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गुरुवार, 24 मई 2018

चालक


   वायु-यान की एक आरामदेह उड़ान में शीघ्र ही गड़बड़ी होने वाली थी। उड़ान के  दौरान दी जाने वाली खाना-पान सेवा को रोकते हुए वायु-यान के कप्तान ने घोषणा की कि सभी यात्री अपने स्थानों को ग्रहण कर लें और अपने सीट-बेल्ट बाँध लें। शीघ्र ही वायु-यान समुद्र एक जहाज़ के समान हिचकोले लेने लगा। सभी यात्री इन हिचकोलों में अपने आप को स्थिर बनाए रखने के प्रयास कर रहे थे, अपनी घबराहट को दबाने के प्रयास कर रहे थे। ऐसे में एक बालिका शान्ति से अपनी सीट पर बैठी, अपनी पुस्तक पढ़ रही थी, मनो कुछ हो ही नहीं रहा था। वायु-यान के सुरक्षित ज़मीन पर उतरने के पश्चात उस बालिका से पूछा गया कि वह इतनी शान्त कैसे बनी रही? उसने उत्तर दिया, “वायु-यान के चालक मेरे पिताजी हैं, और वे मुझे घर लेकर जा रहे हैं; तो फिर मुझे किस बात का डर होगा?”

   परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड में, मरकुस रचित सुसमाचार में हम प्रभु यीशु मसीह और उनके शिष्यों के साथ हुई घटना के विषय में पढ़ते हैं, जब एक तूफ़ान ने उन अनुभवी मछुआरों की नाव को डुबोने का प्रयास किया। यद्यपि वे शिष्य प्रभु यीशु के निर्देशानुसार नाव में जा रहे थे, तो फिर उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा था? (मरकुस 4:35-38)। प्रभु यीशु उनके साथ था, परन्तु नाव के पिछले भाग में सो रहा था। उस दिन उस घटना से उन शिष्यों ने सीखा कि यदि वे प्रभु की आज्ञानुसार भी करेंगे, तो भी जीवन में तूफानों का सामना करना पड़ेगा। परन्तु क्योंकि प्रभु उनके साथ था, इसलिए कोई भी तूफ़ान उन्हें उनके प्रभु द्वारा निर्धारित गंतव्य तक पहुँचने से रोक नहीं पाएगा (5:1)।

   आज आपके जीवन में कोई भी तूफ़ान हो, वह चाहे किसी त्रासदी या दुर्घटना के कारण हो, चाहे नौकरी के चले जाने के कारण हो, या अन्य कोई भी परिक्षा अथवा परिस्थिति हो, हम मसीही विश्वासी सदा आश्वस्त रह सकते हैं कि किसी तूफ़ान से हमारी कोई हानि नहीं होगी। हमारे जीवनों का चालक, किसी भी तूफ़ान का सामना कर सकता है, हमारी जीवन-नैया को सुरक्षित पार लगा सकता है, हमें हमारे अनन्तकाल के निवास-स्थान पहुँचा सकता है। - सी. पी. हिया


जब प्रभु यीशु मसीह हमारे साथ है 
तो हमें किसी तूफ़ान से डराने की कोई आवश्यकता नहीं है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: मरकुस 4:35-5:1
Mark 4:35 उसी दिन जब सांझ हुई, तो उसने उन से कहा; आओ, हम पार चलें,
Mark 4:36 और वे भीड़ को छोड़कर जैसा वह था, वैसा ही उसे नाव पर साथ ले चले; और उसके साथ, और भी नावें थीं।
Mark 4:37 तब बड़ी आन्‍धी आई, और लहरें नाव पर यहां तक लगीं, कि वह अब पानी से भरी जाती थी।
Mark 4:38 और वह आप पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था; तब उन्होंने उसे जगाकर उस से कहा; हे गुरू, क्या तुझे चिन्‍ता नहीं, कि हम नाश हुए जाते हैं?
Mark 4:39 तब उसने उठ कर आन्‍धी को डांटा, और पानी से कहा; “शान्‍त रह, थम जा”: और आन्‍धी थम गई और बड़ा चैन हो गया।
Mark 4:40 और उन से कहा; तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?
Mark 4:41 और वे बहुत ही डर गए और आपस में बोले; यह कौन है, कि आन्‍धी और पानी भी उस की आज्ञा मानते हैं?
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 22-24
  • यूहन्ना 8:28-59


