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गुरुवार, 10 नवंबर 2011

व्याकुल हृदयों के लिए शान्ति

   एक प्रिय मित्र ने अपने पत्र में हमारे साथ एक रोचक घटना बाँटी: उनकी एक अन्य सहेली का पालन पोष्ण एक भक्तिहीन एवं नास्तिक परिवार में हुआ था और वह अपने जीवन से बहुत असन्तुष्ट और निराश रहती थी। एक दिन उसने अखबार में ’शान्ति सेना’ में भर्ती के लिए विज्ञापन देखा और उसे विचार आया कि मेरे जीवन में शान्ति ही की तो कमी है, और वह उस शान्ति की तलाश में शान्ति सेना में भर्ती हो गई और उसे एक कबायली इलाके में स्वयंसेवा के लिए भेज दिया गया। सेवा करने के कुछ समय में ही वह जान गई कि जिस शान्ति की उसे तलाश थी वह अभी भी उस से दूर ही थी। अपने कार्य के दौरान वह एक वृद्ध कबायली के संपर्क में आई, और उसने देखा कि वह अन्य जितने कबायलियों के साथ संपर्क में आई थी, यह वृद्ध अपने व्यवहार और जीवन में उन सब से भिन्न है। उसने उस वृद्ध से उसके जीवन में इस सन्तुष्टि और शान्ति का राज़ पूछा, तो व्रुद्ध ने कहा यह इसलिए है क्योंकि प्रभु यीशु मसीह उसके हृदय में राज्य करते हैं। उस वृद्ध के कहने से उस स्त्री ने बाइबल पढ़नी आरंभ करी, और परमेश्वर के वचन तथा उस वृद्ध के जीवन की गवाही ने उसके जीवन में कार्य किया और उसने मसीह यीशु में उस अद्भुत शान्ति को पा लिया।

   यही शान्ति उन सब को भी उपलब्ध है जो साधारण विश्वास द्वारा प्रभु यीशु को अपने निज उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करते हैं। जिनके पास परमेश्वर की यह शान्ति है उनका परमेश्वर के साथ मेलमिलाप है "जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें" (रोमियों ५:१); तथा वे हर समय उस परमेश्वर और उसकी शान्ति की सुरक्षा में रहते हैं "किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्‍तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी" (फिलिप्पियों ४:६, ७)।

   व्याकुल हृदयों के लिए इसी संसार में शान्ति उपलब्ध है - परमेश्वर की अद्भुत शान्ति; जीवन में यदि प्रभु यीशु नहीं तो शान्ति भी नहीं। - रिचर्ड डी हॉन

यीशु को ग्रहण करो, उसकी शान्ति स्वतः ही आ जाएगी।

मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे। - युहन्ना १४:२७
 
बाइबल पाठ: युहन्ना १४:१५-२७
    Joh 14:15  यदि तुम मुझ से प्रेम रखते हो, तो मेरी आज्ञाओं को मानोगे।
    Joh 14:16  और मैं पिता से बिनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, कि वह सर्वदा तुम्हारे साथ रहे।
    Joh 14:17  अर्थात सत्य का आत्मा, जिसे संसार ग्रहण नहीं कर सकता, क्‍योंकि वह न उसे देखता है और न उसे जानता है: तुम उसे जानते हो, क्‍योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है, और वह तुम में होगा।
    Joh 14:18  मैं तुम्हें अनाथ न छोडूंगा, मैं तुम्हारे पास आता हूं।
    Joh 14:19  और थोड़ी देर रह गई है कि संसार मुझे न देखेगा, परन्‍तु तुम मुझे देखोगे, इसलिये कि मैं जीवित हूं, तुम भी जीवित रहोगे।
    Joh 14:20  उस दिन तुम जानोगे, कि मैं अपने पिता में हूं, और तुम मुझ में, और मैं तुम में।
    Joh 14:21  जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्‍हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा।
    Joh 14:22  उस यहूदा ने जो इस्‍किरयोती न था, उस से कहा, हे प्रभु, क्‍या हुआ की तू अपने आप को हम पर प्रगट किया चाहता है, और संसार पर नहीं।
    Joh 14:23  यीशु ने उस को उत्तर दिया, यदि कोई मुझ से प्रेम रखे, तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आएंगे, और उसके साथ वास करेंगे।
    Joh 14:24  जो मुझ से प्रेम नहीं रखता, वह मेरे वचन नहीं मानता, और जो वचन तुम सुनते हो, वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा।
    Joh 14:25  ये बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं।
    Joh 14:26  परन्‍तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा।
    Joh 14:27  मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।
 
एक साल में बाइबल: 
  • यर्मियाह ४८-४९ 
  • इब्रानियों ७