ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

समाधान


   मई १८८४ की बात है, युवा माता-पिता जॉन और मार्था की जोड़ी अपने नवजात बेटे के नामकरण में मध्य नाम को लेकर असहमत थे। माँ मार्था अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम सौलोमन रखना चाहती थी और पिता जॉन अपने पारिवारिक नाम को लेकर उसका नाम शिप्पे रखना माँगते थे। क्योंकि दोनो ही मध्य नाम को लेकर सहमत नहीं हुए इसलिए दोनो ने समस्या के समाधान के लिए केवल अंग्रेज़ी भाषा के S शब्द को, जो दोनो ही विवादाधीन नामों का प्रथम अक्षर था, प्रयोग करने का निर्णय लिया और बच्चे का नाम रखा गया हैरी एस. ट्रूमैन जो आगे चलकर अमेरिका के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति बने जिनका मध्य नाम केवल एक अक्षर ही था। इस बात को १२० वर्ष हो गए हैं, इतिहास उस विवाद को भी बताता है और उसके समाधान को भी।

    परमेश्वर के वचन बाइबल में हम एक और विवाद के बारे में पढ़ते हैं जो प्रभु यीशु के दो अनुयायियों के बीच एक तीसरे अनुयायी को लेकर हुआ। प्रेरितों के काम के १५ अध्याय में प्रेरित पौलुस एवं बरनाबास के इस विवाद का उल्लेख है। बरनाबास और पौलुस को सेवकाई और सुसमाचार प्रचार की यात्रा पर निकलना था। बरनाबास अपने साथ एक युवा विश्वासी मरकुस को भी ले जाना चाहता था, किंतु मरकुस को लेकर कुछ पिछले अनुभवों के आधार पर पौलुस ने इस बात का विरोध किया। बात यहाँ तक बढ़ गई कि पौलुस और बरनाबास ने अलग अलग अपने अपने रास्ते ले लिए। इस बात को दो हज़ार वर्ष के लगभग हो गए हैं, और यह परमेश्वर के वचन में सदा काल के लिए दर्ज भी है। किंतु बात यहीं समाप्त नहीं हुई; आगे चलकर पौलुस और मरकुस के बीच की दूरीयाँ मिट गईं, समस्या का समाधान निकल आया और मरकुस पौलुस का प्रीय बन गया। अपनी सेवकाई के अन्त में, मृत्यु दण्ड के पूरा किए जाने की प्रतीक्षा में कैदखाने में पड़े पौलुस ने अपनी अन्तिम पत्री में एक अन्य मसीही विश्वासी तिमुथियुस को लिखा: "...मरकुस को ले कर चला आ; क्योंकि सेवा के लिये वह मेरे बहुत काम का है" (२ तिमुथियुस ४:११)।

   एक और विवाद मानव जाति के इतिहास के आरंभ में हुआ - पाप के कारण परमेश्वर और हमारे आदि-पूर्वज आदम और हव्वा के बीच दूरी आ गई और हमारे आदि माता-पिता परमेश्वर की संगति से दूर हो गए। तब से पाप मनुष्य में बना हुआ है और आदम हव्वा की सभी संतान इस पाप स्वभाव के साथ ही पैदा होती आई है तथा परमेश्वर से दूर है। परमेश्वर ने ही स्वयं आगे बढ़कर अपने बड़े प्रेम में होकर मानव के लिए पाप से बचने और पाप स्वभाव के चंगुल से निकलने का मार्ग दिया। उसने अपने पुत्र प्रभु यीशु को संसार में भेजा, उसने संसार में एक निष्पाप और निषकलंक जीवन बिताया और समस्त मानव जाति का पाप अपने ऊपर लेकर उस पाप के दण्ड को सभी मनुष्यों के लिए सह लिया। उसने क्रूस पर अपने प्राण बलिदान किए, वह मारा गया, गाड़ा गया और तीसरे दिन मृतकों से जीवित होकर उसने अपने परमेश्वरत्व को प्रमाणित कर दिया। आज भी उसकी खाली कब्र उसके पुनरुत्थान और परमेश्वर होने की गवाह है।

   प्रभु यीशु के इस बलिदान और पुनरुत्थान के द्वारा पाप की समस्या का समाधान हो गया, सभी मनुष्यों के लिए पाप क्षमा और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग खुल गया। अब जो कोई सच्चे मन से अपने पापों की क्षमा प्रभु यीशु से माँगता है तथा स्वेच्छा से अपना जीवन उसे समर्पित करता है उसे प्रभु यीशु से पापों की क्षमा, पाप स्वभाव से मुक्ति तथा परमेश्वर की सन्तान होने का आदर मिलता है और वह परमेश्वर के साथ संगति में आ जाता है। परमेश्वर का यह प्रयोजन सारे संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध है और सभी को परमेश्वर की ओर से इसका निमंत्रण है।

   क्या आपने अपने पापों और उनके कारण हुई परमेश्वर से दूरी का परमेश्वर द्वारा निर्धारित समाधान स्वीकार कर लिया है? यदि नहीं तो अभी अवसर है, कर लीजिए। इस समाधान का तिरस्कार बहुत महंगा, बहुत कष्टदायक और अनन्तकालीन है। - डेव ब्रैनन


पाप के कारण मनुष्य का परमेश्वर से हुआ मनमुटाव समय के साथ नहीं घटता नहीं है।

परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। - रोमियों ५:८

बाइबल पाठ: रोमियों ५:६-१२; १७-१९
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा।
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे।
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
Romans 5:9 सो जब कि हम, अब उसके लोहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा क्रोध से क्यों न बचेंगे?
Romans 5:10 क्योंकि बैरी होने की दशा में तो उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्वर के साथ हुआ फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएंगे?
Romans 5:11 और केवल यही नहीं, परन्तु हम अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा जिस के द्वारा हमारा मेल हुआ है, परमेश्वर के विषय में घमण्ड भी करते हैं।
Romans 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया।
Romans 5:17 क्योंकि जब एक मनुष्य के अपराध के कराण मृत्यु ने उस एक ही के द्वारा राज्य किया, तो जो लोग अनुग्रह और धर्म रूपी वरदान बहुतायत से पाते हैं वे एक मनुष्य के, अर्थात यीशु मसीह के द्वारा अवश्य ही अनन्त जीवन में राज्य करेंगे।
Romans 5:18 इसलिये जैसा एक अपराध सब मनुष्यों के लिये दण्ड की आज्ञा का कारण हुआ, वैसा ही एक धर्म का काम भी सब मनुष्यों के लिये जीवन के निमित धर्मी ठहराए जाने का कारण हुआ।
Romans 5:19 क्योंकि जैसा एक मनुष्य के आज्ञा न मानने से बहुत लोग पापी ठहरे, वैसे ही एक मनुष्य के आज्ञा मानने से बहुत लोग धर्मी ठहरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती १-३ 
  • मरकुस ३