बुधवार, 23 मई 2018

सुरक्षा


   रूत परदेशी थी, विधवा थी, निर्धन थी। सँसार के अनेकों स्थानों पर आज भी उसे नाचीज़, वह जिसके भविष्य में कोई आशा नहीं थी, समझा जाता ।

   किन्तु रूत को उसके दिवंगत पति के एक कुटुम्बी, बोआज, की कृपादृष्टि प्राप्त हुई। बोआज संपन्न था, खेतों का स्वामी था; और रूत को उसी के खेतों में से नीचे गिरा हुआ अनाज बीनने की अनुमति मिली हुई थी। उसकी कृपादृष्टि के लिए रूत ने बोआज से पूछा, “...क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि कर के मेरी सुधि ली है?” (रूत 2:10)।

   बोआज ने, जिसने रूत पर कृपादृष्टि की थी, उसे सच्चाई से उत्तर दिया – उसने रूत द्वारा अपनी सास नाओमी के साथ किए गए भले व्यवहार के बारे में, और कैसे रूत ने अपने लोगों और देश को छोड़कर, नाओमी के साथ रहने और उसके परमेश्वर को अपना परमेश्वर मानने के निर्णय के बारे में सुना था। बोआज ने प्रार्थना की कि परमेश्वर रूत को आशीष दे। बाद में जब रूत का कुटुम्बी छुड़ानेवाला होने के नाते बोआज ने रूत से विवाह किया, तो वह रूत की प्रार्थना के उत्तर का एक भाग और उसे सुरक्षा प्रदान करने वाला भी बन गया।

   रूत के समान, हम भी परमेश्वर से दूर, और परदेशी थे। हम भी अचरज कर सकते हैं कि हमारे इतना अयोग्य होने के बावजूद क्यों परमेश्वर ने हम से प्रेम करने का निर्णय लिया? उत्तर हम में नहीं है, परन्तु परमेश्वर के चरित्र में है: “परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा” (रोमियों 5:8)। प्रभु यीशु मसीह हमारा मुक्तिदाता बन गया है। हम जब उसके पास अपने पापों के लिए पश्चाताप और उसके प्रति समर्पण तथा पापों के लिए क्षमा याचना के साथ आते हैं, वह हमें अनन्त काल के लिए अपनी सुरक्षा में ले लेता है। - कीला ओकोआ


अयोग्य होने पर भी, परमेश्वर द्वारा दिखाए गए महान प्रेम के प्रति 
कृतज्ञता ही आभारी हृदय की प्रतिक्रया है।

प्रभु यहोवा, जो निकाले हुए इस्राएलियों को इकट्ठे करने वाला है, उसकी यह वाणी है कि जो इकट्ठे किए गए हैं उनके साथ मैं औरों को भी इकट्ठे कर के मिला दूंगा। - यशायाह 56:8

