कोई औपचारिकता तथा बाह्य स्वरूप। आराधना का उद्देश्य परमेश्वर से भेंट एवं संगति करना तथा उसे प्रसन्न करना है ना कि अपने आप को। सच्ची आराधना किसी औपचारिकता को पूरा करना नहीं है, वरन सच्चे हृदय की गहराईयों से निकलने वाली परमेश्वर को अर्पित करी गई निर्मल भेंट है। - फिलिप यैन्सी


आराधना का हृदय अराधक के हृदय से निकलने वाली आराधना है।

धन्यवाद के बलिदान का चढ़ाने वाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा! - भजन ५०:२३

बाइबल पाठ: भजन ५०:७-१५
Psalms 50:7 हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूं, और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूं। परमेश्वर तेरा परमेश्वर मैं ही हूं।
Psalms 50:8 मैं तुझ पर तेरे मेल बलियों के विषय दोष नहीं लगाता, तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं।
Psalms 50:9 मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा।
Psalms 50:10 क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं।
Psalms 50:11 पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं, और मैदान पर चलने फिरने वाले जानवार मेरे ही हैं।
Psalms 50:12 यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है।
Psalms 50:13 क्या मैं बैल का मांस खाऊं, वा बकरों का लोहू पीऊं?
Psalms 50:14 परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;
Psalms 50:15 और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २६-२७ 
  • मरकुस २

मंगलवार, 19 फ़रवरी 2013

आशीष के द्वार


   कुछ समय पहले की बात है कि मैं और मेरी पत्नी एक निमंत्रण पर एक महिला के घर पर खाने के लिए गए। वो महिला भी उसी चर्च में आराधना के लिए आती थी जहाँ हम जाते थे और हमारे समान ही मसीही विश्वासी थी। हमारे लिए भोजन बनाते समय, काम करते करते उसने अपनी ऊँगुली काट ली और हमें उसे लेकर अस्पताल जाना पड़ा। अस्पताल ले जाते समय हमने उसके साथ प्रार्थना करी और फिर वहाँ उसके साथ बैठे रहे जब तक कि डॉक्टर ने उसे देख नहीं लिया और उसका इलाज नहीं कर दिया। इस सब में काफी समय बीत गया।

   इलाज होने के बाद जब हम उसे उसके घर वापस ले आए तो उस महिला ने हमें विवश किया कि हम उसके साथ उसके द्वारा तैयार किया हुआ भोजन करने बैठें। इसके बाद का समय हमारे लिए एक उत्तम आत्मिक चर्चा तथा पारस्परिक संगति का समय था जिसमें हमने ना केवल अच्छा भोजन खाया वरन उस महिला के अनुभवों और जीवन की कठिन परिस्थितियों में परमेश्वर द्वारा उसे मिली अद्भुत सहायता तथा उसके जीवन में परमेश्वर के अनुग्रह के विषय में भी जाना।

   बाद में मेरी पत्नी और मैं उस पूरी घटना पर विचार कर रहे थे कि कैसे एक अप्रत्याशित अस्पताल यात्रा के कारण हमें उत्तम आत्मिक अनुभवों और चर्चा का अवसर तथा आशीष मिली, और मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल का एक पद स्मरण हो आया: "तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो" (गलतियों ६:२)। हमारे द्वारा अपनी घायल मेज़बान की सहायता करने से उसे आशीष मिली; फिर बाद में अपने आतिथ्य, अच्छे भोजन और हमारे साथ बाँटे गए अपने आत्मिक अनुभवों के कारण वह हमारे लिए आशीष बन गई।

   हमने उस घटना से सीखा कि दुखदायी अनुभव भी एक अद्भुत और उत्तम आत्मिक संगति, शिक्षा तथा आशीष प्राप्त होने का द्वार बन सकते हैं, जब हम परमेश्वर के वचन की आज्ञाकारिता में एक दूसरे के भार उठाते हैं तथा एक दुसरे के साथ सहभागिता रखते हैं। - डेनिस फिशर


सहायतार्थ बढ़ाया हुआ हाथ दूसरों के बोझ हल्के करता है।

क्योंकि सारी व्यवस्था इस एक ही बात में पूरी हो जाती है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। - गलतियों ५:१४

