ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 15 मई 2013

सुनिश्चित कीजिए


एक पुस्तक जिसका शीर्षक है "UnChristian" (गैरमसीही) उन कारणों को बताती है जिनके कारण बहुत से ऐसे लोग जो प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास नहीं रखते, मसीह यीशु पर विश्वास रखने वालों से चिढ़ते हैं। दिए गए कारणों में प्रमुख है मसीही अविश्वासियों के प्रति मसीही विश्वासियों का व्यवहार। इस पुस्तक के लिए किए गए शोध में पाया गया कि मसीह यीशु पर विश्वास ना रखने वालों की दृष्टि में मसीही विश्वासी पाखण्डी, आलोचनात्मक एवं ऊँगुली उठाने वाले, कठोर, और अपने समान विश्वास ना रखने वालों के प्रति प्रेम या सहिषुण्ता ना दिखाने वाले होते हैं।

   मुझे पूरा विश्वास है कि मसीही विश्वासियों के प्रति यह दृष्टिकोण जैसे मुझे कतई पसन्द नहीं आया था, एक मसीही विश्वासी होने के नाते आपको भी यह पसन्द नहीं आएगा। लेकिन प्रश्न मेरी और आपकी पसन्द-नापसन्द का नहीं है; बहुत बार नापसन्द आने वाली बातें भी सत्य होती हैं, और हम मसीही विश्वासियों को सत्य का सच्चाई से सामना करना अवश्य है। प्रभु यीशु के शिष्य प्रेरित यूहन्ना ने अपनी लिखी पहली पत्री में कुछ सशक्त शब्दों का प्रयोग किया है। एक स्थान पर वह लिखता है: "देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना" (1 यूहन्ना 3:1)। परमेश्वर के साथ एक मसीही विश्वासी के संबंध के आधार को लिखने के बाद यूहन्ना आगे तीक्ष्ण तुलनात्मक अन्तर प्रस्तुत करता है: एक मसीही विश्वासी धार्मिकता से प्रेम करता है, पाप से बचकर रहता है, और अन्य लोगों के प्रति प्रेम में बने रहता है; इसकी तुलना में मसीह में अविश्वासी रहने वालों के जीवन में पाप करने और पाप में बने रहने की प्रवृति, एक दुसरे के प्रति भेद-भाव, तिरिस्कार और नफरत की भावनाएं रहती हैं, और वे अनन्त मृत्यु के भागी हैं।

   यूहन्ना ने बहुत चुभने वाले प्रबल शब्द प्रयोग करे हैं जिससे कि पढ़ने वाले पहचान सकें कि हम या तो प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर की सन्तान हैं अन्यथा प्रभु यीशु से दूर रहकर, जानते बूझते हुए या अनजाने में, शैतान की आधीनता में रहने वाले लोग - बीच का या तीसरा कोई स्थान है ही नहीं। साथ ही यूहन्ना यह भी चिताता है कि केवल एक ही मानक है जो प्रमाणित करता है कि हम वास्तव में परमेश्वर की सन्तान हैं - प्रत्यक्ष व्यवहार और जीवन में सर्वविदित प्रेम (यूहन्ना 3:10, 18-19; 4:7-8)। यह नहीं हो सकता कि हम पाप का जीवन भी व्यतीत करें और परमेश्वर की सन्तान होने का दावा भी करें - हमारा प्रचार नहीं वरन हमारा चरित्र और व्यवहार, हमारा आचरण हमारी वास्तविकता को प्रगट करता है।

   आप यदि मसीही विश्वासी हैं तो यह सुनिश्चित करना भी आपका कर्तव्य है कि आपका जीवन और कार्य आपके शब्दों और आपके विश्वास का सजीव उदाहरण हों। अपने जीवन की गवाही से मसीह यीशु के लिए लोगों को ठोकर देने वाले नहीं वरन लोगों को आकर्षित करने वाले बनें। - डेव एग्नर



मसीह यीशु के अनुयायी होने की दो आवश्यकताएं हैं - पहला मसीह यीशु में विश्वास, दूसरा उस विश्वास के अनुरूप आचरण।

इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। - 1 यूहन्ना 3:10 

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 3:1-10,14-18
1 John 3:1 देखो पिता ने हम से कैसा प्रेम किया है, कि हम परमेश्वर की सन्तान कहलाएं, और हम हैं भी: इस कारण संसार हमें नहीं जानता, क्योंकि उसने उसे भी नहीं जाना।
1 John 3:2 हे प्रियों, अभी हम परमेश्वर की सन्तान हैं, और अब तक यह प्रगट नहीं हुआ, कि हम क्या कुछ होंगे! इतना जानते हैं, कि जब वह प्रगट होगा तो हम भी उसके समान होंगे, क्योंकि उसको वैसा ही देखेंगे जैसा वह है।
1 John 3:3 और जो कोई उस पर यह आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है, जैसा वह पवित्र है।
1 John 3:4 जो कोई पाप करता है, वह व्यवस्था का विरोध करता है; ओर पाप तो व्यवस्था का विरोध है।
1 John 3:5 और तुम जानते हो, कि वह इसलिये प्रगट हुआ, कि पापों को हर ले जाए; और उसके स्‍वभाव में पाप नहीं।
1 John 3:6 जो कोई उस में बना रहता है, वह पाप नहीं करता: जो कोई पाप करता है, उसने न तो उसे देखा है, और न उसको जाना है।
1 John 3:7 हे बालकों, किसी के भरमाने में न आना; जो धर्म के काम करता है, वही उस की नाईं धर्मी है।
1 John 3:8 जो कोई पाप करता है, वह शैतान की ओर से है, क्योंकि शैतान आरम्भ ही से पाप करता आया है: परमेश्वर का पुत्र इसलिये प्रगट हुआ, कि शैतान के कामों को नाश करे।
1 John 3:9 जो कोई परमेश्वर से जन्मा है वह पाप नहीं करता; क्योंकि उसका बीज उस में बना रहता है: और वह पाप कर ही नहीं सकता, क्योंकि परमेश्वर से जन्मा है।
1 John 3:10 इसी से परमेश्वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता।
1 John 3:14 हम जानते हैं, कि हम मृत्यु से पार हो कर जीवन में पहुंचे हैं; क्योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं: जो प्रेम नहीं रखता, वह मृत्यु की दशा में रहता है।
1 John 3:15 जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह हत्यारा है; और तुम जानते हो, कि किसी हत्यारे में अनन्त जीवन नहीं रहता।
1 John 3:16 हम ने प्रेम इसी से जाना, कि उसने हमारे लिये अपने प्राण दे दिए; और हमें भी भाइयों के लिये प्राण देना चाहिए।
1 John 3:17 पर जिस किसी के पास संसार की संपत्ति हो और वह अपने भाई को कंगाल देख कर उस पर तरस न खाना चाहे, तो उस में परमेश्वर का प्रेम क्योंकर बना रह सकता है?
1 John 3:18 हे बालकों, हम वचन और जीभ ही से नहीं, पर काम और सत्य के द्वारा भी प्रेम करें।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 राजा 22-23 
  • यूहन्ना 4:31-54