बाइबल पाठ: रूत 2:1-11
Ruth 2:1 नाओमी के पति एलीमेलेक के कुल में उसका एक बड़ा धनी कुटुम्बी था, जिसका नाम बोअज था।
Ruth 2:2 और मोआबिन रूत ने नाओमी से कहा, मुझे किसी खेत में जाने दे, कि जो मुझ पर अनुग्रह की दृष्टि करे, उसके पीछे पीछे मैं सिला बीनती जाऊं। उसने कहा, चली जा, बेटी।
Ruth 2:3 सो वह जा कर एक खेत में लवने वालों के पीछे बीनने लगी, और जिस खेत में वह संयोग से गई थी वह एलीमेलेक के कुटुम्बी बोअज का था।
Ruth 2:4 और बोअज बेतलेहेम से आकर लवने वालों से कहने लगा, यहोवा तुम्हारे संग रहे, और वे उस से बोले, यहोवा तुझे आशीष दे।
Ruth 2:5 तब बोअज ने अपने उस सेवक से जो लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था पूछा, वह किस की कन्या है।
Ruth 2:6 जो सेवक लवने वालों के ऊपर ठहराया गया था उसने उत्तर दिया, वह मोआबिन कन्या है, जो नाओमी के संग मोआब देश से लौट आई है।
Ruth 2:7 उसने कहा था, मुझे लवने वालों के पीछे पीछे पूलों के बीच बीनने और बालें बटोरने दे। तो वह आई, और भोर से अब तक यहीं है, केवल थोड़ी देर तक घर में रही थी।
Ruth 2:8 तब बोअज ने रूत से कहा, हे मेरी बेटी, क्या तू सुनती है? किसी दूसरे के खेत में बीनने को न जाना, मेरी ही दासियों के संग यहीं रहना।
Ruth 2:9 जिस खेत को वे लवतीं हों उसी पर तेरा ध्यान बन्धा रहे, और उन्हीं के पीछे पीछे चला करना। क्या मैं ने जवानों को आज्ञा नहीं दी, कि तुझ से न बोलें? और जब जब तुझे प्यास लगे, तब तब तू बरतनों के पास जा कर जवानों का भरा हुआ पानी पीना।
Ruth 2:10 तब वह भूमि तक झुककर मुंह के बल गिरी, और उस से कहने लगी, क्या कारण है कि तू ने मुझ परदेशिन पर अनुग्रह की दृष्टि कर के मेरी सुधि ली है?
Ruth 2:11 बोअज ने उत्तर दिया, जो कुछ तू ने पति मरने के पीछे अपनी सास से किया है, और तू किस रीति अपने माता पिता और जन्मभूमि को छोड़कर ऐसे लोगों में आई है जिन को पहिले तू ने जानती थी, यह सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 19-21
  • यूहन्ना 8:1-27


मंगलवार, 22 मई 2018

लक्ष्य



   सुप्रसिद्ध मसीही लेखक तथा प्रचारक सी. एस. ल्युईस द्वारा लिखित Chronicles of Narnia श्रंखला की पुस्तकों के एक पात्र दृढ़ बातूनी चूहे – रीपिचीप को मैं बहुत पसंद करता हूँ। वह सुदूर पूर्व में महान बब्बर सिंह असलन [जो कहानी में प्रभु यीशु मसीह का प्रतीक है] के साथ जाकर मिलना चाहता है, और ऐसा करने के लिए दृढ़ निश्चय है। रीपिचीप अपने इस दृढ़ निर्णय के विषय कहता है, “जब तक मुझ से हो सकेगा, मैं पूर्व की ओर जलपोत में यात्रा करूँगा। यदि जलपोत अक्षम हो जाएगा तो उसमें से एक छोटी नौका लेकर उसे पूर्व की ओर खेने लगूँगा, यदि वह भी डूब गई, तो अपने चारों हाथों-पांवों से पूर्व की ओर तैरूँगा, और फिर जब मैं और तैरने नहीं पाऊँगा, यदि तब तक मैं असलन के देश में नहीं पहुँचा होऊंगा, तो अपनी नाक सूर्योदय की ओर करके डूब जाऊँगा।”

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस ने इसी दृढ़ निश्चय को दूसरे शब्दों में व्यक्त किया, “निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं...” (फिलिप्पियों 3:14)। उसका लक्ष्य प्रभु यीशु के समान होना था; उसे और किसी बात से कोई सरोकार नहीं था। पौलुस ने स्वीकार किया कि इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए उसे बहुत दूर जाना होगा, परन्तु वह तब तक पीछे नहीं हटेगा जब तक वह उसे न प्राप्त कर ले जिसके लिए प्रभु यीशु मसीह ने उसे बुलाया था।