बाइबल पाठ: गलतियों ६:१-१०
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो।
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो।
Galatians 6:3 क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है।
Galatians 6:4 पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा।
Galatians 6:5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे।
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा।
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा।
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे।
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २५ 
  • मरकुस १:२३-४५


सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

सपने एवं निर्णय


   मुझे अपने जीवन काल में बहुत सी अच्छी सलाह प्राप्त हुईं हैं। इस अच्छी सलाहों कि सूची में सबसे उच्च-कोटि की सलाहों में से एक है मेरे एक मित्र द्वारा कही गई बात: "जीवन देखे गए सपनों से मिलकर नहीं बनता वरन उन निर्णयों से बनता है जो जीवन की बातों के संबंध में आप करते हैं।"

   उसका कहना बिलकुल सही है - आपका आज का जीवन आपके द्वारा आज तक लिए गए सभी निर्णयों का परिणाम है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कुछ ऐसी ही सलाह दी: "यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ" (फिलिप्पियों १:१०)। किसी भी परिस्थिति के लिए अधिकांशतः हमारे पास चुनावों के अनेक विकल्प रहते हैं और हमारे चुनाव गुण्वन्ता में सर्वथा अयोग्य, साधारण, भले, उत्तम अथवा अति उत्तम हो सकते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम अपने विकल्पों को भली भांति जाँचें और अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रीयाओं में बह कर नहीं वरन सोच-समझ कर सदैव सर्वोत्तम विकल्प को ही चुनें।

   अनेक बार सर्वोत्तम विकल्प को चुनना और उसका पालन करना कठिन होता है, विशेषतः तब जब उस विकल्प को चुनने के लिए हमारे साथ कोई और खड़ा ना हो या बहुत कम लोग हमारे साथ हों। या, कभी यह लग सकता है कि किसी निर्णय-विशेष के लिए हमारी स्वाधीनता और इच्छाओं को दबाया जा रहा है। किंतु यदि आप प्रेरित पौलुस की सलाह को मानेंगे तो आप पाएंगे कि उसने सर्वोत्तम निर्णय लेने से मिलने वाली कुछ बड़ी सकारात्मक और लाभकारी बातों को बताया है, जैसे पवित्रता, निर्दोष होना और फलवन्त होना (पद ११)।

   पौलुस की सलाह को आज़मा के देखिए; निर्णय लें कि अपने जीवन में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के फलों - प्रेम, आनन्द, शांति, धीरज, दयालुता, विश्वासयोग्यता, कोमलता, आत्म-संयम (गलतियों ५:२२-२३) को लागू करेंगे और फिर परिणामस्वरूप अपने जीवन में होने वाले परिवर्तनों और मिलने वाली आशीषों तथा आपके द्वारा दूसरों की होने वाली भलाई का भरपूरी से मज़ा लें। - जो स्टोवैल


सर्वोत्तम चुनाव ही करें और आशीषित हो जाएं।

यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ। - फिलिप्पियों १:१०

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१-११
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्‍ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्‍तुति होती रहे।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २३-२४ 
  • मरकुस १:१-२२

रविवार, 17 फ़रवरी 2013

परिवर्तन


   जिन लोगों की heart-bypass अर्थात हृदय की अवरोधित नाड़ियों के खोलने या अवरोध से पार रक्त प्रवाह पुनः स्थापित करने का ऑपरेशन हुआ है उन्हें यह कहा जाता है कि वे अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाएं अन्यथा इस ऑपरेशन का कोई विशेष लाभ नहीं होगा और वे शीघ्र ही पुनः मृत्यु के कगार पर आ जाएंगे। ऐसे ऑपरेशन हुए मरीज़ों के अध्ययन से यह बात सामने आई है कि इतने गंभीर और खर्चीले ऑपरेशन तथा उससे संबंधित चेतावनी के बावजूद ९०% मरीज़ अपनी जीवन शैली में कोई परिवर्तन नहीं लाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि लोग परिवर्तन की बजाए मृत्यु को अधिक पसन्द करते हैं।

