ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 15 जुलाई 2013

सीमा

   गोल्फ के खेल मैदान में विशेष चिन्ह लगे होते हैं जो खेल मैदान की सीमा को दिखाते हैं। यदि गोल्फ की गेंद उन चिन्हों के बाहर जाती है तो खिलाड़ी को एक दण्ड चुकाकर ही उसे वापस सीमा के अन्दर लेने और फिर खेल में बने रहने का अवसर लेना होता है।

   जीवन यात्रा में भी परमेश्वर ने हम सभी के लिए कुछ सीमाएं निर्धारित करी हैं, जिन का उल्लंघन करने पर एक कीमत चुकानी ही पड़ती है। यर्मियाह भविष्यद्वक्ता ने इस्त्राएल के लोगों को उनके द्वारा बार बार परमेश्वर की सीमाओं के उल्लंघन के बारे में चिताया। अपनी चेतावनी में उस ने उन से कहा समुद्र भी अपनी सीमा जानता है (यर्मियाह 5:22) लेकिन परमेश्वर के नाम से जाने वाले इस्त्राएली लोग हठीले और बलवाई हो गए (पद 23), उन में उस परमेश्वर का भय ही नहीं रहा जो उन्हें उपज के लिए समयानुसार बरसात का पानी देता है (पद 24)। वे छल से भर गए और कंगालों को भी उनका हक नहीं देते (पद 26-28)।

   परमेश्वर ने अपने वचन बाइबल में मनुष्यों के लिए कुछ नैतिक सीमाएं निर्धारित कर के दी हैं। इन सीमाओं का उद्देश्य हमें बांधे रखने और कुंठित करना नहीं है, वरन नुकसान से बचाए रखना और परमेश्वर की आशीषों से परिपूर्ण रखना है। भजनकार ने अपने अनुभव के आधार पर परमेश्वर के वचन में लिखा है: "हे यहोवा, मैं जान गया कि तेरे नियम धर्ममय हैं, और तू ने अपने सच्चाई के अनुसार मुझे दु:ख दिया है" (भजन 119:75)। परमेश्वर ने अपने वचन और नियम मूसा के द्वारा इस्त्राएल के लोगों को देने के बाद मूसा के द्वारा ही उन से कहा: "मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें" (व्यवस्थाविवरण 30:19)।

   हमारी भलाई इसी में है कि हम परमेश्वर द्वारा निर्धारित सीमाओं को जाने, उन्हें भली भांति पहचाने और उनके अन्दर ही जीवन व्यतीत करें। अन्यथा सीमा का उल्लंघन करने के बाद एक कीमत चुकाकर, कुछ कष्ट उठाकर ही जीवन दोबारा सही मार्ग पर लाया जा सकेगा। - सी० पी० हीया


परमेश्वर की आज्ञाकारिता में उठाया गया एक छोटा कदम उससे आशीष पाने का एक बड़ा माध्यम होता है।

मैं तेरे उपदेशों को कभी न भूलूंगा; क्योंकि उन्हीं के द्वारा तू ने मुझे जिलाया है। - भजन 119:93

बाइबल पाठ: यर्मियाह 5:20-31
Jeremiah 5:20 याकूब के घराने में यह प्रचार करो, और यहूदा में यह सुनाओ:
Jeremiah 5:21 हे मूर्ख और निर्बुद्धि लोगो, तुम जो आंखें रहते हुए नहीं देखते, जो कान रहते हुए नहीं सुनते, यह सुनो।
Jeremiah 5:22 यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम लोग मेरा भय नहीं मानते? क्या तुम मेरे सम्मुख नहीं थरथराते? मैं ने बालू को समुद्र का सिवाना ठहराकर युग युग का ऐसा बान्ध ठहराया कि वह उसे लांघ न सके; और चाहे उसकी लहरें भी उठें, तौभी वे प्रबल न हो सकें, या जब वे गरजें तौभी उसको न लांघ सकें।
Jeremiah 5:23 पर इस प्रजा का हठीला और बलवा करने वाला मन है; इन्होंने बलवा किया और दूर हो गए हैं।
Jeremiah 5:24 वे मन में इतना भी नहीं सोचते कि हमारा परमेश्वर यहोवा तो बरसात के आरम्भ और अन्त दोनों समयों का जल समय पर बरसाता है, और कटनी के नियत सप्ताहों को हमारे लिये रखता है, इसलिये हम उसका भय मानें।
Jeremiah 5:25 परन्तु तुम्हारे अधर्म के कामों ही के कारण वे रुक गए, और तुम्हारे पापों ही के कारण तुम्हारी भलाई नहीं होती।
Jeremiah 5:26 मेरी प्रजा में दुष्ट लोग पाए जाते हैं; जैसे चिड़ीमार ताक में रहते हैं, वैसे ही वे भी घात लगाए रहते हैं। वे फन्दा लगाकर मनुष्यों को अपने वश में कर लेते हैं।
Jeremiah 5:27 जैसा पिंजड़ा चिडिय़ों से भरा हो, वैसे ही उनके घर छल से भरे रहते हैं; इसी प्रकार वे बढ़ गए और धनी हो गए हैं।
Jeremiah 5:28 वे मोटे और चिकने हो गए हैं। बुरे कामों में वे सीमा को लांघ गए हैं; वे न्याय, विशेष कर के अनाथों का न्याय नहीं चुकाते; इस से उनका काम सफल नहीं होता: वे कंगालों का हक़ भी नहीं दिलाते।
Jeremiah 5:29 इसलिये, यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं इन बातों का दण्ड न दूं? क्या मैं ऐसी जाति से पलटा न लूं?
Jeremiah 5:30 देश में ऐसा काम होता है जिस से चकित और रोमांचित होना चाहिये।
Jeremiah 5:31 भचिष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते हैं; और याजक उनके सहारे से प्रभुता करते हैं; मेरी प्रजा को यह भाता भी है, परन्तु अन्त के समय तुम क्या करोगे?

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15 
  • प्रेरितों 19:21-41