   हम में से कोई भी वैसा नहीं है जैसा हमें होना चाहिए। परन्तु पौलुस प्रेरित के समान अपने उस लक्ष्य की ओर प्रार्थना के साथ अग्रसर बने रह सकते हैं। पौलुस के समान हमें भी यह कहना पड़ सकता है कि, “यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ।” लेकिन दुर्बलता, असफलता, थकान के बावजूद हमें आगे बढ़ते ही जाना है (पद 12)। परन्तु सब कुछ परमेश्वर पर निर्भर करता है; उसके बिना हम कुछ नहीं कर सकते हैं।

   परमेश्वर आपके साथ है, आपको लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है, अग्रसर रहें। - डेविड रोपर


अग्रसर रहने के लिए आवश्यक सामर्थ्य परमेश्वर प्रदान करता है।

जो मुझे सामर्थ्य देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं। - फिलिप्पियों 4:13

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:12-16
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिद्ध हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था।
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ।
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है।
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 16-18
  • यूहन्ना 7:28-53



सोमवार, 21 मई 2018

निवास स्थान



   ब्रिटिश जनरल और संसद सदस्य जेम्स ओग्लेथोर्प का दर्शन एक महान नगर बनाने का था। उन्हें उत्तरी अमेरिका में जॉर्जिया प्रांत को बसाने का बीड़ा दिया गया था। उन्होंने अपने दर्शन के अनुसार वहाँ एक नगर स्थापित करने की योजना बनाई। अपनी इस योजना में उन्होंने अनेकों चौकोर स्थानों को परस्पर निकटता में बनाया। प्रत्येक चौकोर स्थान में चर्च और दुकानों के लिए स्थान और हरित स्थान थे, और शेष इलाका, रिहायशी मकान बनाए जाने के लिए था। उस समय जेम्स ओग्लेथोर्प द्वारा दर्शन के साथ बनाया गया शहर सवान्ना, आज अमेरिका के दक्षिणी क्षेत्र का उत्कृष्ठ शहर है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की अंतिम पुस्तक, प्रकाशिवाक्य, के 21 अध्याय में यूहन्ना ने एक भिन्न नगर – नए यरूशलेम का दर्शन देखा। यूहन्ना ने इस शहर के बारे जो वर्णन दिया है वह उसकी परियोजना एवँ बनावट के विषय में कम और उसमें निवास करने वालों के चरित्र के बारे में अधिक है। जब यूहन्ना ने हम मसीही विश्वासियों के अनन्तकाल के निवास स्थान का वर्णन किया, तो उसने लिखा, “फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा” (पद 3)। जो वहाँ था – परमेश्वर पिता – उसकी उपस्थित के कारण यह निवास स्थान उस बात के लिए उल्लेखनीय है जो वहाँ नहीं होगी। यशायाह 25:8 को उद्धृत करते हुए यूहन्ना ने लिखा, “और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं” (पद 4)।

   फिर कोई मृत्यु नहीं होगी! न ही कोई विलाप या पीड़ा रहेगी। हमारे दुखों के स्थान पर परमेश्वर की अद्भुत चंगाई और शान्ति देने वाली, सृष्टि के परमेश्वर की उपस्थिति आ जाएगी। यही वह स्थान है जिसे आज प्रभु यीशु अपने विश्वासियों, अनुयायियों के लिए तैयार कर रहा है; उनके लिए जो पश्चाताप के साथ उससे अपने पापों की क्षमा माँगकर अपना जीवन उसे समर्पित कर देते हैं। - बिल क्राउडर


हे प्रभु, जब आप हमारे लिए स्थान तैयार कर रहे हैं, 
तो उस स्थान के लिए हमें भी तैयार करें।

तुम्हारा मन व्याकुल न हो, तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी विश्वास रखो। मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जा कर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो। - यूहन्ना 14:1-3