   जैसे डॉक्टर स्वस्थ रहने और मृत्यु से अधिक से अधिक समय तक बचे रहने के लिए भौतिक जीवन शैली में परिवर्तन का संदेश देते हैं, उसी प्रकार प्रभु यीशु के लिए मार्ग तैयार करने वाला - यूहन्ना बप्तिस्मादेनेवाला आत्मिक मृत्यु से बचने के लिए मन परिवर्तन या मन फिराव का सन्देश लेकर आया था; उसने कहा, "मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है" (मत्ती ३:२)। वह प्रभु यीशु के लिए, उनकी सेवकाई को आरंभ करने के लिए, लोगों को तैयार कर रहा था जिससे वे प्रभु यीशु में पापों की क्षमा तथा उद्धार का सन्देश ग्रहण कर सकें। प्रभु यीशु ने भी अपनी सेवकाई के आरंभ में इसी बात को दोहराया: "यूहन्ना के पकड़वाए जाने के बाद यीशु ने गलील में आकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार किया। और कहा, समय पूरा हुआ है, और परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो" (मरकुस १:१५)। प्रभु यीशु के स्वर्गारोहण के बाद से प्रभु यीशु के अनुयायियों के प्रचार का आधार भी यही मन-फिराव की अनिवार्यता रही है।

   मन फिराव का अर्थ है परमेश्वर की पवित्रता के सामने अपने मन की भावनाओं और अपने आचरण का विशलेषण करके अपनी जीवन शैली और अपने आचरण को परमेश्वर की इच्छाओं तथा आज्ञाओं के अनुरूप करना। यह व्यक्ति के अन्दर, उसके मन, उसकी आत्मा में परिवर्तन की बात है, उसके बाहरी स्वरूप, बाहरी आचरण अथवा किसी धर्म-परिवर्तन की नहीं। इस मन परिवर्तन के लिए सर्वप्रथम उस व्यक्ति के अन्दर अपने पापों का बोध होना, फिर उनके लिए पश्चातापी होना, तत्पश्चात उन पापों को केवल भले अथवा ’धर्म के कार्यों’ से छिपा या ढांप भर देने अथवा ’भले-बुरे का हिसाब बराबर लेने’ की नहीं वरन उन्हें जीवन से पूर्ण्तया निकाल देने की लालसा होना अनिवार्य है। जब तक मनुष्य के अन्दर उसका पाप-स्वभाव बना रहता है, मनुष्य अपने प्रयासों और कार्यों से अपने अन्दर अपने पाप स्वभाव के प्रति स्थाई तथा सच्चा परिवर्तन नहीं ला पाता। अपनी इच्छा शक्ति और प्रयासों से कुछ परिवर्तन अवश्य संभव हैं किंतु वे ना तो स्थाई होते हैं और ना ही परिपूर्ण, कहीं ना कहीं कोई ना कोई बात रह ही जाती है; और कुछ नहीं तो अन्य लोगों से भला, सिद्ध और धर्मी बन पाने का घमण्ड और अन्य लोगों से इस धार्मिकता के स्तर की पहचान और आदर पाने पाने की भावना ही उस अहम और शेष पाप-स्वभाव की उपस्थिति को दर्शाते रहते हैं। यह स्थाई परिवर्तन मनुष्य के जीवन से पाप स्वभाव के हटाए जाने के बाद ही संभव है, और पाप-स्वभाव को स्वयं अपने प्रयासों से हटा पाना मनुष्य के लिए असंभव है। संसार का इतिहास गवाह है कि किसी भी धर्म, नियम या कानून ने आज तक कभी किसी एक भी जन को पाप से मुक्ति नहीं दी है। प्रत्येक धर्म पाप के सागर में डूबते हुए मनुष्य को तैर कर बाहर आने की विधि तो बताता है किंतु उसे पाप से निकलने के लिए सक्षम नहीं करता। केवल प्रभु यीशु ही है जो पाप-सागर में जाकर मनुष्य को बाहर लेकर आता है और फिर स्वयं उसे शुद्ध करता है: "यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है" (१ युहन्ना १:९)। केवल प्रभु यीशु ही है जिसने कहा कि वह पापियों का उद्धार करने आया है, उन्हें नाश करने नहीं (मत्ती ९:१३)।

