मुझे अपने जीवन काल में बहुत सी अच्छी सलाह प्राप्त हुईं हैं। इस अच्छी सलाहों कि सूची में सबसे उच्च-कोटि की सलाहों में से एक है मेरे एक मित्र द्वारा कही गई बात: "जीवन देखे गए सपनों से मिलकर नहीं बनता वरन उन निर्णयों से बनता है जो जीवन की बातों के संबंध में आप करते हैं।"
उसका कहना बिलकुल सही है - आपका आज का जीवन आपके द्वारा आज तक लिए गए सभी निर्णयों का परिणाम है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों के विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में कुछ ऐसी ही सलाह दी: "यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ" (फिलिप्पियों १:१०)। किसी भी परिस्थिति के लिए अधिकांशतः हमारे पास चुनावों के अनेक विकल्प रहते हैं और हमारे चुनाव गुण्वन्ता में सर्वथा अयोग्य, साधारण, भले, उत्तम अथवा अति उत्तम हो सकते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम अपने विकल्पों को भली भांति जाँचें और अपनी स्वाभाविक प्रतिक्रीयाओं में बह कर नहीं वरन सोच-समझ कर सदैव सर्वोत्तम विकल्प को ही चुनें।
अनेक बार सर्वोत्तम विकल्प को चुनना और उसका पालन करना कठिन होता है, विशेषतः तब जब उस विकल्प को चुनने के लिए हमारे साथ कोई और खड़ा ना हो या बहुत कम लोग हमारे साथ हों। या, कभी यह लग सकता है कि किसी निर्णय-विशेष के लिए हमारी स्वाधीनता और इच्छाओं को दबाया जा रहा है। किंतु यदि आप प्रेरित पौलुस की सलाह को मानेंगे तो आप पाएंगे कि उसने सर्वोत्तम निर्णय लेने से मिलने वाली कुछ बड़ी सकारात्मक और लाभकारी बातों को बताया है, जैसे पवित्रता, निर्दोष होना और फलवन्त होना (पद ११)।
पौलुस की सलाह को आज़मा के देखिए; निर्णय लें कि अपने जीवन में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के फलों - प्रेम, आनन्द, शांति, धीरज, दयालुता, विश्वासयोग्यता, कोमलता, आत्म-संयम (गलतियों ५:२२-२३) को लागू करेंगे और फिर परिणामस्वरूप अपने जीवन में होने वाले परिवर्तनों और मिलने वाली आशीषों तथा आपके द्वारा दूसरों की होने वाली भलाई का भरपूरी से मज़ा लें। - जो स्टोवैल
सर्वोत्तम चुनाव ही करें और आशीषित हो जाएं।
यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ। - फिलिप्पियों १:१०
बाइबल पाठ: फिलिप्पियों १:१-११
Philippians 1:1 मसीह यीशु के दास पौलुस और तीमुथियुस की ओर से सब पवित्र लोगों के नाम, जो मसीह यीशु में हो कर फिलिप्पी में रहते हैं, अध्यक्षों और सेवकों समेत।
Philippians 1:2 हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से तुम्हें अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
Philippians 1:3 मैं जब जब तुम्हें स्मरण करता हूं, तब तब अपने परमेश्वर का धन्यवाद करता हूं।
Philippians 1:4 और जब कभी तुम सब के लिये बिनती करता हूं, तो सदा आनन्द के साथ बिनती करता हूं।
Philippians 1:5 इसलिये, कि तुम पहिले दिन से ले कर आज तक सुसमाचार के फैलाने में मेरे सहभागी रहे हो।
Philippians 1:6 और मुझे इस बात का भरोसा है, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।
Philippians 1:7 उचित है, कि मैं तुम सब के लिये ऐसा ही विचार करूं क्योंकि तुम मेरे मन में आ बसे हो, और मेरी कैद में और सुसमाचार के लिये उत्तर और प्रमाण देने में तुम सब मेरे साथ अनुग्रह में सहभागी हो।
Philippians 1:8 इस में परमेश्वर मेरा गवाह है, कि मैं मसीह यीशु की सी प्रीति कर के तुम सब की लालसा करता हूं।
Philippians 1:9 और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
Philippians 1:10 यहां तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो; और ठोकर न खाओ।
Philippians 1:11 और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे।
एक साल में बाइबल:
- लैव्यवस्था २३-२४
- मरकुस १:१-२२
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