बाइबल पाठ: प्रकाशितवाक्य 21:1-7
Revelation 21:1 फिर मैं ने नये आकाश और नयी पृथ्वी को देखा, क्योंकि पहिला आकाश और पहिली पृथ्वी जाती रही थी, और समुद्र भी न रहा।
Revelation 21:2 फिर मैं ने पवित्र नगर नये यरूशलेम को स्वर्ग पर से परमेश्वर के पास से उतरते देखा, और वह उस दुल्हिन के समान थी, जो अपने पति के लिये सिंगार किए हो।
Revelation 21:3 फिर मैं ने सिंहासन में से किसी को ऊंचे शब्द से यह कहते सुना, कि देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा; और उन का परमेश्वर होगा।
Revelation 21:4 और वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।
Revelation 21:5 और जो सिंहासन पर बैठा था, उसने कहा, कि देख, मैं सब कुछ नया कर देता हूं: फिर उसने कहा, कि लिख ले, क्योंकि ये वचन विश्वास के योग्य और सत्य हैं।
Revelation 21:6 फिर उसने मुझ से कहा, ये बातें पूरी हो गई हैं, मैं अलफा और ओमिगा, आदि और अन्‍त हूं: मैं प्यासे को जीवन के जल के सोते में से सेंतमेंत पिलाऊंगा।
Revelation 21:7 जो जय पाए, वही इन वस्‍तुओं का वारिस होगा; और मैं उसका परमेश्वर होऊंगा, और वह मेरा पुत्र होगा।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 13-15
  • यूहन्ना 7:1-27



रविवार, 20 मई 2018

व्यवाहारिक



   अफ्रीका के अपने बचपन को स्मरण करते हुए सैम ने बताया, “हमारी माँ, रात को सोने से पहले हमें मिर्च खिला देती थी, और अपने मूँह की जलन हटाने को हम बहुत पानी पीते थे, जिससे पेट भरा हुआ हो जाता था। यह अच्छा नहीं था।”

   सरकार में हुई उथल-पुत्थल के कारण सैम के पिता की जान पर बन आई, और वे जान बचाने के लिए बच्चों को माँ के पास छोड़कर भाग गए। अब बच्चों का पालन-पोषण माँ की जिम्मेदारी थी। सैम के भाई को सिकल सेल अनीमिया नामक बीमारी थी, जिसमें शरीर में रक्त ठीक से नहीं बनाता है, और उनके पास उसके इलाज के लिए पैसे नहीं थे। उनकी माँ उन्हें प्रति इतवार चर्च लेकर जाया करती थी, परन्तु सैम को उससे कोई लाभ नहीं दिखता था। वह यही सोचा करता था कि “परमेश्वर हमारे परिवार को इस प्रकार दुःख कैसे उठाने दे सकता है?

   फिर एक दिन एक व्यक्ति ने उनकी दुर्दशा के बारे में सुना, और उनकी सहायता के लिए कुछ दवा लेकर आया। उनकी माँ ने कहा, “अब इतवार को हम इस व्यक्ति के चर्च में जाएंगे।” उस नए चर्च में आरंभ से ही सैम ने कुछ भिन्न अनुभव किया। वे प्रभु यीशु के साथ अपने संबंध को व्यवाहारिक प्रेम के द्वारा प्रदर्शित करते थे।

   यह तीन दशक पहले की घटना है। आज, सँसार के इस भाग में, सैम ने 20 से भी अधिक चर्च, एक बड़ा स्कूल, और एक अनाथालय आरंभ किए हैं। वह प्रभु यीशु के भाई याकूब द्वारा सिखाई गाए व्यावाहरिक प्रेम की विरासत, “परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं” (याकूब 1:22), को ज़ारी रखे हुए है, क्योंकि “हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें” (याकूब 1:27)।

   प्रभु यीशु के नाम में किए गए एक साधारण से व्यावाहरिक प्रेम भरे कार्य द्वारा क्या कुछ हो सकता है, हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। - टिम गुस्ताफसन


कभी-कभी सबसे अच्छी गवाही दयालुता होती है।

जो मुझ से, हे प्रभु, हे प्रभु कहता है, उन में से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्‍वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। - मत्ती 7:21