   प्रभु यीशु ने समस्त संसार के हर जन के पापों को अपने ऊपर ले लिया और उन पापों का दण्ड क्रूस पर अपने बलिदान द्वारा चुकाया, तथा मृतकों से पुनरुत्थान के द्वारा अपने परमेश्वरत्व को प्रमाणित कर दिया। अब जो कोई स्वेच्छा से प्रभु यीशु से अपने पापों को अंगीकार करके उनकी क्षमा मांगता है और अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित करता है प्रभु यीशु उसके मन से पाप स्वभाव को हटाकर अपनी धार्मिकता उसे दे देता है - उसका मन पाप से परमेश्वर की ओर परिवर्तित हो जाता है। क्योंकि परमेश्वर ना किसी धर्म विशेष का है और ना ही परमेश्वर का कोई धर्म है, और क्योंकि यह परिवर्तन परमेश्वर के समक्ष और परमेश्वर के प्रति है, इसलिए यह किसी धर्म के निर्वाह अथवा परिवर्तन की नहीं केवल उस मनुष्य और परमेश्वर के बीच की बात है और इसमें किसी अन्य मनुष्य अथवा धर्म का कोई हस्तक्षेप नहीं है। यह ना किसी दबाव, ना किसी भय, ना किसी लालच और ना किसी के प्रभावित किए जाने इत्यादि के द्वारा संभव है - क्योंकि परमेश्वर प्रत्येक मनुष्य की किसी बाहरी बात को नहीं वरन मन की वस्तविक दशा को जाँचता है और उसे कोई धोखा नहीं दे सकता। ना ही यह परिवर्तन किसी रीति-रिवाज़ के पालन अथवा क्रीया-अनुष्ठान के माध्यम से संभव है, क्योंकि परमेश्वर ना तो मनुष्यों के रीति-रिवाज़ों और क्रिया-अनुष्ठानों से बन्धा है और ना ही उनके आधीन है और इन बातों के द्वारा सच्चे और जीवते परमेश्वर को कोई किसी बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यह प्रत्येक व्यक्ति का पापों से हट कर परमेश्वर के साथ पवित्रता में चलने का स्वेच्छा से लिया गया निर्णय है। इस मन फिराव की सच्चाई एवं सार्थकता बोलने भर से नहीं वरन उस व्यक्ति के जीवन, व्यवहार और विचारों में आए परिवर्तन द्वारा विदित एवं प्रमाणित होती है (मत्ती ३:८)।

   यही सुसमाचार है - पाप-स्वभाव तथा पाप के दासत्व से निकलकर परमेश्वर के साथ पवित्रता का जीवन प्रभु यीशु में संभव है और संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है, और इसी मन-फिराव के लिए परमेश्वर आज भी पृथ्वी के समस्त लोगों को सुसमाचार प्रचार द्वारा बुला रहा है - आप को भी। - मार्विन विलियम्स


मन-फिराव का अर्थ पाप से इतनी घृणा करना है कि पाप-स्वभाव से पलट जाने की लालसा जीवन में सर्वोपरी हो जाए।

और यरूशलेम से ले कर सब जातियों में मन फिराव का और पापों की क्षमा का प्रचार, उसी [यीशु] के नाम से किया जाएगा। - लूका २४:४७

बाइबल पाठ: मत्ती ३:१-१२
Matthew 3:1 उन दिनों में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला आकर यहूदिया के जंगल में यह प्रचार करने लगा। कि
Matthew 3:2 मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।
Matthew 3:3 यह वही है जिस की चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई कि जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो।
Matthew 3:4 यह यूहन्ना ऊंट के रोम का वस्‍त्र पहिने था, और अपनी कमर में चमड़े का पटुका बान्‍धे हुए था, और उसका भोजन टिड्डियां और बनमधु था।
Matthew 3:5 तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस पास के सारे देश के लोग उसके पास निकल आए।
Matthew 3:6 और अपने अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उस से बपतिस्मा लिया।
Matthew 3:7 जब उसने बहुतेरे फरीसियों और सदूकियों को बपतिस्मा के लिये अपने पास आते देखा, तो उन से कहा, कि हे सांप के बच्‍चों तुम्हें किस ने जता दिया, कि आने वाले क्रोध से भागो?
Matthew 3:8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ।
Matthew 3:9 और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है।
Matthew 3:10 और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।
Matthew 3:11 मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूं, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्तिशाली है; मैं उस की जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।
Matthew 3:12 उसका सूप उस के हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा, और अपने गेहूं को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने की नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था २१-२२ 
  • मत्ती २८

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

खज़ाना


   मेरा पालन-पोषण अमेरिका के मिस्सूरी प्रांत के एक ग्रामीण इलाके में हुआ था। उसी इलाके में, १९वीं शताब्दी का कुख्यात अपराधी जैस्सी जेम्स भी रहा करता था। मैं और मेरे मित्र मानते थे कि निश्चित रुप से जैस्सी जेम्स ने कोई खज़ाना वहाँ पर कहीं दबा रखा था, और हम आस पास के जंगलों मे उस खज़ाने को ढूंढते रहते थे, इस आशा में कभी ना कभी हम धन से भरा कोई थैला अवश्य खोज निकालेंगे। अपने इस प्रयास में हम कभी कभी एक वृद्ध लकड़हारे से भी टकरा जाते। वर्षों तक हमने उस लकड़हारे को फटेहाल दशा में लकड़ी काटते और मार्गों पर खाली बोतलों और टिन के डब्बों को जमा करते देखा, जो उसके लिए एक प्रकार का खज़ाना थे। इस रास्ते के कबाड़ को उठाकर वह बेच देता और उन पैसों से अपने लिए कुछ खरीद कर अपने टूटे-फूटे घर में चला जाता। उसके मरने के पश्चात उसके परिवार के लोगों ने जब उसके घर की तलाशी ली तो उस जर्जर घर में नोटों के कई बण्डल उन्हें मिले!

   उस लकड़हारे के समान ही, जिसने अपने पास विद्यमान खज़ाने की अन्देखी करते हुए अपने जीवन को व्यर्थ ही दरिद्रता में बिता दिया, हम मसीही विश्वासी भी परमेश्वर के वचन बाइबल के अद्भुत खज़ानों को नज़रन्दाज़ करते रहते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर के वचन की सभी बातें हमारे उपयोग के लिए हैं, और हर खंड तथा बात के वहां लिखे जाने का उद्देश्य है। जितना अधिक हम परमेश्वर के वचन को जानेंगे और मानेंगे, उतना ही अधिक हमारे जीवन सफलता तथा शांति से भरे होंगे।

   उदाहरणस्वरूप, थोड़ा विचार कीजिए, लैव्यवस्था नामक पुस्तक में कितनी बहुमूल्य बातें छिपी हैं। लैव्यवस्था के १९वें अध्याय के केवल ७ पदों में ही परमेश्वर ने हमारी शिक्षा के लिए कितनी महत्वपुर्ण बातें रख दीं हैं। इस खंड में परमेश्वर हमें सिखा रहा है कि निर्धन एवं असहायों की सहायता हमें बिना उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचाए करनी है (पद ९, १०, १४); हमें अपने व्यवसाय ईमानदारी के साथ चलाने हैं (पद ११, १३, १५); अपने दैनिक जीवन में परमेश्वर को आदर देना है (पद १२)।

   यदि थोड़े से पदों में इतना बहुमूल्य खज़ाना छिपा हो सकता है, तो ज़रा विचार कीजिए कि यदि हम परमेश्वर के वचन बाइबल से नियमित रूप से और प्रतिदिन खोजेंगे तो कितना कुछ पा सकेंगे। परमेश्वर ने अपना खज़ाना हमारे हाथों में दे दिया है, उसका उपयोग करना हमारी ज़िम्मेवारी है। - रैंडी किलगोर


बाइबल का हर शब्द एक उद्देश्य के साथ लिखा गया है; बाइबल की हर बात बहुमूल्य है।

मेरी आंखें खोल दे, कि मैं तेरी व्यवस्था की अद्भुत बातें देख सकूं। - भजन ११९:१८

बाइबल पाठ: भजन ११९:९-१५
Psalms 119:9 जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से।
Psalms 119:10 मैं पूरे मन से तेरी खोज मे लगा हूं; मुझे तेरी आज्ञाओं की बाट से भटकने न दे!
Psalms 119:11 मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं।
Psalms 119:12 हे यहोवा, तू धन्य है; मुझे अपनी विधियां सिखा!
Psalms 119:13 तेरे सब कहे हुए नियमों का वर्णन, मैं ने अपने मुंह से किया है।
Psalms 119:14 मैं तेरी चितौनियों के मार्ग से, मानों सब प्रकार के धन से हर्षित हुआ हूं।
Psalms 119:15 मैं तेरे उपदेशों पर ध्यान करूंगा, और तेरे मार्गों की ओर दृष्टि रखूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था १९-२० 
  • मत्ती २७:५१-६६