बाइबल पाठ: याकूब 1:21-27
James 1:21 इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर कर के, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
James 1:22 परन्तु वचन पर चलने वाले बनो, और केवल सुनने वाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं।
James 1:23 क्योंकि जो कोई वचन का सुनने वाला हो, और उस पर चलने वाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्‍वाभाविक मुंह दर्पण में देखता है।
James 1:24 इसलिये कि वह अपने आप को देख कर चला जाता, और तुरन्त भूल जाता है कि मैं कैसा था।
James 1:25 पर जो व्यक्ति स्‍वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर नहीं, पर वैसा ही काम करता है।
James 1:26 यदि कोई अपने आप को भक्त समझे, और अपनी जीभ पर लगाम न दे, पर अपने हृदय को धोखा दे, तो उस की भक्ति व्यर्थ है।
James 1:27 हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति यह है, कि अनाथों और विधवाओं के क्‍लेश में उन की सुधि लें, और अपने आप को संसार से निष्‍कलंक रखें।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 10-12
  • यूहन्ना 6:45-71



शनिवार, 19 मई 2018

महान साहित्य



   हाल ही में मैंने एक लेख पढ़ा जिसमें समझाया गया था कि महान साहित्य के गुण क्या होते हैं। लेखक का कहना था कि महान साहित्य वह है जो “आपके अन्दर परिवर्तन लाता है; उसे पढ़ने और स्वीकार करने के बाद, आप एक भिन्न व्यक्ति हो जाते हैं।”

   इस परिभाषा की कसौटी पर, परमेश्वर का वचन बाइबल सदा ही “महान साहित्य” रहेगी। बाइबल को पढ़ना हमें बेहतर बनने के लिए चुनौती देता है। बाइबल के नायकों की जीवनियाँ और घटनाएँ हमें साहसिक तथा दृढ़ एवँ धैर्यवान बनने की प्रेरणा देती हैं। उसमें की बुद्दिमता तथा भाविष्यद्वकताओं की पुस्तकें हमें अपने पतित स्वभाव के अनुसार जीवन बिताने के खतरे से आगाह करती हैं। परमेश्वर ने कुछ लोगों के द्वारा हमारे मार्गदर्शन के लिए भजन लिखवाए हैं। प्रभु यीशु मसीह की शिक्षाएँ हमारे चरित्र और व्यवहार को प्रभु के चरित्र एवँ व्यवहार के अनुरूप ढालने के लिए प्रेरित करती हैं। पौलुस तथा अन्य प्रेरितों की लिखी पत्रियां एवँ पुस्तकें पवित्र जीवन जीने के लिए हमारे हृदयों को तैयार करती हैं, मार्ग दिखाती हैं। जब हम बाइबल अध्ययन में समर्पण के साथ प्रभु परमेश्वर के चरणों में बैठते हैं, उससे व्यावहारिक जीवन के लिए समझ-बूझ माँगते हैं, तो परमेश्वर का पवित्र-आत्मा बाइबल की इन बातों और गुणों को हमारे जीवनों में कार्यकारी करता है और हमारे जीवनों को परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप जीवन में बदलने का कार्य करता है।

   भजन 119 के लेखक ने परमेश्वर के वचन तथा उसके प्रभावों पर यह भजन लिखा है। उसने पहचाना कि मूसा द्वारा दिए गए प्राचीन लेखों से लेकर बाद तक के परमेश्वर के वचन के सभी भाग उसे अपने शिक्षकों से भी अधिक बुद्धिमान और समझदार बनाते हैं (पद 99); उसे बुराई से बचाए रखते हैं (पद 101)। इसलिए इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि भजनकार ने  कहा, “अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है”; तथा “तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!” (पद 97, 103)।

   महान साहित्य के प्रति प्रेम के आनन्द में; विशेषकर परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन की आशीषों में आपका स्वागत है। - जो स्टोवेल


परमेश्वर का पवित्र-आत्मा, परमेश्वर के वचन बाइबल के द्वारा, 
परमेश्वर के लोगन के जीवनों को संवारता और सुधारता है।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: भजन 119:97-104
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है।
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं।
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है।
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं।
Psalms 119:101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं।
Psalms 119:102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है।
Psalms 119:103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
Psalms 119:104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 7-9
  • यूहन्ना 6:22-44



शुक्रवार, 18 मई 2018

रोटी



   मैंने प्रभु की प्रार्थना करना अपने बचपन में ही, प्रात्मिक विद्यालय के छात्र होने के समय में सीख लिया था। वह प्रार्थना बोलते समय, मैं जब भी उसकी पंक्ति, “हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर” (लूका 11:3) पर आता, तो मेरा ध्यान अवश्य ही उस पावरोटी पर चला जाता जिसे खाने का अवसर हमें कम ही मिलता था। हमें वह पावरोटी तब ही खाने को मिलती थी जब पिताजी शहर के दौरे से लौटते समय उसे साथ लेकर आते थे। इसलिए परमेश्वर से रोज की रोटी देने की प्रार्थना करना मेरे लिए प्रासंगिक प्रार्थना थी।

   वर्षों बाद जब मैंने पुस्तिका Our Daily Bread को देखा तो मैं बहुत उत्सुक्त हुआ। मैं यह तो समझ गया कि उस पुस्तिका का यह शीर्षक प्रभु की प्रार्थना से आया था, साथ ही मैं यह भी समझा गया कि उस पुस्तिका में रोटी पकाने वालों की दुकान से आने वाले पावरोटी के बारे में तो नहीं लिखा होगा। जब मैंने उसे नियमित पढ़ना आरंभ किया तब मैं समझने पाया कि उसका शीर्षक “रोटी” से कैसे संबंधित था। उस पुस्तिका में दिए गए लेख और परमेश्वर के वचन बाइबल के खण्ड हमारी आत्मा के लिए आत्मिक भोजन हैं, इसी लिए वह रोज़ की रोटी थी।

   बाइबल के नए नियम खण्ड में प्रभु यीशु के साथ घटी एक घटना में भी हम इस आत्मिक भोजन के महत्व को देखते हैं। प्रभु यीशु को मार्था और मरियम ने अपने घर में आमंत्रित किया। मरियम ने आत्मिक भोजन ग्रहण करना चुना और प्रभु के चरणों पर बैठकर ध्यान से उनकी बातें सुनने लगी; जबकि उसकी बहन मार्था शारीरिक भोजन और आव-भगत में लगकर थक गई, खिसिया गई। इस बात को लेकर प्रभु ने मार्था को समझाया कि जो मरियम ने चुना वह ही उत्तम तथा चिरस्थाई था (लूका 10:42)।

   हम भी अपने दिनचर्या में प्रभु यीशु के साथ बिताने के लिए समय निकालना आरंभ करें। प्रभु यीशु हमारे लिए जीवन की रोटी है (यूहन्ना 6:35); केवल वही है जो आत्मिक भोजन से हमारे हृदयों को पोषित कर सकता है, संतुष्ट कर सकता है। - लॉरेंस दरमानी


आत्मिक पोषण और संतुष्टि के लिए जीवन की रोटी प्रभु यीशु मसीह को 
अपने जीवन का दैनिक भाग बना लीजिए।

यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा। - यूहन्ना 6:35

बाइबल पाठ: लूका 10:38-11:4
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा।
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी।
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे।
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है।
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।
Luke 11:1 फिर वह किसी जगह प्रार्थना कर रहा था: और जब वह प्रार्थना कर चुका, तो उसके चेलों में से एक ने उस से कहा; हे प्रभु, जैसे यूहन्ना ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखलाया वैसे ही हमें भी तू सिखा दे।
Luke 11:2 उसने उन से कहा; जब तुम प्रार्थना करो, तो कहो; हे पिता, तेरा नाम पवित्र माना जाए, तेरा राज्य आए।
Luke 11:3 हमारी दिन भर की रोटी हर दिन हमें दिया कर।
Luke 11:4 और हमारे पापों को क्षमा कर, क्योंकि हम भी अपने हर एक अपराधी को क्षमा करते हैं, और हमें परीक्षा में न ला।
                                                 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 4-6
  • यूहन्ना 6:1-21